मिशन का अर्थ | Meaning Of Mission
मिशन और मिशनरी : एक व्यक्ति को करने के लिए दिए गए विशेष कार्य को मिशन कह सकते हैं. और उसे विशेष कार्य को करने वाले व्यक्ति को “मिशनरी” कहते हैं. अंग्रेजी शब्द मिशन लैटिन शब्द Missio मिसियो से आया है और उसका यूनानी समानांतर शब्द Apostello है जिसका अर्थ है भेजना (to Send) (यूहन्ना 20:21)
मिशन कब और कैसे आरंभ हुआ
मिशन परमेश्वर के ह्रदय में आरंभ हुआ. हमारा परमेश्वर एक मिशनरी परमेश्वर है. मिशन का प्रारंभ अदन की वाटिका में हुआ. परमेश्वर का मिशन मनुष्यों को बाचाना या उद्धार करना है.
मसीही का मिशन
बाइबल के आधार पर मसीही का मिशन परमेश्वर के उद्दह्र के काम से संबंधित है. मसीही मिशन कलीसिया केन्द्रित है. (उदाहरण:- पौलुस और बरनबास – प्रेरित 13-14)
- ये दो मिशनरी स्थानीय कलीसिया के सदस्य थे.
- वे कलीसिया द्वारा नियुक्त किये गए.
- वे कलीसिया द्वारा नियुक्त किये गए.
- वे कलीसिया द्वारा भेजे गए.
- वे कलीसिया में आए और रिपोर्ट दिए.
- वे गए और नई कलीसिया की स्थापना किए.
मिशन का प्रार्थमिक कार्य
सुसमाचार प्रचार करना मिशन का प्रार्थमिक कार्य है.
सुसमाचार प्रचार का अर्थ :- यीशु मसीह का शुभ संदेश प्रचार करना है. सुसमाचार प्रचार का लक्ष्य सारे संसार के लोगों को चेला बनाना है. मत्ती 28:19.
मिशन में पवित्रात्मा
पवित्रात्मा एक मिशनरी आत्मा है. प्रेरितों के काम में मिशन का काम पवित्र आत्मा के काम के रूप में देख सकते हैं.
(a) पवित्रात्मा विशेष रूप से मिशन कार्य के लिए दिया गया. (प्रेरितों 1:8 )
(b) पवित्रात्मा लोगों के पापों से पश्चाताप और उद्धार के लिए अगुवाई करता है. प्रेरितों 2:41
(c) पवित्रात्मा सुसमाचार प्रचार करने के लिए साहस देता है.
(d) पवित्रात्मा कलीसिया को मिशनरी दर्शन देता हैं. (प्रेरितों 13:1-4)
(e) पवित्रात्मा मिशन के लिए निर्देश देता है. ( प्रेरितों 8:26-29, 16:6-10)
(f) पवित्रात्मा दुःख उठाने की सामर्थ देता है. (प्रेरितों 7:54-60)
(g) पवित्रात्मा कलीसिया की स्थापना के लिए सहायता करता हैं (प्रेरितों 14:23)
(h) पवित्रात्मा कलीसिया को उन्नति के लिए मदद करता है, (प्रेरितों 2:47)
मिशन की उत्प्रेरणा | Motive for Missio
क्यों हमें मिशनरी कार्यों में शामिल होना है ?
