पवित्रता-की-पांच-आशीषें

पवित्रता की पांच आशीषें | Importance of holiness in Christian life

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दोस्तों आज हम एक विशेष विषय पर चर्चा करेंगे पवित्रता की पांच आशीषें | Importance of holiness in Christian life क्योंकि बिना पवित्रता के हम परमेश्वर को देख भी नहीं सकते इसलिए इस विषय को सीखना अति आवश्यक है तो आइये शुरू करते हैं.

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पवित्रता की पांच आशीषें | Importance of holiness in Christian life

यदि आप परमेश्वर के द्वारा अद्भुत रीती से और सामर्थी रीती से इस्तेमाल होना चाहते हैं तो हमें और आपको पवित्र होना अति आवश्यक है. परमेश्वर एक पवित्र पात्र को ही इस्तेमाल करता है.

जिस प्रकार बाइबल में लिखा हुआ है क्या तुम नहीं जानते कि तुम परमेश्वर के मन्दिर हो और तुम्हारे अंदर परमेश्वर का आत्मा वास करता है. (1 कुरु. 3:16)

हमें ऐसे जीवन जीना चाहिए जैसे प्रभु यीशु मसीह कल हमारे लिए मरे और आज सुबह मृतकों में से जी उठे और आज दोपहर को फिर से आने वाले हैं.”

– Adrian Rogers

उड़ाऊ पुत्र की कहानी

पवित्रता का अर्थ | पवित्रता क्या है

"क्योंकि लिखा है, कि पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं " (1 पतरस 1:16)   

उपरोक्त वचन के अनुसार हमारा परमेश्वर पवित्र परमेश्वर है, यह उसका सर्वोत्तम गुण है और वह चाहता है कि उसके लोग भी अपनी सारी बातों में पवित्र बने.

पवित्रता का अर्थ है अलग करना. बाइबल के अनुसार परमेश्वर के द्वारा पाप से परमेश्वर के लिए और पवित्र जीवन जीने के लिए अलग करना पवित्रता है.

यह परमेश्वर का कार्य है. शान्ति का परमेश्वर आप ही तुम्हें पूरी रीति से पवित्र करे; और तुम्हारी आत्मा और प्राण और देह हमारे प्रभु यीशु मसीह के आने तक पूरे पूरे और निर्दोष सुरक्षित रहें. (1 थिस्सलुनीकियों 5:23)

पवित्रता का महत्व

यह परमेश्वर की इच्छा है कि उस पर विश्वास करने वाले उसके सभी सन्तान पवित्रता में बने रहें. एक बार परमेश्वर के एक दास ने कहा था परमेश्वर एक व्यक्ति को गहरे पानी में लेकर आता है इसलिए नहीं कि उसे डूबा कर मार दे बल्कि उसे धोकर शुद्ध करे.

-James H Aughey

जब हम स्वयं को पवित्र करते हैं और फिर परमेश्वर की आराधना करते हैं तो ऐसी आराधना परमेश्वर को प्रसन्न करती है. क्योंकि भजन कार कहता है पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा को दण्डवत् करो (भजन 29:2)

संत पौलुस कहते हैं हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है. (रोमियो 12:1)

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पवित्रता किसकी रचना है

पवित्रता परमेश्वर की आत्मा अर्थात पवित्रात्मा की रचना है. क्योंकि वह स्वयं पवित्र है इसलिए वह अपनी संतानों को आज्ञा देता है कि पवित्र बनो. यह विकल्प नहीं बल्कि आज्ञा है. (1 पतरस 1:16)

यह अद्भुत बात है परमेश्वर एक व्यक्ति को इस पापी संसार से चुनता है और उसे अपने पुत्र के लहू से शुद्ध करता है और फिर उसी पापी संसार में रखता है ताकि हम पवित्र बने रहें और दूसरो के लिए आशीष का कारण बने.

मतलब परमेश्वर ने हमें चुना ही इसलिए है कि हम पवित्र बने और दूसरों से भिन्न रहें. यह एक विश्वासी के जीवन की प्राथमिकता है.

पवित्रता क्यों जरुरी है

एक मसीही विश्वासी के लिए यह परमेश्वर की इच्छा है कि हम पवित्र बने. और इसी लिए उसने हमारा चुनाव किया है.

