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आशीष कैसे पाएं | How to be blessed 2 ways

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दोस्तों आज हम सीखने जा रहे हैं कि आशीष कैसे पाएं | How to be blessed 2 ways इसके लिए हम बाइबिल से दो तरीके देखेंगे.

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परमेश्वर से आशीष पाने के लिए परमेश्वर से बेहतर और कोई नहीं बता सकता. और परमेश्वर की लिखित वाणी हम पाते हैं पवित्र बाइबिल में. जो की परमेश्वर का लिखित वचन है.

परमेश्वर ने राजा दाउद जो पहले एक चरवाहा था उस पर प्रगट किया. राजा दाऊद ने बहुत से गीतों को लिखा जिसे हम भजन संहिता के रूप में बाइबिल में पाते हैं.

जिसमें उसने पहले भजन संहिता में ही आशीष कैसे पातें हैं उसके विषय में बहुत ही खूबसूरती से लिखा है. आइये इस पर मनन करते हैं.

क्या ही धन्य है वह पुरुष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता. और न ठठ्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है.

परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता और उसकी व्यवस्था पर रात दीन ध्यान करता रहता है. वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है.

और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं. इसलिए जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है. दुष्ट लोग ऐसे नहीं होती, वे उस भूसी के समान होते हैनं, जो पवन से उड़ाई जाती है.

इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे. क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नष्ट हो जाएगा.

यहाँ जो शब्द आया है धन्य जिसका अर्थ होता है आशीषित. अर्थात परमेश्वर से आशीष पाया हुआ. यह आशीष मनुष्य के जीवन में सर्वांगीण विकास करती है.

अर्थात वह तन मन धन से आशीषित रहता है. जैसे अय्यूब के जीवन में जब परमेश्वर ने आशीष दी वह लम्बी आयु जिया…अच्छे और सुन्दर सन्तान थी…नौकर चाकर थे और धन धान्य से परिपूर्ण था. और परमेश्वर के साथ एक अच्छा सम्बन्ध भी था.

भजन संहिता का पहली आयत हमें सिखाती है कि हमें आशीषित होने के लिए तीन चीजें नहीं करना है.

1. दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलना

2. पापियों के मार्ग में खड़ा नहीं होना

3. ठठ्ठा करने वालों की मण्डली में नहीं बैठना

इन तीनो बातों का मतलब एक ही है कि हमें हमारे जीवन शैली पर ध्यान देना है. हम अपना कीमती समय कहाँ पर बिता रहे हैं. इसे मूल भाषा में जीवन शैली कहा गया है.

और बाइबिल कहती भी है बुरी संगती अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है. (1 कुरु. 15:33)

यदि हमारे मित्र अच्छे हैं यदि हमारी संगती अच्छी है हम अपना समय सही लोगों के साथ और सही उद्देश्य के साथ बिता रहे हैं तो बाइबिल हमें धन्य या आशीषित कहती है.

बुरी संगती में रहकर (उसकी अनेक दुष्ट पत्नियों के कारण) सुलेमान जैसा बुद्धिमान राजा दुष्टों के मार्ग में जा सकता है तो दूसरों की क्या बात करें.

सवाल उठता है हमारे कैसे मित्र हैं हमारी संगती कैसे लोगों के साथ है???

आशीष पाने के लिए बाइबिल हमें बताती है केवल यह दो कामों को करना है जिसके द्वारा हम निश्चय आशीषित हो जाएंगे.

यह दो काम बाइबिल में बहुत से परमेश्वर के दासों ने किया और वे सफल भी रहे. वे दो काम निम्नलिखित हैं.

1. परमेश्वर की व्यवस्था से प्रसन्न रहना

2. परमेश्वर की व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करते रहना

परमेश्वर की व्यवस्था मतबल परमेश्वर का जीवित वचन. पवित्र बाइबिल जिसमें परमेश्वर ने अपने मन की बात लिखवा रखी है.

पुराने नियम में जब मूसा की मृत्यु हो गई थी तब इस्राएलियों की बड़ी भीड़ को सम्हालने के लिए कोई और अगुवा नहीं था उस समय परमेश्वर ने यहोशु को अगुवा बनाया लेकिन अगुवा बहुत डर रहा था और सोच रहा था कि कैसे मैं यह सब कर पाऊंगा.

