दोस्तों आज आपको एक सच्ची मोरल कहानी इन हिंदी सुनाना चाहता हूँ यह बहुत से लोगों के लिए प्रेरणादायक कहानी होगी जो अपनी परिस्थिति से लड़ रहे हैं. तो आइये Motivational story in hindi for success शुरू करते हैं.
नौकर नहीं मालिक बनो | सच्ची मोरल कहानी इन हिंदी
दोस्तों पूर्वी दिल्ली के नन्द नगरी में दीपक नाम का एक व्यक्ति रहता है. उसके पिता की मृत्यु के बाद यह जवान लड़का अपनी और अपनी बूढ़ी मां की आर्थिक सहायता के लिए मतलब कुछ कमाने के लिए उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से दिल्ली आ गया.
और किसी छोटी प्राइवेट कम्पनी में काम करने लगा. दीपक अपने काम के प्रति बहुत ही ईमानदार था खूब मेहनत करता और थोड़ा पैसा कमाकर अपनी मां के लिए दाल रोटी का इंतजाम करता था.
लेकिन कुछ समय पहले जब पूरी दुनिया में कोरोना महामारी का प्रकोप हुआ उस समय दीपक के काम में भी बहुत ज्यादा समस्या हो गई.
उसके कम्पनी के मालिक ने दीपक को Job से निकालने के लिए उस पर बहुत से दबाव दिए. लेकिन दीपक सारे दबाव सहते हुए भी उसी काम को करता रहा.
मालिक ने देखा यह इसकी मजबूरी है इसलिए उसे गाली बककर और अपशब्द कहकर भी बुलाने लगा. लेकिन दीपक तब भी चुपचाप काम करता रहा.
दीपक अपने घर की माली हालत के कारण पढ़ाई लिखाई नहीं कर पाया इसलिए वह सोचता था….यदि वह यह काम छोड़ देगा तो उसे कौन नौकरी देगा?
दीपक की हालत दिन पर दिन खराब हो रही थी. कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा फिर मालिक ने कहा अब तुम्हें आधी तन्खाव मतलब Half payment में यही काम करना होगा.
और यदि तुम करना चाहते हो तो करो वरना इधर से जा सकते हो. कम्पनी का मालिक अच्छी तरह से जानता था दीपक यह काम किसी भी कीमत में नहीं छोड़ेगा.
क्योंकि दीपक अनपढ़ है और पैरों से अपाहिज भी है. दीपक ने मालिक से बहुत मिन्नत कि ऐसा न करें. लेकिन मालिक दीपक की एक भी नहीं सुनना चाहता था.
उसने कहा, देखो कोरोना के कारण हमारा माल बिक नहीं रहा इसलिए हम आपको पूरी तनख्वाह नहीं दे सकते. और हाँ अब से तुम्हें एक भी दिन अवकाश या छुट्टी नहीं मिलेगी रविवार को भी तुम्हें काम में आना होगा.
दीपक को लगा जैसे उसकी दुनिया ही उजड़ गई है…अब कैसे अपनी मां का ध्यान रख पाऊंगा कैसे मेरे घर का किराया दे पाऊंगा.
इन्हीं सारे सवालों के साथ एक दिन वह मुझसे मिला…मैं राजेश पेशे से एक व्यापारी भी रहा हूँ मैंने उससे कहा, देखो दीपक ये तो होना ही था!
जिस कम्पनी में तुम नौकरी कर रहे थे, तुम पूरी जिन्दगी भी काम करते तो तुम कभी उस कम्पनी के मालिक नहीं बन सकते. इसलिए तुम्हें निराश नहीं होना चाहिए. तुम आँख उठाकर देखो बहुत से दरवाजे तुम्हारे लिए खुले हुए हैं.
उसने कहा भैया जी मैं तो पढ़ा लिखा नहीं हूँ. तब मैंने कहा, “क्या तुम पैसे गिनना जानते हो. उसने मुस्कुरा कर कहा, हाँ भैया जी. मैंने कहा, फिर तो तुम बहुत कुछ जानते हो.
तुम अपना काम शुरू करो”….तुम जो करना चाहते हो उस काम की छोटी शुरुआत करो. उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था…हमारे बाते करते समय बाहर एक सब्जी वाले व्यक्ति ने आवाज लगाईं आलू ले लो…प्याज ले लो....
मैंने कहा देखो वो व्यक्ति आलू बेच रहा है वह उस चलती फिरती दूकान का स्वयं मालिक है उसे कोई गाली नहीं देता. उसे किसी की नौकरी नहीं करना पड़ता. जब चाहे तब उसकी छुट्टी कर लेता है.
दीपक के आँखों में तो जैसे रौशनी आ गई. उसी दिन उसने एक तराजू खरीदा और दूसरे ही दिन बिलकुल सुबह उठकर वह गाजीपुर सब्जी मण्डी पंहुचा और आलू और प्याज थोक भाव से खरीदा और बेचने चल पड़ा….
पहले ही घंटे में उसने सारा माल बेच दिया क्योंकि उसने ज्यादा मंहगा न बेचकर थोड़ा ही पैसा कमाया…
लेकिन अब उसकी झिझक और शर्म निकल चुकी थी… जो उसकी सबसे बड़ी कमाई थी.
दोस्तों आज दीपक विवाहित है उसने एक अनाथ लकड़ी से विवाह किया ताकि किसी को सहारा मिल सके. न केवल इतना बल्कि वह दो अनाथ बच्चों को पाल भी रहा है जिसमें एक बच्ची गूंगी और बहरी भी है. आज वह अपनी जिन्दगी से बहुत खुश है…
कहानी से सीख :- ये बिलकुल सच्ची कहानी है….जब दीपक जो एक अनपढ़ और अपाहिज व्यक्ति इतना कर सकता है तो कोई भी कुछ भी कर सकता है. दूसरों की कम्पनी में बड़ा नौकर बनने से कहीं बेहतर है अपने छोटे काम का स्वयं मालिक बनना.
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