दोस्तों आज हम सीखेंगे कैसे हम दीन बने मतलब Under the mighty hand of God | परमेश्वर के बलवंत हाथों के नीचे रहना जिससे वह हमें सही समय में बढ़ाए, तो आइये शुरू करते हैं.
परमेश्वर के बलवंत हाथों के नीचे रहना | 1 पतरस 5:6
इस संसार में बाइबिल पवित्रशास्त्र के आलावा कभी कोई भी नम्र रहना नहीं सिखाता. शैतान भी यीशु मसीह को ऊपर पहाड़ पर ले गया और ऊंचा उठने के लिए उकसाया लेकिन प्रभु यीशु ने यह रहस्य बताया यदि हमें दीन बनना है सबसे छोटा बनना है. नम्र बनना है.
परमेश्वर के बलवंत हाथ
परमेश्वर के बलवंत हाथ बहुत ही सामर्थी हैं उसी के द्वारा ही हम बनाए गए हैं और उसने हमें भले कामों के लिए सृजा है. ये वही हाथ हैं जिन्होंने समुद्र को दो भाग कर दिया था. वही बलवंत हाथों की मुट्ठी खोलता है तो संसार केसारे जीव जंतुओं को आहार मिलता है (भजन 104:28)
उसका वलवंत हाथ हमें सम्हालता है ;-वो हमसे वायदा करता है की तुम मत डरो मैं तुम्हारे साथ हूँ और अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुम्हें सम्हाले रहूँगा. (यशा 41:10)
परमेश्वर का बलवंत हाथ हर रोज हमें बनाता है :- हम तो मिटटी हैं और तू हमारा कुम्हार है हम सब के सब तेरे ही हाथों के काम हैं. (यशायाह 64:8) परमेश्वर का बलवंत हाथ हमारा मार्गदर्शन करता है. :-
परमेश्वर का बलवंत हाथ हमें सुरक्षा प्रदान करता है :- याबेश ने प्रार्थना की थी, कि भला होता, कि तू मुझे सचमुच आशीष देता, और मेरा देश बढाता, और तेरा हाथ मेरे साथ रहता, और तू मुझे बुराई से ऐसा बचा रखता कि मैं उस से पीड़ित न होता! और जो कुछ उसने मांगा, वह परमेश्वर ने उसे दिया (1 इतिहास 4:10)
परमेश्वर का बलवंत हाथ मार्गदर्शन करता है:- धन और महिमा तेरी ओर से मिलती हैं, और तू सभों के ऊपर प्रभुता करता है। सामर्थ्य और पराक्रम तेरे ही हाथ में हैं, और सब लोगों को बढ़ाना और बल देना तेरे हाथ में है. (1 इतिहास 29:12)
परमेश्वर के बलवंत हाथ के नीचे कैसे रहना है?
इसका अर्थ है नम्रता और दीनता, हमें परमेश्वर के बलवंत हाथों के नीचे नम्रता दीनता के साथ रहना है.
प्रभु यीशु मसीह ने हमें नम्र रहना सिखाया
प्रभु यीशु ने सिखाया कि मुझसे सीखो मैं मन में दीन हूँ एक बार प्रभु यीशु ने नम्रता दीनता पर एक कहानी सुनाई जिसे हम लूका रचित सुसमाचार 18:10-14 में पाते है.
एक बार की बात है आराधनालय में दो व्यक्ति प्रार्थना करने गए. एक फरीसी और एक चुंगी (टैक्स लेने वाला) फरीसी खड़ा होकर अपने मन में यों प्रार्थना करने लगा,
कि हे परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि मैं और मनुष्यों की नाईं अन्धेर करने वाला, अन्यायी और व्यभिचारी नहीं, और न इस चुंगी लेने वाले के समान हूं.
वह अपने आपको धर्मी बताने की कोशिश करके कहने लगा मैं सप्ताह में दो बार उपवास करता हूं; मैं अपनी सब कमाई का दसवां अंश भी देता हूं.
लेकिन उसके विपरीत वह चुंगी लेने वाला दूर खड़े होकर परमेश्वर की ओर अर्थात स्वर्ग की ओर सिर उठाना भी न चाहा बल्कि अपनी छाती पीट-पीटकर कहने लगा, हे प्रभु मुझ पापी पर दया कर,
प्रभु यीशु ने कहा, यह दूसरा व्यक्ति अर्थात टैक्स लेने वाला व्यक्ति ही धर्मी ठहराया गया मतलब उसकी प्रार्थना स्वीकार की गई.
फिर प्रभु ने कहा, क्योंकि जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा.
Conclusion | निष्कर्ष
पूरी दुनिया Power के पीछे और बड़ा बनने के पीछे भाग रही है. जिसके लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, नाम और शोहरत पाने के लिए आज मानव जाति की नैतिकता रसातल तक पहुँच चुकी है. ऐसे समय में परमेश्वर हमसे यही मांग करते हैं कि हम नम्र और दीन होकर परमेश्वर के बलवंत हाथों के नीचे रहें.
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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)
rajeshkumarbavaria@gmail.com