दोस्तों आज मैं आपको तीन मजेदार कहानी सुनाऊंगा यह कहानी ज्ञान के लिए है तो आइये सुनते हैं प्रेरणा दायक कहानी छोटी सी | Prernadayak kahani
विद्यार्थी के लिए प्रेरणादायक कहानी | Prernadayak kahani
#1- कहानी बुद्धिमान पुत्र
क्योंकि बुद्धि की प्राप्ति चान्दी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है. (नीतिवचन 3:14)
एक बुजुर्ग पिता के तीन जवान बेटे थे. जब उस पिता को लगा कि अब उसका अंतिम समय आ गया है तो वह अपने मरने से पहले अपने तीनों बेटों को अपनी सम्पत्ति में से बांटना चाहता था.
लेकिन उसका पुस्तैनी घर अर्थात उसके पूर्वजों की धरोहर पुराना घर वह उस बेटे को देना चाहता था जो बहुत बुद्धिमान हो.
इसलिए उसने तीनो को बुलवाकर तीनो को एक एक हजार रूपये देकर कहा, यदि तुम तीनों में से इसी एक हजार रुपये से अपने अपने खाली कमरों को पूरी रीती से भर दो.
जो भी अपने रूम को पूरी रीती से भर देगा उसे यह पुस्तैनी घर दे दिया जाएगा. ऐसा करने के लिए उन्हें केवल एक घंटे दिए गए थे.
तीनो बेटे अपने अपने कमरे में जाकर सोचने लगे फिर बड़े बेटे ने बाहर जाकर एक कचरे वाली गाड़ी को एक हजार रुपये दिए और उस गाड़ी से आस पास के तमाम पेड़ों की पत्तियों से कमरा भरने लगा.
वह अपना कमरा आधा ही भर पाया था कि एक घंटा पूरा बीत गया. और वह रुक गया.
मंझला अर्थात दूसरे नम्बर का बेटा भी इसी प्रकार अपने रूम को बाहर की मिटटी और रेत से भरने लगा बड़ी मेहनत करने के बाद वह एक चौथाई कमरा ही मिटटी से भर पाया था और थक गया और समय भी पूरा हो गया था.
बुजुर्ग पिता यह सब बड़े गौर से देख रहा था लेकिन उसने देखा कि छोटा बेटा तो अपने कमरे से बाहर ही नहीं आया वह कुछ भी नहीं कर रहा था
इस पर बड़े भाई और बीच वाले भाई के साथ पिता जी सबसे छोटे बेटे के कमरे के दरवाजे को खटखटाए तो क्या देखा उस कमरे के बीचों बीच वो छोटे बेटे ने एक मोमबत्ती जला रखी थी. जिससे पूरे कमरे में रौशनी थी.
तब छोटे बेटे ने कहा पिताजी क्या इस कमरे में कोई भी ऐसा कोना है जो रौशनी से भरा न हो. पिता को अपने छोटे बेटे की बुद्धिमानी देखकर बड़ा गर्व हुआ और ख़ुशी हुई और उसने वह पुश्तैनी मकान उसी के नाम कर दिया.
कहानी से शिक्षा :- जो बुद्धि को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिये वह जीवन का वृक्ष बनती है; और जो उस को पकड़े रहते हैं, वह धन्य हैं. (नीतिवचन 3:18)
#2- पवित्रता | सफलता की प्रेरक कहानी
जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से. (भजन संहिता 119:9)
शर्दियों के समय एक परमेश्वर का दास अपने परिवार के साथ बैठ कर आग ताप रहा था और उसी पिता के साथ पूरा परिवार भी बाइबल पढ़ रहा था.
बीच बीच में पिता जी एक कोयले की टोकरी से कोयला निकाल कर सिगड़ी (अंगेठी) में डाल रहे थे ताकि अंगेठी की आग लगातार जलती रहे.
तभी बीच में उनके एक पुत्र ने पूछा पिताजी हम रोज बाइबिल क्यों पढ़ते हैं. इसे पढने से क्या फायदा होता है. मैं तो रोज पढता हूँ लेकिन मुझे तो कुछ भी फायदा नजर नहीं आता.
तब पिता जी ने कोयले की टोकनी को खाली करके बेटे को देते हुए बोले बेटा क्या जल्दी से जाकर सामने नदी से इसमें पानी ला सकते हो.
