दोस्तों आज हम पांच बातों में उन्नति करें इस पर चर्चा करेंगे क्योंकि 3 यूहन्ना 1:2 में लिखा है मेरी प्रार्थना है जिस प्रकार तू आत्मिक उन्नति कर रहा है उसी प्रकार सब बातों में उन्नति करे और भला चंगा रहे.
पांच बातों में उन्नति करें | 3 यूहना 1:2 का अर्थ है | उन्नति कितने प्रकार की होती है
हे प्रिय, मेरी यह प्रार्थना है; कि जैसे तू आत्मिक उन्नति कर रहा है, वैसे ही तू सब बातों मे उन्नति करे, और भला चंगा रहे. (3 यूहन्ना 1:2)
उपरोक्त आयत में परमेश्वर का वचन हमें निर्देश देता है कि हमें आत्मिक उन्नति के साथ साथ सभी बातों में उन्नति करना चाहिए. आज हम सीखेंगे कि हम अपने जीवन में कम से कम पांच क्षेत्रों में उन्नति कैसे कर सकते है. लेकिन उससे पहले यह जाने कि…
उन्नति से आप क्या समझते हैं | उन्नति का अर्थ क्या है
उन्नति का अर्थ होता है सर्वांगीण विकास अर्थात अभी क्षेत्रों में आशीषित होना. प्रभु यीशु मसीह के विषय में लिखा है, ‘यीशु बुद्धि और डील-डौल में और परमेश्वर और मनुष्यों के अनुग्रह में बढ़ता गया’ (लूका 2:52)
इसका अर्थ है प्रभु यीशु अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में बढ़ता गया उन्नति करते गया. हमारा जीवन भी इसी प्रकार हर क्षेत्रों में संतुलित रूप से बढ़ना चाहिए, उन्नति करना चाहिए.
1. आत्मिक रीती से उन्नति करें (मत्ती 6:33)
वचन के अनुसार सबसे पहले नम्बर में आती है आत्मिक उन्नति. अर्थात हमारा परमेश्वर के साथ यदि सही सबंध है तो बाकी सारे सम्बन्ध ठीक हो जायेंगे. वचन हमें निर्देश देता है सबसे पहले हमारा आत्मिक जीवन ठीक होना चाहिए.
वो कहता है सबसे पहले तुम परमेश्वर के राज्य और धार्मिकता की खोज करो तो सब कुछ तुम्हारी खोज करते हुए तुम्हारे पीछे आयेंगे. (मत्ती 6:33) अर्थात प्रार्थना करना, परमेश्वर के वचन का अध्ययन करना अपनी आत्मा की उन्नति के विषय में कार्यरत रहना.
2. शारीरिक या स्वास्थ में उन्नति करें (1 कुरु. 3:16)
दूसरी और महत्वपूर्ण बात है हमें अपने शरीर का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. यह देह परमेश्वर ने हमें दी है यह परमेश्वर का मन्दिर है. इसमें परमेश्वर का आत्मा वास करता है. (1 कुरु. 3:16) इसलिए इसे बहुत ध्यान से रखना चाहिए और व्यायाम करके और अच्छा भोजन करके इसकी उन्नति करना चाहिए.
यदि शरीर बीमार होगा तो हम आगे कुछ भी नहीं कर पाएंगे. इसे शुद्ध और पवित्र रखना हमारा कर्तव्य है. कोई भी नशा करके या किसी और रीती से यदि कोई इस शरीर को नाश करता है वह परमेश्वर की आज्ञा का उलंघन करता है.
3. बौद्धिक रीती से उन्नति करें (1 राजा 4:29-34)
हम सभी जब पैदा हुए थे तो खाली हार्ड डिस्क के समान इस दुनिया में आये थे जो कुछ भी सीखा है पाया है इसी दुनिया में पाया है. यह हमारे ऊपर है हम उस हार्ड डिस्क में या मेमोरी कार्ड में क्या भर रहे हैं.
हम अपने जीवन में या अपने मन में जो कुछ भी डालेंगे वही बाहर आएगा. प्रभु ने भी कहा है, जो कुछ मन में होता है वही मुंह से बाहर आता है. इसलिए हमें अच्छी संगती और अच्छे पुस्तकों को पढना चाहिए और लगातार कोशिश करना चाहिए कि किस रीती से हम बुद्धि की बढ़ोत्तरी कर सकें.
सुलेमान से जब परमेश्वर ने पूछा तुझे क्या चाहिए धन दौलत या प्रसिद्दी तब उसने परमेश्वर से बुद्धि माँगा इसलिए परमेश्वर ने खुश होकर उसे बाकी सब कुछ भी इतना दिया कि उसके समान बुद्धिमान राजा और कोई नहीं हुआ.
4. सामाजिक रीती से उन्नति करें (मत्ती 5:43)
एक मसीह व्यक्ति को सामजिक रीती भी प्रभावशाली होना चाहिए लोगों के बीच एक अच्छे प्रभाव को डालने के लिए हमें प्रयत्न करना चाहिए. प्रभु यीशु मसीह का जीवन सामाजिक रीती से भी बहुत प्रभावशाली था.
उसके उपदेश सुनने के लिए उसके विरोधी भी आया करते थे. प्रभु ने कहा तुम अपने शत्रुओं से भी प्यार करो और उनके लिए प्रार्थना किया करो. अर्थात तुम्हारा कोई भी शत्रु नहीं होना चाहिए. समाजिक रीती से सभीरीती से तुम्हें उन्नति करना चाहिए.
5. उदारता में उन्नति करें (इब्रानियों 13:16)
अर्थात आपके पास इतना होना चाहिए कि आप दूसरों की सहायता भी कर सकें. भलाई करना और उदारता न भूलो, क्योंकि परमेश्वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्न होता है. (इब्रा. 13:16)
हम सभी जानते हैं जो लोग अपने जीवन में स्वार्थी होते हैं फिर वो चाहे कितना भी पैसा बैंक में जमा कर ले लोग उन्हें पसंद नहीं करते.
उनकी मरने पर सब धरा का धरा रह जाता है कोई भी उसकी अंतिम यात्रा अर्थात मरने पर भी नहीं जाना चाहता लेकिन उसके विपरीत जो दूसरों की भलाई के लिए अपना जीवन बिताता है उसे लोग और परमेश्वर भी पसंद करते हैं.
Conclusion | निष्कर्ष
यदि हम उपरोक्त सभी बातों में उन्नति करने का प्रयत्न करते हैं तो परमेश्वर हमारे व्यक्तिगत जीवन में और आर्थिक रीती से अपने आप उन्नति कर देता है. हमें किसी भी भली वस्तु की घटी नहीं होती जिस प्रकार लिखा है पहले तुम परमेश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज करो तो बाकी सारी वस्तुएं तुम्हारी खोज करेंगी. मतलब परमेश्वर तुम्हें यूं ही दे देगा.
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मैं परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इस अध्ययन से बहुत आशीष प्राप्त किया है। आत्मिक जीवन के लिए बहुत उपयोगी सामग्री है। परमेश्वर आशीष दे।
Thank you So much Pastor Jagram Singh आपके कमेन्ट के लिए प्रभु आपको बहुत आशीष दे.
Greeting in Jesus name 🙏 l am really blessed by reading the message Amen Hallelujah
thanks Hnock hans ji