(1) मसीह का प्रेम हमें प्रेरित करता हैं. (2 कुरु 5:14-15)
(2) मसीह की आज्ञा का पालन करने हेतु. (मत्ती 28:19)
(3) हमारे चारों ओर के लोगों की दशा. (मती 9:36)
(4) परमेश्वर के सहकर्मी होकर कार्य करना सौभाग्य है (1 कुरु 3:9)
(5) भविष्य में होने वाली बात की समझ ( इब्रा 9:27, प्रका 20:15, माला 4:1-2)
मिशन के लिए महान आदेश | Great Commission for the Mission
मिशन के लिए पवित्र शास्त्रीय आधार, हमारा परमेश्वर एक मिशनरी परमेश्वर है. ढूंढने का मिशन (उत्त्पति 3:9 ) उद्धार करने का मिशन (उत्पति 3:21) भेजने का मिशन (3:15). यीशु मसीह ने कहा, “मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढने और उनका उद्धार करने आया है. (लुका 19:10)
त्रिएक परमेश्वर का मिशन
(1) परमेश्वर पिता की इच्छा है (1तिमु2:4)
(2) पुत्र प्रभु यीशु मसीह का आदेश ( मत्ती 28:19)
(3) पवित्रात्मा का बोझ (प्रेरितों 13:1-4)
पुराने नियम में मिशन का काम
(1) परमेश्वर की मिशनरी बुलाहट अब्राहम को. (उत्पति 12:1-3)
(2) परमेश्वर की बुलाहट इस्राएल जाति को. (यशा. 49:6)
नए नियम में मिशन की बुलाहट
(1) यीशु मसीह का मिशन : यीशु मसीह पहला मिशनरी था, जिसे परमेश्वर ने जगत में भेजा. (गला. 4:4, यू. 17:18, 20:21, मत्ती 9:35)
(2) प्रेरितों के काम में मिशन का काम:
गवाही | Witness
गवाह कौन है ?
एक व्यक्ति जिसे उद्धार का व्यक्तिगत अनुभः है मैंने देखा, मैंने छुआ, मैंने चखा आदि गवाह के रूप हैं (1 यूहन्ना 1:1-3)
गवाही देने की जगह कहाँ है ?
सारे संसार में (प्रेरितों 1:8, मत्ती 24:14, मरकुस 16:15)
गवाही देने का विषय क्या है ?
यीशु मसीह (लूका 24:46-48)
गवाही देने की सामर्थ कैसे या कहाँ से मिलेगी ?
पवित्रा आत्मा के द्वारा (प्रेरितों 1:8, 4:8, 13, 31, 13:4)
गवाही कैसे दे सकते हैं ?
(1) अपने मुंह के द्वारा.
(2) अपने चाल चलन के द्वारा (2 कुरि 3:2-3)
(3) मृत्यु के द्वारा (प्रेरितों 7:59-60)
मिशन का संदेश | Mission for Mission
मिशन का संदेश हमेशा ‘यीशु मसीह’ का सुसमाचार है. यह प्रभु यीशु मसीह के बारे में शुभ समाचार है. 1 कुरु 15:1-5 में प्रेरित पौलुस मिशन का संदेश तथा उसका अर्थ बताता है. इन बचनो के अनुसार मिशन का संदेश यीशु मसीह की मृत्यु, गाड़ा जाना तथा पुनुर्स्थान पर केन्द्रित है.
एक मिशनरी का चरित्र और जीवन शैली | Characters and Life Style of a Missionary
(1) प्रेम (Love) :- एक मिशनरी के लिए परमेश्वर का प्रेम सबसे महत्वपूर्ण तथा आवश्यक योग्यता है. प्रेम के बिना एक मिशनरी को अपना मिशन काम जारी रखना कठिन है. (2 कुरु 5:18)
(2) दीनता / नम्रता (Humility) :- एक मिशनरी का स्वभाव यीशु मसीह का स्वभाव होना है (फ़िलि 2:5-8 ) यीशु मसीह के स्वभाव के तीन पहलु है (फ़िलि 2:5-8) यीशु मसीह के स्वभाव के तीन पहलु है. दीनता आज्ञाकारिता और समर्पण ये तीनो एक साच चलते हैं. एक दीन व्यक्ति आज्ञाकारी भी होता है तथा दूसरों की सेवा करने की इच्छा भी रखता है.
(3) आज्ञाकारिता (Obedience) :- नम्रता एक मिशनरी को आज्ञाकारी बनाता है. एक नम्र व्यक्ति दूसरों की आज्ञा माने के लिए तत्पर रहता है. (रोमी 13:1)
एक मिशनरी की जीवन शैली | Life style of Missionary
(a) विश्वास का जीवन | life of faith :- एक विश्वास का जीवन बिताने के लिए बुलाया गया व्यक्ति है. परमेश्वर के वचन के अनुसार विश्वास बिना परमेश्वर को प्रसन्न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्वर प्रतिफल देता है (इब्रा 11:6). हमारे मसीह अनुभव का आधार भी यह विश्वास है. (रोमी 1:17, इफी 2:8, 2 कुरु 5:7)
सभी महान मिश्नर लोग सब विशवास के लोग थे. (उदाहरण :- हडसन टेलर, विलियम कैरी, जॉर्ज मूलर …आदि ) इसलिए विश्वास का जीवन मिशनरी का एक महत्वपूर्ण जीवन शैली होना जरुरी है.
