परमेश्वर-मनुष्य-से-क्या-चाहता-है

परमेश्वर मनुष्य से क्या चाहता है? | Aaj ka Bible Vachan | आज का वचन बाइबल से

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दोस्तों आज का वचन बाइबल से हम सीखेंगे कि परमेश्वर मनुष्य से क्या चाहता है. Aaj ka bible Vachan हम सभी को बहुत ही आशीष देगा. आज का बाइबिल वचन 1 लिया गया है यशायाह 5:1-6 से तो आइये शुरू करते हैं

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Image by Holger Schué from Pixabay परमेश्वर-मनुष्य-से-क्या-चाहता-है

आज का वचन बाइबल से

अब मैं अपने प्रिय के लिए और उसकी दाख की बारी के विषय में गीत गाऊँगा. एक अति उपजाऊ टीले पर मेरे प्रिय की एक दाख की बारी थी. उसने उसको मिटटी खोदी और उसके पत्थर बीनकर उसमें उत्तम जाति की एक दाखलता लगाईं, उसके बीच में उसने एक गुम्मट बनाया, और दाखरस के लिए एक कुण्ड भी खोदा, तब उसने दाख की आशा की, परन्तु उसमें निकम्मी दाखें ही लगी. (यशायाह 5:1-2) 

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परिचय | Introduction

आज का वचन बाइबल से इस भाग में परमेश्वर किसान है और हम वो दाख की बारी हैं. परमेश्वर उदाहरण देकर बातें कर रहा है. इसलिए इसे इस रीति से पढ़ें और समझें.

परमेश्वर ने हमारे लिए उत्तम स्थान का चुनाव किया

पहले अति उपजाऊ टीला का चुनाव किया गया – प्रिय मित्रों परमेश्वर हमसे बेहद प्यार करता है, उसके प्रेम की गहराई को हम माप नहीं सकते. उसने हमारे लिए सबसे पहले अति उपजाऊ टीला का चुनाव किया.

अर्थात आज हम परमेश्वर को जानते हैं और यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण किये हैं. तो प्रभु ने एक उत्तम जगह आपको रखा है.

हमने उसे नहीं चुना लेकिन उसने हमें चुना है. (यूहन्ना 15:16) हमारा चुनाव किसी विशेष उद्देश्य के लिए किया गया है.

उसमें मिटटी खोदी गई– परमेश्वर ने हमारे जीवन में बहुत तैयारी की है. हम मिटटी से बने मनुष्य हैं कई बार हमारे जीवन में कंकर पत्थर भी होते हैं.

जैसे बुरी आदतें, बुरा स्वभाव, आदि लेकिन प्रभु ने हमारे जीवन में तमाम गंदगी को अपने लहू से धोकर हमें शुद्ध किया है.

वैसे ही जैसे एक अंगूर के खेत से कंकर पत्थर निकाले गए. यदि हम अपना जीवन उसके हाथों में दे देते हैं तब वह हमारे जीवन को बनाता है तैयार करता है.

परमेश्वर ने हममें उत्तम जाति की दाखलता लगाईं

परमेश्वर न केवल हमारा चुनाव करता है वरन जो कुछ उत्तम से उत्तम चीजें हैं वो हमारे जीवन में जोड़ता भी है. जैसे अच्छा घर, परिवार, पति या पत्नी, बच्चे, रिश्तेदार, नौकरी व्यवसाय, आदि जो कुछ हम परमेश्वर से मांगते हैं वो हमारे जीवन में प्रसन्नता के साथ प्रदान करता है.

और कहता है मैंने तेरे लिए बढ़िया योजनाएं (कल्पनाएँ) की हैं वो योजनाएं हानि की नहीं बल्कि लाभ की हैं. वह उस उत्तम उपजाऊ टीले में खेत को तैयार करके उसमें अच्छी उत्तम जाति की दाखलता लगाता है.

अपने जीवन में एक क्षण लेकर विचार करें क्या आपके जीवन में परमेश्वर ने उत्तम चीजें नहीं जोड़ी. क्या जो कुछ आपने माँगा वह नहीं दिया.

कैसे आपको उसने चुन कर अपने राज्य में शामिल कर लिया और अब तक चलाया और उत्तम से उत्तम चीजें खिलाया.

इसी रीति से उस उपजाऊ टीले में परमेश्वर ने कोई भी निम्न दर्जे की या जंगली दाखलता नहीं लगाईं थी बल्कि उत्तम जाति की (बढ़िया क्वालिटी की ) दाखलता लगाईं थी.

