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5 Blessings in God’s Ways | हमारा रास्ता और परमेश्वर का रास्ता

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दोस्तों आज हम बातें करेंगे एक बहुत ही बढ़िया विषय पर जिसका नाम है 5 Blessings in God’s Ways | हमारा रास्ता और परमेश्वर का रास्ता हालाकिं हम जानते हैं परमेश्वर के तरीके में बहुत सी आशीषें हैं.

5 Blessings in God’s Ways | हमारा रास्ता और परमेश्वर का रास्ता

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Image by Aaron Cabrera from Pixabay हमारा-रास्ता-और-परमेश्वर-का-रास्ता

मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपा दृष्टि रखूंगा और सम्मत्ति दिया करूंगा. (भजन संहिता 32:8)

प्रिय मित्रों दुनिया में हमेशा से ही दो चुनाव रहें हैं एक हमारा अपना चुनाव दूसरा परमेश्वर का रास्ता या तरीका. और समय समय पर परमेश्वर हमसे बातें करता है और उपरोक्त वचन के अनुसार वायदा करता है कि मैं तुझे बुद्धि दूंगा.

हर चुनाव निर्णय बुद्धि के द्वारा ही लिया जाता है और वो स्वर्गीय बुद्धि केवल परमेश्वर ही प्रदान करते हैं. और फिर वे हमसे वायदा करते हैं कि जो मार्ग बढ़िया है तुम्हारे उज्जवल जीवन के लिए उसमें तुम्हारी अगुवाई भी करूँगा अर्थात दिशा निर्देश करूँगा और साथ भी रहूँगा.

जैसे एक चरवाहा अपने भेड़ों की अगुवाई करता है और साथ चलता है. इतना ही नहीं परमेश्वर कहते हैं मैं अपने अनुग्रह की कृपा दृष्टि तुम्हारे ऊपर रखूँगा

और जब कभी तुम्हें संदेह हो या तुम असमंजस में हो तो मैं तुम्हें सलाह सम्मति भी दिया करूँगा ताकि तुम सही रास्ते पर और सही तरीके से चल सको. इसी वचन के आधार पर आज हम एक बेहतरीन उदाहरण देखेंगे.

हमारा अर्थात मनुष्य का रास्ता

उदाहरण : मूसा जो कि एक इब्री मनुष्य था वो हालाकि इब्रानी परिवार में पैदा हुआ लेकिन मिश्र देश के राजा फिरौंन के घर में पाला पोसा गया था.

लिखा है जब वह जवान हो रहा था तब उसने एक दिन देखा कि मिश्र देश के लोग उसके भाई बन्दुओं को मार रहे हैं सता रहे हैं तो उसे क्रोध आया और उसने इधर उधर देखा कि कोई देख तो नहीं रहा है.

और फिर उस व्यक्ति को जो इब्री को मार रहा था मूसा ने मार डाला और रेत के नीचे दबा दिया ताकि किसी को पता भी न चले. (निर्गमन 2:11-12)

मूसा अपने लोगों को बन्धुआइ से छुड़ाना चाहता था इसलिए उसने ऐसा किया लेकिन यह तरीका मनुष्य का तरीका था मनुष्य का रास्ता था. कई बार हम चीजों को अपने तरीके से ठीक करना चाहते हैं और वो तरीके सीमित और गलत हो सकते हैं.

यही कारण है कि ऐसा करने के पश्चात मूसा को मिश्र देश छोड़कर भागना पड़ा क्योंकि यह बात की उसने हत्या की है सभी को पता चल गई थी. लेकिन आइये देखें परमेश्वर का रास्ता या तरीका कैसा होता है.

परमेश्वर का तरीका या रास्ता

निर्गमन के 3 अध्याय के प्रारंभ में ही हम देखते हैं मूसा मिश्र देश से भागकर मिद्यान देश में भाग गया तब वह चालीस वर्ष का था, और वहीँ रहने लगा उसका विवाह उसी स्थान में हुआ और उसके सन्तान भी हुए और अब मूसा लगभग अस्सी वर्ष का बुजुर्ग हो चूका है.

और वह अपने इस बुजुर्ग अवस्था में अपने ससुर यित्रो की भेड़ बकरियां चरा रहा है. क्योंकि चालीस वर्षों तक भेड़ बकरियों को चराने से उसकी भाषा बोली और जुबान भी वैसी ही हो गई होगी.

तभी परमेश्वर स्वर्ग से उतर कर उस पहाड़ में जहाँ वह भेड़ों को चरा रहा था. अग्नि मतलब आग के रूप में दर्शन देता है और बातें करता हैं.

वहां एक झाड़ी में आग लगी थी लेकिन वह झाड़ी भष्म नहीं हो रही थी तो मूसा उसे देखने के लिए उस झाड़ी के जैसे ही पास गया तो उस आग में से परमेश्वर ने उससे बातें की और कहा मूसा मैंने अपने लोग अर्थात इस्रायली लोगों को मिश्र देश की गुलामी से छुटकारा दिलाने के लिए उतर आया हूँ.

क्योंकि मैंने उनका कराहना और रोना स्वर्ग से सूना है. मैंने उनके बाप दादाओं से जो वायदा किया था अब उसका समय आ पहुंचा है इसलिए तू जा और उन्हें छुड़ा कर ला.

उन दिनों में मिश्र में इस्राएली लोग बहुत बढ़ गए थे. शायद 21 लाख से ज्यादा लोग हो चुके थे. इतनी बड़ी संख्या में लोगों को छुडाने के लिए परमेश्वर ने मूसा को चुना. तब मूसा कहने लगा प्रभु वो यदि पूछेंगे कि किसने मूझे भेजा है, मतलब आपका नाम क्या है तो मैं क्या कहूँगा.

