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Top 3 Amazing Bible Stories For Children’s Ministry | बच्चों के लिए बाइबल की बेस्ट कहानियां

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दोस्तों आज हम सीखेंगे कि बच्चों के लिए कौन सी कहानियां हम सुनाएं Top 3 Amazing Bible Stories For Children’s Ministry | बच्चों के लिए बाइबल की बेस्ट कहानियां…ये बाइबल की कहानियां हम sunday school के बच्चों को सुना सकते हैं.

चुंगी लेना वाला मत्ती | Best Bible Stories for Kids in Hindi

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एक बार की बात है, एक बड़ा ही धनि व्यक्ति था. उसका नाम मत्ती था और उसका एक और नाम था लेवी. वह बहुत बड़े घर में रहा करता था. वह शानदार कपडे पहनता और बढ़िया खाना खाया करता था. उसके पास नौकर चाकर भी थे.

मत्ती चुंगी अर्थात टेक्स लिया करता था. वह बेईमानी करके राजा से एवं आम जनता से काफी पैसा कमाया करता था. यही कारण था कि लोग उससे घृणा करते थे. चुंगी लेने वालों के लालची स्वभाव के कारण आम तौर पर लोग उनसे नाराज रहा करते थे.

प्रतिदिन सुबह मत्ती अपने बड़े से घर से निकलकर समुद्र के किनारे के मार्ग में अपनी कुर्सी मेज लगाकर बैठ जाता था और आने जाने वालों और व्यापारियों से चुंगी वसूल किया करता था. उसने यीशु को उपदेश देते देखा था और अनेक चमत्कार करते भी.

वह जानता था कि यीशु एक भला गुरु है और इसलिए वह मन ही मन यीशु को अपना मित्र बनाना चाहता था. लेकिन अपने इस धंधे के कारण हिम्मत नहीं कर पाता था. मत्ती छिप छिप कर प्रभु यीशु के सुन्दर उपदेशों को सूना भी करता था. एक दिन यीशु फिर से उसी मार्ग में आये. यीशु जानते थे की मत्ती अक्सर उनकी बातें सुनता है और उसके मन में यह इच्छा भी कि वह मेरा मित्र बने.

इसलिए वे मत्ती की मेज के पास खड़े हो गए. यीशु ने मत्ती को ओर देखा और उससे कहा, “मेरे साथ आओ और मेरे पीछे हो लो” अर्थात मेरे मित्र बनो…(मत्ती 9:9-13) मत्ती को विश्वास नहीं हो रहा था कि वह क्या सुन रहा है. जैसे उसका सपना सच हो रहा था. क्या यह यीशु ही है जो मुझे अपना मित्र बनने के लिए कहा रहा है.

उसे भली भाँती पता था यदि उसे यीशु का मित्र बनना है तो उसे लूट का धन और लालच छोड़ना पड़ेगा. लेकिन उसने इसकी परवाह किये बिना निर्णय लिया. वह किसी भी कीमत पर इस अवसर को छोड़ना नहीं चाहता था. उसने यीशु के पीछे चलने का फैसला लिया और अपनी कुर्सी और धन को वहीँ छोड़ दिया और यीशु के पीछे हो लिया.

मत्ती के पास पहले काफी धन था, अच्छा घर था, और जीवन से संबधित सारी आवश्यक साम्रगी थी, तौभी वह खुश नहीं था. अब वह अपनी सब धन सम्पती से बढ़कर यीशु को प्रेम करने लगा था. वह और उसका पूरा परिवार बड़ा खुश था.

इसलिए उसने अपना आनन्द प्रकट करने के लिए अपने सभी मित्रों और रिश्तेदारों को बुलाया और बड़े भोज का प्रबंध किया (लूका 5:27-32) यीशु और उसके चेले उस भोज में मुख्य अतिथि थे. मत्ती बड़ा आनन्दित था कि वह यीशु की मुलाकात अपने मित्रों से करवा पाया.

शिक्षा :- “मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढने और उनका उद्धार करने आया है.”

(लूका 19:10)

यीशु शमौन की नाव में | Best Bible Stoires for Sunday school

शमौन और अन्द्रियास दोनों भाई थे. वे दोनों मछली पकड़ने वाले मछुआरे थे. दोनो अपनी नाव पर सवार होकर हर रात को मछली पकड़ने समुद्र जाया करते थे. अन्द्रियास यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले का चेला था. उसने यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले को यीशु में विषय में प्रचार करते सुना था. इन दोनों भाई के और भी मित्र थे जो मछली पकड़ा करते थे.

