हेल्लो दोस्तों आज हम सीखेंगे अय्यूब की कहानी से कि उसके दुखों से हम क्या सीख सकते हैं. तो आइये इस अद्भुत घटना को एक कहानी के रूप में देखते हैं आपसे निवेदन है आप इस कहानी को पढ़ते समय बाइबल को अपने पास रखकर बाइबल से भी देखते रहें. तो शुरू करते हैं….
अय्यूब की कहानी बाइबल से
ऊज नामक देश एक परमेश्वर का भय मानने वाला एक धनी व्यक्ति रहता था उसका नाम अय्यूब था. उसके 7 बेटे और 3 बेटियां थीं. अय्यूब एक प्रार्थना करने वाला व्यक्ति भी था. प्रतिदिन वह भोर को उठकर अपने बच्चों के लिए प्रार्थना करता था.
उसके हजारों उंट और भेड़ बकरियां थीं और नौकर चाकर थे. वह दयालु भी थी गरीब अनाथों की सुधि भी लेता था. उसके समान उस देश में दूसरा धनी नहीं था.
शैतान के द्वारा अय्यूब की परीक्षा
एक बार स्वर्ग में परमेश्वर के और उसके दूतों की एक सभा लगी थी, प्रभु परमेश्वर सिंहासन पर विराजमान थे और सारे स्वर्गदूत उसके सम्मुख उपस्थित थे. परमेश्वर ने सवाल किया कि अय्यूब के जीवन में एक स्तर और आशीष दिया जाए और सभी स्वर्ग दूत जानते थे कि एक स्तर और आशीषित होने के लिए अय्यूब को परीक्षा से होकर जाना पड़ेगा.
और इसलिए सभी स्वर्गदूत शांत खड़े थे. तभी वहां शैतान आया तब परमेश्वर ने उससे पूछा तू कहाँ से आता है. शैतान ने कहा मैं यहाँ वहां पृथ्वी में डोलता डालता आता हूँ. तब परमेश्वर ने शैतान से पूछा क्या तूने मेरे दास अय्यूब को देखा है कि वह मेरा भय मानता है.
तब उस दोष लगाने वाले शैतान ने कहा क्या वो तेरा भय बिना लाभ के मानता है… यदि तू उसके आशीषों को वापिस ले ले तो वो तेरा इंकार करेगा…. परमेश्वर ने कहा ठीक है तू उसे छू देख तब भी वह मेरा इंकार नहीं करेगा
अय्यूब का धन का नाश हो गया
मैंने उसे छूना चाहा था लेकिन तूने उस पर और उसके सभी चीजों पर बाड़ा लगाया है. तब परमेश्वर की अनुमति पाकर शैतान ने अय्यूब की परीक्षा की और एक ही दिन में उसके सारे खेत खलियान और पशु सब कुछ नाश कर दिया. एक सेवक ने आकर अय्यूब को यह दुःख की खबर बताया कि एक देश की सेना ने आकर सब कुछ लूट लिया और नाश कर दिया. अय्यूब तब कहने लगा परमेश्वर ने दिया था परमेश्वर ने ले लिया उसके नाम की स्तुति हो.
अय्यूब की सभी सन्तान मर गए
दूसरे सेवक ने आकर यह खबर दी तेरे सारे बेटे और बेटियां एक घर में खाना खा रहे थे और ऐसी आंधी चली की वह घर गिर गया और तेरे सभी बच्चे मर गए….मैं ही बचा हूँ और आया हूँ ताकि यह समाचार सुनाऊं अय्यूब बहुत दुखी हुआ ..किसी भी माता पिता के लिए यह असहनीय दर्द होगा. लेकिन अय्यूब तब भी परमेश्वर को कुछ भी बुरा नहीं कहा बल्कि परमेश्वर को धन्यवाद दिया.
अय्यूब के जीवन में शारीरिक परीक्षा
शैतान ने अय्यूब के शरीर में बड़े बड़े फोड़े दिए और बहुत दुःख दिया उसे इतना दर्द हुआ कि अय्यूब कराहने लगा और एक मिटटी के बर्तन का टुकड़ा लेकर अपने दर्द में खुजलाने लगा, इतनी पीड़ा में भी वह परमेश्वर की स्तुति करके कहता था मैं खाली हाथ और नग्न आया था और वैसा ही वापस चले जाऊँगा परमेश्वर ने दिया परमेश्वर ने लिया उसके नाम की स्तुति हो.
अय्यूब के जीवन में उसका सम्मान चला गया
अय्यूब के दर्द के समय भी उसके परमेश्वर की स्तुति करते देखकर अय्यूब की पत्नी ने कहा, तू परमेश्वर की निंदा करके मर क्यों नहीं जाता जिसने तुझे इतना दर्द दिया है. और उसके परम मित्र भी आकर उसे कहने लगे तेरे कर्म का दंड तुझे मिल रहा है.