परमेश्वर ने कहा मैं जो हूँ सो हूँ. मतलब आदि अंत मैं ही सब कुछ हूँ. फिर मूसा बहाने बनाने लगा मैं तो बोलने में भद्दा हूँ लेकिन परमेश्वर ने उसे ही भेजा.

और जो काम मूसा 80 वर्षों में नहीं कर पाया था वह कुछ ही दिनों में परमेश्वर की सहायता से कर दिखाया और इस्राएलियो को मिश्र की गुलामी से छुटकारा दिला पाया.

हालाकि छुटकारा तो कुछ ही दिनों में हो गया था लेकिन वहां से छुटकारा पाने के बाद उन्हें 40 वर्षों तक उनकी डीठाई के कारण जंगल के रास्ते परीक्षा देते हुए घूमना पड़ा. हम यहाँ सीखेंगे परमेश्वर के तरीके या रास्ते अपनाने में कौन सी पांच आशीषें प्राप्त होती हैं

परमेश्वर के तरीके या मार्गों की 5 आशीषें

यूँ तो परमेश्वर के मार्गों पर चलने की बेसुमार आशीषें हैं जिनकी हम गणना नहीं कर सकते लेकिन केवल समझने के लिए मैंने यहाँ कुछ पांच आशीषें लिखी हैं इसमें आप अपने जीवन के अनुभव से और भी जोड़ सकते हैं.

1. परमेश्वर के मार्गों में परमेश्वर सम्पूर्ण उपाय करता है

इस्राएलियों को मिश्र देश की गुलामी से बाहर निकाल कर मतलब आजाद करवाकर परमेश्वर ने सबसे पहले उनके लिए समुद्र को बीच से दो भाग करके बीचोबीच मार्ग को निकाला और फिर पूरे चालीस वर्षों तक स्वर्ग का भोजन मन्ना स्वर्ग से गिराकर भोजन का प्रबंध किया वो यहोवा उपाय करने वाला परमेश्वर है वो आपके लिए भी उपाय करेगा.

2. परमेश्वर के मार्गों में वह हमारे साथ साथ चलता है.

जब आप अपना मार्ग या तरीका अपनाते हो तो उसमें गारंटी नहीं कि परमेश्वर भी साथ चलेंगे लेकिन जब आप परमेश्वर के मार्गो पर चलते हैं तो अवश्य है परमेश्वर जैसे इस्राएली लोगों के साथ साथ चला वो आपके भी साथ साथ चलेगा और तमाम भय परेशानी से दूर रखेगा.

3. परमेश्वर के मार्गों में वह सुरक्षा प्रदान करता है.

इस्रालियों को जब दिन में धूप लगती थी तब परमेश्वर काले बादलों के रूप में उनको छाँव प्रदान करता था और जब रात को ठण्ड लगती थी तो आग का खंबा बनकर उनके आगे आगे चलता था. उन्हें किसी भी जंगली जानवरों या किसी सेना से हारना नहीं पड़ा क्योंकि परमेश्वर उनकी सुरक्षा था.

4. परमेश्वर के मार्गों में वह दिशानिर्देश करता है

हालाकिं इस्राएली बड़े ही हठीले लोग थे वे बार बार परमेश्वर को कुडकूड़ाते थे लेकिन फिर भी परमेश्वर उन्हें उस देश के लिए दिशानिर्देशन कर रहा था

जो प्रतिज्ञा का देश था जहाँ दूध और मधु की धाराएं बहती है वह उन्हें कनान देश ले जा रहा था. और उसी मार्ग से लेकर गया जहाँ बीच बीच में पानी और खजूर और तमाम आशीषें प्राप्त हो सकें.

5. परमेश्वर के मार्गों में हानि की कोई गुंजाइश नहीं.

परमेश्वर कहता है मेरे पास तुम्हारे लिए अच्छी योजनाएं हैं वो हानि की नहीं बल्कि लाभ की हैं और अंत में तुम्हारी आशा पूरी करूँगा. वो हमारा पिता परमेश्वर है उसने हमें हमारे पापों से छुडाने के लिए अपने पुत्र यीशु मसीह को भी नहीं रख छोड़ा तो वो हमारे लिए और क्या कुछ क्यों नहीं देगा. उसने इस्राएलियों को आशीषित देश कनान पहुंचा कर वह देश उन्हें दे दिया.

निष्कर्ष | Conclusion

दोस्तों विश्वास करता हूँ यह वचन आशीष का कारण होगा उसके मार्गों में डर की कोई जगह नहीं लेकिन अनगिनत आशीषे ही आशीषें हैं. आज ही निर्णय लीजिये प्रभु के मार्गों पर चलने के लिए.

लेकिन हाँ इस सकरे मार्ग में दुनिया की ओर से बहुत कठिनाइयां आएँगी लेकिन अंत आपकी विजय ही होगी जिसकी कल्पना हम स्वप्न में भी नहीं कर सकते.

दोस्तों यदि आप अपने दशवांश या भेंट के रूप में इस सेवकाई की सहायता करना चाहते हैं तो हम आपका परमेश्वर के प्रति इस प्रेम की सराहना करते हैं.

परमेश्वर के वचनों को बहुत से लोगों तक पहुंचाने हेतु हमें कुछ यंत्र जैसे कम्पुटर आदि खरीदना है इस हेतु आपका छोटा सा भी योगदान हमारे लिए आशीष का कारण होगा आप हमें नीचे दिए गए बारकोड के जरिये यह छोटी से छोटी धनराशी सेंड कर सकते हैं. हम आपके लिए अवश्य प्रार्थना करेंगे. धन्यवाद

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