तब परमेश्वर ने स्वयं ही उसे यह रहस्य बताया था की मेरी व्यवस्था से दायें बाएं न मुड़ना उसी पर दिन रात ध्यान करते रहना तो तू सफल होगा और जीवन भर कोई तेरे सामने खड़ा न रह सकेगा. (यहोशु 1:7)

रात और दिन ध्यान करने का अर्थ क्या है :- यहाँ जो शब्द आया है ध्यान करना उसका मतलब होता है अच्छे से चबाना…जिस प्रकार गाय के कहा जाता है दो पेट होते हैं.

एक पेट में वह घास को जल्दी जल्दी निगल कर रख लेती है और फिर उसी घास को या चारा को वह मुंह में निकाल निकाल कर जुगाली करती है या चबाती रहती है.

और वो जुगाली करना ही उसे पोषक तत्व देता है. ठीक उसी प्रकार एक प्रभु का जन जो प्रभु के वचन से प्रेम करता है और उसमे प्रसन्न रहता है उसे पढता है

लेकिन जब उसके पास बाइबिल न भी हो अपने काम काज करते समय या यात्रा करते समय वह उन वचनों को जुगाली करता रहता है. उन पर विचार करते रहता है.

इसलिए वह पाप करने से बच जाता है और हर प्रकार के फरेब, धोखे और चोरी से बचता है जिसके कारण वह परमेश्वर का अनुग्रह प्राप्त कर पाता है. और धर्मी होने के मार्ग में बढ़ता जाता है.

फिर उसकी आशीष यह है कि वह जो भी काम करता है उसमें वह सफल होता है.

ऐसे व्यक्ति को जो परमेश्वर की व्यवस्था (वचन) नियमों से प्रसन्न रहता है और उन पर मनन करता है परमेश्वर उसे धर्मी ठहराता है. और ऐसे धर्मी लोगों की बहुत सी आशीषें हैं. इसी भजन संहिता में लिखा है.

ऐसा व्यक्ति जो कुछ भी करे वो सफल होता है : यह बात केवल पुरुषों में नहीं वरन स्त्रियों में भी लागू होती हैं. क्योंकि ऐसा व्यक्ति कभी धोखा नहीं करेगा, परिश्रम करेगा , ईमानदार रहेगा. उसका चरित्र उत्तम रहेगा. सभी उससे प्रसन्न होंगे तो वह सफल ही होगा.

वो पेड़ के समान होता है जो नदियों के किनारे लगाया गया. यह उदाहरण के रूप में बताया गया है की ऐसा व्यक्ति उस पेड़ के समान है जो नदियों के किनारे लगाया गया है.

जिस प्रकार नदी के किनारे लगा पेड़ को पानी की कभी कमी नहीं हो सकती उसी प्रकार एक धर्मी व्यक्ति को किसी भली वस्तु की घटी न होगी.

उसके पत्ते कभी नहीं मुरझाते : उसके घर में सभी सदस्य भी आशीषित रहेंगे. उसकी सन्तान भी हमेशा खुश और धन धान्य से परिपूर्ण रहेंगीं.

वह अपनी ऋतु में फलता है :- हो सकता है अभी ऐसा व्यक्ति साधारण सा दिखाई दे रहा हो, जिस प्रकार एक अच्छे फलों का पेड़ भी पतझड़ में खाली दिखाई देता है

लेकिन जब उसका मौसम आता है तो वह फलों से लद जाता है. परमेश्वर आपको भी अपने स्वर्गीय फलों से भरने जा रहा है.

ऐसे लोगों के मार्ग को परमेश्वर जानता है : ऐसा जीवन जीने वाले को परमेश्वर पसंद करता है, और उसके मार्ग में परमेश्वर अपने वचनों के अनुसार अगुवाई करता है.

लेकिन उसके विपरीत जो उपरोक्त कामों को नहीं करता उसे परमेश्वर का वचन दुष्ट कहता है. वह भुन्सी के समान है जिसका कोई वजूद नहीं है…वो बस उड़ जाता है.

और उसका कुछ पता नहीं चलता. वो हल्का है उसका कहीं कोई ठिकाना नहीं है. और अंत के दिन में जब न्याय होगा तो वह परमेश्वर के सामने खड़ा भी न हो सकेगा….

यह खुबसुरत भजन संहिता 1 की व्याख्या को आपने आखरी तक पढ़ रहे हैं इसके लिए धन्यवाद मैं विश्वास करता हूँ आप आशीषित बनने के मार्ग में हैं मेरी प्रार्थना है

आप को परमेश्वर ऐसी ही आशीष देकर आशीषित करें पढने के लिए धन्यवाद प्रभु आपको आशीष दे.

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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)


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