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Top amazing lessons from The Prodigal Son Story In Hindi | उड़ाऊ पुत्र की कहानी से हम क्या सीखते हैं

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Prodigal Son Story | उड़ाऊ पुत्र का दृष्टान्त

बाइबिल में Udau putra ki kahani मेरी फेवरेट कहानियों में से एक है. जिसे हम लूका रचित सुसमाचार के 15 अध्याय में पाते हैं. उड़ाऊ पुत्र की कहानी को मैं अपने जीवन से Relate कर पाता हूँ. इसलिए आज मैं इसमें कुछ विस्तार से बातें करना चाहता हूँ.

विश्वास करता हूँ आप इस कहानी और Articles on the prodigal son के जरिये जान पाएंगे कि कैसे एक उड़ाऊ पुत्र ने अपना मन फिराया… तो आइये शुरू करते हैं.

The Prodigal son story in hindi | उड़ाऊ पुत्र की कहानी

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प्रभु यीशु मसीह ने एक द्रष्टान्त में एक कहानी सुनाई, एक बार की बात है, किसी मनुष्य के दो पुत्र थे. छोटा बेटा एक दिन आकर अपने पिता से कहने लगा,

मुझे इस खेती बारी और सम्पत्ति से मेरा हिस्सा (भाग) दे दीजिए. उसके पिता ने उसका भाग उसे दे दिया, उस छोटे बेटे ने अपने भाग की सारी सम्पत्ति लेकर दूर देश चला गया, और वहां कूकर्म में सब कुछ उड़ा दिया.

कुछ ही दिनों में वह कंगाल हो गया और उस देश में अकाल भी पड़ गया. अब इसके पास कोई भी काम नहीं था और खाने के लिए भोजन भी नहीं था. वह लोगों से काम मांगता लेकिन उसे किसी ने कोई काम भी नहीं दिया.

अंत में उसे सूअर चराने का काम मिला. वह भूख के मारे सूअर को दी जाने वाली फल्लियों को ही खाना चाहता था. उस समय वह बड़ा ही निराश होकर बैठ गया.

उस समय वह अपने आपे में आया और सोचने लगा कि मेरे पिता के घर में कितना अच्छा था. वहां नौकर लोग भी बढ़िया भोजन करते थे और उसने विचार किया मैं अपने पिता के घर वापस जाऊँगा और उनसे क्षमा मांगूगा.

और कहूँगा मैं इस योग्य नहीं रहा कि आपका पुत्र कहलाऊं लेकिन मुझे अपना एक मजदूर बना कर रख लीजिए. और इतना कहकर वह उठा और अपने पिता के घर वापस आने लगा.

अभी दूर ही था कि उसके पिता की पथराई आँखों ने उसे पहचान लिया और उसकी ओर दौड़ कर आए और उसे गले लगा लिया… बेटा रो रो कर कह रहा था मैंने आपके विरुद्ध में और परमेश्वर के विरुद्ध में पाप किया है…

मुझे आप एक नौकर या मजदूर के जैसे ही रख लीजिये लेकिन उसके पिता ने उन बातों की ओर ध्यान ही नहीं दिया. बल्कि बड़ी ख़ुशी से उसके लिए नए कपड़े मंगवाए, नए जूते और अंगूठी पहनाई और बड़ी दावत दी और भोज करवाया.

यह सब देखकर उसका दूसरा बड़ा बेटा आया और वह यह सजावट और भोज देखकर घर के भीतर आना भी न चाहा और कहने लगा मैं इस घर में रात दिन काम करता हूँ.

लेकिन मुझे तो एक सूखी बकरी का बच्चा भी नहीं मिला लेकिन यह जो कूकर्म करके आया है इसके लिए इतना कुछ हो रहा है. (लूका 15:11-32)

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उड़ाऊ पुत्र की कहानी से शिक्षा

उड़ाऊ पुत्र इस संसार के लोगों को दिखाता है, जो पिता परमेश्वर के पास से दूर हो गए हैं. और पाप में पड़कर अपना सब कुछ गँवा चुके हैं.

लेकिन सुसमाचार यह है कि वह आपे में आया और अपने घर वापस आने का विचार किया और निर्णय लिया.

हमारे पिता के घर में बहुत सा भंडार है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते. उसने सब कुछ बनाया है.

