दोस्तों आज हम सीखेंगे कि कैसे टूटे हुए रिश्ते को जोड़ेंगी ये 7 बातें | aaj ka vachan bible और सीखें कैसे टूटे रिश्तों को जोड़ा जा सकता है.
टूटे हुए रिश्ते को जोड़ेंगी ये 7 बातें | aaj ka vachan bible

बाइबिल में विवाह को सब बातों में आदर के योग्य कहा गया है अर्थात यह एक पवित्र बंधन होता है. लेकिन यदि किसी कारण इस रिश्ते में दरार आ जाए,
या मतभेद या गलतफहमी के कारण दूरियां आ जाएं तो इसे पवित्रशास्त्र के नियमों के द्वारा फिर से जोड़ा जा सकता है.
परमेश्वर को अपने परिवार का केंद्र बनाएं (सभो. 4:12)
लिखा है जो डोरी तीन धागे से बटी होती है वह जल्दी नहीं टूटती (सभो. 4:12)
यहाँ पति पत्नी और परमेश्वर होना जरुरी है. बहुत से पारिवारिक मसले समझ से परे होते हैं लेकिन जब हम परमेश्वर को अपने परिवार की बातों में हस्तक्षेप करने देते हैं तो परिणाम बेहतर होते हैं.
क्योंकि घर को यदि यहोवा न बनाएं तो बनाने वाले का परिश्रम व्यर्थ होता है. (भजन 127:1)
क्षमा करना सीखें (मत्ती 6:14)
यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा करोगे तो, तुम्हारा स्वर्गीय पिता तुम्हारे अपराधों को क्षमा करेगें. बहुत बार हम बहुत से बाहरी लोगों के अपराधों को क्षमा कर देते हैं लेकिन अपने ही परिवार के लोगों को क्षमा नहीं कर पाते.
सच्ची घटना : कुछ समय पहले मैं उत्तराखंड के हल्द्वानी क्षेत्र में सेवा करने गया था वहां, मैं एक बुजुर्ग अंकल से मिला, वे लगभग 80 वर्ष के होंगे, अपनी बहुत आलिशान हवेली के बाहर एक छोटी से कुटिया में बड़े उदास रह रहे थे.
पूछने पर उन्होंने बताया बहुत वर्षों से मेरी अपनी पत्नी से बात नहीं होती, वो हवेली में रहती है और मैं यहीं इस छोटे मकान में रहता हूँ.
मैंने ज्यादा जानने की कोशिश नहीं की कि ऐसा क्यों हुआ लेकिन मैंने जैसे ही तपाक से कहा, अंकल आप समझदार हो अपनी पत्नी को माफ़ कर दो चाहे जो हुआ हो….
इतना सुनते ही उनकी आँखें भर आई. गला भर गया कुछ भी बोल नहीं पा रहे थे.
बहुत बार हम दूसरों को माफ़ करके स्वयं को आजाद कर देते हैं.
सुनने की कला सीखें (याकूब 1:19)
हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो.
समय के साथ साथ मुझे भी लगता है सुनना एक कला है, क्योंकि हर कोई सुनाना चाहता है कोई भी ध्यान से सुनता नहीं. ज्यादातर रिश्ते इसलिए बिगड़ते हैं.
कि वे एक दुसरे की सुनते नहीं. स्त्री कहती है मेरा husband (पति) मेरी नहीं सुनता बाकी सभी की सुनता है अपने दोस्तों की मित्रों की…
इसी प्रकार पुरुष कहते हैं मेरी पत्नी अपनी माँ और बाप की सुनती है अपने पीहर वालों की सुनती है लेकिन मेरी नहीं सुनती.
और वो गुस्सा फिर बहुत सी दूसरी बातों में निकलना शुरू हो जाता है. पति पत्नी को चाहिए कि वे आपस में एक दुसरे की सुनें.
और दोनों आपस में मिलकर परमेश्वर से भी सुनें. और इस प्रकार अपने परिवार के भविष्य के लिए बेहतर निर्णय लें.