परमेश्वर ने हमारी सुरक्षा के लिए गुम्मट भी बनाया

उस दाख की बारी के बीच परमेश्वर ने एक गुम्मट भी बनाया – अर्थात एक मचान जो बड़े बड़े खेत के बीच में बनाया जाता है जिस पर बैठकर किसान पूरे खेत की निगरानी कर सकता है.

वह देखता रहता है और पहरा दिया करता है कोई जानवर या चोर घुसकर उस बारी या खेत को नुकसान न पहुंचाए.

प्रिय मित्रों आपके और हमारे जीवन को परमेश्वर ने इसी रीती से सुरक्षा दी है कई बार शैतान ने हमारे जीवन में हमला करना और हमें नाश करना चाहा.

लेकिन यह परमेश्वर की दया थी उसका सुरक्षा का अद्रश्य हाथ था जो हमें हमेशा सुरक्षा प्रदान करता रहा और हम आज जीवित पाए जाते हैं.

कई बार बीमारी से कई बार दुर्घटना आदि के द्वारा उसने हमारा नाश करना चाहा लेकिन कौन था जिसने हमें आज तक बचा कर रखा.

वो और कोई नहीं बल्कि परमेश्वर का निःस्वार्थ प्रेम था जिसने हमें आज तक जीवित रखा है. लिखा है हम मिट नहीं गए यह यहोवा की महाकरुणा का फल है (विलापगीत 3:22)

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परमेश्वर मनुष्य से क्या चाहता है ?

परमेश्वर ने हमारे जीवन से कुछ अपेक्षा (आश) भी की – एक किसान अपने खेत में परिश्रम करके क्या चाहता है, यही न की उसकी फसल बढ़िया हो…

परमेश्वर ने भी हमें इसलिए चुना है ताकि हम फल लाएं. इस दाख की बारी में सब कुछ उत्तम किया गया था इसमें उत्तम से उत्तम दाखकी लता लगाईं गई, सारा कंकर और पत्थर बीने गए,

उत्तम सुरक्षा का प्रबंध किया गया. लेकिन जब फल का समय आया तो लिखा है निकम्मी दाखें लगी. ऐसे अंगूर हुए की उन्हें कोई खा नहीं सकता.

खराब अत्यंत खट्टे जिन्हें अब किसी भी रीति से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. परमेश्वर अपने लोगों पूछता है क्या मैंने तुम्हारे जीवन में कुछ कमी रहने दी…

क्या नहीं किया लेकिन तुम्हारे जीवन से जो फल प्राप्त हुए वो कैसे हैं?? ऐसे फल जिन्हें इस्तेमाल नहीं किया जा सकता!!

निष्कर्ष:

यशायाह 5:4 में आगे परमेश्वर अपने लोगों से एक सवाल करता है..."मेरी दाख की बारी के लिये और क्या करना रह गया जो मैं ने उसके लिये न किया हो? फिर क्या कारण है कि जब मैं ने दाख की आशा की तब उस में निकम्मी दाखें लगीं?" 

प्रिय लोगों क्या हमारे जीवन से भी यह सच है…ऐसा न होने पाए यदि ऐसा है तो परमेश्वर आगे कुछ भयानक बात कहता है….की यदि निकम्मी दाखें लगी तो परमेश्वर क्या करेगा.

वचन 5 – मैं उस दाख की बारी से कांटो के बाड़े हटा दूंगा – मतलब उसकी सुरक्षा हटा दूंगा ताकि वो खेत शैतान या जानवरों के द्वारा चट की जाए, नाश की जाए बर्बाद कर दी जाए.

वचन 6 – मैं उस बसी बसाई दाख की बारी को उजाड़ दूंगा....उसमें फिर दाख नहीं कांटे उगेंगे. वो पूरी रीती से नाश हो जाएगा.

वचन 6b- मैं वहां वर्षा नहीं होने दूंगा अर्थात उस जगह फिर हर बात की कमी घटी ही रहेगी अकाल की सी दशा रहेगी.

आइये इस सन्देश को यदि आपने अंत तक पढ़ा है तो आपने अवश्य समझा होगा कि, परमेश्वर मनुष्य से क्या चाहता है ? इसलिए निर्णय लें कि हम उसके हाथ में आकर फलवन्त होंगे.

यदि वह हमें छांटे या सुधारे तो हम सकारात्मक रूप से उसे ग्रहण करेंगे जैसे राजा दाऊद कहता है तेरे लाठी और तेरे सोंटे से मुझे शान्ति मिलती है.

उसी रीती से हम उसे अपने जीवन में कार्य करने दें और ऐसे फल लेकर आएं जो उसे ग्रहणयोग्य हों….

तब वो हमसे कह सकेगा….शाबास मेरे धर्मी और विश्वासयोग्य दास या दासी. प्रभु आपको इन वचनों के द्वारा आशीष दे.

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