बाइबल में शिमशोन की कहानी एक अद्भुत कहानी है जिससे हम सीख सकते हैं कि, सावधान रहें अपने जीवन को बरबाद न करे. जब हम परमेश्वर को और उसके वचन को प्रार्थमिकता नहीं देते हैं और अपने घमंड शारीरिक अभिलाषा और जनून में खो जाते हैं तो अंत में दुःख और पछतावा होता है.
जिसका मन ईश्वर की ओर से हट जाता है, वह अपनी चाल चलन का फल भोगता है, परन्तु भला मनुष्य आप ही आप सन्तुष्ट होता है।
(नीति 14:14)
शिमशोन की कहानी | Story of Samson in hindi
ऐसी ही एक कहानी एवं एक चरित्र हम बाइबिल में पाते हैं जिसका नाम है शिमशोन उसमें बड़ी क्षमता थी जो परमेश्वर के लिए बड़े काम का था. लेकिन उसने केवल स्वयं की अभिलाषाओं के अनुसार जीने का निर्णय लिया.
- उसका जन्म प्रार्थना के उतर के रूप में हुआ था. (न्यायियों 13:8, 9)
- वो नासरी था ( गिनती 6:1-6) के अनुसार उसे नासरी होने के नाते 3 बातों से दुर रहना था 1. शराब नहीं छूना है, 2. बाल नहीं कटवाना है, 3. मृत शरीर को नहीं छूना है.
- शिमशोन को अपने निचले जीवन की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी.
शिमशोन के जीवन की कुछ घटनाएं
- 40 लंबे वर्षों से पलिस्तीन लोग इस्राएल देश को सता रहे थे. (13:1)
- शिमशोन के धर्मी माता पिता न इसे नासरी जैसे पाला पोसा
- विवाह के रास्ते में ही उसने एक शेर को मारा था.
- उसने 30 पलिश्तियों को मार डाला ताकि वह एक पहेली को पूरा कर सके जिसे पलिश्तियों ने छल से सुलझाया (14:19)
- जब उसकी होने वाली पत्नी को किसी और को दिया गया तो उसने पुरे स्थान को जला दिया.
- उसने एक हजार पलिस्तियों को गधे के जबड़े को लेकर मार डाला. (15:14-20)
- एक बार जब उसे दुश्मन उसकी घात में थे तो उसने नगर के फाटक को बेड़ों समेत उखाड़कर पहाड़ की चोटी में ले गया. (16:1-3)
- इसे एक वेश्या ने (दलीला) ने पलिश्तीयों के हाथों बेच दिया
- उसके बाल काट कर गंजा कर दिया गया उसे गुलाम बना लिया गया और उसकी आँखें फोड़ कर अंधा कर दिया गया था.
- जब उसके बाल फिर बढ़ें तो परमेश्वर ने उसे फिर से सामर्थ दिया और उसने उस छत को गिरा दिया जिसमें उसके दुश्मन लोग बैठे थे इस तरह उसने बहुत लोगों को नाश कर दिया और उसी छत के नीचे वह स्वयं भी मर गया. इस तरह उसने इस्राएल में 20 वर्षो तक न्याय किया.
हम शिमशोन के जीवन से क्या सीखते हैं | What we can learn from Life of Samson
- परमेश्वर लोगों को खड़ा करते हैं ताकि दूसरे लोगों को बन्धुआइ से छुडाया जा सके. मसीही लोगो अन्य लोगों को पापों की गुलामी से छुडाना चाहिए.
- परमेश्वर चाहते हैं कि प्रत्येक मसीही अपने बच्चों को प्रभु यीशु मसीह में डेडीकेट समर्पित करे और उसे प्रभु के भय भक्ति में पुरे विश्वासयोग्यता के साथ लालन पालन करे. (13:8-11)
- एक मसीही व्यक्ति को इस व्यभिचार के पाप में नहीं पड़ना चाहिए.