(b) प्रार्थना का जीवन | Life of Prayer :- प्रार्थना का जीवन के लिए यीशु मसीह एक अच्चा उदाहरण है. (मरकुस 1:35 लूका 5:16) प्रार्थना हमें शक्ति एवं दिशा देती है. उपवास के साथ प्रार्थना बहुत प्रभावशाली होती है.
प्रार्थना क्यों नहीं सुनी जाती
(c) सच्ची आराधना का जीवन | Life of true worship :- परमेश्वर की महिमा करना मनुष्य का मुख्य कार्य है. एक मिशनरी को सामूहिक प्रार्थना तथा व्यक्तिगत आराधना दोनों को महत्त्व देना चाहिए. (रोमियो 12:1)
आराधना क्या है सम्पूर्ण अध्ययन
(d) पूर्ण समर्पण का जीवन | Life of full commitment :- मिशनरी का एक आधारभूत आवश्यकता है कि पवित्रात्मा के संचालन के प्रति पूर्ण समर्पण होना. यह समर्पण एक व्यक्ति के निम्न क्षेत्रों में शामिल होना चाहिए.
- परमेश्वर के प्रति समर्पण Commitment to God (रोमी 12:1-2, लूका 9:23, गला 2:20)
- अपने परिवार के प्रति समर्पण Commitment to the family. इफी 5:33
- अपने बुलाहट के प्रति समर्पण Commitment to your call इफी 4:11, लूका 9:62
- अपने कार्य के प्रति समर्पण Commitment to your work मती 25:21
- अपनी कलीसिया के पति समर्पण Commitment to the Church 1 कुरु 3:9
अनुशासन का जीवन | Life Of Discipline
एक मिशनरी चेला शिष्य होने के लिए बुलाया गया है. इसलिए एक मिशनरी से यह अपेक्षा की जाती है, कि वह एक अनुशासित जीवन जिए. एक अनुशासित व्यक्ति वह है जिसके पास आत्म संयम हो. गलातियों 5:23-24. प्रेरित पौलुस स्वयं एक अनुशासित व्यक्ति थे. (1 कुरु 9:27, 2 इत्मु 2:3-5, तितु 2:12, 1 कुरु 9:25)
मिशनरियों का जीवन चरित्र | Missionary stories
(1) पोली कार्प | Poly Carp (69-156)
प्रेरितों के बाद आने वाली पीढ़ी में जीवित रहा एक मुख्य व्यक्ति था पोली कार्प. इतिहास के अनुसार वह स्मुरना नगर का था और प्रेरित यूहन्ना का एक शिष्य भी था. अपने बुढापे के समय में भी सुसमाचार प्रचार करने में वह बहुत इच्छुक था. सुसमाचार प्रचार करने के कारण रोमी अधिकारियों ने उनको गिरफ्तार कर लिया.
और यीशु मसीह को इंकार करने के लिए विवश करने लगे. लेकिन उन्होंने मसीही विश्वास को इनकार नहीं किया बल्कि ऐसा उत्तर दिया “पिछले 86 वर्षों तक मैं यीशु मसीह की सेवा किया और आज तक मुझे कुछ हानि नहीं किया. अब मैं कैसे अपने महाराज की निंदा करूँ जिन्होंने मुझे बचाया है.”
अंत में पोली कार्प को आग में जीवित जला कर मृत्यु दंड दिया गया. लेकिन जब आग में डालने के बाद देखा गया की आग उसके शरीर को जला नहीं पा रही थी. तब एक तेज छुरे से काटकर उनकी हत्या कर दी गई बाद्द में उसको आग में डाल दिया गया.
पोली कार्प एक गहरा विश्वास रखने वाला व्यक्ति था, वह बलि चढ़ाने और सम्राट की आराधना करने के विरुद्ध उपदेश भी दिया करता था.
