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तीन प्रेरणादायक आत्मिक कहानियां | Top three amazing short stories in hindi

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दोस्तों आज हम पढेंगे प्रेरणादायक कहानी लोगों हमें न केवल प्रोत्साहित करती हैं बल्कि जीने के लिए मार्ग भी दिखाती हैं. प्रेरणादायक आत्मिक कहानियां, शोर्ट स्टोरी इन हिंदी, छोटी कहानी अपने आप में बहुत गहरी होती हैं, और short stories जीवन में बहुत कुछ सिखाती हैं

सीधा मार्ग | प्रेरणादायक कहानी

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तू अपनी समझ का सहारा न लेना पर संपूर्ण मन से यहोवा परमेश्वर पर भरोषा रखना, उसी को स्मरण करके सब काम करना तब वह तेरे लिए सीधा मार्ग निकलेगा ( नितिवचन 3:5)

एक बुजुर्ग माता जो खिलौने बेच कर अपना जीवन यापन किया करती थी। वो रोज खिलौने का टोकरा लेती और एक छोटा सा चिड़िया का पंख भी लेती और खिलौने बेचने चल पडती। 

जहाँ कही भी दो रस्ते आते या चौराहा आता तो यह जानने के लिए की आज किस रस्ते में जाना है किस गाँव जाना है वह छोटा पंख निकालती और उसे ऊपर हवा में उछालती, पंख जिस ओर गिरता उसी ओर वह अपना सामान लेकर बेचने चल दिया करती। 

 इसी रीति से वो पंख के गिरने को ऊपर वाले की मर्जी मानकर अपना रास्ता तय किया करती थी।  परन्तु एक दिन वह बहुत देर से पंख को ऊपर फेक रही थी और बड़ी ही परेशान सी दिख रही थी. वो बार बार पंख उठाती कुछ मन ही मन में बडबडाती और फिर पंख को हवा में उछालती परन्तु आगे नहीं बढती…

यह सब दूर से एक आदमी देख रहा था।  जो इस बुजुर्ग माता के विषय में जानता था वह उस बुजुर्ग महिला से पास आकर कहा, माता जी क्या कर रही हो…मैं बहुत देर से देख रहा हूँ आप आगे नहीं बढ़ रही हैं मैं कुछ मदद कर सकता हूँ क्या? उस बुजुर्ग महिला का जवाब बड़ा ही रोचक था उसने कहा, “बेटा देख न मैं जाना तो बाँई ओर चाहती हूँ पर यह पंख है कि बार बार मुझे दांई ओर बता रहा है…..

”बहुत बार हम भी अपने मन में ठान लेते हैं कि हमें यही चीज चाहिए और फिर परमेश्वर के पास उपवास और प्रार्थना में जाकर बार बार कहते हैं कि प्रभु हमें चाहिए तो यही चीज पर आपकी मर्जी पूरी हो…आपकी इच्छा पूरी हो…

लालच का मटका | प्रेरणादायक छोटी कहानी

सब लालचियों की चाल ऐसी ही होती है, उनका प्राण लालच ही के कारण नाश हो जाता है। (नीतिवचन 1:19)

रामनगर नामक गाँव में एक बन्दर था। जिसने पूरे गाँव में हाहाकार मचा के रखा था। कभी किसी के घर में से रोटी उठा के ले जाता तो कभी लोगों के मटके फोड़ देता। कभी कभी तो फलों के बगान में घुस कर कच्चे फलों को तोड़ता और नुकशान पहुंचाता था।

 गाँव के लगभग सभी लोग उससे तंग आ चुके थे। कई बार उसे मारने की योजना बनाई गयी परन्तु वो बन्दर इतना चालाक था, कि हर बार बच निकलता।   गाँव के आधे लोग तो कहते थे उसे मार डालते हैं। लेकिन गाँव के पंचायत ने निर्णय लिया कि जो भी हो…बन्दर को मारेंगे नहीं वरन उसे जीवित ही पकड़ कर नदी के पार जंगल में छोड़ देंगे।

परन्तु सवाल वहीं का वहीँ था कि बंदर को पकड़ेंगे कैसे। तब गाँव के एक बुजुर्ग व्यक्ति ने एक उपाय सोचा जिससे बन्दर भी पकड़ा जाए और बन्दर को कोई नुक्सान भी न हो। और उसने पत्थर का एक बड़ा और भारी मटका बनवाया जिसका मुंह बहुत छोटा था और उस मटके को आधे से ज्यादा मूंगफली से भर दिया।

मूंगफली की भीनी भीनी खुशबू से बंदर खिंचा चला आया और जल्दी से उसने अपना हाथ उस मटके में डाल दिया।अपने बड़े पंजे से उसने अपनी मुट्ठी में ढेर सारी मूंगफली पकड़ ली। लेकिन जैसे ही बन्दर ने अपनी मुट्ठी निकालनी चाही।

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तो मटके के मुंह छोटा होंने के कारण वह उससे नहीं निकाल पाया। बन्दर खूब जोर लगाने लगा, उसके हाथ में दर्द हो रहा था वो चिल्ला भी रहा था परन्तु उसका हाथ उस मटके से बाहर नहीं आ रहा था। मटका इतना भारी था कि वो इसे लेकर भाग भी नहीं सकता था।