- अविश्वासियों से ज्यादा उम्मीद न रखें (14:15)
- कुछ बातें हमेशा सीक्रेट रखें (नीतिवचन 29:11) शिमशोन को अपने बालो की सामर्थ का रहस्य उजागर नहीं करना था.
- उसने अपनी पत्नी के साथ एक अच्चा समय नहीं बिताया. (उसकी अनुपस्थिति में लडकी के पिता ने लडकी का हाथ किसी और को दे दिया 14:19-20
- अपने गुस्से को हमेशा काबू में रखें( उसने ३०० लोमड़ियों से उनके खेत खलियान और दाख की बारी का जला कर नाश कर दिया)
- परमेश्वर बुरी परिश्थिति को भी बदल सकते हैं.
- इसके समय में इस्राएली लोग परमेश्वर के साथ सम्बन्ध नहीं बना पाए.
- शिमशोन के जीवन में केवल तभी छुटकारा या आराम मिलता था जब परमेश्वर का आत्मा उस पर बल से उतरता था. हम मसीही लोगों को भी सदैव पवित्र आत्मा से भरपूर रहना चाहिए.
- शिमशोन का मूर्खता पूर्ण दलीला के पास जाना उसके सामर्थी जीवन को नाश कर दिया…
- यदि हम लगातार पाप करते रहेंगे तो हम परमेश्वर की सामर्थ को खो देंगे.
- जिन पापों को अंगीकार नहीं किया जाता और छोड़ा नहीं जाता वो दंड लेकर आता है जिस प्रकार शिमशोन को गुलाम बना कर अंधा बना दिया गया.
- परमेश्वर हमें अभी भी इस्तेमाल कर सकते हैं यदि हम पश्चाताप करें और प्रभु के पास लौट आएं जैसे शिमशोन ने किया (16:30)
- मानोह की अपने होने वाले बच्चे हेतु प्रार्थना हम सभी मसीही लोगों की प्रार्थना होनी चाहिए. (13:8) तब मानोह ने यहोवा से यह बिनती की, कि हे प्रभु, बिनती सुन, परमेश्वर का वह जन जिसे तू ने भेजा था फिर हमारे पास आए, और हमें सिखलाए कि जो बालक उत्पन्न होने वाला है उस से हम क्या क्या करें।
- बच्चे को उसी मार्ग की शिक्षा दें जिसमें उसे चलना चाहिए ताकि बुढापे तक वह उसमें बना रहे.
- बड़े होकर उसने कहा, वो स्त्री से मेरा विवाह करवा दो क्योंकि वो मुझे अच्छी लगती है… उसने कभी नहीं पूछा…परमेश्वर को क्या अच्छा लगता है.
- उसने जब शेर को मारा तो उसने अपनी सामर्थ के लिए परमेश्वर का धन्यवाद नहीं दिया वरन घमंड से भर गया…सीखे कैसे आप अपने SUCCESSS को हँडल करते हो.
- शिमशोन अपनी कमजोरी पहचानने में फ़ैल हो गया…की उसकी कमजोरी लड़की है.
- पूरी किताब में शिमशोन ने केवल एक ही बार प्रार्थना किया जब वह मौत के करीब था…बाइबिल कहती है लगातार प्रार्थना करो…जागते रहो और प्रार्थना करो ताकि परीक्षा में न पड जाओ.
- पाप के रास्ते ने सिमसोन को पहले आत्मिक अंधापन लाया फिर शारीरिक और फिर गुलामी में.
conclusion : क्या आप भी शिमशोन की तरह अपने स्वार्थ हेतु अपने ही रास्ते में चलते हुए अपना जीवन और अपने तोड़े नाश करोगे या परमेश्वर की बुलाहट को ध्यान में रखकर अपने जीवन को अपने परमेश्वर और दूसरों की आशीष के लिए व्यतीत करोगे. क्या आप दूसरो के लिए एक आदर्श बनना चाहोगे…
इन्हें भी पढ़ें
पवित्र बाइबिल नया नियम का इतिहास
परमेश्वर की भेंट पर तीन अद्भुत कहानियां