(2) जॉन विक्लिफ | John Wyclif ({The morning star of Reformation} (1330-1334)
जॉन विक्लिफ का जन्म 1330 में इंग्लैण्ड में हुआ. 1372 में उसने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से धर्म विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. उन्होंने पॉप और रोमन कैथोलिक कलीसिया के विरुद्ध लिखना शुरू किया. उस समय कलीसिया में यह उपदेश फैला था कि प्रभुभोज के अवसर में रोटी मसीह का शरीर और दाखरस मसीह का लहू बन जाता है.
लेकिन विक्लिफ ने उस उपदेश के विरुद्ध बात किया. उस समय अंग्रेजी में बाइबल का अनुवास नहीं किया गया था. साधारण लोगों को पवित्रशास्त्र की सच्चाई को जाने के लिए बाइबल अंग्रेजी में अनुवाद करने की आवश्यकता को उन्होंने पहचान लिया. लंदन के विशप ने विक्लिफ को प्रचार करने से रोकने की आज्ञा निकाली.
लेकिन उन्होंने बाइबल को लैटिन भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद करना शुरू किया और इस प्रकार अंग्रेजी का पहला अनुवाद पूरा किया. कुछ इतिहासकार के अनुसार उसकी मृत्यु के 30 साल के बाद कैथोलिक कलीसिया के अधिकारी लोग उसकी सारी किताबों को आग में डालने की आज्ञा दिया. और उसकी हड्डियों को कब्र से निकालकर भष्म करवाकर नदी में फ़ेंक दिया.
(3) विलियम टिंडेल | William Tyndale (1494-1536) Bible Translator
विलियम टिंडेल का जन्म 1494 में इंग्लैण्ड में हुआ. बचपन में ही वह पवित्रशास्त्र को पढ़ने की इच्छा रखता था. उसने पहले ही आक्सफोर्ड से शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद केंब्रिज विश्वविद्यालय से MA की उपाधि प्राप्त की. उसने यूनानी विद्वान् इरासमस की मदद से यूनानी भाषा में भी निपुणता हासिल की.
उसने एक चापलिन और शिक्षक के रूप में अपना काम शुरू किया. उसके साथ साथ वह अनुवाद का काम और प्रचार के लिए भी समय निकालता था. हालाकि जॉन विक्लिफ ने बाइबिल का अंग्रेजी में अनुवाद किया था लेकिन वह अनुवाद उपलब्ध नहीं था. और वह अनुवाद इतना सही अनुवाद भी नहीं था.
इसलिए विलियम टिंडेल ने अंग्रेजी में एक नया अनुवाद करने का निर्णय लिया. मूल भाषा के आधार पर एक अनुवाद की आवश्यकता को उसने महसूस किया. इस उद्देश्य से वह लन्दन के बिशप के पास गया. लेकिन बिशप ने इस आवश्यकता को स्वीकार नहीं किया. इस कारण वह जमर्नी में गया.और वहां रहकर नया नियम का अनुवाद पूरा किया (1525)
उसके बाद वहां से अंग्रेजी नया नियम की प्रतियाँ जहाज के द्वारा लंदन में पहुंचाया और शहरों और विश्विद्यालयों में उपलब्ध करवाया. कलीसिया के अधिकारी क्रोधित हुए और झूठी शिक्षा की किताब बोलकर उसको नाश करने का आदेश दिया. अधिकारियों ने नए नियम की कई प्रतियाँ आग में जला दी. उसने इब्रानी भाषा कीअप्नी निपुणता भी बढ़ाई और पुराने नियम का अनुवाद भी शुरू किया.
विरोध के कारण उसकी अलग अलग जगहों में रहकर अपना काम करना पड़ा. अंत में वह गिरफ्तार होकर जेल में दाल दिया गया. अक्टूबर, 1536 उनको जेल से बाहर लाया गया औ उसको मारकर उसका शरीर को आग में जला दिया गया. मृत्यु से पहले उसने ऐसे प्रार्थना की प्रभु इंग्लैण्ड के राजा की आखें खोल दीजिए.
विलियम टिंडेल के अनुवाद से पहले ही अंग्रेजी में बाइबल उपलब्ध था, तौभी मूलभाषा यूनानी और इब्रानी से अंग्रेजी में पहली बार अनुवाद कार्य करने वाला व्यक्ति विलियम टिंडेल था.
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God bless you bhaiya praise the lord 🙏🙏
Thanks Rashmi God bless you