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विश्वास को बढाने के चार अचूक उपाय | 4 Ways To Grow Faith

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3 1. परमेश्वर के वचनों को सुनकर….विश्वास सुनने से और सुनना परमेश्वर के वचन से होता है…(रोमी 10:17)

हम कैसे अपना विश्वास बढ़ा सकते हैं???

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Image by Mariusz Matuszewski from Pixabay विश्वास

तब प्रेरितों ने प्रभु से कहा, हमारा विश्वास बढ़ा। 

(लूका 17:5)

परमेश्वर के लिए बड़ा और सामर्थी काम करने के लिए हमें विश्वास की जरूरत है जैसे इब्रानियों की पत्री 11 अध्याय में लोगों ने किया…

हमारा उद्धार विश्वास से हुआ हुआ है और विश्वास से ही हमने प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण किया है…

क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं(2 कुरु 5:7)

हमें किस बात पर विश्वास होना चाहिए….???

हमें परमेश्वर के वायदों पर विश्वास होना चाहिए कि परमेश्वर ने मेरे लिए बेहतर और सर्वोत्तम आशीषे रख छोड़ी हैं और निश्वय उसकी करुना और भलाई जीवन भर मेरे संग संग बनी रहेगी.

क्या पूरा विश्वास होना अति आवश्यक है…??? हाँ क्योंकि बिना विश्वास के परमेश्वर को प्रसन्न करना अनहोना है…परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए कि वो है, और वह अपने खोजियों को प्रतिफल देता है.

विश्वास क्या है ??? | What is Faith

अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है। (इब्र 11:1)

बाइबिल में महान विश्वास करने वालों के उदाहरण

नूह बारिश नहीं देखा फिर भी विश्वास करके बड़ा जहाज बनाया

अब्राहम प्रभु की आज्ञा पाकर उस देश को निकल गया जहाँ नहीं जानता था.

युसुफ नहीं जानता था की कभी उस सजा की कैद से आजाद भी होगा की नहीं जो उसने कभी की ही नहीं और पवित्र रहा और विश्वासयोग्य रहा/

मूसा फिरोह का पुत्र कहलाने से इंकार कर दिया और सारी सम्पत्ति को ठुकरा दिया…विश्वास से ही उसने भेड़ बकरी चराना और दुःख सहना ज्यादा मुनासिफ समझा.

यहोशु विश्वास से यरीहो की दीवार को गिरा दिया

राहब विश्वास से इब्री लोगों को छिपा लिया

गिदियोंन विश्वास से ३०० लोगो के द्वारा 1 लाख 35 हजार लोगों को हरा दिया

दाउद विश्वास से एक पत्थर से गोलियत को मार गिराया

एलियाह ने प्रार्थना की और साडे तीन वर्ष तक बारिस को रोक दिया

विश्वास की रुकावटें

त्याग ….जब आपको लगता है कुछ नुक्सान होगा

जब आपको लगता है यह तर्क संगत नहीं हैं

जब परिवार और मित्रों का दबाव होता है

जब विश्वास के कारण आपको कष्ट उठाना पड़ता है

कैसे विश्वास को बढ़ा सकते हैं

1. परमेश्वर के वचनों को सुनकर….विश्वास सुनने से और सुनना परमेश्वर के वचन से होता है…(रोमी 10:17)

आप स्वयं बाइबल पढ़कर और सुनकर अपने विश्वास को बढ़ा सकते हैं. आज कल तो मोबाईल में यूट्यूब में और अनेक प्रकार के एप्प उपलब्ध हैं जिन पर ऑडियो में प्रभु के संदेश हैं हिंदी में और अंग्रेजी में भी उपलब्ध हैं आप उन्हें सुनकर परमेश्वर के वचन में अपना विश्वास बढ़ा सकते हैं ऐसा ही एक पॉडकास्ट है जिसे गूगल में आप सर्च करके मेरे द्वारा बोले गए संदेश को सुन सकते हैं Hindi Christian Podcast और hindi gospel stories इन पर क्लिक करके आप संदेशों को सुन सकते हो.