नियमित रूप से पारिवारिक प्रार्थना करें (कुलु. 4:2)
प्रार्थना में लगे रहो, और धन्यवाद के साथ उस में जागृत रहो.
किसी ने बहुत खूब कहा है, एक परिवार जो मिलकर प्रार्थना करता है मिलकर रहता और आगे बढ़ता है.
बाइबिल कहती है धर्मी जन के तम्बू से (घर) से जयजयकार की ध्वनी सुनाई देगी. यदि हमें समझ में आता है परिवार में कुछ अनबन हो रही है उस विषय के लिए बातें करें
और यदि बात नहीं हो पा रही है तो उस विषय को परमेश्वर के चरणों में रखें. मतलब उस विषय के लिए उपवास के साथ प्रार्थना करें. जरुर उपाय निकलेगा.
एक दूसरे के प्रति प्रेम और आदर बनाए रखें (इफिसियों 5:22,25)
हे पत्नियों अपने अपने पति के अधीन रहो, हे पतियों अपनी पत्नियों से प्रेम रखो. आपस की बातों में भी आदर होना चाहिए.
बहुत बार समय के साथ साथ शिष्टाचार चला जाता है और एक दूसरे की कमजोरियों को जानकार गिराकर या हमेशा तुनकमिजाज के साथ बातचीत होने लगती है
तो ऐसे में रिस्तो में खटास या दूरियां बढ़ने लगती हैं. कभी भी पति पत्नी दूसरों के सामने और आपस में तुच्छ या हीन दिखाकर बातें नहीं करना चाहिए.
बल्कि जितना हो सकते एक दुसरे को आदर के साथ बातें करें. पत्नी की तारीफ़ करें और पत्नी भी पति की रोज तारीफ़ करें. उनके भोजन को लेकर या वस्त्रों को लेकर तारीफ़ अवश्य करें.
अंहकार को दूर करें (नीति. 16:18)
विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है.
हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहाँ कोई किसी के सामने झुकना अपनी तौहीन समझता है. इसलिए रिश्ते टूट जाते हैं लेकिन उनका घमंड नहीं टूटता.
दोस्त यार भी ऐसी सलाह देते हैं, यार कैसे मर्द हो अपनी पत्नी के गुलाम जैसे हो उसी की बात मानते हो. देखो परिवार के राजा और रानी पति और पत्नी ही होते हैं.
इसलिए आपस में एक दुसरे की बात सुने दूसरों की नहीं आपको अपने सम्बद्ध मजबूत करना है, तो कुछ बातों में कभी कभी अपना घमंड छोड़कर सॉरी बोलना चाहिए.
आज Sorry की स्पेलिंग सभी को आती है लेकिन sorry बोलना किसी को नहीं आता.
पुरानी बातों को बार-बार न दोहराएं. (यिर्म. 31:34)
परमेश्वर भी हमसे कहते हैं, कि मैं तुम्हारे पापों को फिर से स्मरण नहीं करूँगा.
जिस प्रकार परमेश्वर हमारे पापों को न केवल क्षमा करते हैं बल्कि भूल भी जाते हैं. उसी प्रकार हमें अपने रिश्तों में भी उनकी कमियों और गलतियों को भूल कर क्षमा करके आगे बढ़ना चाहिए और ख़ुशी ख़ुशी जीवन बिताना चाहिए. आपस में झूठ नहीं बोलना चाहिए और एक दुसरे के प्रति विश्वासयोग्य होना चाहिए. न केवल सामने बल्कि अकेले में भी.
conclusion | निष्कर्ष
एक परिवार की नींव है विश्वास अत: एक दुसरे का विश्वास कभी नहीं तोड़ना चाहिए. और अपने पति या पत्नी को प्रार्थमिकता देना चाहिए. बाइबिल कहती है जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है उसे कोई अलग न करे. (मरकुस 10:9)
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