प्रार्थना इस धरा की सबसे बड़ी सामर्थ्य हैं .और जब हम प्रार्थना करते हैं तो परमेश्वर हमारी प्रार्थना क्यों नहीं सुनते या हमारी प्रार्थना क्यों नहीं सुनी जाती.
प्रार्थना की परिभाषा | Definition of Prayer
प्रार्थना पिता परमेश्वर के साथ बातचीत या वार्तालाप है, जहाँ हम उससे प्रार्थना में बातें करते हैं और परमेश्वर हमसे अपने पवित्र वचन बाइबल के द्वारा बातें करते हैं. प्रार्थना मसीही जीवन की जीवन स्वास है.
प्रार्थना के प्रकार
साधारणत: प्रार्थनाएं दो प्रकार की होती हैं व्यक्तिगत प्रार्थना जो अकेले में की जाती हैं और दूसरी सामूहिक प्रार्थना जो समूह में की जाती है जैसे चर्च में या सम्मेलन में या किसी प्रकार के लोगों के बीच में जिसमें चंगाई की प्रार्थना भी शामिल हैं.
सामूहिक प्रार्थना का महत्व
प्रभु यीशु मसीह ने एक प्रतिज्ञा की है, जहाँ दो या तीन मेरे नाम से एक मन होकर एकत्र होते हैं उनके बीच मैं होता हूँ, और जो कुछ तुम एक मन होकर इस धरती में बाँधोगे वो स्वर्ग में बंधेगा और जो कुछ भी खोलोगे वो स्वर्ग में खुल जाएगा.
हमे प्रार्थना क्यों करनी चाहिए
ये प्रभु की आज्ञा है प्रभु यीशु ने यह नहीं कहा की यदि तुम प्रार्थना करोगे…बल्कि उन्होंने कहा, जब तुम प्रार्थना करो तो…और प्रार्थना में विश्वास से जो कुछ तुम मांगो और प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया तो वो तुम्हारे लिए हो जाएगा.
7 कारण हमारी प्रार्थना क्यों नहीं सुनी जाती
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संदेह करने के कारण प्रार्थना नहीं सुनी जाती
याकूब 1:6-7) बाइबल हमें यदि हम प्रार्थना करते समय संदेह करते हैं, कि हमें प्रार्थना का उत्तर मिलेगा कि नहीं तो हम समुद्र की उस लहर के समान होते हैं जो जितनी तेजी से आती है उतनी ही तेजी से वापस चली जाती है.
उसी प्रकार एक संदेह करने वाला व्यक्ति हमेशा संदेह ही करता रह जाता है, वह कुछ भी स्थापित नहीं कर पाता. उसके विपरीत यदि कोई प्रार्थना में विश्वास के साथ कुछ मांगता है उसकी सुनी जाती हैं (मत्ती 21:22)
छिपे हुए पाप और अनर्थ के कामों के कारण प्रार्थना नहीं सुनी जाती
राजा दाउद कहने लगे, यदि मैं मन में अनर्थ की बात सोचता तो परमेश्वर मेरी प्रार्थना को नहीं सुनते. (भजन 66:18) हमारे छिपे हुए पापों के कारण हमारी प्रार्थनाओं के उत्तर रुक जाते हैं. भविष्यवक्ता (यिर्मयाह 5:25) में कहता है तुम्हारे अधर्म के कारण ही आशीषें और प्रार्थना के उत्तर रुक गए हैं.
परमेश्वर के वचन में बने न रहने के कारण प्रार्थना नहीं सुनी जाती
प्रभु यीशु ने कहा, ‘यदि तुम मुझमें बने रहो और मेरी बातें अर्थात मेरा जीवित वचन तुममें बना रहे तो जो कुछ मांगो वो तुम्हारे लिए हो जाएगा. (यूहन्ना 15:7) लेकिन यदि हम वचन में बने न रहें तो प्रार्थना नहीं सुनी जाती. (नीतिवचन 28:9) में सुलेमान राजा कहता है, जो अपना कान वचन सूनने से मोड़ लेता है उसकी प्रार्थना घृणित ठहरती है. उदाहरण : शिमशोन
जो कंगालों और जरूरतमंद की सुधि नहीं लेता उसकी प्रार्थना नहीं सुनी जाती
प्रभु यीशु मसीह ने फरीसियों और सदुकियों को इसी लिए डांटा था क्योंकि वे कंगालों और विधवाओं की सुधि नहीं लेते थे. नीतिवचन 21:13 में लिखा है जो कंगालों की दोहाई पर कान नहीं लगाते उनकी प्रार्थना भी नहीं सुनी जाती. परमेश्वर चाहते हैं हम जरूरतमंद लोगों की सुधि लें उनके साथ अच्छा व्यवहार करें.
घमंड के कारण हमारी प्रार्थना नहीं सुनी जाती
परमेश्वर ने कहा, मूसा पूरी पृथ्वी में सबसे नम्र व्यक्ति है, इसलिए मूसा की हरेक प्रार्थना सुनी जाती थी लेकिन राजा नबुकदनेस्सर घमंडी था औ बुरा राजा था इसलिए न तो उसकी प्रार्थना सुनी गई और उसका अंत भी बहुत बुरा हुआ. घमंड हमारी प्रार्थनाओं के लिए एक रुकावट है.
पति और पत्नी के बीच आदर और प्रेम न होने से भी प्रार्थना नहीं सुनी जाती
हे पतियों तुम भी बुद्धिमानी के साथ अपनी पत्नियों के साथ जीवन निर्वाह करो, और स्त्री को निर्बल पात्र जानकार उनका आदर करो, यह समझकर कि हम दोनों जीवन के वरदान के वारिस हैं, जिससे तुम्हारी प्रार्थनाएं रुक न जाएं (1पतरस 3:7) विवाह परमेश्वर की दृष्टि में आदर की बात है वो आदर और प्रेम हमेशा बना रहना चाहिए.
समय से पहले प्रार्थना नहीं सुनी जाती
बाइबल बताती है सूर्य के नीचे प्रथ्वी पर हरेक बात का एक समय है, एक अवसर है, और परमेश्वर अपने समय में सब बाते सुंदर बना देते हैं (सभोपदेशक 3:1) यदि आपकी प्रार्थनाओं के उत्तर आने में देर लग रही है तो विश्वास करें परमेश्वर का एक समय है, परमेश्वर अपने समय में सब कुछ बढ़िया और बेहतर कर देंगे.
आपकी प्रार्थनाओं की देरी से हो सकता है परमेश्वर की महिमा होगी और आपको बड़ी आशीष मिलेगी. जैसे लाजर की मृत्यु के समय यीशु का देरी से आना चंगाई नहीं बल्कि पुनुर्थान अर्थात मृतकों में से जी उठाना हुआ. प्रभु की महिमा हुई.
यीशु मसीह की प्रार्थना कैसे करें | प्रार्थना हिंदी में लिखी हुई
” हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में हैं तेरा नाम (पाक ) पवित्र माना जाए, तेरा राज्य (बादशाहत) आए,
जैसे तेरी (मर्जी) इच्छा स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे ही पृथ्वी पर भी हो.
हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे.
और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर.
और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा, क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही हैं”
आमीन
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