दोस्तों आज हम सुनेगे Sermon on Choosing Life and Blessing परमेश्वर चाहते हैं की आप जीवन और आशीष ही चुनो जिससे हम और हमारे वंश दोनों जीवित रहें.
Sermon on Choosing Life and Blessing | जीवन और आशीष ही चुनो
मैं आज आकाश और पृथ्वी दोनों को तुम्हारे साम्हने इस बात की साक्षी बनाता हूं, कि मैं ने जीवन और मरण, आशीष और शाप को तुम्हारे आगे रखा है; इसलिये तू जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहें. (व्यवस्था 30:19)
1. Introduction | प्रस्तावना
जीवन में चुनाव का बड़ा महत्व है, हमें अपने जीवन के दिनचर्या में चुनाव करना पड़ता है. आज हम जो कुछ भी हैं वो हमारे बीते कल लिए हुए निर्णय या चुनाव का ही नतीजा है.
हमारा चुनाव से हमारे जीवन में दृढ़ता और मजबूती प्रदान करता है. जो हमारे चरित्र निर्माण में भी सहायता करता है. हमारे चुनाव से ही यह पता चलता है कि हमारी सोच कैसी है और हम किस बात पर स्थिर रहते हैं.
और हमारा चुनाव हमारे इर्द गिर्द हमारे परिवार रिश्तेदार और समाज को भी प्रभावित करता है. फिर चाहे वो नकारात्मक हो या सकारात्मक.
व्यवस्थाविवरण 30:19-20 में परमेश्वर अपने लोगों को आशीष और जीवन का चुनाव करने का निर्देश देते हैं. ताकि ऐसा चुनाव करके उसके लोग एवं आने वाली पीढ़ी आशीषित रहे और अनंत जीवन को प्राप्त करे.
बाइबिल में हम एक परिवार को देखते हैं जिसे परमेश्वर के अपने हाथों से बनाया था अर्थात आदम और हव्वा का परिवार ये दोनों जब तक परमेश्वर के दिए निर्देश में चल रहे थे तब तक अदन की वाटिका की तमाम आशीषों को प्राप्त कर रहे थे.
लेकिन जैसे ही उन्होंने शैतान की बातों को सुनने और उस पर चलने का चुनाव किया तभी उन पर शाप आ पड़ा और उन्हें अदन की वाटिका से निकलना पड़ा.
उसी प्रकार नए नियम में एक उदाहरण है जिसे हम उड़ाऊ पुत्र कहते हैं जब वह अपने जीवन में अपनी ही मर्जी से जीने का चुनाव किया.
तो उसने अपने परिवार को पिता को दुखी करके सारा धन लेकर चला गया और बाद में परिणामस्वरूप दुःख कंगाली और भूख का सामना करना पड़ा.
लेकिन जब उसने अपने पिता को और उसकी आशीषों को याद करके वापस पिता के पास आने का चुनाव किया तब पिता की तमाम आशीषों को फिर से प्राप्त किया.
आज हम क्या चुनाव करते हैं ? परमेश्वर का वचन हमसे स्पष्ट कहता है सही चुनाव करने के लिए हमें परमेश्वर की आवाज को सुनना है. बाइबिल परमेश्वर की लिखित आवाज है.
हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना; अपने हृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना, क्योंकि ऐसा करने से तेरी आयु बढ़ेगी, और तू अधिक कुशल से रहेगा. कृपा और सच्चाई तुझ से अलग न होने पाएं;
वरन उन को अपने गले का हार बनाना, और अपनी हृदय रूपी पटिया पर लिखना. और तू परमेश्वर और मनुष्य दोनों का अनुग्रह पाएगा, तू अति बुद्धिमान होगा. (नीतिवचन 3:1-4)
जो परमेश्वर के आदेशों और निर्देशों का पालन करते हैं वे अपने जीवन में उत्तम चुनाव कर पाते हैं.
साधारणत: अपने प्रिय लोगों का डर और यह हिचकिचाहट कि लोग क्या कहेंगे ऐसा सोचकर लोग अनेक बार सही चुनाव करने में देरी करते रहते हैं. और कई बार यह देरी बहुत ज्यादा देरी में बदल जाती है.
यदि हम जीवन और आशीष का चुनाव करते हैं तो इसका प्रतिफल हम इस जीवन में और आने वाले जीवन में अर्थात अनंत जीवन में भी प्राप्त करते हैं.
जीवन का चुनाव करने में हमारा शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य निहित है. जीवन और आशीष का चुनाव हमें संवृद्धि और सफलता की ओर लेकर जाता है, जिसमें हमारी आर्थिक, हमारा भविष्य, एवं व्यक्तिगत सफलता शामिल है.
जिससे हम अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर आनन्द से भर जाते हैं.
Conclusion
Choosing life and blessing is fully our choice परमेश्वर हमारे जीवन में कोई भी बात थोपता नहीं या विवश नहीं करता वरन चुनाव देता है. और निर्देश देता है कि उसकी मर्जी है हमारे लिए कि हम जीवन और आशीष को ही चुनें. ताकि हमारे इस चुनाव के कारण न केवल हमारा जीवन बल्कि हमारी पीढ़ी और परिवार का जीवन भी आशीष पाए.
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