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3 ways How to live Successful Spiritual Life | सफल आत्मिक जीवन जीने के तीन अचूक उपाय

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हेलो दोस्तों प्रभु यीशु मसीह के नाम से सभी को जय मसीह की आज हम जानेगें 3 ways How to live Successful Spiritual Life | सफल आत्मिक जीवन जीने के तीन अचूक उपाय जो हम नए नियम और पुराने नियम दोनों में पाते हैं. तो आइये सुनते हैं आत्मिक जीवन की उन्नति के रहस्य. आत्मिक जीवन में तीन बातें हैं जो परमेश्वर हमसे चाहते हैं कि हम उसे रहस्य में या गुप्त में करें.

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पहला – गुप्त में दान देना | बाइबल सन्देश

प्रभु यीशु ने कहा, तुम मनुष्य को दिखाने के लिए दान मत देना नहीं तो परमेश्वर से कुछ भी आशीर्वाद या बरकतें नहीं पाओगे. इस संसार में सभी लोग इसी प्रकार से करते हैं वे लोगों को दिखाने के लिए दान करते हैं उसमें नाम लिखवाते हैं.

फोटो खिंचवाते हैं सोसल मिडिया में डालते हैं ताकि लोग जाने कि वे कितने बड़े दान दाता हैं. परमेश्वर कहते हैं तुम्हें यही पसंद है लोगो की वाह वाही. लेकिन तुम्हें परमेश्वर से कुछ भी प्रतिफल नहीं मिलेगा अर्थात तुमने आत्मिक जीवन का कुछ भी काम नहीं किया.

दूसरा – गुप्त में उपवास करना | Hindi bible preaching

मत्ती 6:16 प्रभु ने कहा, जब तुम उपवास करते हो तो लोगों को दिखाने के लिए उपवास न करना. नहीं तो यह ऐसा होगा जैसे भूख हड़ताल. तुम्हारे आत्मिक जीवन में कुछ लाभ नहीं होगा.

तुम्हारा उपवास परमेश्वर को भाने वाला होना चाहिए इसलिए इसे गुप्त में करना और तुम्हारे मुंह में भी उदासी न छाए. भोजन का समय परमेश्वर के साथ बिताओ. तब तुम्हें परमेश्वर जब उपवासी जानेगा तो तुम्हें सबके सामने प्रतिफल प्रदान करेगा.

तीसरा – गुप्त में प्रार्थना करना | बाइबल प्रचार

प्रार्थना ही वह पायदान है जिसे करके हम आत्मिक जीवन में प्रवेश कर सकते हैं. प्रार्थना आत्मिक जीवन का भोजन है. हमारी प्रार्थनाएं परमेश्वर के वचन में भिगोई हुई होनी चाहिए.

प्रतिदिन प्रार्थना करना करें और हियाव न छोड़ें अर्थात हिम्मत न हारें…

लूका 18:1

सुनिए पॉडकास्ट शोर्ट पावरफुल gospel stories

मसीही जीवन में आत्मिक रूप से सफल जीवन जीने के लिए प्रार्थना, जीवन के स्वांस के जैसे ही अति आवश्यक है. पुराने नियम में विश्वासियों के पिता कहलाने वाले परमेश्वर के अति प्रिय दास अब्राहम ने जहाँ भी गए वहां प्रार्थना करने के लिए एक वेदी बनाया करता था.

अय्यूब की कहानी

परमेश्वर का एक और दास जो बहुत ही धनी था जिसका नाम अय्यूब था, उसके बेटे और बेटियां जब जब मिलते तो बड़ा भोज करते थे उसके बाद अय्यूब सुबह तड़के उठकर अपने बेटे और बेटियों के लिए प्रार्थना करता था और वेदी में बलिदान चढ़ाया करता था, ताकि जाने अनजाने किये हुए पाप क्षमा हो सकें इसलिए परमेश्वर ने उसके और उसकी सारी चीजों पर अपना बाड़ा लगाया था.

