बाइबल में कुल 66 पुस्तकें हैं जो आज हमारे पास हैं लेकिन एक ऐसी भी पुस्तक है जो परमेश्वर के पास है उस पुस्तक का नाम है जीवन की पुस्तक. जिनके नाम उसमें होंगे वही स्वर्ग जा सकेगा. आज हम देखेंगे क्या हमारे नाम उसमें हैं ?
1. जीवन की पुस्तक का लिखने वाला स्वयं परमेश्वर यहोवा है
पुराने नियम में जब इस्राएली लोग मिश्र देश की गुलामी से आजाद होकर मूसा की अगुवाई में चल रहे थे तब वे रास्ते में जंगल में परमेश्वर को और मूसा को भोजन और पानी के लिए कुड़कुड़ाने लगे.
तब परमेश्वर ने क्रोध में भरकर उन्हें जंगल में ही नाश करना चाहा. तब मूसा ने परमेश्वर की दोहाई देकर विनती की, कि परमेश्वर उन्हें नाश न करे और इस रीति से कहा,
“अब तू उनका पाप क्षमा कर, नहीं तो अपनी लिखी पुस्तक में से मेरा नाम काट दे”
निर्गमन 32:32
इस वचन से ज्ञात होता है इस पुस्तक को स्वयं परमेश्वर लिखते हैं,
2. जीवन की पुस्तक में से इन नामों को परमेश्वर काट भी सकते हैं
जीवन की पुस्तक में से इन नामों को लिखने का और इनमें से काटने का अधिकार स्वयं परमेश्वर को है, परमेश्वर ने मूसा को उत्तर दिया, “जिसने मेरे विरुद्ध पाप किया है उसी का नाम मैं अपनी पुस्तक में से काट दूंगा. (निर्गमन 32:33)
केवल पाप करने के कारण ही उस जीवन की पुस्तक में से नाम काटा जाता है, मनुष्यों के पापकर्मों और अधर्मों के कारण उस में से नाम काट दिया जाता है.
3. जीवन की पुस्तक में ये नाम जगत की उत्पत्ति से पहले से लिखे हुए हैं
राजा दाउद कहते हैं, तेरी आंखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग जो दिन-दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे।
भजन 139:16
संत पौलुस भी फिलिप्पियों की कलीसिया को लिखते हुए कहते हैं, “हे सच्चे सहकर्मी मैं तुझ से भी विनती करता हूँ , कि तू उन स्त्रियों की सहयता कर, क्योंकि उन्होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्रम किया, जिन के नाम जीवन की पुस्तक में लिखे हुए हैं।”
4. जीवन की पुस्तक में हमारे दुखों की भी चर्चा लिखी हुई है
इसका मतलब यह है कि परमेश्वर न केवल हमारा नाम लिखता है लेकिन हमारे दुखो को और हमारे आंसुओं की चर्चा को भी लिखता है ,
राजा दाउद आगे कहते हैं, तू मेरे मारे मारे फिरने का हिसाब रखता है; तू मेरे आंसुओं को अपनी कुप्पी में रख ले ! क्या उनकी चर्चा तेरी पुस्तक में नहीं है ?
भजन 56:8
5. जीवन की पुस्तक और मेमने की जीवन की पुस्तक में अंतर है
इस लेख को आपने यहाँ तक पढ़ लिया है तो निवेदन है इस अंतर को अवश्य समझें… हो सके तो बाइबिल में दिए गए पदों को खोल कर पढ़ें. नए नियम की पुस्तकों में जीवन की पुस्तक से संबंधित दो पुस्तकों के नाम का उल्लेख किया गया है उसका विस्तार से हम वर्णन करेंगे. वो हैं 1. जीवन की पुस्तक और 2. मेमने की जीवन की पुस्तक.
1. जीवन की पुस्तक :- जो अब तक हमने पढ़ा, उसमें जो नाम लिखे हैं वो हमारी गलती या पाप अधर्म के कारण काटे भी जा सकते हैं लेकिन उसमें से जो अंत तक विश्वासी बना रहे और जय पाए उनके नाम मेमने की पुस्तक में लिखे जाएगें. (प्रकाशितवाक्य 13:8)
2. मेमने की जीवन की पुस्तक. मेमने की जीवन की पुस्तक में जिनके नाम लिखे जाएंगे वे किसी रीती से काटे नहीं जाएगें और वे ही स्वर्ग राज्य में प्रवेश करेंगे. (प्रकाशितवाक्य 21:27)
6. जीवन की पुस्तक में लिखे हुए नाम वाले लोगों का न्याय उनके कामों के अनुसार होगा
फिर मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के साम्हने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गई, अर्थात जीवन की पुस्तक; और जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उन के कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया।
प्रकाशितवाक्य 20:12
जीवन की पुस्तक में नाम तो था लेकिन वे जब मर गए तो उनका न्याय उनके काम के अनुसार हुआ, और हम जानते हैं कोई भी अपने कामों से धर्मी नहीं हो सकता. हमारे धर्म के काम भी परमेश्वर के सामने फटे चीथड़े के समान हैं.