यदि हम कुछ बर्बाद कर चुके हैं तो पश्चाताप करें और वापस आएं वो हमें माफ़ करने के लिए आज भी तैयार है.

उड़ाऊ पुत्र की दिल की इच्छा क्या थी ? | The prodigal son lesson for youth

उड़ाऊ आज के युवाओं की इच्छा के जैसे ही आनन्द करना चाहता था शायद उसे लगता था परिवार के साथ रहकर वह अपनी इच्छा पूरी नहीं कर सकता और आनन्द नहीं मना सकता.

वह जीवन में शायद सफलता और उन्नति करना चाहता था. और उसे लगा दूसरे देश में जाकर इस पैसे से खूब कमाई करेगा और उन्नति करेगा और कुछ करके दिखाएगा.

उसे लगता होगा कि पैसा मिलने से वह अपने जीवन में सुकून और चैन पा लेगा शायद इसलिए वह अपने देश से भाग कर गया.

शायद उसे लगता था वह सब कुछ अपने आप ही कर सकता है पैसे से उसे सुरक्षा मिल सकती है और वह स्वयं का विकास कर सकता है.

उड़ाऊ पुत्र ने क्या पाया | was the prodigal son saved ?

अपने पिता के घर को छोड़कर उसे मिला लोगों का खोखलापन जब पैसे होते हैं तब अनेक दोस्त मिल जाते हैं.

अपने घर को छोड़कर उसे गरीबी मिली जब उसके लालची मित्रों ने उसका साथ छोड़ा होगा तो उसका दिल टूट गया होगा.

घर जैसा प्यार और अपनापन उसे कहीं नहीं मिल सकता. जब गरीबी आई कंगाली आई तब उसे लज्जा भी सहना पड़ा.

क्योंकि एक यहूदी के लिए सूअरों को चराना बहुत ही लज्जा का काम है.

अपने घर में वह मालिक था लेकिन आज वह एक बहुत ही लज्जित और कंगाल नौकर बन चूका है. हम भी अपने परमेश्वर से दूर होकर कहीं के नहीं रहेंगे.

उड़ाऊ पुत्र ने क्या खोया | udau putra

इस बेहतरीन कहानी मतलब The story of the prodigal son में यह उड़ाऊ पुत्र ने बहुत कुछ खो दिया उसने जीवन में अपनी सुन्दरता खो दिया. जीवन में जवानी एक ही बार मिलती है.

वह एक अच्छे घर और परिवार में रहता था लेकिन जब वह वहां से भागा तो दूसरे स्थान में उसे कोई सम्मान भी नहीं मिला. उसे यहाँ तक कि कोई मजदूरी के लिए भी नहीं रख रहा था.

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अब उसके पास कोई अधिकार नहीं था. उसका आराम, ख़ुशी, स्वास्थ्य और सुरक्षा सब कुछ खो चूका था.

जब वह दूसरे देश में सब कुछ खो चूका तब उसके कोई रिश्तेदार और प्रियजन भी उसके साथ नहीं थे. वो इतना निराश हो चूका था अब उसे अपने भविष्य के लिए कोई आशा नहीं थी.

उड़ाऊ पुत्र कैसा बन गया

udau putra ki kahani में यह बिलकुल अकेला हो छुआ था. वह सूअर को दी जाने वाली फल्ली खाने का अभिलाषी था अत: वह अवश्य बहुत ही दुर्बल और कमजोर हो चूका था. आज हम देखते हैं जो परमेश्वर पिता से दूर हो जाते हैं आत्मिक रूप से वो पतित और अकेले हो जाते हैं और आत्मिक रूप से कमजोर भी हो जाते हैं.

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उड़ाऊ पुत्र के निर्णय में सच्ची बातें

उड़ाऊ पुत्र ने अपने जीवन में जो कुछ भी किया लेकिन उसने पश्चाताप करके एक अच्छा निर्णय लिया. कि वह वापस अपने पिता के घर में जाएगा.

एक व्यक्ति जब अपने आपे में आता है मतलब घमंड और भ्रम के जाल से छूटकर अपनी वास्तविक परिस्थिति को जानता है और जानता है कि वह कहाँ से गिरा है और उसकी सच्ची ख़ुशी आनन्द और सुरक्षा है तव उसे आपे में आना कहते हैं.

उसका इरादा और दिशा बिल्कुल सही हो गई. उसने पूरे समर्पण के साथ और परमेश्वर की भक्ति से साथ निर्णय लिया और कहा, मैंने तेरे और परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया है.

