dosto आज हम सीखेंगे बाइबिल से रोज की रोटी | Daily bread तो आइये शुरू करते हैं.
आज का बाइबिल वचन | Daily Bread

दोस्तों आंधी का काम है डराना लेकिन जब प्रभु यीशु हमारे साथ है तो फिर कैसा डर, सवाल है हमारे जीवन को कौन सी ताकत चला रही है। डर की ताकत या विश्वास की ताकत।
यदि हम दुनिया की उन बातों की ओर अपना पूरा ध्यान रखेंगे जो डराती है और उन आंधी और तूफान को ही देखते रहेंगे तो हामारे जीवन में प्रभु की उपस्थति मौजूद होते हुए भी हम प्रभु को कभी नहीं देख पाएंगे और प्रभु की सामर्थ को कभी नहीं पहचान पाएंगे…क्योकिं हमारा ध्यान ही गलत जगह है ।
लेकिन इसके बदले यदि हम प्रभु को और उसकी उपस्थिति को अपने बीच में महसूस करेंगे तो डराने वाले उस आंधी और तूफान को शांत होते देख सकेंगे….
ऐसा ही एक मंजर हम प्रभु यीशु के चेलों के साथ पाते हैं… जब समुद्र अपने पूरे ऊफान में था और चेले तूफान के बीच नाव में थे, जिसमें प्रभु की उपस्थिति भी सशरीर वहीँ मौजूद थी…शायद उस दिन समुद्र अपने उग्र रूप में था
समुद्र के मछुआरे भी भयभीत थे. सभी की निगाहें और धडकने भी उसी तूफानी लहरों के साथ ऊंची ऊँची हिलकोरे ले रही थी।
मुंह से बरबस ही निकल रहा था अब मरे की तब मरे …इन सब भयानक मंजर के बीच प्रभु यीशु शान्ति से सो रहे थे।
सभी एक साथ ऊंची आवाज में पुकार उठे हम मरे जाते हैं, और तू सो रहे हैं… जीवन की इस यात्रा में कुछ साथ ले या न लें…लेकिन कम से कम दो बातें तो जरुर पक्का कर लेना चाहिए।
पहला यह कि हमारे लिए प्रभु यीशु कौन हिं, यदि वो सृष्टिकर्ता है और बचाने वाला है तो फिर डर किस बात का वो आपको डूबने नहीं देंगे।
दूसरा यह कि क्या वो हमारे साथ हमारी जीवन रूपी नाव में है या नहीं यदि वो नाव में है और पतवार उसके हाथ में है तो फिर डरने की कोई बात नहीं क्योंकि आज तक उसकी नाव से कोई डूब कर नहीं मरा।
जब उसने पहले ही कह दिया, आओ हम पार चलें, तो फिर चाहे धरती पलट जाए या समुद्र तूफान उठाए उसकी नाव को कोई डूबा न पाएगी।
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आप अपना दस्वांश या इस सेवा के लिए भेंट इस बारकोड के जरिये प्रदान कर सकते हैं प्रभु आपको बहुत आशीष दे.
बहुत अच्छे संदेश के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सर जी
dhanyvad bure ji prbhu aapko bahut aashis de