बाइबिल के अनुसार मसीही सेवकाई है कि प्रभु यीशु के महान आदेश को कि, ” जाओ और जाकर सारे जगत में जाकर सारी जातियों को सुसमाचार प्रचार करो, कि उद्धार यीशु मसीह ही है”
मसीही सेवकाई का अर्थ
मनुष्य स्वभाव से ही पापी है जो उसे उसके प्रथम माता पिता अर्थात आदम और हव्वा से मिला है, और बाइबिल कहती है पाप की मजदूरी तो मृत्यु है. इसलिए परमेश्वर ने अपने इकलौते पुत्र को इस धरती में भेजा ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वो नाश न हो बल्कि अनंत जीवन को प्राप्त करे (यूहन्ना 3:16) इस बात को की यीशु ही सत्य है और स्वर्ग का मार्ग है और अनंत जीवन है यह बात को सभी को बताना मसीही सेवकाई है.
बाइबिल में अनेक प्रकार की सेवकाई के विषय में हम पढ़ते हैं जिनमें से 5 प्रकार की सेवा प्रमुख है जो हम इफिसियों में पाते हैं. प्रभु में किया हुआ कोई भी कार्य व्यर्थ नहीं होता. सेवकाई एक व्यापक शब्द है जिसमें हरेक व्यक्ति जो प्रभु के लिए और मरती हुई आत्मा को बचाने के लिए करता है सेवकाई में गिना जाता है.
लेकिन समय बदलने के साथ साथ सेवकाई का दृष्टिकोण भी बदलता जा रहा है. जिसके पास ज्यादा लोग होते हैं उसे ही ज्यादा अच्छा पासवान या सेवक गिना जाता है. और लोग सोचते हैं वो ही परमेश्वर के द्वारा अभिषिक्त व्यक्ति है.
मसीही सेवकाई का दृष्टिकोण
एली एक ऐसा नबी था जिसने एक बाँझ स्त्री हन्ना को कहा था तेरी एक सन्तान होगी और उसकी नियत बताय समय में एक सन्तान हुई. लेकिन एली अपनी खुद की सेवकाई में असफल हो गया. उसने अपनी संतानों को नहीं सिखा पाया. उनको अनुशासित नहीं कर पाया.
उसकी अपनी सन्तान पाप में पड़ गई जिसके कारण श्राप उसके घर में आया. एली के बच्चो के काम इतने बुरे थे कि उन्हें लुच्चे कहा गया. इस रीति से एली अपने घर की सेवा में फेल हो गया.
उसके बाद उस बाँझ स्त्री हन्ना का पुत्र शमूएल एक बेहतरीन नबी बना इस्राएल में उसके जैसा नबी कोई नहीं हुआ जिसकी एक भी बात को परमेश्वर ने कभी गिरने नहीं दिया. वो जो कहता था परमेश्वर उस बात को पूरा कर देते थे. इस नबी ने राजाओं का अभिषेक किया. वो जिस पर हाथ रख देता परमेश्वर उसे आशीषित कर देते थे.
यहाँ तक कि वो अपने घर से ही लोगों के विषय में बातें बता देता था. जैसे उसने बता दिया था शाउल का खोया हुआ गधा कहाँ है और कब मिलेगा. इस्राएल के सबसे पहले नबी शाउल को और दाऊद का अभिषेक भी शमुएल नबी ने ही किया था.
शमुएल की बड़ी सेवा और बहुत बड़ा नाम था लेकिन एक सेवा में वो भी फेल हो गया उसके बच्चों को प्रभु के मार्ग में चलाने में (1 शमुएल 8:1-2 ) उसके पुत्र उसकी राह पर न चले घूस लेते न्याय को बिगाड़ते थे.
उसके बाद दाउद राजा हुआ और इस्राएल का सबसे बढ़िया बादशाह दाउद था. उसके अपने राज्य को बहुत ही बढ़ाया. बहुत से युद्ध में विजयी हुआ और अपने समय के लोगों में बहुत ख्याति प्राप्त किया. लेकिन अपने घर के युद्ध में अर्थात अपने बच्चो को सिखाने में हार गया. फेल हो गया.
