दोस्तों आज हम सीखेंगे How to live a christian life according to the bible | मसीही जीवन या दूसरे शब्दों में कहें कि मसीही जीवन कैसे जीना चाहिए?
How to live a Christian life according to the bible | मसीही जीवन
जब मैं लोगों से सुनता हूँ कि मसीही जीवन जीना बहुत कठिन है. तो मैं सोचता हूँ किसकी तुलना में? क्योंकि मैं जब प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास नहीं करता था तो जमाने भर की बातों को पूरा करना होता था.
हर सप्ताह कोई न कोई त्यौहार मनाना होता था. पैसे हो या न हों कर्ज लेकर भी त्यौहार तो मनाना ही होता था. नहीं तो लगता था लोग क्या सोचेंगे?
या क्या कहेंगे? और लोग भी ताने मारते थे अरे साल में एक ही बार तो आता है यह त्यौहार…अरे भाई एक एक करके कितने सारे त्यौहार….
आज मैं बहुत खुश हूँ न कोई त्यौहार न कोई दिन को महत्व देना …शनिवार को बाल नहीं कटवाओ, गुरु वार को यह नहीं खाओ, और मंगल वार को ये नहीं करना आदि आदि.
उसकी तुलना में मसीही जीवन अति आनन्दित जीवन है. आज का दिन यहोवा ने बनाया है हम इसमें आनन्दित हों. मतलब हर दिन यहोवा परमेश्वर ने बनाया है.
कोई दिन विशेष नहीं कोई दिन खराब नहीं. बस बिंदास आज में वर्तमान में जियो. कल की चिंता मत करो. मतलब प्लानिग करो विचार करो लेकिन चिंता मत करो.
प्रभु यीशु ने कहा, मेरा जुआ उठाओ वो हल्का है…मसीही जीवन आनन्द का जीवन है. लेकिन मसीही जीवन अनुशासन का और नियम का जीवन है.
परमेश्वर के लोग परमेश्वर के बताए गए नियम के अनुसार चलते हैं और जीवन बिताते हैं. हमें जीवन जीने के लिए परमेश्वर ने एक नियम पुस्तिका दी है
हजारो वर्षों से उसमें न कोई बदलाव हुआ है न ही होगा क्योंकि वह सिद्ध और परफेक्ट पुस्तक है उसका नाम पवित्र बाइबल (पवित्रशास्त्र) है
पढ़ें जयवंत मसीही जीवन कैसे जियें
आइये बाइबिल से सीखते हैं कि मसीही जीवन जीने के लिए बाइबिल क्या कहती है.
1. पापों का अंगीकार (1 यूहन्ना 1:9)
पापो का अंगीकार क्या है? यह एक प्रकार से पाप स्वीकार करने की विधि है जिसमें मनुष्य पश्चाताप कर अपने पापों को स्वीकार करता है और प्रभु यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता मानकर स्वीकार करता है. यह जरूरी नहीं किसी व्यक्ति के सामने की जाए यह स्वयं एकांत में प्रार्थना के साथ भी की जा सकती है.
2. प्रतिदिन मसीह यीशु के लिए जियें (फिलिप्पियों 1:21)
संत पौलुस कहते हैं, मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है.
3. प्रतिदिन अपने जीवन में यीशु को प्रथम स्थान दें (लूका 14:26)
यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और लड़के बालों और भाइयों और बहिनों बरन अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता. (लूका 14:26) इसका अर्थ यह नहीं कि अपने माता पिता को तुच्छ जानना है लेकिन इसका मतलब है सबसे बढ़कर यीशु मसीह से प्रेम करना है.
4. प्रतिदिन प्रभु में चलें (कुलुस्सियों 2:6)
मसीही जीवन वर्तमान का जीवन है और गतिमान जीवन है. इसमें हम कभी नहीं कह सकते कि एक दिन था जब हम प्रभु में थे इसलीए प्रभु का दास पौलुस कुलुस्सियों की कलीसिया को समझाते हुए कहते हैं, “जैसे तुम ने मसीह यीशु को प्रभु करके ग्रहण कर लिया है, वैसे ही उसी में चलते रहो.”
प्रतिदिन प्रभु में चलने के लिए निम्नलिखित बातें करना चाहिए
- प्रभु के वचन का नियमित रूप से मनन करें. (भजन 119:97)
- प्रभु की बाट जोहें …परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे (यशायाह 40:31)
- प्रभु से लगातार मार्गदर्शन प्राप्त करें (नीतिवचन 3:5-6)
- लगातार प्रतिदिन अपने जीवन के लिए प्रभु की सिद्ध इच्छा जानते रहें (रोमियो 12:2)
- प्रभु के अधीन रहते हुए शैतान का सामना करते हुए उसे हराते रहें. (याकूब 4:7)
- हर भले कामों में सरगर्म रहे (मत्ती 5:16)
5. सब काम बिना कुड़कुड़ाए और बिना विवाद के किया करो. (फिलिप्पियों 2:14)
6. हमेशा पवित्र आत्मा से भरे रहें और हर बात में प्रभु का धन्यवाद और उसकी महिमा करें. (1 कुरु. 6:20)
7. हर भले कामों में विश्वासियों के लिए आदर्श बने. (1 तिमु. 4:12)
8. सबसे बढ़कर अपने प्रभु से अपना पहला सा प्रेम बनाए रखें (प्रकाशितवाक्य 2:4)
एक विश्वासी के लिए 10 आवश्यक बातें
Conclusion
विश्वास करता हूँ आज का यह लेख मसीही जीवन आपके जीवन में आशीष का कारण होगा. यदि आप इसी प्रकार का आज का वचन प्रतिदिन प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारे हिंदी बाइबिल स्टडी app को गूगल प्ले स्टोर से डाउन लोड आप इस लिंक से उस लेख को पढ़ सकते हैं..
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