बाइबिल की सबसे प्रेरक कहानियां: विश्वास और साहस की मिसालें | बाइबिल के अनसुने पात्र

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बाइबिल के अनमोल वचन में मसीही प्रेरक सन्देश पाए जाते हैं जिसमें आज हम पढेंगे बाइबिल की सबसे प्रेरक कहानियां: विश्वास और साहस की मिसालें | बाइबिल के अनसुने पात्र.

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आज पढेंगे बाइबिल से पांच ऐसे अनसुने पात्रों की कहानियां जिनके जीवन से ऐसी बातें सीख सकते हैं जो आज के दिन भी प्रासंगिक हैं.

ये दो दाईयां थीं मतलब आज जैसे नर्स nurse होती हैं जो गर्भवती स्त्रियों को बच्चे जनने में मदद करती हैं.

उन्हें मिस्र के राजा फिरौन ने आदेश दिया था, कि इब्री लोगों के बच्चों को जन्म लेते समय ही मार डालना….

बच्चियों को तो जीवित रखना लेकिन बेटों को तुरंत मार देना. लेकिन शिप्रा और पूआ ये दोनों दाईयां परमेश्वर का भय मानती थीं,

और इसी कारण उन्होंने राजा फिरौंन की आज्ञा को ना मानकर इब्रियों के पुत्रों को भी जीवित छोड़ती थीं.

परमेश्वर ने इनके कार्यों को देखा और इन्हें आशीष दिया कि इनके घर बसा दिए इन्हें अच्छे परिवार दिए.

इन स्त्रियों के विषय में बहुत कम बताया जाता है लेकिन हम सीखते हैं इनके साहस के विषय में, इन्होने अपनी जान की परवाह न करते हुए साहस का काम किया.

इनके ह्रदय दया से भरे हुए थे…इन्होने हर एक बच्चे की कीमत को समझा. इस घटना से हम सीख सकते हैं परमेश्वर का कार्य स्त्रियाँ भी कर सकती हैं.

या दूसरे शब्दों में परमेश्वर स्त्रियों को भी अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करते हैं.

शिप्रा और पूआ की यह ये अद्भुत कहानी हमें सिखाती हैं कि सत्य, करुणा और साहस से किया गया हर छोटा कार्य भी बड़ा परिवर्तन ला सकता है.

यह उन तमाम लोगों के लिए आदर्श प्रेरणा है जो अत्याचार के विरुद्ध खड़े होने का साहस रखते हैं.

हताक बाइबिल का एक ऐसा महत्वपूर्ण पात्र है जिसके विषय में शायद सबसे कम चर्चा किया जाता है.

यह रानी एस्तेर का विश्वासपात्र सेवक था जिसे राजा क्षयर्ष के द्वारा रानी एस्तेर की देखभाल करने के लिए रखा गया था.

हालाकि वह एक छोटा सा सेवक ही था लेकिन जब दुष्ट हामान ने यहूदियों को मारने की क्रूर योजना बनाई थी उस समय एस्तेर

और उसके चचेरे भाई मोर्द्काई के बीच संवाद का काम करने वाला यदि कोई व्यक्ति था तो वो था हताक.

हामान उस समय न केवल उच्च अधिकारी था लेकिन वह दुष्ट भी था जिसने राजा से धोखे से एक ऐसा षड्यंत्र पर हस्ताक्षर करवा लिए थे जिसके कारण सारे यहूदी लोगों पर मौत का संकट आ गया था.

ऐसे कठिन दौर में हताक ने अपनी जान को जोखिम में डालकर मोर्देकाई जो परमेश्वर का भय मानने वाला व्यक्ति था उसकी खबर एस्तेर तक और एस्तेर की खबर मोर्देकाई तक पहुंचाता रहा.

और यही वह bridge (पुल ) बना जिसके कारण परमेश्वर ने सारे यहूदियों की जान बचा ली. इस पात्र के जीवन से हम सीखते हैं.

नम्रता और इमानदारी निष्ठा के साथ कोई काम यदि परदे के पीछे भी किया जाए तो उसका एक दिन महान कार्यों में गिना जाएगा.

लोग उसके विषय में भूल जाएं तो भूल जाएँ लेकिन परमेश्वर (पवित्र आत्मा ) उसे स्मरण करते हैं और हम पवित्र शास्त्र में उस विश्वास और निष्ठा की कहानी को पाते हैं.

अर्थात हमें भी बड़ी निष्ठा और विश्वास और नम्रता के साथ परमेश्वर के काम को लगातार करते रहना चाहिए.

बज़लेल भी पवित्र बाइबिल का एक अद्भुत पात्र है जिसे हम निर्गमन की पुस्तक में पाते हैं.

बज़लेल एक अत्यंत प्रभावशाली कारीगर था जिसे परमेश्वर ने नाम लेकर बुलाया था और उसे स्वर्गीय बुद्धि से भरा

ताकि वह ईश्वरीय बुद्धि, कौशल और ज्ञान के द्वारा मंदिर (तम्बू) एवं उसकी तमाम पात्र एवं वस्तुओं का निर्माण कर सके.

