दोस्तों आज हम बाइबिल से सीखेंगे Dangers of limiting God in Hindi | परमेश्वर को सीमित न करें इस सन्देश को पढ़ते समय हमें सोचना है Examples of limiting God in the Bible तो आइये शुरू करते हैं.
Dangers of Limiting God | परमेश्वर को सीमित न करें
और उसने (यीशु मसीह ने) वहां उनके अविश्वास के कारण बहुत से सामर्थ्य के काम नहीं किए. (मत्ती 13:58)
ये घटना है तब की जब यीशु मसीह अपने Home Town अपने घर जहाँ वो पाला पोसा गया था और बड़ा हुआ था, वहां आया. और एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली.
इससे पहले प्रभु यीशु के अद्भुत कार्यों को करने के कारण उनकी ख्याति या प्रसिद्धि अनेक शहरों में और देश के कई कोनों में फ़ैल चुकी थी.
बहुत से लोग अपने जीवन में यीशु मसीह के कारण चंगाई पा चुके थे… जैसे कोढियों को चंगाई… दुष्टात्मा से छुटकारा आदि.
जब यीशु मसीह आराधनालय में शबद के दिन उपदेश देने लगा तो बहुत से लोग चकित हुए.
और उस पर विश्वास नहीं किया और सवाल करने लगे क्या यह वही बढई का बेटा नहीं है जिसके भाई और बहन लोग हमारे बीच रहती हैं….
और इस रीति से यीशु ने वहां उनके अविश्वास के कारण बहुत से अद्भुत काम नहीं किये. अब सवाल है….Can we limit God?
क्या हम परमेश्वर को सीमित कर सकते हैं | Can we limit God ?
उत्तर है नहीं हम किसी भी रीती से परमेश्वर को सीमित नहीं कर सकते हैं… लेकिन हाँ हमारे अविश्वास के कारण हम अपने जीवन में परमेश्वर को अद्भुत काम करने से जरुर सीमित कर देते हैं.
परमेश्वर की सामर्थ न तो दूरी में सीमित होती है क्योंकि उसने दूर रहने वाले सूबेदार के सेवक को ठीक किया…
न ही उसकी सामर्थ्य आंधी और तूफ़ान में या समुद्र में सीमित होती है क्योंकि यीशु के एक आदेश से, आंधी तूफ़ान थम गया था.
यहाँ तक कि चार दिनों से मुर्दा लाजर यीशु की सामर्थी आवाज सुनकर मुर्दों में से जी उठ कर अपने लोगों से मिल गया था.
यीशु मसीह की अपेक्षाएं क्या थी?
कौन नहीं चाहता कि अपने गाँव अपने शहर में जाकर मान सम्मान पाए.
जब दाउद ने गोलियत को मारा था तो उसके गाँव के लोगों ने बड़ा जुलुस बनाकर उसका सम्मान किया था.
यीशु मसीह के मन की इच्छा थी कि अपने लोगों के बीच चमत्कार करूं. और उनके बीच उन दुखी लोगों को छुटकारा दूँ.
जो अनेक वर्षों से बीमारी में और शाप में पड़े हुए थे. वो हमारे जीवन में भी बड़ी अपेक्षाओं के साथ आता है.
लेकिन आज जगत का उद्धारकर्ता यीशु मसीह अपने गाँव में आया और वहां के लोगों ने उस पर विश्वास न किया.
वो कहीं और से ज्यादा अपने लोगों के बीच आना चाहता है… और उनके बीच चमत्कार करना चाहता है….
वो अपने लोगों के बीच आया लेकिन उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया. (यूहन्ना 1:11-13)
अविश्वास का परिणाम | The Result of Unbelief on God
जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि वहां पर बहुत से चमत्कार नहीं हुए. चमत्कार न होने के पीछे सामर्थ्य की कमी नहीं थी बल्कि उनके विश्वास की कमी थी.
वो जिसके पास आकाश और धरती का सारा अधिकार था उसने वहां कुछ भी चमत्कार नहीं किया….कितना बड़ा नुकसान…कितनी बड़ी हानि उस शहर में…
इसके कारण यीशु वहां से चला गया और जाकर दूसरे गाँव और शहरों में लोगों को चंगा करने लगा और चमत्कार करने लगा.
इस दुनिया के ईश्वर ने अर्थात शैतान ने बहुतों के बुद्धि की आँखों को अँधा कर रखा है जिसके कारण वे अपना ही भला नहीं देख पाते.
ऐसा हमारे साथ न होने पाए कि जब उसका सामर्थी वचन हमारे जीवन में आये तो हम भी अविश्वास के कारण उसके सामर्थी चमत्कार से वंचित रह जाए….
कई बार हम भी यीशु को अपने हिसाब से लेते हैं अर्थात हम सोचते हैं यीशु ऐसा करेगा तो वो हमारा प्रभु है या वो केवल ऐसा या वैसा ही कर सकता है…
लेकिन विश्वास करें वो हमारे जीवन में ऐसे अद्भुत कार्य कर सकता है जो हमने कभी सोचा भी नहीं और हमारे चित्त में चढ़ा भी नहीं…..
क्योंकि वहां भी लोगों ने यीशु के विषय में कहा था, क्या यह वही यीशु नहीं जो बढई का पुत्र है और जिसके भाई लोग और बहन लोग हमारे बीच में रहती हैं. ऐसा सोचकर उन्होंने उसके विषय में ठोकर खाई…
भजन संहिता 81:10-16 में परमेश्वर अपनी प्रजा इस्राएल से इसी दुखी भाव से कहता है…तेरा परमेश्वर यहोवा मैं हूं, जो तुझे मिस्त्र देश से निकाल लाया है. तू अपना मुंह पसार, मैं उसे भर दूंगा. परन्तु मेरी प्रजा ने मेरी न सुनी;
इस्त्राएल ने मुझ को न चाहा. इसलिये मैं ने उसको उसके मन के हठ पर छोड़ दिया, कि वह अपनी ही युक्तियों के अनुसार चले. यदि मेरी प्रजा मेरी सुने, यदि इस्त्राएल मेरे मार्गों पर चले,
तो क्षण भर में उनके शत्रुओं को दबाऊं, और अपना हाथ उनके द्रोहियों के विरुद्ध चलाऊं, यहोवा के बैरी तो उस के वश में हो जाते, और उनका अन्त सदाकाल तक बना रहता हैं.
और उनको उत्तम से उत्तम गेहूं खिलाता, और मैं चट्टान में के मधु से उन को तृप्त करूं.
वो अंधे भिखारी की भी दिल से निकली प्रार्थना कि हे दाउद की सन्तान मुझ पर दया कर….को सुनकर रुक जाता है और चंगाई देता है.
Conclusion
यीशु मसीह को दो बातें आश्चर्यचकित करती हैं एक बात है जो प्रभु यीशु ने सूबेदार के जीवन में देखा था. कि उसने विश्वास किया था कि यीशु के कहने मात्र से उसका दास चंगा हो जाएगा.
लेकिन यीशु मसीह यहाँ अपने गाँव नासरत में उनके विश्वास न करने के कारण आश्चर्यचकित हुआ. और उनके प्रति निराश होकर दूसरे गाँवों में चमत्कार करने चला गया.
आइये हम यीशु मसीह (परमेश्वर) के सामर्थ को सीमित न करने पाएं. आज हम उस पर पूरा विश्वास करें और अपने बड़े चमत्कार को प्राप्त करें…
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