दोस्तों आज हम निति वचन के लिए कहानियां सुनेंगे यह कहानियां आप नीतिवचन पढ़कर कहीं सुना सकते हैं और एक छोटी सभा में लोगों को प्रेरणा दे सकते हैं. विश्वास करते हैं यह कहानी आपको पसंद आएगी तो आइये शुरू करते हैं
नीति वचन के लिए कहानियां #1 | प्रेमी पिता
"हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा, और अपनी माता की शिक्षा को न तज" (नीतिवचन 1:8)
गाँव के एक परिवार में एक पिता का एकलौता बेटा था. जिससे माता- पिता दोनों बहुत प्यार करते थे. बेटा जैसे जैसे बढ़ता गया, उसकी मित्रता कुछ बुरे लड़को के साथ होने लगी…
पिता उस बेटे को समय समय पर समझाता और हिदायत भी देता…परन्तु उसका कोई भी असर उस बेटे पर नहीं पड़ता था.
दिन प्रतिदिन बेटे की आदतें और स्वभाव बुरी संगती के कारण और भी बिगडती जा रही थी. एक दिन जब बेटे ने अपने स्कूल से आपकी परीक्षा का रिजल्ट लेकर आया जिसमें वो फेल हो गया था.
तो पिता ने गुस्से में आकर एक छड़ी लेकर बेटे की जमकर पिटाई कर दी. बेटा डरा- सहमा रोते हुए कमरे के कोने में बैठा सोच रहा था. कि उससे कोई प्यार नहीं करता….
और यह सोचते हुए उसने घर से भागने का निर्णय ले लिया…तडके सुबह उठकर वह रेलवे स्टेशन पहुँच गया, और गाँव से होकर गुजरती हुई पहली ट्रेन में बैठकर वह एक अनजान मंजिल की ओर चल पड़ा.
एक अनजाने शहर में पहुंचकर वह ट्रेन से उतर गया. और जिन्दगी के थपेड़े और उतार चढाव झेलने लगा. यहाँ घर में पिता और माता का बुरा हाल था….
उन्होंने गाँव के आस पास ऐसी कोई जगह नहीं छोड़ी जहाँ उन्होंने अपने बेटे के विषय में ढूंढा न हो और लोगों से पूछा न हो. लेकिन बेटे का कोई पता नहीं चला.
एक माह के बाद जब माता पिता की तबियत बहुत ही खराब हो गई. तब पिता ने अखबार में एक लेख लिखकर इश्तेहार छपवा दिया….की बेटे तुम जहाँ कहीं भी हो…
यदि तुम यह पढ़ रहे हो तो वापस आ जाओ. तुम्हारी मां तुम्हें याद कर करके बहुत बीमार हो चुकी है…हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं…
इस आशा में कि यदि बेटा इसे पढ़ेगा तो शायद वापस आ जाएगा. और सचमुच उस बेटे ने किसी होटल में सफाई का काम करते हुए अखबार को पढ़ा और अपने माता पिता से मिलने के लिए भावुक हो उठा…
लेकिन तभी उसने सोचा…क्या माता पिता ने सचमुच मुझे माफ़ कर दिया होगा कि नहीं.
इसलिए जानने के लिए उसने पिता को एक चिट्टी लिखी मैं घर आ रहा हूँ…लेकिन यदि आपने मुझे माफ़ कर दिया है तो आप गाँव के रेलवे स्टेशन के पास जो बरगद का पेड़ है उसमें एक सफेद रंग का झंडा लगा देना…
तो मैं समझूंगा कि आपने मुझे माफ़ कर दिया है…यदि नहीं तो मैं उसी ट्रेन से वापस चला जाऊँगा. कुछ दिनों बाद बेटा ट्रेन में बैठकर अपने गाँव वापस जा रहा था.
और सोचते हुए जा रहा था क्या पता पिता ने मुझे माफ़ किया है कि नहीं…जब वह अपने गाँव के रेलवे स्टेशन पहुँचने ही वाला था तो उसने खिड़की से झाँक कर देखा…
तो दंग रह गया. स्टेशन में दोनों ओर जितने भी पेड़ थे सभी पेड़ों में और आस पास सभी जगहों में केवल सफेद रंग के झंडे ही झंडे नजर आ रहे थे…..