परमेश्वर ने आदि से तुम्हें चुन लिया; कि आत्मा के द्वारा पवित्र बन कर, और सत्य की प्रतीति करके उद्धार पाओ. (2 थिस 2:13)

सेवकाई के लिए जरूरी है कि हम पवित्र बने. क्योंकि संत पौलुस कहते हैं. यदि कोई अपने आप को इन से शुद्ध करेगा,

तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा. ( 2 तीमुथियुस 2:20 )

स्वर्ग जाने के लिए पवित्रता जरूरी है. एक फलवन्त मसीही जीवन जीने के लिए पवित्रता जरूरी है. (2 पतरस 1:8)

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पवित्रता कैसे प्राप्त कर सकते हैं

स्वयं प्रयास करके : हाँ यह सत्य है कि परमेश्वर ही हमें पवित्र करते हैं. लेकिन इसके लिए हमें स्वयं को भी परमेश्वर के हाथों में सौंपना होता है हमें स्वयं को भी प्रयास करना होता है.

सब से मेल मिलाप रखने, और उस पवित्रता के खोजी हो जिस के बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा. (इब्रानियों 12:14)

बिना पवित्रता के हम स्वर्ग नहीं जा सकते, क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग में है और स्वर्ग में जाकर ही हम उसे देख सकते हैं.

यीशु के लहू के द्वारा आप और मैं पवित्र बन सकते हैं. (इब्रानियों 13:12)

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पवित्रता की आशीषें

#1- पवित्र व्यक्ति दूसरी मृत्यु नहीं देखेंगे (प्रका. 20:6)

जो व्यक्ति एक बार जन्म लेता है वो दो बार मरता है लेकिन जो दो बार जन्म लेता है वह केवल एक बार मरता है.

मतलब यदि हमने मसीह में नया जन्म प्राप्त किया है तो हमारी वो दूसरी मृत्यु जो पापियों की होनी है नरक की आग वो हमारी नहीं होगी बल्कि हम प्रभु के साथ अनंत काल तक स्वर्ग में रहेंगे.

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#2- परमेश्वर के लिए इस्तेमाल होंगे (2 तिमु. 2:21)

न्याय के दिन हमसे यह नहीं पूछा जाएगा कि तुमने कितना प्रचार किया या तुमने कितनी पढ़ाई लिखाई की है, या तुमने कितने बड़े बड़े काम किये हैं बल्कि यह पूछा जाएगा कि क्या तुम पवित्र रहे हो….– Thomas a Kempis

#3- पवित्र व्यक्ति स्थिर होगा कभी नहीं डगमगाएगा (भजन 15:1-5)

पवित्र जीवन जीने के लिए एक व्यक्ति को प्रभु यीशु में नया जन्म पाना बहुत जरूरी है. जो मसीह के साथ साथ चलता है वह मसीह यीशु के समान स्वभाव वाला हो जाता है.

#4- परमेश्वर की महिमा कर पाएंगे (भजन 29:2)

फरीसी लोग दूसरों के प्रति कठोर हुआ करते थे और स्वयं के प्रति बड़े कोमल लेकिन एक मसीह जो पवित्र होना चाहता है उसे दूसरों के प्रति कोमल होना होगा और स्वयं के प्रति कठोर.

#5- हमारा जीवन मेल मिलाप वाला जीवन होगा (इब्रा. 12:14)

जब हमारे जीवन में शान्ति, विश्वास और आनन्द भरपूरी से होता है तो संसार जानना चाहता है इनके अंदर कौन है. – David Jeremiah

प्रकाशितवाक्य की शिक्षा

Conclusion

जब हम पवित्रात्मा की सहायता से पवित्रता में जीवन बिताते हैं तब वह हमें लेकर चलता है. यह जीवन भर की यात्रा है इसमें आनन्द है शान्ति है और सुकून है.

पवित्रता असम्भव नहीं है क्योंकि यदि यह हमसे नहीं हो सकता तो परमेश्वर हमसे कभी नहीं कहते. वो हमें बुलाहट देता है ताकि हम उसके संग उसकी सहायता से उसके लिए पवित्र जीवन बिताएं.

मैं विश्वास करता हूँ यह लेख पवित्रता की पांच आशीषें आपके लिए आशीष का कारण हुआ होगा. कृपया कमेन्ट करके हमें अवश्य बताएं धन्यवाद.

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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)

rajeshkumarbavaria@gmail.com


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