हम देखते हैं (2 शमुएल 13:20-22) में दाउद के पुत्र अमनोंन ने बहुत ही घोर पाप किया इस रीति से पुरे इस्राएल में उस पाप की चर्चा होने लगी और दाउद इस पाप के विषय में सुनकर झुंझला उठा.
लेकिन नूह इस बात में सफल रहा
लेकिन एक व्यक्ति जिसने 120 वर्षों से जयादा सेवा की प्रचार किया लेकिन एक भी आत्मा को नहीं बचाया. इतनी लम्बी सेवा के बाद केवल अपने ही तीन बेटों को और बहुओं को अर्थात उनकी पत्नियों को बचा पाया.
उसकी सेवा को हम क्या कहेगे. सफल रही यह असफल. कौन सा इनाम हम इसे देंगे . उसकी इसी सेवा के कारण आज हम और आप जीवित हैं क्योंकि उसने प्रभु परमेश्वर की आज्ञा मानकर बड़ा जहाज बनाया.
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नूह की सेवकाई की कहानी
परमेश्वर ने कहा नूह की वंशावली यह है, कि “नूह धर्मी अपने समय के लोगों में खरा तथा परमेश्वर के साथ साथ चलता था. एक परमेश्वर के दास के अंदर ये तीन quality होना चाहिए.
1. धर्मी होना चाहिए
2. अपने लोगो के साथ सही संबध होना चाहिए
3. परमेश्वर के साथ सही सम्बन्ध होना चाहिए
नूह, हाम शेम और येपेत तीन बच्चो का पिता धर्म का प्रचारक था. 120 वर्षों तक प्रचार किया. उस समय कोई बाइबिल नहीं थी कोई किताब नहीं थी कोई भी कमेंट्री नहीं थी. लेकिन परमेश्वर ही उसकी किताब और उसकी मार्ग दर्शिका था.
नूह जो कुछ परमेश्वर से अकेले में गुप्त में सुनता था वही वह सबके सामने जाकर कहता था…यही कि परमेश्वर के आने वाले क्रोध से भागो. भयंकर बाढ़ और जल प्रलय आने वाली है. शायद यही उसका एकमात्र प्रचार था.
ऐसे धर्म के प्रचारक, नूह को परमेश्वर ने बड़ा काम भी दिया था की वह गोपर की लकड़ी से एक जहाज बनाए. बाइबिल बताती है उस समय तक कोई बारिश भी नहीं हुई थी. खेत और जमीन ओस से भीगते थे.
नूह आज्ञाकारी था उसने परमेश्वर से कभी भी पलटकर सवाल नहीं किया और जो परमेश्वर ने उसे आज्ञा दिया नूह ने परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार वैसा ही किया. और हम जानते हैं परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना आशीष और चमत्कार को लाता है.
नूह सेवकाई के साथ कई काम भी करता था
नूह प्रचार करता था, लकड़ी काटने जाता था, उस पर रंदा चलता, अंदर और बाहर लगाने के लिए राल का इंतजाम करता, साथ ही साथ अपने बच्चों और परिवार के भरण पोषण का इंतजाम भी करता था. यही कारण था उसके बच्चे भी उसकी इज्जत करते थे .
वो खेती बारी करता था तो उसे, भंडारण भी करना था, फसल का काम, जमीन का काम और उस फसल को बेचने का काम मतलब नूह एक मेहनती और अपने परिवार और परमेश्वर के प्रति ईमानदार व्यक्ति था.
नूह ने जब जहाज को बनाना समाप्त किया तो वो बिलकुल परमेश्वर के बताए निर्देशन के अनुसार था. उस जहाज में तीन अलंग थे. उसके इतने लम्बे प्रचार के कारण सभी जानवर तो जहाज में आये. नूह इंतजार कर रहा था.
रेंगने वाला और धीरे धीरे चलने वाला कछुआ भी जहाज में आ गया, लेकिन कोई मनुष्य नहीं आया. जब सभी जानवर पक्षी के जोड़े उस जहाज में आ गए तो परमेश्वर ने नूह को परिवार समेत अंदर जाने की आज्ञा देकर जहाज को बाहर से बंद कर दिया.