शायद तेरे बच्चों ने कोई पाप किया होगा जिसके कारण वो मर गए. और अय्यूब के दास दासियाँ भी अय्यूब की नहीं सुनते थे और उसे चिढाने लगे. उसका सारा आदर सम्मान चला गया.
परमेश्वर अय्यूब से बातें करते हैं
जब अय्यूब की परीक्षा पूरी हुई तब परमेश्वर ने अय्यूब से बातें की और कहा तू उस लिब्यातान अर्थात पुराने सांप को कैसे बाँध सकता है जो तुझ पर परीक्षा ला रहा है तू उसे प्रार्थना के जरिये बाँध सकता है. फिर जब अय्यूब ने अपने मित्रों के लिए प्रार्थना की तब परमेश्वर ने अय्यूब का सारा दुःख दूर किया. (अय्यूब 42:10)
अय्यूब को परमेश्वर ने दुगनी आशीष दिया और उसके दस और बच्चे हुए अर्थात सात बेटे और तीन बेटियां और पूरे देश में बहुत सुंदर थे और उसके जानवर पशु आदि पहले से दुगुने हो गए परमेश्वर उससे सब कुछ बहुतायत से वापस दिया.
अय्यूब ने सीखी ये सात बातें – जो हम भी सीख सकते हैं.
1. अय्यूब ने सीखा परमेश्वर सब कुछ कर सकते हैं (अय्यूब 42:2) अय्यूब जान गया कि परमेश्वर असम्भव को भी सम्भव कर सकता है. जो कुछ भी खो गया था अय्यूब ने सब कुछ दुगनी आशीष के रूप में प्राप्त कर लिया.
2. परमेश्वर की कोई भी योजना निष्फल नहीं होती (अय्यूब 42:2b) अय्यूब ने जाना कि परमेश्वर जब किसी व्यक्ति के लिए आशीष की योजना बनाता है उस आशीष को आने से शैतान भी नहीं रोक सकता…परमेश्वर अपने लोगों को यही प्रतिज्ञा देते हैं मैंने तुम्हारे लिए योजनाएं बनाई हैं वो योजनाएं लाभ की हैं हानि की नहीं….
3. प्रभु पहले मैंने तेरे विषय में कानों से सूना था परन्तु अब मेरी आँखे तुझे देखती हैं …जब परीक्षा और दुःख रूपी अग्नि से होकर हम गुजरते हैं तभी परमेश्वर के उस जलाल को देख पाते हैं और हम सोने के समान निखर कर बाहर आते हैं.
4. अय्यूब ने प्रार्थना की सामर्थ को समझ सका (अय्यूब 42:10) जब अय्यूब अपने मित्रों के लिए प्रार्थना किया तब प्र्मेभु ने उसकी स्थिति पहले जैसी ही कर दी और उसका सारा दुःख दूर किया….
5. अय्यूब जान पाया दुःख का कारण हमेशा पाप ही नहीं होता …अनेक बार जैसा लोग कहते हैं यह तुम्हारे पापों का दंड है ऐसा सच नहीं होता कई बार दुःख परीक्षा के रूप में हमारे जीवन में आते हैं ताकि हम उस परीक्षा को पास करें.
6. अय्यूब ने जाना हर संकट में केवल परमेश्वर ही उपाय कर सकता है. संकट के समय तू मुझे पुकार और मैं तेरी सुनकर तुझे छुड़ाऊँगा और तू मेरी महिमा करने पाएगा.
7. अय्यूब ने सीखा परमेश्वर ही हमारा सम्मान वापस लौटा सकता है. जब सब कुछ अय्यूब का वापस आ गया और उसकी बेटियां पुरे देश में सबसे सुंदर पैदा हुईं और वह दौलतमंद हुआ तो उसकी प्रसंसा और सम्मान उसे वापिस मिल गया.
अय्यूब की कहानी में अय्यूब ने सीखा कि परम मित्र और परिवार के लोग भी असफल हो सकते हैं और साथ छोड़ सकते हैं लेकिन परमेश्वर नहीं छोड़ेगा. परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की है एक माता भी अपने दूध पिलाने वाले बच्चे को भूल सकती हैं लेकिन मैं न तो कभी तुझे छोडूंगा और न कभी त्यागूँगा.
मैं विश्वास करता हूँ बाइबल में से अय्यूब की कहानी से आपने आशीष पाई होगीं प्रिय अजीज मित्र मैं इस वेबसाईट के जरिये और सुसमाचार के जरिये सेवा को बढ़ाना चाहता हूँ जिसके लिए मुझे कुछ उपकरण की जरूरत है जैसे लेपटोप आदि यदि आप सेवा के लिए कुछ योगदान देना चाहते हैं और इस सेवा में हाथ बटाना चाहते हैं तो आप मुझे इस नीचे दिए गए बारकोड के जरिये फोनपे कर सकते हैं प्रभु आपको बहुत आशीष दे.
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