दोस्तों आज हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर बातें करेंगे और वो है आत्मिक घमंड के 3 खतरे | Dangers of Spiritual Pride
आत्मिक घमंड के 3 खतरे | Dangers of Spiritual Pride
“विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है.” (नीतिवचन 13:18)
आत्मिक घमंड क्या है ?
आत्मिक घमंड मुंह से आने वाली दुर्गन्ध के समान है जो कभी भी उसे नहीं पता चलती जिसके मुंह से वो बदबू आ रही है. यह सभी प्रकार के घमंड से बढ़कर है.
यह आत्मिक घमंड एक ऐसे कैंसर के समान है जो व्यक्ति को अन्दर ही अन्दर खोखला करता है और उसके विवेक को और कॉमन सेन्स (व्यवहारिक बुद्धि) को खा जाता है.
ऐसा व्यक्ति यह समझता है मैं बिलकुल ठीक हूँ और आत्मिक रीती से उन्नति कर रहा हूँ अब मुझे किसी से कुछ भी सीखने की कोई आवश्यकता नहीं.
हर प्रकार के घमंड से परमेश्वर घृणा करता है (नीतिवचन 8:13)
यह घमंड ही था जिसने एक तेजोमय स्वर्गदूत को शैतान बना दिया. घमंड से कभी किसी का भला नहीं हुआ.
बाइबिल बताती है ये पृथ्वी और जो कुछ इसमें है सब कुछ परमेश्वर का है.
लेकिन एक आत्मिक घमंडी व्यक्ति कई बार अपने वरदानो अपने पद और अपने ज्ञान पर इतना घमंड करने लगता है कि वह यह भूल जाता है कि उसके पास जो कुछ भी है वो परमेश्वर की और से दिया गया है.
हमें समझना है हम मसीह के सेवक और परमेश्वर के भेदों के भंडारी है. मालिक नहीं. (1 कुरु. 4:1) ये सेवा भी हमें उसकी दया में मिली है. (2 कुरु. 4:1)
परमेश्वर को नम्र और दीन ह्रदय वाला व्यक्ति पसंद है ऐसे व्यक्ति को परमेश्वर उचित समय में बढाता है, और शिरोमणि बनाता है.
बाइबिल में आत्मिक घमंड के उदाहरण
(लूका 18:9-14) प्रभु यीशु मसीह ने आत्मिक घमंड पर एक दृष्टांत सुनाया. कि एक बार दो व्यक्ति मन्दिर में प्रार्थना करने गए जिसमें एक फरीसी था और दूसरा चुंगी लेने वाला मतलब टेक्स वसूल करने वाला.
फरीसी खड़ा होकर अपने मन में यों प्रार्थना करने लगा, कि हे परमेश्वर मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि मैं और मनुष्यों के जैसे अंधेर करने वाला और अन्यायी और व्यभिचारी नहीं,
और न इस चुंगी लेने वाले के समान हूँ. मैं सप्ताह में दो बार उपवास करता , मैं अपनी सब कमाई का दसवां अंश भी देता हूँ.
परन्तु चिनगी लेने वाले ने दूर खड़े होकर, स्वर्ग की और आँख उठाना भी न चाहा, वरन अपनी छति पीट पीटकर कहा, हे परमेश्वर मुझ पापी पर दया कर.
और इस रीति से यह व्यक्ति धर्मी ठहराया गया. न कि फरीसी जो अपने आप को धर्मी ठहराने की या बतलाने की कोशिश कर रहा था.
फिर प्रभु यीशु ने निष्कर्ष में कहा, जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा, और जो अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा.
यह दृष्टांत बताता है कुछ लोग स्वयं पर भरोसा करते हैं वे स्वकेन्द्रित होते हैं उन्हें लगता है उन्हें दूसरों की कोई जरूरत नहीं. वे घमंड और अंहकार से भरे हुए होते हैं.
उनकी नजर में उनके धर्म कर्म के कामों से वे अपनी धार्मिकता खरीद सकते हैं. और धर्मी ठहर सकते हैं. ऐसे लोग अपने आप को समझते हैं कि वे जैसे भी हैं परमेश्वर की दृष्टि में अच्छे हैं.
वे परमेश्वर के लिए अच्छे कार्य करते हुए आयें हैं. और अभी भी कर रहे हैं इसलिए वे स्वर्ग के अधिकारी हैं और उन्हें उनके अधिकार से कोई नहीं रोक सकता.
जैसा कि इस फरीसी ने सोचा था कि उसके दान और उपवास के कारण वह धर्मी हो गया है. इस रीती से उसने दूसरे लोगों को तुच्छ समझने लगा.
ऐसे लोग दूसरो का तिरस्कार करते हैं, और कुछ इस प्रकार का व्यवहार करते हैं मानो वे दूसरे से बेहतर तथा ऊंचे हैं. दूसरों से अधिक महत्वपूर्ण हैं.
बाइबिल कहती हैं, यदि कोई समझे कि मैं कुछ जानता हूँ, तो जैसा जानना चाहिए वैसा अब तक नहीं जानता. इसलिए जो समझता है, कि मैं स्थिर हूँ, वह चौकस रहे कि कहीं गिर न पड़े.
(1 कुरु. 10:12)
क्योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है तो अपने आप को धोखा देता है. (गला. 8:3)
आत्मिक घमंड के 3 खतरे
1. आत्मिक घमंडी व्यक्ति मूर्खतापूर्ण निर्णय लेने लगता है. (1 राजा. 12:3-18)
बुद्धिमान राजा सुलेमान की मृत्यु के पश्चात जब उसका पुत्र रहूबियाम राजा बना तो इस्राएल की प्रजा उससे आकर विनती करने लगे कि उन्हें थोडा विश्राम चाहिए.
तब रहूबियाम ने आत्मिक लोगों और बुद्धिमान लोगों से सलाह नहीं ली और मूर्खतावश अपने मूर्ख मित्रों की सलाह लेकर उन इस्राएली प्रजा से कहने लगा मेरी सबसे छोटी ऊँगली (छिन्गुली) मेरे पिता के कमर से मोटी है.
मेरे पिता ने यदि तुम्हें कोड़ो से मारा था तो मैं तुम्हें बिच्छुओं के द्वारा ताड़ना दूंगा. और इस आत्मिक घमंड की मूर्खता के कारण उसका राज्य उससे छीन लिया गया. (1 राजा. 12:3-18)
2. आत्मिक घमंडी व्यक्ति किसी से कुछ नहीं सीखता. (1 तिमू. 6:4-5)
वह अभिमानी हो गया, और कुछ नहीं जानता, वरन उसे विवाद और शब्दों पर तर्क करने का रोग है, जिन से डाह, और झगड़े, और निन्दा की बातें, और बुरे बुरे सन्देह.
और उन मनुष्यों में व्यर्थ रगड़े झगड़े उत्पन्न होते हैं, जिन की बुद्धि बिगड़ गई है और वे सत्य से विहीन हो गए हैं. (1 तिमू. 6:4-5)
3. आत्मिक घमंडी व्यक्ति नाश हो जाता है (यशायाह 2:12)
क्योंकि सेनाओं के यहोवा का दिन सब घमण्डियों और ऊंची गर्दन वालों पर और उन्नति से फूलने वालों पर आएगा; और वे झुकाए जाएंगे.
जो वचन को तुच्छ जानता, वह नाश हो जाता है, परन्तु आज्ञा के डरवैये को अच्छा फल मिलता है. (नीतिवचन 13:13)
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