दोस्तों आज हम एक अद्भुत विषय पर चर्चा करेंगे वो है आत्मिक उन्नति के 12 रहस्य | Bible verses on spiritual prosperity तो आइये शुरू करते हैं.
आत्मिक उन्नति के 12 रहस्य | Bible verses on spiritual prosperity
आत्मिक उन्नति अपने आप स्वत: ही नहीं होती. परमेश्वर ने हमें चुना है लेकिन आत्मिक उन्नति के लिए हमें स्वयं लगातार प्रयत्न करना होगा. जिसे हम निम्नलिखित रूप से देख सकते हैं.
1. बलिदान या त्याग करें
अत: हे भाइयों और बहिनों, मैं परमेश्वर की दया के नाम पर अनुरोध करता हूँ कि आप जीवित, पवित्र तथा परमेश्वर को भाने योग्य बलिदान के रूप में अपने को परमेश्वर के प्रति अर्पित करें. यही आपकी आत्मिक सेवा है. (रोमियो 12:1)
पहली शताब्दी कि कलीसिया में प्रेरितों ने बलिदान किया और सेवा कि. पुराने नियम में दाउद ने कहा था, मैं तुझसे ये वस्तुएं दाम देकर मोल लूंगा क्योंकि मैं अपने परमेश्वर यहोवा को सेंतमेंत (मुफ्त में) बलिदान नहीं चढाऊंगा (1 शमुएल 24:24)
2. परमेश्वर कि आज्ञापालन करें चाहे पसंद हो या नहीं
पुत्र होने पर भी उसने दुःख उठाउठाकर आज्ञा माननी सीखी. (इब्रानियों 5:8)
हम तो अपने परमेश्वर यहोवा ही कि सेवा करेंगे और उसी कि बात मानेंगे. (यहोशू 24:24)
आज्ञापालन बलिदान चढाने से उत्तम है. (1 शमुएल 15:22)
3. परमेश्वर का भय मानें
मैं हमेशा वाही काम करता आया हूँ जिससे वह प्रसन्न होता है (यूहन्ना 8:29)
हनोक ने परमेश्वर को प्रसन्न किया था. (इब्रानियों 11:5)
बिना विश्वास के परमेश्वर को प्रसन्न करना अनहोना है. अत: जो परमेश्वर के निकट पहुंचना चाहता है उसे विश्वास करना आवश्यक है कि परमेश्वर और है और वह उन लोगों को प्रतिफल देता है, जो उसकी खोज में लगे रहते हैं. (इब्रानियों 11:6)
4. अन्यविश्वासियों कि गलतियों को नजरअंदाज करें
जहाँ तक हो सके, तुम भरसक सब मनुष्यों के साथ मेलमिलाप रखो. (रोमी 12:18)
बैर से तो झगड़े उत्पन्न होते हैं परन्तु प्रेम से सब अपराध ढंप जाते हैं (नीतिवचन 10:12)
जो दूसरे के अपराध को ढांप देता है वह प्रेम का खोजी ठहरता है परन्तु जो बात कि चर्चा बार बार करता है वह परम मित्रों में भी फूट करा देता है. (नीतिवचन 17:9)
5.कुछ आधारभूत बातों को प्रतिदिन करें
नित्य प्रतिदिन नियत समय में प्रार्थना के लिए समय निकालें.
बाइबिल का अध्ययन करें कुछ भाग पुराने नियम का और कुछ भाग नया नियम के.
प्रति दिन अपने पापों एवं गलतियों को अंगीकार करें.
आत्माओ को बचाने हेतु प्रयास करें एवं खोज करें. प्रतिदिन पवित्रात्मा से भरें.
6. अन्य विश्वासियों कि उन्नति में सहायता करें
समय को देखते हुए हमें अब वचन के शिक्षक हो जाना चाहिए था. (इब्रा. 5:11-14)
बरनाबस ने और प्रेरितों ने मिलकर संत पौलुस को आत्मिक उन्नति में सहायता की. (प्रेरितों 9:20-29)
संत पौलुस ने तिमुतियुस कि आत्मिक उन्नति में सहायता की. (2 तिमू. 2:2)
7. हर परिस्थिति में परमेश्वर पर भरोषा रखें
अपनी समझ का सहारा न लेना वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना उसी को स्मरण करके सब काम करना तब वह तेरे लिए सीधा मार्ग निकालेगा. (नीतिवचन 3:5-6)
8. परमेश्वर एवं दूसरे लोगों के प्रति सदैव धन्यवादी रहें.
हर बात में धन्वाद करो क्योंकि तुम्हारे लिए मसीह यीशु में परमेश्वर कि यही इच्छा है. (1 थिस. 5:18)
इसलिए भाइयों जो जो बातें सत्य हैं, जो जो बातें आदरणीय हैं, जो जो बातें उचित हैं, जो जो बातें पवित्र हैं और मनभावनी हैं, और सदगुण और प्रसंसा कि बातें हैं. उन पर ध्यान लगाया करें. (फिली. 4:8) यही एक विजयी जीवन का सबसे बड़ा रहस्य है.
9. नम्र बनें
घमंडियों के संग लूट बाँट लेने से दीन लगों के संग नम्र भाव से रहना उत्तम है. (नीतिवचन 16:19)
हे प्रभु मैं इस योग्य नहीं कि टू मेरी छत टेल आये. (मत्ती 8:8)
मैं ऊंचे पर और पवित्र स्थान में निवास करता हूँ और उनके संग भी रहता हूँ. जो खेइत और नम्र है की नम्र लोगो के ह्रदय और खेदित लोगों के मन को हर्षित करूँ. (यशा. 57:15)
धन्य हैं जो मन के दीन हैं क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है. (मत्ती 5:3-5)
वह अभिमानियों का विरोध करता है पर दीनो पर अनुग्रह करता है. (याकूब 4:6)
10. दसवांश में विश्वासयोग्य रहें. (मलाकी 3:7-12)
परमेश्वर तुम्हें आशीष देगा
तुम्हारी हानि करने वाले (शैतान) को डांटेगा
लोग तुम्हें देखकर जानेंगे कि परमेश्वर ने तुम्हें आशीषित किया हैं.
जी नाप से तुम नापते हो उसी नाप से तुम्हारे लिए भी नापा जाएगा. (लूका 6:38)
परमेश्वर की भेंट पर तीन अद्भुत कहानियां
11. जितना जल्दी हो सके बप्तिस्मा लें
बप्तिस्मा की पूरी शिक्षा के लिए इस लिंक की सहायता से पढ़ें.
बप्तिस्मा एक विश्वासी ही ले सकता है, इस मनसा से की वह प्रभु के प्रति आज्ञाकारी रहेगा. (मत्ती 28:18-20) बप्तिस्मा स्थानीय कलीसिया के द्वारा पानी में डूब का ही लेना चाहिए.
12. आत्माओं को बचाने हेतु सेवा में सहभागी हों.
आत्मा बचाने हेतु अर्थात सेवकाई का कार्य करने हेतु किसी भी अवसर को जाने न दो. बाइबिल कहती है कसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया जिसके द्वारा हम उद्धार पा सकें. (प्रेरित 4:12)
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आप अपना दसवांश या सेवा हेतु भेंट इस बार कोड के जरिये प्रदान कर सकते हैं प्रभु आपको सुसमाचार प्रचार हेतु सहायता के लिए बहुत आशीष दे.
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