सकारात्मक-सोच

Top 10 Positive Thoughts in the Bible | सकारात्मक सोच

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दोस्तों आज हम सीखेंगे Top 10 Positive Thoughts in the Bible | सकारात्मक सोच मतलब अपने प्रतिदिन के जीवन में कैसे Positive thinking को इस्तेमाल करें बाइबिल क्या कहती है sakaratmak soch के विषय में …

परिचय | Introduction

सकारात्मक सोच एक ऐसी मानसिक विचारधारा है जो समस्या से हटाकर समाधान और उत्साह की ओर ध्यान केन्द्रित करती है. जो एक व्यक्ति के जीवन के हर एक पहलू पर अच्छा प्रभाव डालती है.

सकारात्मक सोच

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 "जैसा वह अपने मन में विचार करता है, वैसा वह आप है।" (नीतिवचन 23:7) 

यह बड़ी अद्भुत बात है कि लोग जैसा हमारे बारे में सोचते हैं वैसे हम नहीं हैं बल्कि हम वैसे हैं जैसा हम लगातार सोचते रहते हैं. हमारी सोच का हमारे जीवन में स्पष्ट और सीधा असर होता है. इसी लिए पवित्रशास्त्र हमसे कहता है, “तुम्हारे सोच के नए हो जाने से तुम्हारा चालचलन भी बदलता जाए..,” (रोमियो 12:2)

यीशु ने तुरन्त अपनी आत्मा में जान लिया, कि वे अपने अपने मन में ऐसा विचार कर रहे हैं, और उन से कहा, तुम अपने अपने मन में यह विचार क्यों कर रहे हो? (मरकुस 2:8)

प्रभु यीशु हमारे मनों में चलने वाले विचार भी जानता हैं वह नहीं चाहता कि हम अपने मनों में कोई ऐसा नकारात्मक विचार करें जो हमारे लिए नुकसानदायक हो.

मन का आनन्द अच्छी औषधि है, परन्तु मन के टूटने से हड्डियां सूख जाती हैं. मन का आनन्द अच्छी औषधि है, परन्तु मन के टूटने से हड्डियां सूख जाती हैं. (नीतिवचन 7:22)

मन भावने वचन मधु भरे छते की नाईं प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं. (नीतिवचन 16:24)

सकारात्मक सोच के उदाहरण

लगभग चार वर्ष पहले जब हम अपना घर का समान नए किराए के घर में शिफ्ट कर रहे थे उस दिन हमने देखा, जो लोग इस घर से गए थे.

उन्होंने एक छोटी सी बोतल में एक बहुत ही छोटा सा पौधा छोड़कर गए थे जो ऐसा लग रहा था कि अब गल गया है और बोतल का पानी भी हरा पड़ चूका था.

पौधे में केवल एक छोटी सी पत्ती थी, सबने उस पौधे को बोतल सहित फेंकना चाहा लेकिन मेरी चार वर्ष की बेटी ने कहा नहीं मैं इसे गमले में लगाउंगी.

हम सभी ने कहा, अरे अब यह बड़ा नहीं हो सकता लेकिन उसकी जिद्द के कारण हमें एक गमला लाना पड़ा और मिटटी और खाद डालकर उस पौधे को उसमे लगाया गया.

मेरी बेटी रोज उसमें पानी देती उसका देखभाल करती और धीरे धीरे उस पौधे में और भी पत्तियां आने लगीं आज लगभग चार वषों के बाद एक वही पौधा है जो बहुत फ़ैल कर हमारे घर की खूबसूरती बढ़ा रहा है.

मेरी बेटी जो आज आठ वर्ष की है कहती है यह मेरा पौधा है… कहानी की शिक्षा यह है समस्या कितनी भी बड़ी या छोटी क्यों न हो

और आस पास के लोग आपके विषय में कितने भी नकारात्मक क्यों न हों लेकिन आपकी एक सकारात्मक पहल सारे नकारत्मकता को हरा सकती है.