2. बीते समय में परमेश्वर के द्द्वारा किये गए आश्चर्य कर्म को स्मरण करने से….दाउद ने गोलियत को मारने से पहले ऐसा ही किया उसने याद किया की कैसे परमेश्वर ने उसकेद्वारा शेर और भालू को मारा था. (1 शमुएल 17:31-37)

दाउद एक चरवाहा था लेकिन वह बचपन से ही परमेश्वर यहोवा की आराधना करता था और उनके लिए गीतों को लिखता था… परमेश्वर ने दाउद के हाथो से बड़े बड़े अद्भुत कामों को करवाया था जैसे शेरो और भालू को मारना….एक बार जब दाउद के भाई जो राजा के पास सैनिक का नाम करते थे. उनसे मिलने गया तो क्या देखा की राजा और सारे सैनिक एक अविश्वासी सेना से डर रहे हैं….और एक दानव रूपी गोलियात उन्हें ललकार रहा है.

तब दाउद ने राजा शाउल को बताया और अपने पुराने दिनों को स्मरण किया की किस तरह से परमेश्वर ने उसके हाथों बड़े शेर और भालू को मार दिया इसलिए उसका विश्वास बढ़ा और वह एक चिकने छोटे पत्थर से ही उस बड़े दानव रूपी शत्रु को एक गोफन के द्वारा मार गिराया.

यदि आप आज ऐसी समस्या का सामना कर रहे हैं तो ऐसे समय में अपने बीते समय में परमेश्वर के द्वारा किये गए कार्यों को स्मरण करें और देखेंगे की किस तरह आपका विश्वास बढ़ता है यदि परमेश्वर बीते समय में बड़े बड़े काम किया है तो वह इस समय भी अवश्य करेंगे.

3. जो आप पहले से जानते हैं उन्हीं बातो में प्रभु के आज्ञाकारी रहें…लूका 16:10) जो थोड़े से थोड़े में विश्वासयोग्य रहता है वह अधिक में भी विश्वासयोग्य रहेगा.

देखिये जिस तरह हमें मोटर साइकल में रात के समय बहुत दूर तक की अर्थात 1 या 2 किलोमीटर तक की रौशनी नहीं दिखाई देती उसकी हैड्लाईट से केवल कुछ मीटर की ही रौशनी दिखाई देती है और उसका पीछा करते हुए हम एक शहर से दुसरे शहर तक चले जाते हैं. उसी प्रकार परमेश्वर हमसे चाहते हैं कि जो बाइबल में आप पहले से जानते हैं उसका अनुसरण करें…फिर परमेश्वर की इच्छा अपने आप स्वत: ही मालुम करते चले जाओगे…

सभी पूछते हैं परमेश्वर की इच्छा मेरे जीवन के लिए क्या है यदि ये जिस दिन मालुम हो जाएगा उसी दिन से मैं विश्वास में बढ़ जाऊँगा और ये करूंगा या वो करूंगा ….तो प्रभु की ईच्छा तो बाइबल में पहले से ही लिखी है पवित्र बनो क्योंकि मैं पवित्र हूँ….प्रार्थना करो….दसवांश दो सुसमाचार सुनाओ आदि…पहले जो आज्ञा दी गई है वो पूरा करेंगे तो आगे की इच्छा और स्पष्ट हो जाएगी…

4. प्रतिदिन परमेश्वर से बड़ी बातो को मांगे. यहुन्ना 16:24 अब तक तुम ने मेरे नाम से कुछ नहीं मांगा; मांगो तो पाओगे ताकि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए॥

प्रतिदिन का प्रार्थना का समय निश्चित करें…मेरी सलाह है सुबह का समय बहुत बेहतर होगा…किसी ने कहा है यदि सुबह सुबह आप परमेश्वर के चेहरे को निहारना सीख जाते हो तो पूरा दिन आपके लिए बाकी सभी के चेहरे आपको छोटे नजर आएँगे. अर्थात किसी भी समस्या में आपको फंसना नहीं पड़ेगा और किसी से डरना नहीं पड़ेगा. जिस प्रकार राजा दाउद कहने लगा….

 जिस समय मुझे डर लगेगा, मैं तुझ पर भरोसा रखूंगा। (भजन 56:3)  

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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)

rajeshkumarbavaria@gmail.com


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