एक पापी व्यक्ति भी बिलकुल इसी रीती से पश्चाताप करके परमेश्वर के पास लौट सकता है. लिखा है यदि तुम्हारे पाप लाल रंग अथवा अर्गवानी रंग के भी क्यों न हों मैं उसे हिम के जैसे श्वेत कर दूंगा. पिता परमेश्वर क्षमा करने वाला परमेश्वर है.

उड़ाऊ पुत्र किन बातों की ओर मुड़ा

prodigal son story में उड़ाऊ पुत्र सबसे पहले तो अपने पिता की ओर मुड़ा, उसे लगा क्षमा माँगना ही एकमात्र ऐसा रास्ता है जिसके द्वारा मैं अपने पिता के घर में वापस जा सकता हूँ.

वह उस भरपूरी और संवृद्धि को पहचान गया जो उसके पिता के घर में भरपूरी से थी. उसे समझ में आया कि असली सुरक्षा अपने पिता के घर में मिल सकती है. वह अपने पुराने दिनों को याद करने लगा.

हालाकि पिता चाहता तो उसे दौलत देता ही नहीं लेकिन पिता ने किस ईमानदारी से उसे अपनी दौलत में से हिस्सा दिया था… वो सब कुछ उसे याद आ रहा होगा इसलिए वह पूरी दृढ़ता के साथ अपने पिता के घर की ओर मुड़ा.

उड़ाऊ पुत्र के पिता के ह्रदय की दशा

prodigal son story in hindi में दूसरी ओर हम पिता के हृदय को देखते हैं वह एक भी दिन खुश नहीं रहा होगा. उसका बेटा उसके ह्रदय का टुकड़ा रहा होगा इसलिए वह उसके वियोग में दुखी था.

वह दिल से चाहता था उसका बेटा वापस आ जाए इसलिए वह बड़े धैर्य से अपने बेटे के वापस आने की बाट जोह रहा था. जब उसने देखा कि दूर से उसका बेटा आ रहा है वह मारे ख़ुशी के दौड़ पड़ा.

उस यहूदी समाज में किसी धनी बुजुर्ग व्यक्ति का दौड़ना अशोभनीय था लेकिन अपने मर्यादा की चिंता न करते हुए उस बुजुर्ग पिता ने अपने बेटे को गले लगाने के लिए दौड़ लगाई.

यह उसके असीम प्रेम को दिखाता है. वह मारे आनन्द से और बड़ी उदारता से अपने बेटे के लिए सब कुछ खर्च कर देना चाहता था. वह गिरते हुए बेटे को उठाता है. उसे बड़े प्यार से चूमता है.

और उसे उसका खोया हुआ अधिकार भी फिर से लौटता है. उसे पूरी रीति से तृप्त करता है. यही है हमारे पिता परमेश्वर का प्रेम.

पिता ने अपने पुत्र को अंगूठी पहनाई इस अंगूठी की विशेषता है कि अंगूठी मेल-मिलाप को दिखाती है और प्रेम का स्मरण चिन्ह है इसी कारण शादी में होने वाले पति और पत्नी आपस में अंगूठी को पहनाते हैं.

जिसका अर्थ यह है कि हम एक दूसरे को स्वीकार करते हैं. और एक दूसरे का आदर करते हैं. जो अंगूठी पहनाता है वह एक प्रकार से अंगीकार कर रहा होता है कि मैं तेरा आदर करूँगा और तेरा ख्याल रखूँगा….

कहानी से सीख :- The prodigal son summary and moral lessons में हम यह कह सकते हैं उड़ाऊ पुत्र के परिवर्तन के पीछे पिता का असीम निष्कपट प्रेम है. उस अयोग्य पुत्र के मन में अवश्य यही विचार था होगा कि मैं कैसा भी क्यों न हूँ लेकिन मेरा पिता प्रेमी पिता है. वो पक्षपात नहीं करता.

मैं यदि वापस जाऊँगा तो वो अवश्य मुझे स्वीकार करेगा और मुझे क्षमा करेगा. आज यदि आप यह कहानी सुन रहे हैं वो पिता परमेश्वर आपसे भी यह चाहता है कि हम आपे में आयें और उसके पास आयें वो हमें भी स्वीकार करने के लिए तैयार है.

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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)

rajeshkumarbavaria@gmail.com


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