याबेश के जीवन से 5 सीख | कैसे करें प्रभावशाली प्रार्थना?

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दोस्तों आज हम बाइबिल से याबेश के जीवन से 5 सीख | कैसे करें प्रभावशाली प्रार्थना? देखने जा रहे हैं बाइबिल के प्रेरणादायक वचन जो आपका जीवन बदल देंगे. तो आइये शुरू करते हैं.

याबेश के जीवन से 5 सीख | कैसे करें प्रभावशाली प्रार्थना?

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याबेस कौन था : bible ke anusar याबेस की माँ ने इसे बहुत दुःख और पीड़ा के साथ जन्म दिया था. हो सकता है वो परिवार आर्थिक तंगी या सामजिक परेशानियों से होकर जा रहा होगा.

उसके नाम से विदित होता है याबेस दुःख और मुसीबतों को सह रहा एक व्यक्ति था. लेकिन उसने उस दुःख की परिस्थिति से हार नहीं माना

बल्कि उसने अपने अतीत को बदलने के लिए एक बेहतरीन उपाय खोजा और वो था आध्यात्मिक उपाय.

और उसके इस उदाहरण ने पूरी दुनिया को यह सिखा दिया कि कोई भी दुःख और कष्ट की परिस्थितियां हमारे अतीत को परिभाषित नहीं करती.

कोई भी चाहे और ठान ले तो वह अपनी बुरी से बुरी परिस्थिति को परमेश्वर पर भरोसा करके और कठिन मेहनत करके पूरी रीती से बदल सकता है.

यह उपरोक्त वचन हमें सिखाता है कि हमें भी निडर होकर अपने बेहतर जीवन के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करना चाहिए. इसमें कोई गलत बात नहीं है.

यहाँ नीचे कुछ बिन्दुओं में हम देखने जा रहे हैं इस छोटी प्रार्थना में कितना कुछ समाहित है.

याबेस की प्रार्थना में उसने परमेश्वर से पहले स्वयं के लिए आशीर्वाद माँगा, कई बार हम परमेश्वर से मांगने में हिचकिचाते या शर्माते हैं. बाइबिल हमें सिखाती है मांगो तो तुम्हें दिया जाएगा. तुम्हें इसलिये नहीं मिलता, कि मांगते नहीं. (याकूब 4:2)

बहुत बार लोग कहते हैं जितनी चादर है उतनी ही पाँव पसारो. लेकिन ये भूल जाते हैं हम बड़ी चादर खरीद भी तो सकते हैं.

याबेस ने अपनी सीमा को बढाने की प्रार्थना की. हम जिस भी परिस्थिति में हैं जहाँ भी हैं हमें बढ़ने के लिए उन्नति करने के लिए प्रार्थना और कोशिश करना चाहिए.

बाइबिल कहती है धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है . (याकूब 5:16)

जब हम प्रार्थना करें तो हमें विश्वास के साथ प्रतीति कर लेना चाहिए कि ऐसा हो गया है और वैसा हो जाएगा. याबेस की प्रार्थना में भी उसका परमेश्वर के प्रति अटूट विश्वास झलकता है.

याबेस चाहता था कि परमेश्वर तेरा हाथ मेरे साथ रहे. वो केवल परमेश्वर की आशीष ही नहीं बल्कि परमेश्वर का साथ भी चाहता था.

जिस प्रकार मूसा ने भी कहा था परमेश्वर यहोवा यदि आप साथ न चले तो मुझे भी आगे मत भेज. (निर्गमन 33:15) हमें हमारे हर कार्य में परमेश्वर की उपस्थिति खोजना चाहिए.

जब हम हमारे हर कार्य में सम्पूर्ण मन से उस पर भरोसा करते हैं तो वह हमारे लिए सीधा मार्ग निकालता है. (नीति 3:5)

याबेस ने प्रार्थना की थी, तू मुझे बुराई से बचा, हमें अपने जीवन में केवल सफल ही नहीं होना है बल्कि विश्वासयोग्य होना है.

इसलिए अपनी प्रार्थनाओं में हमें परमेश्वर से माँगना चाहिए कि प्रभु हमें नैतिकता में सम्हाले रहे. बुराई में पड़ने न दे. जैसा कि प्रभु यीशु मसीह ने भी सिखाया था प्रभु की प्रार्थना में (मत्ती 6:13)

याबेश के जीवन से 5 सीख में हम यह सीखते हैं कि हमारा बीता हुआ अतीत समय कितना भी दुःख से भरा क्यों न हो हम उसे कठिन परिश्रम एवं परमेश्वर की सहायता से बदल सकते हैं.

हमें छोटी नहीं बल्कि बड़ी चीजों के लिए प्रार्थना करना चाहिए किसी ने कहा है कम से कम सपने देखने में तो कंजूसी नहीं करना चाहिए.

याबेस की भाँती ही हमें भी जरूरत पड़ने पर किसी मनुष्य पर भरोसा करने की बजाय सीधे परमेश्वर पर भरोसा करके उससे मांगना चाहिए.

वो हमें कभी निराश नहीं करेंगे. हमें लगातार विकाश और बढ़ोतरी की ओर ही अग्रसर होना चाहिए. अपने जीवन में सफलता के साथ साथ बुराई से बचना चाहिए और विश्वासयोग्य बनने की कोशिश करना चाहिए.

जब हमारे जीवन में संकट आये मुसीबत आये तो अपने परमेश्वर पर भरोसा करके उसकी महिमा करना चाहिए.

विश्वास के साथ सच्चे मन से परमेश्वर से प्रार्थना करना चाहिए. हमारा परमेश्वर हमारी हरेक प्रार्थनाओं का उत्तर देने में सक्षम है इस पर पूरा भरोसा रखना चाहिए.

विश्वास की प्रार्थना सदैव फल लाती है.

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