उस बरगद के पेड़ में हरे पत्तों से ज्यादा सफेद रंग के झंडो से भरा हुआ था. क्योंकि पिता नहीं चाहता था कि बेटा किसी भी तरह झंडे को बिना देखे वापस न लौट जाए. यह देखकर बेटे के आँखों से पश्चाताप के आंसू निकल पड़े.
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कहानी से शिक्षा : नीतिवचन के लिए कहानी से हम यह शिक्षा पाते हैं जिस प्रकार वो पिता अपने बेटे से बहुत प्यार करता था और उसे किसी भी रीति से खोना नहीं चाहता था. इन नीतिवचन की कहानियां को आप सुसमाचार सुनाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हो.
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उसी प्रकार आज हमारा स्वर्गीय पिता भी हमारे वापस लौटने की बात जोहता है… हम जो अपने ही मार्गों में उससे भटक गए हैं…वो चाहता है अपने बुरे कामों को छोड़कर अपने पिता के प्रेम में वापस आ जाएं….
एक गाँव में एक किसान रहता था उसके पास एक बहुत ही खूबसूरत एक बकरी का बच्चा था. यह किसान जहाँ भी जाता उसके पीछे पीछे यह बकरी का बच्चा (मेमना) भी जाता था.
जो भी किसान खाता वह पहले इस बकरी के बच्चे को खिलाता था. वह उसे अपने बच्चे के समान प्यार करता था. एक दिन किसान घर में खाना बनाने के लिए और ठण्ड में आग तापने के लिए लकड़ी लेने जंगल गया…
पीछे पीछे यह बकरी का बच्चा भी उसके साथ हो लिया. किसान काँधे में कुल्हाड़ी लेकर गीत गुनगुना कर आगे आगे चलता जाता पीछे पीछे मेमना झूमता हुआ और उछलता कूदता चलता जाता था.
जब वे गाँव के बाहर आए तो किसान ने देखा रेल की पटरी जो गाँव के बाहर से होकर जाती है वह नदी के किनारे से टूटी हुई है.
किसान बड़ा परेशान हो गया उसने सोचा यदि यहाँ से ट्रेन आएगी तो अवश्य दुर्घटना हो सकती है और हजारों लोगों की जान भी जा सकती हैं. उसे कुछ सूझ नहीं रहा था.
उसे याद आया यह तो ट्रेन आने का समय है. उसने रेल की पटरी पर कान लगा कर सुना तो समझ में आया ट्रेन की धीमी धीमी आवाज कम्पन के साथ आ रही है.
यदि वो गाँव में लोगों को बताने जाएगा तो देर हो सकती हैं. उसने देखा था रेलवे स्टेशन में जब रेलवे का बाबू लाल झंडी दिखाता है तो ट्रेन रुक जाती है.
उसने सोचा मैंने तो सफेद रंग की शर्ट पहने हुए हूँ…लाल रंग का कपड़ा भी आस पास नहीं दिखाई दे रहा है. तभी ट्रेन दूर से बड़ी तेजी से चली आ रही थी….
ट्रेन के ड्राईवर ने देखा कोई व्यक्ति लाल कपड़ा दिखा कर ट्रेन की ओर दौड़ा चला आ रहा है. ड्राईवर को समझते देर नहीं लगी की जरुर कोई गड़बड़ है और उसने धीमे से ट्रेन में ब्रेक लगा दी….
और उतर कर उस लाल कपड़ा लिए हुए व्यक्ति के पास आया तब तक बाकी कुछ लोग भी ट्रेन से उतर आए और देखा कि आगे ट्रेन की पटरी टूटी हुई है.
सभी लोग उस किसान को धन्यवाद दे रहे थे कुछ ट्रेन में बैठे लोग बडबडा रहे थे लेकिन किसान अपने पुत्र के समान मेमने का खून बहाने के कारण आंसू बहा रहा था.
कहानी से सीख : जिस प्रकार लोगों की जान बचाने के लिए उस किसान ने उस निर्दोष मेमने का लहू बहा दिया उसी प्रकार परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र (यीशु ) को दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वो नाश न हो वरन अनंत जीवन पाए.
दोस्तों यदि आपको नीति वचन के लिए कहानियां पसंद आईं हैं तो आप मुझे कमेन्ट करके अवश्य बताइए ताकि हम इसी प्रकार की नीती वचन के लिए कहानियां अपलोड कर सकें. धन्यवाद
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