ऐसे समय में उसके पास दो चुनाव थे एक या तो वह मूंगफली का लालच छोड़ दे और मुट्टी खोलकर, हाथ निकालकर आजाद होकर भाग जाए। या फिर मूंगफली मिलने की आस में मुट्ठी बिना खोले निकालने की कोशिश करता रहे…आप क्या सोचते है उसने क्या किया होगा? …     

बिलकुल आपने सही सोचा उसके लालच ने ही उसे पकड़वा दिया और उसे अपने प्राणों से हाथ धोने पड़े।

हीरे जवाहरातों का खेत | प्रेरणादायक कहानी इन हिंदी

परमेश्वर के वचन तो सोने से और बहुत कुंदन से भी बढ़कर मनोहर है (भजनसंहिता 19:10)

एक किसान था जो। उसके पास स्वयं की जमीन नहीं थी इसलिए वह लोगों की जमीन में अधिया में खेती किया करता था। कई बार वह दूसरों के खेती में मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का भरण पोषण किया करता था। उस गाँव का जमीदार जिसके पास यह किसान मजदूरी किया करता था, वह बहुत ही धनी था उसके पास बहुत जमीन थी जो लोगों से लूटलूट कर उसने एकत्र कर रखी थी।


           एक दिन जमींदार से इस किसान ने अपनी मन की बात बताते हुए कहा, कि मैं भी एक छोटी सी जमीन खरीदना चाहता हूँ, जिस पर मनचाही फसल लगाकर और खूब मेहनत करके अपने परिवार को सुखी देखना चाहता हूँ। इस बात पर जमीदार जोर से ठहाका लगाया…

और बनावटी मुस्कुराहट के साथ बोला, मेरे पास एक जमीन है क्या तुम उसका मूल्य दे पाओगे। गरीब किसान ने कहा कितना मूल्य होगा सरकार। जमीदार ने कहा पूरे दो लाख हैं तुम्हारे पास। गरीब किसान ने कहा इतने पैसे कहाँ से लाऊंगा सरकार। जमींदार ने कहा देख लो!! यह कीमत केवल तुम्हारे लिए है और कोई होता तो मैं उससे पांच लाख लेता। 

गरीब किसान ने थोड़ी मोहलत मांगी और भाग कर घर आया और अपनी पत्नी को बताने लगा कि यदि हमारे पास दो लाख रूपये हों जाएं तो हम भी एक जमीन के मालिक बन सकते हैं हमारे भी सपने पूरे हो सकते हैं। उसकी पत्नी जो अपने पति प्यार करती थी और उस पर पूरा विश्वास करती, जल्द ही अपने सारे गहने और थोड़ी जमा पूंजी निकाल कर पति के हाथों में रखते हुए बोली।

देख लो यदि इससे कुछ होता है तो…उसने अपने घर के कई समान बेच दिया अपने बच्चे की छोटी साइकल और खिलौने भी बेच कर कैसे भी दो लाख कर के जमीदार के पास पहुंचा। और बड़े उत्साह के साथ बोला मालिक ये लो पैसे क्या वो जमीन मैं देख सकता हूँ जो अब मेरी होगी…जमीदार ने कागजाद तैयार करके उसे दे दिए और कहा हाँ देख लो वो नदी के किनारे वाली जमीन तुम्हारी हुई।

गरीब किसान दौड़ता हुआ अपनी जमीन देखने पहुंचा जमीन देखते जी वो अपने सर पर हाथ रखकर बैठ गया। जैसे कोई सदमा सा उसे लग गया और जोर जोर से रोने लगा क्योंकि वो जमीन पथरीली थी चारों ओर कंकरों पत्थरों से भरी वो जमीन थी…उसमें खेती नहीं की जा सकती थी…

किसान यह सोच सोचकर रो रहा था अब पत्नी और बच्चे को क्या मुंह दिखाऊंगा? तभी उसके कुछ पुराने मित्र वहां से निकले और उन्होंने उसे रोता देखा और पूछा क्यों रो रहा है। उसने सारा हाल कह सुनाया तब एक व्यक्ति ने अपने हाथ में कुछ कंकर उठाया और वे आपस में बातें करने लगे…

उन्होंने उसे बताया कि अनजाने में जमींदार ने जो जमीन तुम्हें बेच दी है वो बहुमूल्य कीमती पत्थरों से भरी पड़ी है हम यह बात इसलिए जानते हैं क्योंकि हम जौहरी हैं। उसे लगा वो लोग झूठ बोल रहे हैं परन्तु जब उन्होंने उसे यकीन दिलाया और उनके साथ कुछ ही दिनों में यह गरीब किसान ने उन पत्थरों को तरासना और पहचानना सीख लिया और उस शहर का सबसे धनी व्यक्ति बन गया। 

परमेश्वर का वचन भी ऐसा ही है एक बार हम उसे पहचान कर उसपर चलना सीख लें तो हम भी आत्मिक धनवान हो सकते हैं।

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