एलिय्याह की कहानी

एलियाह ने जब प्रार्थना करके कहा साड़े तीन वर्ष तक बारिश नहीं होगी तो नहीं हुई और अकाल पड़ा. लेकिन जब उसने प्रार्थना करके कहा तब वर्षा हुई. उसने बाल देवता के झूठे भाविष्यवक्ताओं के सामने उस वेदी को सुधारा और उसमें 12 पत्थरों को रखकर उसके पास प्रार्थना किया तो स्वर्ग से आग गिरी और उस वेदी के बलिदान को जला दिया.

याकूब की कहानी

उत्पति 35 अध्याय में परमेश्वर ने याकूब से को आदेश दिया यहाँ से जा और वहा परमेश्वर के लिए वेदी बना जहाँ तुझे उस समय दर्शन दिया था जब तू अपने भाई एसाव के डर से भागा था. वेदी परमेश्वर से मुलाक़ात की जगह है. यदि आप वेदी बना लेते हैं प्रभु मुलाक़ात अवश्य करेंगे.

जिस प्रकार अय्यूब ने बेदी बनाई और उसके पास प्रार्थना करता था. अब्राहम जहाँ भी गया वह रहता अवश्य तम्बू में था लेकिन हर स्थान में प्रार्थना करने के लिए वेदी बनाता था. हम नए नियम में भी वेदी पाते हैं एक उपमा के रूप में…

प्रभु यीशु ने कहा (मत्ती 6:5 परन्तु जब तू प्रार्थना करे कोठरी में जा द्वार बंद कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर. तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा. हमने जो स्थान तैयार किया है अपने घर में जहाँ हम अपने पिता परमेश्वर से प्रतिदिन मिलते हैं वह स्थान हमारी वेदी है.

24 घंटे में से कोई एक समय या कई बार वो समय जो सबसे उत्तम हो कोई डिस्टर्ब न करें. फोन भी नहीं उस समय हम उससे बातें करें. वहां अपने समय के अनुसार यीशु आपसे मिलेंगे. नए नियम की वेदी में इस वचन के अनुसार तीन बातें अवश्य होनी चाहिए एक निश्चित समय एक निशिचत स्थान और एकाग्रचित तैयार मन…

तब तो आपकी वेदी तैयार है वरना आज बहुत से लोगों को अपनी वेदी तैयार करने की जरूरत है. बिना वेदी तैयार किये आग नहीं गिर सकती. अपनी वेदी को मजबूत करने उसे सुधारने का समय आ गया है. वेदी वो स्थान है जहाँ पवित्र किया जाता है शुद्ध होते हैं ताकि उस परमेश्वर के स्तेमाल के योग्य हो जाएं.

जैसा वो ज्योति में है वैसा हम भी ज्योति में चले तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं (1 यूहन्ना 1:6)

(उत्पत्ति 35:7-9) वेदी में परमेश्वर का दर्शन होता है. वहां प्रभु प्रगट हुआ सब कुछ साफ़ नजर आने लगा. हमारे जीवन में जब तक वेदी के पास जाने का हुनर नहीं आता हमें भी अपने आत्मिक जीवन में एक भटकाव सा रहेगा. लेकिन जब हमारा वेदी के पास का जीवन होता है तब हमारे जीवन में एक स्पष्ट दृष्टिकोण हो जाता है.

(उत्पत्ति 35:9-10) वेदी ही वह स्थान है जहाँ परमेश्वर आपको एक पहचान देता है. परमेश्वर ने याकूब को जो पहले धोखेबाज नाम था, इस्राएल नाम दिया अर्थात चुना हुआ, आज आपकी और मेरी पहचान किस से है. आइये उस वेदी के सम्मुख हमें हमारी असली पहचान मिलेगी.

(उत्पत्ति 35:11-15) वेदी वह स्थान है जहाँ परमेश्वर हमें बहुगुणित करता है. परमेश्वर ने कहा, ‘तू फुले फले और बढ़े और तुझ में से जातियां वरन तेरे वंश में राजा उत्पन्न होंगे.

विश्वास करता हूँ सफल आत्मिक जीवन में सफलता पाने के लिए यह लेख या आत्मिक जीवन संदेश आपको अवश्य पसंद आया होगा आत्मिक जीवन से सम्बन्धित यदि कोई सुझाव या प्रश्न आपके पास है तो आप हमें अवश्य बताएं rajeshkumarbavaria@gmail.com

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