बेटा थोड़ा सोचा टोकरी में पानी कैसे लाया जा सकता है. लेकिन पिता जी का आदेश था इसलिए वह दौड़ा और जाकर टोकरी में पानी भरा और लाने लगा लेकिन उसमें तो कुछ भी पानी नहीं आया.
पिता ने फिर से कहा जाओ और एक बार और कोशिश करो. बेटे ने वैसा ही किया लेकिन इस बार भी कोई फायदा नहीं हुआ. पिता जी ने कई बार ऐसा करवाया.
आखिर बेटा झल्लाकर बोल उठा पिता जी आप जानते हो टोकरी में पानी नहीं भरा जा सकता तो आप मुझसे यह काम क्यों करवा रहे हो जिसका कोई भी फायदा नहीं है.
तब पिताजी ने कहा कौन कहता है यह काम बिना फायदे का है. जरा इस कोयले की टोकनी को ध्यान से देखो. बार बार पानी में डालने के कारण वह अब काली नहीं थी बल्कि बिलकुल साफ़ हो चुकी थी.
अब बेटे को सबकुछ समझ आ रहा था. पिताजी ने कहा बेटे इसी प्रकार जब हम बार बार पवित्र शास्त्र परमेश्वर का वचन पढ़ते हैं तो यह हमारे जीवन को अन्दर से साफ़ करता जाता है और हमारा जीवन परमेश्वर को पसंद आने योग्य बन जाता है.
कहानी की शिक्षा :- हम परमेश्वर का वचन ज्ञान बाइबिल को जानने के लिए नहीं पढ़ते बल्कि बाइबिल के परमेश्वर को जानने के लिए पढ़ते हैं.
#3- समस्याओं का आदान प्रदान | प्रेरक प्रसंग कहानी
तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको. (1 कुरिन्थियों 10:13)
एक जवान लड़का था जो हमेशा कलीसिया (प्रार्थना भवन ) आकर यही प्रार्थना करता था प्रभु परमेश्वर मेरे सारी समस्याओं का समाधान कीजिये.
मेरी यह समस्याएं मेरे सहने के ज्यादा है. मैं इसे सह नहीं पा रहा हूँ. उसे एक रात एक स्वप्न आया उसने देखा कि कोई उससे कह रहा है, इस क्रिसमस के दिन जब मेला लगेगा तब तुम अपनी समस्याओं लेकर वहां जाना
और जो भी तुम्हें ऐसा मिले जिसका समस्याओं का बोझ तुमसे हल्का है या तुमसे कम है उससे तुम अपनी समस्याओं को बदल लेना. वह युवक अब बहुत खुश हो गया और क्रिसमस का इंतजार करने लगा.
उसके गाँव में क्रिसमस का मेला लगा तब उसने देखा बहुत से लोग एक थैला लेकर वहां आये हुए हैं. वह युवक एक बुजुर्ग से मिला और कहा अंकल जी आपी क्या समस्या है
तब वह बुजुर्ग अपना थैला खोलकर एक एक समस्या गिनाने लगा मैं जो करना चाहता था नहीं कर पाया अब मैं बिलकुल बूढ़ा हूँ हाथ पैर कमजोर हैं अब मैं कुछ काम नहीं कर पाता हूँ.
वह बुजुर्ग इस प्रकार कह ही रहा था कि यह जवान युवक उसके सामने से भागा और सोचने लगा इसकी समस्या तो मुझसे बहुत ज्यादा है. वह भागते भागते एक धनी व्यक्ति से टकराया जो सूट बूट पहने हुए था.
इस युवक को लगा यह तो बहुत ही धनी व्यक्ति लग रहा है लेकिन पूछने पर पता चला वह धनी व्यक्ति कई वर्षों से एक शारीरिक बीमारी से होकर जा रहा है….
इस प्रकार शाम को जब मेला खत्म हुआ तो उसने देखा सभी लोग अपने ही थैले लेकर वापस चले जा रहे हैं कोई भी किसी दुसरे से अपने समस्या का थैला नहीं बदला.
उस दिन सभी के साथ इस युवक को भी अपनी समस्या कम और हल्की नजर आने लगी.
कहानी से सीख :- परमेश्वर का दास अय्यूब कहता है मनुष्य जो स्त्री से उत्पन्न हुआ है दुःख से भरा और थोड़े समय का होता है. जब तक जीवन है हमें समस्याओं से और तकलीफ से होकर गुजरना ही पड़ेगा इसलिए सकारात्मक सोच रखते हुए समस्याओं का सामना करें.
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