लेकिन जो कोई प्रभु पर विश्वास करता है कि यीशु ही मेरे लिए मारा गया और गाड़ा गया और तीसरे दिन जी उठा तो वे लोग विश्वास के कारण धर्मी ठहराए गए और. उनका न्याय विश्वास के कारण होगा. अर्थात यीशु मसीह उनके लिए पहले ही दंड उठा चुका है…
प्रकाशितवाक्य 20:11-12 में जिनका न्याय उनके कामों के अनुसार हो रहा है वो लोग विश्वास करने वाले कलीसिया के लोग नहीं हैं क्योंकि उसके पहले Rapture हो चुका होगा. हम प्रभु यीशु के साथ स्वर्ग में प्रवेश कर चुके होंगे . प्रभु के साथ जो विश्वासी उठा लिए जाएंगे उनका न्याय नहीं होगा.
7. विश्वासियों के नाम जीवन की पुस्तक में से लेकर मेमने की जीवन की पुस्तक में लिखा जाएगा.
पृथ्वी के वे सब रहने वाले जिन के नाम उस मेमने की जीवन की पुस्तक में लिखे नहीं गए, जो जगत की उत्पत्ति के समय से घात हुआ है, उस पशु की पूजा करेंगे।
प्रकाशितवाक्य 13:8
जब एक एक व्यक्ति परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार उसके पुत्र पर विश्वास करता है तब उसका नाम उस जीवन की पुस्तक से लेकर मेमने की जीवन की पुस्तक में लिख दिया जाता है. यूहन्ना रचित सुसमाचार में लिखा है.
परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वो नाश न हो वरन अनंत जीवन पाए. (यूहन्ना 3:16) हमारे विश्वास के कारण ही हम उस दंड से मुक्त हो जाते हैं.
अत: हमारे नाम जीवन की पुस्तक से मेमने की पुस्तक में आना बहुत ही ज्यादा आवश्यक है.
8. जीवन की पुस्तक में भी दुनिया के सभी लोगों के नाम नहीं हैं
और पृथ्वी के रहने वाले जिन के नाम जगत की उत्पत्ति के समय से जीवन की पुस्तक में लिखे नहीं गए, इस पशु की यह दशा देखकर, कि पहले था, और अब नहीं; और फिर आ जाएगा, अचंभा करेंगे।
प्रकाशितवाक्य 17:8
परमेश्वर अपने अनन्त ज्ञान में जानते हैं कि कुछ लोग अंत तक भी प्रभु यीशु पर विश्वास नहीं करेंगे. इसलिए उनके नाम जीवन की पुस्तक में लिखे ही नहीं गए, वे नाश होने के लिए ही बनाए गए है.
लेकिन जिनके नाम लिखे गए हैं उन्हें भी निश्चिन्त नहीं रहना है. वरन अपने विश्वास को थामे रहकर उस विश्वास के अनुसार कामों को करके अपने उद्धार का यत्न करते रहना है.
जो जय पाए, उसे इसी प्रकार श्वेत वस्त्र पहिनाया जाएगा, और मैं उसका नाम जीवन की पुस्तक में से किसी रीति से न काटूंगा, पर उसका नाम अपने पिता और उसके स्वर्गदूतों के साम्हने मान लूंगा। (प्रकाशितवाक्य 3:5)
9. केवल चुने हुओं का नाम मेमने की जीवन की पुस्तक में लिखा जाएगा
और उस में कोई अपवित्र वस्तु या घृणित काम करनेवाला, या झूठ का गढ़ने वाला, किसी रीति से प्रवेश न करेगा; पर केवल वे लोग जिन के नाम मेम्ने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं ।
प्रकाशितवाक्य 21:27
1 पतरस में लिखा है, और परमेश्वर पिता के भविष्य ज्ञान के अनुसार, आत्मा के पवित्र करने के द्वारा आज्ञा मानने, और यीशु मसीह के लहू के छिड़के जाने के लिये चुने गए हैं। (1पतरस 1:2)
क्योंकि जिन्हें उस ने पहले से जान लिया है उन्हें पहले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे । फिर जिन्हें उस ने पहले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है। (रोमियो 8:29-30)
हम सभी पापी दशा में थे, मृतक अवस्था में थे हमे जिलाया जाना आवश्यक है. जिसे नया जन्म कहते हैं. और यह यीशु मसीह में ही सम्भव है.
तुम पहले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है, इन में से हम भी सब के सब पाहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर और मन की मनसाएँ पूरी करते थे, और लोगों के समान स्वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे। परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है, अपने उस बड़े प्रेम के कारण जिस से उस ने हम से प्रेम किया जब हम अपराधो के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है) (इफिसियों 2:1-5)
उसने तुम्हें भी जो मुर्दा थे जिलाया है.
10. जीवन की पुस्तक में और मेमने की जीवन की पुस्तक में क्या हमारा नाम लिखा है ?
पूरा लेख पढने के बाद हमें पूर्ण आश्वासन हो जाना चाहिए कि जो कोई प्रभु यीशु पर विश्वास करेगा उसी का उद्धार होगा (मरकुस 16:16)
यदि आप एक विश्वासी हैं और अपने विश्वास के अनुसार कार्य करते हुए अपने उद्धार के प्रति कार्य कर रहे हैं तब तो आपका नाम मेमने की जीवन की पुस्तक में अवश्य लिखा जाएगा. क्योंकि लिखा है…
रोमियों 8:1 सो अब जो मसीह यीशु में हैं उन पर दंड की आज्ञा नहीं क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं बल्कि आत्मा के अनुसार चलते हैं.
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