दोस्तों आज हम पढेंगे प्रेरणादायक बाइबिल सन्देश | Motivational Bible Sermon यह बाइबिल प्रचार यशायाह 54:2 से लिया गया है.
प्रेरणादायक बाइबिल सन्देश | Motivational Bible Sermon
अपने तम्बू का स्थान चौड़ा कर, और तेरे डेरे के पट लम्बे किए जाएं; हाथ मत रोक, रस्सियों को लम्बी और खूंटों को दृढ़ कर. (यशायाह 54:2)
परमेश्वर अपनी वाचा का अटल परमेश्वर है. उसकी मांग है कि हम उसके साथ बने रहें. यशायाह 43:19 में परमेश्वर कह रहे हैं देखो, मैं एक नई बात करता हूं; वह अभी प्रगट होगी, क्या तुम उस से अनजान रहोगे?
मैं जंगल में एक मार्ग बनाऊंगा और निर्जल देश में नदियां बहाऊंगा. क्योंकि पहले सीमित अवस्था में और कमी घटी में लोग रह रहे थे लेकिन अब प्रभु कह रहे हैं.
तम्बू बढाने का समय आ गया है. स्वयं परमेश्वर के मन में है की वे एक अद्भुत काम करना चाहते हैं. वो स्वयं एक दुःख उठाने वाले दास के समान बनने जा रहे हैं ताकि उसकी कलीसिया उद्धार पाए और उसका तम्बू चौड़ा हो जाए बड़ा हो जाए.
उसकी सीमाएं बढ़ जाएं. वो स्वयं को सिमित कर रहे हैं ताकि वो हमारे पापो को उठा ले और हमें पूर्ण छूटकारा मिल जाए. उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं हमारे पापों के लिए उसे ताड़ना पड़ी.
एक बलि के रूप में उसने स्वयं को दे दिया. प्रभु यीशु के ऊपर ज्यादातर यही दोष लगाया जाता था की यह तो पापियों के साथ बैठता है, सामरी लोगों के पास जाता है.
वो चाहता था अब्राहम की आशीषों को सारी दुनिया को उसके द्वारा आशीष मिले. ये वायदा पूरा होना था. हम वो आत्मिक इस्राएल हैं. हम ही वो पवित्र मंदिर हैं.
परमेश्वर की बड़ी योजना उसका उद्देश्य हैं है कि पूरा विश्व परमेश्वर की महिमा से बहर जाए. पहले का इस्राएल जातीय इस्राएल था लेकिन अंतिम इस्राएल आत्मिक इस्राएल है.
अर्थात सब जातियों के लोगों प्रभु में आशीष पाएं. और तम्बू चौड़ा हो जाए. यशायाह 54:2
पूरे नए नियम का सारांश है प्रभु यीशु का मिशन तम्बू बढाने का मिशन था. पौलुस का मिशन तम्बू बढाने का मिशन था. पतरस का मिशन तम्बू बढाने का मिशन था.
आत्मिक शिक्षा
प्रभु का वचन कहता है जैसे हम आत्मिक उन्नति कर रहे हैं वैसे ही हम सब बातों में बढ़ते जाएं और उन्नति करते जाएं. परमेश्वर अपने बच्चों को बढ़ता हुआ आशीषित होता हुआ देखना चाहते हैं.
याद करें उस जवान व्यक्ति को जिसे उडाऊ पुत्र कहा जाता है. उसने अपने पिता की सम्पत्ति लेकर दूर देश लेजाकर सारा धन कुकर्म में उड़ा दिया था.
और उस देश में अकाल भी पड़ा और वह पूरी रीती से कंगाल हो गया था. लेकिन जब वह अपने आपे में आया और वापस अपने पिता के घर लौटा तो उसके पिता ने उसे पहले से भी ज्यादा सम्मान और धन और सोहरत दिया.
उससे प्यार किया. पिता चाहता है हम उसे न छोड़े और उसके पास आयें उससे प्यार करें. उसके पास अगम्य खजाना है. जो कभी भी खत्म नहीं हो सकता.
सारा संसार और जो कुछ उस में है सब उसी का है. वह अपने बच्चों को अर्थात जो उससे प्यार करते हैं उनके लिए वो बातें रख छोड़ा है जो आखों ने नहीं देखा, और जो हमारे चित्त में भी नहीं चढ़ा.
याबेस की प्रार्थना
हमें अपने पिता परमेश्वर से याबेस के जैसे प्रार्थना करना चाहिए कि,
भला होता, कि तू मुझे सचमुच आशीष देता, और मेरा देश बढाता, और तेरा हाथ मेरे साथ रहता, और तू मुझे बुराई से ऐसा बचा रखता कि मैं उस से पीड़ित न होता! और जो कुछ उसने मांगा, वह परमेश्वर ने उसे दिया. (1 इतिहास 4:10)
ये प्रार्थना हमें प्रति दिन करना चाहिए. और उसके लिए हमें वो तमाम काम करना चाहिए जो परमेश्वर हमें करने हेतु देता है.
लिखा है जो काम तुझे मिले उसे अपनी पूरी शक्ति भर करना. और जो कुछ करो ऐसा करो जैसे प्रभु की सेवा कर रहे हो. इस रीती से हम अपने तम्बू के स्थान को चौड़ा कर सकेंगे.
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