सकारात्मक सोच के फायदे

सकारात्मक सोच के अनगिनत फायदे हैं. जो हमारे जीवन को अनेक रीती से आशीषित कर सकते हैं यहाँ पर कुछ बिंदुओं को हम देखेंगे.

सकारात्मक सोच हमारे तनाव टेंसन को काफी हद तक कम करते हैं यह हमें हमारे फोकस को अपनी समस्या से हटाकर समाधान पर रखते हैं.

जिसके कारण क्रोध, चिंता और तनाव से आजादी मिलती है और मन शांत रहता है. सकारात्मक सोच हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी अच्छा रखता है,

जिसके कारण हम लोगों को निराशा के लक्षणों को कम करता है और रचनात्मक कार्यों और विचारों में मदद करता है.

सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति अपनी पिछली हार या असफलता को लेकर बैठे नहीं रहता बल्कि एक नया काम करना का सोच समझकर जोखिम लेता है

और अपने लक्ष्य प्राप्ति और विकास के मार्ग में उन्नति करते चला जाता है. एक सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति लोगों की गलतियों को नजरंदाज कर उनसे अच्छे संबंध बनाता है,

वह लोगों के अपने रिश्तेदारों के प्रति संवेदना और सहानुभूति रखता है. जिसके कारण लोग उसे पसंद भी करते हैं.

वह लोगों की छोटी छोटी बातों को लेकर मन ही मन कुंठित और क्रुद्ध नहीं रहता. वह हमेशा मुस्कुराता है और आगे बढ़ता जाता है.

कहने का तात्पर्य यह है एक सकारात्मक सोच आपके सर्वांगीण विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है.

सकारात्मक सोच कैसे विकसित करें | Top 10 Positive Thoughts in the Bible

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प्रार्थना करें – क्योंकि बाइबल कहती है जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए हैं, उसकी तू पूर्ण शान्ति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है. (यशायाह 26:3)

अनावश्यक चिंता न करें – कल के लिये चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है. (मत्ती 6:34)

सकारात्मक अंगीकार करें – जिस प्रकार राजा दाउद कहता था हे मेरे मन यहोवा कू धन्य कह, और उसके किसी भी उपकार को न भूलना. निश्चय करुणा और भलाई जीवन भर मेरे संग संग बनी रहेगी. (भजन 23:6)

धन्यवादी हृदय रखें – हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है. (थिस. 5:18)

प्रभु में आनन्दित रहें – प्रभु में सदा आनन्दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्दित रहो (फिली 4:4)

दूसरों की भलाई करें – हर के अपने हित की ही नहीं वरन दूसरों के हित की भी चिंता करें. (फिली. 2:4)

मधुर वचन बोलें – मनभावने वचन मधुभरे छत्ते के समान प्राणों को मीठे लगते और हड्डियों को हरी भरी करते हैं. (नीतिवचन 16:24)

मसीह के जैसा स्वभाव रखें – जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो. (फिली 2:5)

सब कुछ प्रभु की महिमा के लिए करें. इसलिए तुम चाहे खाओ, चाहे पियो चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिए करो. (1 कुरु. 10:31)

प्रभु पर पूरा भरोसा रखें. तू अपनी समझ का सहारा न लेना वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा परमेश्वर पर भरोसा करना उसी को स्मरण करके सब काम करना तब वह तेरे लिए सीधा मार्ग निकालेगा. (नीतिवचन 3:5-6)

Conclusion

यदि हमने दुःख चिंता एवं निराशा रूपी नकारात्मक बीज बोये हैं तो हम सुख संवृद्धि एवं सुख की कामना नहीं कर सकते. अत: अपने विचारों की शक्ति से हम जीवन में जो कुछ भी बनना चाहे बन सकते हैं. जो भी काम करना चाहे कर सकते हैं. सकारात्मक सोच की शक्ति अजेय, अपार है.

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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)

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