Friends There are Many Hidden Secrets in the Bible मतलब बाइबिल के गुप्त रहस्य उन्हें ही प्राप्त होते हैं जो उसे ढूढ़ते हैं…क्योंकि लिखा है ढूंढोगे तो पाओगे…तो आइये ढूंढते हैं बाइबल की गुप्त बातें.
Hidden Secrets in the Bible | बाइबिल के गुप्त रहस्य
मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुंजियां दूंगा: और जो कुछ तू पृथ्वी पर बान्धेगा, वह स्वर्ग में बन्धेगा; और जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा, वह स्वर्ग में खुलेगा. (मत्ती 16:19)
मत्ती रचित सुसमाचार में हम देखते हैं कि यीशु ने अपने शिष्यों को “बाँधने और खोलने” की सामर्थ्य और अधिकार दिया.
व्यक्तिगत प्रार्थना की सामर्थ
प्रभु यीशु मसीह पतरस से कह रहे हैं, मैं तुम्हें स्वर्ग राज्य की कुंजियाँ प्रदान करूँगा. जो कुछ तू पृथ्वी पर बांधेगा वह स्वर्ग में भी बंधा रहेगा.
और जो कुछ पृथ्वी पर खोलेगा वह स्वर्ग में खुला रहेगा. एक अनुवाद में लिखा है
I will give you the keys (authority) of the kingdom of heaven; and whatever you bind [forbid, declare to be improper and unlawful] on earth will have [already] been bound in heaven, and whatever you loose [permit, declare lawful] on earth will have [already] been loosed in heaven.” (Amplified Bible)
अर्थात मैं तुम्हें वो अधिकार दूंगा जिससे जो कुछ तुम इस पृथ्वी पर बाँधोगे वह पहले से ही बंधा हुआ है और जो कुछ तुम खोलोगे या अनुमति दोगे वह पहले से खुला हुआ है.
यहाँ प्रभु यीशु ने पतरस से व्यक्तिगत रूप से कहा था, लेकिन यही अधिकार प्रभु ने दो अध्याय के बाद मत्ती रचित सुसमाचार 18:18-20 में अपने सभी चेलों को देते हुए कहा,
मैं तुम लोगों से कहता हूँ यदि जो कुछ तुम पृथ्वी पर बान्धोगे, वह स्वर्ग में बन्धेगा और जो कुछ तुम पृथ्वी पर खोलोगे, वह स्वर्ग में खुलेगा. फिर मैं तुम से कहता हूं,
यदि तुम में से दो जन पृथ्वी पर किसी बात के लिये जिसे वे मांगें, एक मन के हों, तो वह मेरे पिता की ओर से स्वर्ग में है उन के लिये हो जाएगी.
सामूहिक प्रार्थना की सामर्थ
अर्थात आज यह अधिकार हर एक विश्वासी का है कि वह कुछ भी बाँध सकता है या खोल सकता है. विश्वासी के पास यह अधिकार है कि वह कदम बढ़ाए और पहल करे.
दो या तीन लोग मिलकर एक मन होकर कुछ भी बांधेगे मतलब निर्णय लेंगे और उस पर कदम बढ़ा देंगे तो अवश्य वो काम सफल हो जाएगा.
हम परमेश्वर की सन्तान हैं और परमेश्वर ने हमें अनदेखे वस्तुओं को आदेश देने का भी अधिकार दिया है.
अर्थात यदि हम अपनी परिस्थिति को नियंत्रण करना चाहते हैं तो हमें अपनी उसी प्रार्थना की सामर्थ को इस्तेमाल करना होगा.
और जो कुछ भी हम प्रार्थना में विश्वास से मांगे वह सब कुछ हमें मिल जाएगा बशर्ते वह बाइबिल के नियम के अनुसार हो.
क्योंकि बाइबल का वचन एक बीज के समान है वह जब कहीं पड़ता है तो अवश्य है कि वह उगेगा और फल भी लाएगा.
नीतिवचन 6:2 हमें बताता है मनुष्य अपने मुंह के शब्दों से बंधा होता है…यदि हम विश्वासी होकर भी कहते हैं वो नहीं हो सकता…या मैं यह नहीं कर पाउंगा तो वैसा ही हमारे साथ होगा.
लेकिन यदि हम कहें मैं प्रभु यीशु के नाम से जो मुझे सामर्थ देता है सब कुछ कर सकता हूँ तो वह बंधने लगता है और वह काम सरलता से होने भी लगता है.
विश्वास के साथ साथ हमें काम भी करना है योजना बनाना है प्रभु उन योजनाओं को सिद्ध करेगा. क्योंकि योजनाएं मनुष्य बनाता है लेकिन उसे सिद्ध परमेश्वर करता है.
कहने का तात्पर्य यह है कुछ भी होगा तभी जब आप उसे पूरे विश्वास से और लगन से करने का प्रयास करेंगे.
यदि मनुष्य अपनी इस बाँधने और खोलने की मतलब आत्मिक रीती से पहल करने के शक्ति को पहचान ले और यह समझ ले कि जो वे बनना चाहते हैं बन सकते हैं,
और जो करना चाहें कर सकते हैं तो इससे जीवन में एक महान क्रान्ति आ जाएगी. वे अपने अधिंकाश दोषों और कष्टों से बच जाएंगे और जीवन की ऊंचाइयों पर पहुँच जाएंगे.
Conclusion
परमेश्वर पर विश्वास और आत्म विश्वास रखें मतलब जो कार्य आपको करना उसे देखकर घबराए नहीं. न ही उसे अति कठिन समझकर अधूरा छोड़ें.
आप उस कार्य के प्रति मन में आस्था और विश्वास बनाए रखें और पहल करें तो आप देखेंगे जो कुछ आपने बाँधा वह बन्ध गया है. और आप वह सब कुछ हासिल कर सकते हैं जो आप चाहते हैं.
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