दोस्तों आज हम सीखेंगे सच्ची मित्रता बाइबिल | What are the results of Gods friendship? परमेश्वर के साथ मित्रता मानव जीवन के लिए सबसे उत्तम बात है जो केवल बाइबिल में पाई जाती है तो आइये सीखते हैं.
सच्ची मित्रता बाइबिल | What are the results of Gods friendship?
सच्ची दाखलता मैं हूं; और मेरा पिता किसान है…(यूहन्ना 15:1-15) में कुछ सबंध दिए गए हैं जैसे पिता – पुत्र, दाखलता-किसान, दाखलता – डाली, मित्र-मित्र.
तुम मुझमें बने रहो और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो कुछ मांगो वह तुम्हारे लिए हो जाएगा.
उपरोक्त इन चारों में एक बात common है और वो है बने रहना (Abide) यदि डाली दाखलता में बनी रहे तो फलवंत होती है और फल लाती है.
दाखलता जब तक खेत में है तब तक किसान की देख रेख में बनी रहती है. दास जब तक आज्ञाकारी बना रहता है तब तक वह स्वामी का संरक्षण पाता है.
और एक सच्चा मित्र भी तब तक मित्र है जब तक वह अपने मित्र की मित्रता में बना रहता है. प्रभु ने अपने चेलों से कहा, मैं अब से तुम्हें अपना दास न कहूँगा वरन मित्र कहूँगा.
मित्र अपने मित्र के लिए प्राण देने तक के लिए तैयार रहता है. तुम आपस में एक दूसरे से प्रेम रखो.
जो आज्ञा मैं तुम्हें सुनाता हूँ यदि तुम उसे मानो तो तुम मेरे मित्र हो. दास नहीं जानता कि उसका स्वामी क्या करता है.
परन्तु मैंने तुम्हें मित्र कहा है. क्योंकि मैंने जो बाते अपने पिता से सुनी वो सब तुम्हें बता दी.
एक मित्र अपने मित्र से कोई बातें नहीं छिपाता. परमेश्वर भी अपने मित्र से अर्थात उन मनुष्य से जो उसकी आज्ञा मानता है और उससे प्रेम रखता है और उसमें बना रहता है.
कुछ नहीं छिपाता. परमेश्वर ने सदोम और गमोरा को नाश करने से पहली अब्राहम को ये बातें बताई और स्वयं से कहा क्या मैं अपने मित्र अब्राहम को यह बातें न बताऊँ.
नए नियम में प्रभु यीशु ने अपने उस चेले को जो उससे सबसे ज्यादा प्रेम रखता था. अर्थात यूहन्ना को उसे आने वाले भविष्य की बातों को बता दिया.
वो रहस्यमयी बातें जो दुनिया का और कोई व्यक्ति नहीं जानता था. परमेश्वर ने यूहन्ना पर स्वर्ग की बातें प्रगट कर दिया जिसे उसने लिख लिया और उसे आज हम प्रकाशित वाक्य के रूप में जानते हैं.
इसलिए जब यीशु अपने शिष्यों को अपना मित्र कह रहा था तब वह उनके साथ एक घनिष्ट सम्बन्ध की बात कह रहा था. जिसमें वह उनके लिए अपने प्राणों को भी देने के लिए तैयार था. (याकूब 4:8)
उसने उन्हें अपने समान दर्जा दिया. उनके ऊपर गहरी रहस्यमयी सच्चाई को प्रगट किया. मित्रता में ईमानदारी और आपसी समझ की मागं करती है.
इस प्रकार प्रभु उन्हें अपना मित्र बनाकर अपनी सेवा अर्थात Mission प्रदान करना चाहता है. परमेश्वर का मित्र हमेशा, आत्मिक रहस्य की खोज में रहता है
वह जानने की कोशिश करता है कि उसके परम मित्र अर्थात परमेश्वर के दिल में क्या है. वह दूसरों की भलाई और परमेश्वर की प्रसन्नता का खोजी होता है.
इस कारण वह परमेश्वर की उपस्थिति में हमेशा बना रहना चाहता है. (याकूब 2:23)
परमेश्वर मूसा से आमने सामने बाते करता था जैसे एक मित्र अपने दूसरे मित्र से. (निर्गमन 33:11)
यीशु ने कहा, यदि कोई मुझसे प्रेम रखेगा तो वह मेरे वचन को मानेगा और मेरा पिता उससे प्रेम रखेगा और हम उसके पास आयेंगे और उसके साथ वास करेंगे. (यूहन्ना 14:23)
Result and benefits of being Friend of God | परमेश्वर के मित्र होने के लाभ
अपने अपने मित्र पर अपना ईश्वरीय मार्गदर्शन प्रगट करता है (नीतिवचन 3:32) और सुरक्षा और सहायता प्रदान करता है (भजन 91:14-15) अनंतजीवन का वारिस बनाता है और शांति एवं आनन्द से भरता है (यूहन्ना 15:11,16)
Conclusion
परमेश्वर के साथ मित्रता एक जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है जिसे बड़े धीरज और विश्वास के साथ आज्ञा पालन करते हुए हमें चलना है.
परमेश्वर का एक सच्चा मित्र को जिस बात से परमेश्वर को प्रसन्नता होती है उन्हीं बातों में वह भी प्रसन्न होता है और जिस बातों से प्रभु का मन दुखित होता है उन बातों से उसका मन भी दुखित होता है.
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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)