ऐसा एक दिन फिर से होने वाला है. जब अनुग्रह रूपी कलीसिया का दरवाजा बंद हो जाएगा. और जो प्रचार हो रहा है वो भी बंद हो जाएगा. क्योंकि जिसका प्रचार हो रहा है वो प्रभु यीशु बादलों में अपने लाखो स्वर्गदूतों के साथ तुरहियों की महाशब्द के साथ कलीसिया को लेने आ जाएगे. और जो उस पर विश्वास करते हैं वो उसके साथ चले जाएंगे और फिर इस संसार का अंत हो जाएगा.
नूह और उसके परिवार के सदस्य (नूह उसकी पत्नी और तीन बेटे और बहुएं कुल 8 लोग ) के जहाज के अंदर जाते ही. धरती से झरने फूट पड़े, और आकाश के बादल फट पड़े. चारो ओर पानी ही पानी था. लोग अपने घरो में घुस गए. घरो में पानी भरने से वे पहाड़ों में भागने लगे. लेकिन पानी था कि थमने का नाम नहीं ले रहा था.
अनेक लोग मर गए. तब बहुतों को याद आया होगा शायद वे नूह के पास आये होंगे कि देख हम आ गए हैं तू प्रचार करता था न जहाज का दरवाजा खोल दे देख हम मरे जा रहे हैं लेकिन जहाज का दरवाजा तो परमेश्वर ने बाहर से बंद किया था.
नूह ऊपर से देख रहा था और दुखी हो रहा होगा लेकिन अब समय जा चुका था. अब कुछ भी नहीं किया जा सकता था. जहाज धीरे धीरे पानी में ऊपर उठने लगा और सभी के सभी जो जहाज के बाहर थे मर मिटे. चारो ओर लाशें ही लाशें थी.
वो जहाज समुद्र तल से 16,000 मीटर ऊपर उठाया जा चुका था अरारात पर्वत के ऊपर तक. प्रभु यीशु ने भी अपनी कलीसिया से वायदा किया है. वो बिना दाग बिना झुर्री वाली कलीसिया को सिय्योंन पर्वत तक उठाएगा. और स्वर्ग में ले जाएगा. और हम न मुरझाने वाले मुकुट को पाएंगे. सो हमें हमेंशा प्रभु की सेवा में प्रचार करना है. हिम्मत नहीं हारना.
दोस्तों समय बहुत ही नजदीक है, दुनिया का अंत और प्रभु का दुबारा आगमन शीघ्र ही होने वाला है…उसकी समस्त भविष्यवाणी पूरी हो रही है… चिन्ह दिखाई दे रहे हैं भूकंप हो रहे हैं महामारी हो रही है, लड़ाइयों की चर्चा हो रही है .
इसलिए तैयार रहे और लोगों को चेतावनी देते रहें…यदि आप में से कोई अभी तक प्रभु को अपना उद्धारकर्ता करके नहीं ग्रहण किया है तो अभी उसे ग्रहण करें और प्रभु के राज्य में शामिल हो जाएं.
प्रभु आप सभी को आशीष दे
बाइबिल के महान आदेश की मसीही सेवकाई के वचन
यीशु ने कहा, स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है इसलिए तुम जाओ, और सारी जातियों के लोगों को चेला बनाओ, और पिता, पुत्र और पवित्रात्मा के नाम से बप्तिस्मा दो. और उन्हें वो सारी बातें मानना सिखाओ जो मैंने तुम्हें आज्ञा दी हैं.
मत्ती 28:18-20
यीशु ने कहा, “तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो.”
मरकुस 16:15
यीशु ने कहा, “तुमने मुझे नहीं चुना वरन मैंने तुम्हें चुना है, और तुम्हें ठहराया है, ताकि तुम जाकर फल लाओ, और तुम्हारा फल बना रहे, ताकि जो कुछ तुम पिता से मागों वह तुम्हें दे.
यूहन्ना 15:16
यीशु ने कहा, “जब पवित्रात्मा तुम पर आएगा तो तुम सामर्थ पाओगे और….जगत के अंत तक मेरे गवाह ठहरोगे.
प्रेरितों के काम 1:8
जो बातें तू ने बहुत गवाहों के साम्हने मुझ से सुनी हैं, उन्हें विश्वासी मनुष्यों को सौप दे; जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों.
2 तीमुथियुस 2 : 2
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Thank you so much Mamta for your nice words may God bless you too
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Dhnywad prabhu aapne aaj tak sambhale rkha amen
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