दोस्तों आज हम पढेंगे परमेश्वर के साथ वाचा बांधना के विषय में | How to enter convenant with God परमेश्वर अपनी वाचा को पूरा करता है हमें भी उसके प्रति वाचा को पूरा करना चाहिए.
परमेश्वर के साथ वाचा बांधना
एक वाचा हमेशा दो पक्षों के बीच में की जाती है. जिसे हम प्रतिज्ञा और संधी भी कह सकते हैं. बाइबल में परमेश्वर ने मनुष्य के साथ अनेक वाचाओं को बाँधा है और उस वाचा को उसने पूरा भी किया है. वह अपनी वाचा को सदा स्मरण रखता आया है, यह वही वचन है जो उसने हजार पीढ़ीयों के लिये ठहराया है; (भजन 105:8)
आज हम देखेंगे किस प्रकार मनुष्य यदि परमेश्वर के साथ वाचा बांधता है तो वहां अद्भुत काम होने लगते हैं. उसकी परिस्थति बदलने लगती है.
ऐसा ही हुआ 2 इतिहास की पुस्तक के 15 अध्याय में. आशा नामक राजा के समय में चारो तरफ अशांति थी जो लोग उस देश में आते या जाते सभी के जीवन में बड़ी गड़बड़ी चल रही थी. देश संकट में था. (v.15:4)
उस अशांति और संकट का कारण यह था कि उस देश में परमेश्वर का वचन सिखाने वाला कोई याजक नहीं था और परमेश्वर का वचन भी नहीं था. यहाँ तक कि वे लोग परमेश्वर को जानते भी नहीं थे.
इसी कारण लोग अन्य देवी देवताओं को मानने लगे और मूर्ति पूजा में लिप्त हो गए थे. वहां की राजमाता भी मूर्तिपूजक हो चुकी थी. (15:16)
ऐसे समय में ओदेद के पुत्र अजर्याह को परमेश्वर ने अपना आत्मा (पवित्रात्मा) देकर उभारा और उसने सीधे आसा राजा से जाकर कहा, हे आसा, और हे सारे यहूदा और बिन्यामीन मेरी सुनो,
जब तक तुम यहोवा के संग रहोगे तब तक वह तुम्हारे संग रहेगा; और यदि तुम उसकी खोज में लगे रहो, तब तो वह तुम से मिला करेगा, परन्तु यदि तुम उसको त्याग दोगे तो वह भी तुम को त्याग देगा. (15:1)
हमारा परमेश्वर दयालु परमेश्वर है हम यहाँ देखते हैं लोग परमेश्वर को नहीं जानने के कारण वे नाश के कगार में थे. जिस प्रकार लिखा भी है मेरे ज्ञान के न होने से मेरी प्रजा नाश हो रही है. (होशे 4:6)
ऐसे संकट के समय में परमेश्वर ने स्वयं पहल की और लोगों को अपने दास के द्वारा चेतावनी दी. परमेश्वर के दिल की चाहत है कि मानव जाति परमेश्वर को जाने और नाश न हो.
उन्होंने कैसे परमेश्वर के साथ वाचा बाँधा
उन्होंने यहोवा की वेदी को नए सिरे से बनाया. (15:8) अर्थात उन्होंने परमेश्वर की उपस्थिति में आने के लिए एक मन किया. परमेश्वर की वेदी परमेश्वर की उपस्थिति को दर्शाती है.
और आसा के राज्य के पन्द्रहवें वर्ष के तीसरे महीने में वे यरूशलेम में इकट्ठे हुए. बाइबल कहती है जब हम एक किसी बात के लिए एक मन होते हैं और जो कुछ बांधते हैं तो बंधता है और जो कुछ खोलते हैं तो वो खुलता है.( मत्ती 16:19) एक साथ मिलकर की गई प्रार्थना को परमेश्वर आशीषित करता है.
"उन्होंने वाचा बान्धी कि हम अपने पूरे मन और सारे जीव से अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा की खोज करेंगे." (2 इतिहास 15:12)
परमेश्वर के साथ वाचा बाँधने की आशीष
जब आसा और उसके देश के लोगों ने मिलकर परमेश्वर के साथ वाचा बाँधी तब उस देश में परमेश्वर ने बहुत आशीष दी. जिसे हम निम्नलिखित रूप से देख सकते हैं.
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1. परमेश्वर यहोवा ने उन्हें चारो ओर से विश्राम दिया (v. 15b)
परमेश्वर के खोजियों को परमेश्वर शान्ति और विश्राम प्रदान करता है. वह कहता है हे बोझ से दबे लोगों मेरे पास आओ मैं तुम्हें विश्राम दूंगा. आज यदि आपके जीवन में अशांति है वो आपसे वायदा करता है कि चारो ओर से तुम्हें विश्राम और शान्ति मिलेगी.
2. परमेश्वर को ढूढने पर उन्हें मिला भी (v.12 b)
उसका वायदा है यदि तुम ढूढ़ों तो तुम पाओगे परमेश्वर अति सहज से मिलने वाला परमेश्वर है. जो उसे दिल से पूरे मन से खोजते हैं वे उसे पाते हैं जिस प्रकार आसा राजा और उसके लोगों ने उसे पाया.
3. आसा के राज्य में 35 वर्ष तक फिर लड़ाई नहीं हुई. (v. 19)
जब आसा राजा ने और उसके राज्य के लोगों ने परमेश्वर के साथ वाचा बाँधी और परमेश्वर की खोज करने में जुट गए तब बाइबल हमें बताती है. उसके देश में उसके राज्यकाल में युद्ध नहीं हुए. हम जानते हैं युद्ध में जन और धन दोनों की हानि होती है.
लेकिन युद्ध न होने से देश में शान्ति और अमन चैन था. पहले इसी देश के हालात ठीक नहीं थे. यह देश संकट में था. और आने जाने वालों को कोई शान्ति नहीं थी लेकिन जब परमेश्वर के साथ वाचा बाँधी गई परमेश्वर ने बड़ी शान्ति दी.
हम बाइबल में ऐसे अनेक उदाहरण पाते हैं जिन्होंने परमेश्वर यहोवा की खोज की और परमेश्वर ने उन्हें बड़ी आशीष दी और उन्हें संकट से छुड़ाया है.
Hold on God’s Word Hindi sermon
Conclusion
परमेश्वर कहता है, तब यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन हो कर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी हो कर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुन कर उनका पाप क्षमा करूंगा और उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूंगा. (2 इतिहास 7:14)
भजनकार भी अपने भजन में कहता है, यहोवा और उसकी सामर्थ को खोजो, उसके दर्शन के लगातार खोजी बने रहो. (भजन 105:4)
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