बज़लेल यहूदा के गोत्र का, तथा हूर का पोता और ऊरी का पुत्र था. उसके साथ ओहोलियाब नामक व्यक्ति भी कार्य करता था.

इन दोनों ने बहुत से लोगों को यह कार्य सिखाया भी था.

बाइबिल कहती है जो अपने काम में दक्ष होता है वह साधारण व्यक्तियों के सामने नहीं बल्कि राजाओं के सामने खड़ा होता है. (नीति . 22:29)

बज़लेल के जीवन से हम सीखते हैं …कि जरुरी नहीं कि कोई युद्ध जीतें या किसी मंच में खड़े होकर धुंआधार भाषण देने से ही महान हुआ जाता है…

लेकिन जो भी कला परमेश्वर ने हमें दी है उसे निखार कर उसमें लगातार बड़ी लगन के एवं ईमानदारी के साथ पूरा करने के द्वारा भी हम परमेश्वर के कार्य को पूरा कर सकते हैं.

बाइबिल में लिखा है कि परमेश्वर कह रहे हैं, कि मैंने उसे परमेश्वर की आत्मा से परिपूर्ण किया है.- बुद्धि, समझ और ज्ञान के साथ. (निर्गमन 31:3)

इसका अर्थ है आत्मिकता केवल उपवास और प्रार्थना में ही नहीं दिखाई देती बल्कि व्यावसायिक कौशल और कला में भी हो सकती है.

गिलादी बर्जिल्ले की कहानी हमने पहले भी एक दूसरे लेख में विस्तार से लिखा है जिसे आप biblevani.com में इस लिंक के माध्यम से पढ़ सकते हैं उसके विषय में यहाँ संक्षिप्त रूप से मैं बताना चाहता हूँ.

कि उसके जीवन से हम क्या सीखते हैं. जब राजा दाउद को अपने ही बेटे अबशालोम के कारण राजपाठ छोड़कर जंगल जंगल भटकना पड़ रहा था

उस समय यही गिलादी बर्जिल्ले ने जो लगभग 80 वर्ष का था दाऊद और उसके साथियों के लिए बहुत दिनों तक भोजन का इंतजाम किया था.

यह काम उसने निस्वार्थ भाव से किया था. जिसका प्रतिफल यह हुआ जब गिलादी बर्जिल्ले मर गया और राजा दाऊद भी बूढा हो गया

और दुनिया का सबसे बुद्धिमान राजा सुलेमान सिंहासन पर बैठा तब दाऊद ने बर्जिल्ले के भले और निस्वार्थ सेवा को स्मरण करके सुलेमान से कहा था,

गिलादी बर्जिल्ले के पुत्रों पर दया दृष्टि करना और तेरे भोजन की मेज में तेरे साथ गिलादी बर्जिल्ले के पुत्रों को भी बैठाया करना.

उसकी कहानी से हम सीखते हैं सेवा करने के लिए दिल होना चाहिए उम्र मायने नहीं रखती. जब तक जीवन हैं हमें प्रेम और भलाई का कार्य करते रहना चाहिए.

परमेश्वर किसी का कर्जदार नहीं है…प्रभु में किया हुआ परिश्रम व्यर्थ नहीं होता. (1 कुरु. 15:58)

याएल भी एक ऐसी बहादुर और बुद्धिमान स्त्री की कहानी है जो हम पवित्र शास्त्र में पाते हैं. जिसके विषय में बहुत ही कम चर्चा की जाती है.

यदि आपने इसके विषय में प्रचार किया है या सुना है या नहीं सुना है तो कमेन्ट में जरुर बताना. बात उन दिनों की है जब इस्राएली सेना कनानी सेना के विरुद्ध युद्ध कर रही थी.

कनानी सेना का राजा याबीन था और उसका सेनापति सीसरा Sisera.

याएल ने उस समय बुद्धिमानी से और बहुत ही साहस के साथ इस्राएल के शत्रु सेनापति को एक तम्बू में पाकर उसे कम्बल ओढाकर और

एक बड़ी सी कील और हथोडा लेकर उसकी कनपटी में ऐसा ठोंक दिया की कील उसके सिर से आर पार होकर जमीन में धंस गई.

जिससे सीसरा की मृत्यु हो गई और बाद में जब बाराक आया तो याएल उसे दिखाया कि उसका भयानक शुत्रु मारा जा चुका है.

याएल का जीवन हमें सिखाता है कि अवसर मिलने पर बुद्धिमानी के साथ और साहसिक निर्णय लेते हुए कार्य करना चाहिए.

परमेश्वर अपने उद्देश्य के लिए हममें से किसी को भी इस्तेमाल कर सकता है चाहे वो स्त्री हो या पुरुष.

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2 thoughts on “बाइबिल की सबसे प्रेरक कहानियां: विश्वास और साहस की मिसालें | बाइबिल के अनसुने पात्र”

  1. सिसरा कहानी हम पड़े हैं, hallelujah प्रभु की स्तुति हो, परमेश्वर आपको बहुतायत से आसिसित करें Pastor जी💝💝💝💝💝

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