दोस्तों जय मसीह की, आज हम चर्चा करेंगे कि परमेश्वर आशीष क्यों देता है ? | आशीषों का उद्देश्य क्या है ? तो आइये शुरू करते हैं यह लेख आपको बहुत आशीष देगा.
परमेश्वर आशीष क्यों देता है ? | आशीषों का उद्देश्य
ताकि हम दूसरों के लिए भी आशीष बन सकें
परमेश्वर ने अब्राहम का चुनाव किया और उसे बुलाया और कहा, “मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊंगा, और तुझे आशीष दूंगा, और तेरा नाम बड़ा करूंगा, और तू आशीष का मूल होगा, और जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूंगा; और जो तुझे कोसे, उसे मैं शाप दूंगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएंगे। (उत्पत्ति 12:2-3)
परमेश्वर हमेशा दूसरों को आशीष देने के लिए अपने आज्ञाकारी लोगों को जरिया बनाता है.
ताकि परमेश्वर तुम्हारी रक्षा कर सके
जब बालाम नबी पैसे लेकर परमेश्वर के लोगों को शाप देना चाहा तो वो उनसे लिए असंभव था. उसके मुंह से शाप के शब्दों के स्थान में परमेश्वर ने आशीष के शब्दों को भर दिया और इस तरह से उसके मुंह से आशीष की भविष्यवाणी निकलने लगी. (गिनती 22-24)
परमेश्वर आपको आशीष देना चाहता है
एक कोढ़ी यीशु के पास आकर कहता है यदि तू चाहता है तो मुझे शुद्ध कर दे. तब प्रभु यीशु मसीह ने कहा, मैं चाहता हूँ की तू शुद्ध हो जा. (मरकुस 1:40-45)
यदि हम परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं तो हम उसके पुत्र और पुत्रियाँ हैं मतलब आशीषों के हकदार हैं.
आपको और हमें आशीष को प्राप्त करने का चुनाव करना पड़ेगा हालाकि परमेश्वर आपको आशीष देना चाहता है लेकिन वो कोई जबरन दबाव से नहीं देगा उसके लिए हमें चुनाव करना होगा. (व्यवस्था 30:19)
केवल परमेश्वर ही हमें आशीष दे सकता है.
(उत्पत्ति 15:1-21) जैसे परमेश्वर ने अब्राहम को आशीष दिया और फिर इसहाक को और फिर याकूब को इस तरह वो आपको भी आशीष देगा.
सभी आशीषें शर्त सहित हैं. मतलब फ्री नहीं हैं (व्यवस्थाविवरण 28:1-13) …यदि हम उसकी सुनें और आज्ञा का पालन करें तो ही आशीष प्राप्त होंगी.
हमें आशीषों के लिए लगातार माँगना होगा. (मत्ती 7:7) यह परमेश्वर का नियम है मांगो तो तुम पाओगे.
दूसरो को आशीषित करके ही हम आशीषित हो सकते हैं. (उत्पति 40:1-37) जब युसूफ स्वयं जेल में था उसने जेल में दो लोगों की सेवा की उनका दर्शन बताकर. तब परमेश्वर ने उसे आशीषित किया, और प्रधानमंत्री बना दिया.
परमेश्वर को अपनी प्राथमिकता बनाएं (भजन 37:4) को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा
आशीष पाने के लिए हमें गलत संगती से बाहर आना होगा उदाहरण के रूप में परमेश्वर ने अब्राहम को आशीष देने के लिए मुर्तिपूजक देश से निकाल कर बुलाया. पतरस को बुलाया. मत्ती को चुंगी लेने के धंधे से बुलाया.
दसवांश दें और जरूरतमंदों की सुधि लें जो अनाथ विधवाओं की सुधि लेता है वह परमेश्वर को उधार देता है …और परमेश्वर कभी किसी का कर्ज अपने उपर बकाया नहीं रखेगा बल्कि उसे बहुत आशीष देगा.
क्यों कई बार आशीषें रुक जाती हैं या नहीं मिलती
क्योंकि हम मांगते नहीं : अब तक तुम ने मेरे नाम से कुछ नहीं मांगा; मांगो तो पाओगे ताकि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए. (यूहन्ना 16:24)
या गलत इरादे से मांगते हैं : तुम मांगते हो और पाते नहीं, इसलिये कि बुरी इच्छा से मांगते हो, ताकि अपने भोग विलास में उड़ा दो. (याकूब 4:3)
विश्वास के साथ नहीं माँगा: इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगो तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और तुम्हारे लिये हो जाएगा. (मरकुस 11:24)
कुछ पाप हैं जिन्हें अभी तक स्वीकार नहीं किया या माफ़ी नहीं मांगी गई : यदि मैं मन में अनर्थ बात सोचता तो प्रभु मेरी न सुनता. (भजन 66:18)
Next part is —आशीष कैसे पाएं जरुर पढ़ें
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