जिनका नाम था यूहन्ना और याकूब. एक बार की बात है उन सभी ने पूरी रात मछली पकड़ने के लिए अलग अलग जालों को डाला लेकिन उन्होंने एक भी मछली नहीं पकड़ पाए. वे स्वयं को असफल महसूस कर रहे थे. उनकी नावें खाली थीं, वे थके हुए थे.

तभी उन्होंने देखा एक बड़ी भीड़ यीशु के अद्भुत संदेशों एवं उपदेशों को सुनने के लिए आए हुए हैं. भीड़ इतनी ज्यादा थी कि यीशु के ऊपर गिरी पड़ रही थी. तभी यीशु ने समुद्र के किनारे दो नावें लगी देखीं. जिनमें से एक नाव् शमौन जो पतरस भी कहलाता था.

उस पर चढ़कर लोगों को स्वर्ग राज्य के विषय में सिखाना शुरू किया. उपदेश खत्म होने के बाद प्रभु यीशु ने शमौन पतरस से कहा, “हे शमौन नाव को गहरे में ले जाकर जाल डालो” शमौन ने उत्तर दिया स्वामी मैंने पूरी रात मछली पकड़ने के लिए जाल डाले हैं लेकिन कुछ भी नहीं पकड़ा.

लेकिन आपके कहने से मैं अवश्य जाल डालूँगा. और जैसे ही उसने जाल डाला जाल मछलियों से इतना भर गया कि शमौन पतरस उसे खींच नहीं पाया और उसने अपने मित्रों को भी बुलाया और दोनों नावें इतनी भर गई की वे डूबने लगी. उन्हें इतनी सारी मछलियाँ देखकर बड़ा अचम्भा हुआ.

उन्होंने वहीँ सफलता को पाया जहां वे असफल हुए थे. उन्होंने नावों को किनारे लाए. और मछलियाँ नाव पर से उतारी और तब यीशु ने उनसे कहा मेरे पीछे हो लो मैं तुम्हें मनुष्यों को पकड़ने वाले मछुआरे बनाऊंगा. अर्थात तुम मनुष्यों को उनके पापों से छुटकारा दिलवाओगे.

तब उनहोंने अपनी नाव और जालों को छोड़ दिया और यीशु के पीछे हो लिए. इस प्रकार अन्द्रियास, शमौन (पतरस) याकूब और यहुन्ना यीशु के चेले बन गए.

“मेरे पीछे चलो, मैं तुम्हें मनुष्यों के पकड़ने वाले मछुआरे बनाऊंगा.”

(मत्ती 4:19)

काना नगर में विवाह | Best Bibical stories with moral lessons in Hindi

मैं विश्वास करता हूँ आप सभी कभी न कभी किसी शादी पार्टी में अवश्य गए होगे. बड़ा ही आनन्दित और खुश माहौल होता है वहां. सब जगह सजावट और तरह तरह के भोजन, नाच गाना आदि सब कुछ बड़ा ही मजेदार लगता हैं. एक बार काना नगर में ऐसी ही एक शादी की पार्टी में प्रभु यीशु और उसके चेलों को दावत दी गई थी. उन्हें बुलाया गया था.

यहूदी लोग अपने घरों के बाहर हाथ पैर धोने के लिए बड़े बड़े मटकों को पानी से भर कर बाहर रखते थे. ताकि लोग जो यात्रा से आते थे वे अपने हाथों को और पैरों को धो सकें क्योंकि बाहर धूल से भरे रास्ते थे. दावत में आये लोग पार्टी में शामिल होने से पहले अपने हाथ पैर धोकर और फ्रेस होकर अन्दर आते थे.

इस विवाह भोज में भी बहुत सारे लोग आए हुए थे. सभी लोग आपस में आनन्दित होकर बातें कर रहे थे. बढ़िया बढ़िया भोजन तैयार था और सेवक लोग भोजन बाँट रहे थे. यहूदी शादी और पार्टी में एक बात अतिआवश्यक थी कि वे अंगूर के रस (दाखरस) को अवश्य दिया करते थे. यह उनके लिए एक सम्मान की बात थी.

भोजन और विवाह के सभी रखरखाव को यीशु की माता मरियम देखभाल कर रही थी. ऐसा लगता है शायद यीशु के किसी रिश्तेदार की शादी की पार्टी थी. तभी मरियम ने देखा कि सेवक बड़े चिंतित नजर आ रहे हैं और वे आपस में बात कर रहे हैं. पूछने में पता चला कि सबसे जरूरी चीज दाखरस तो खत्म हो गया है. और लोग अभी आ ही रहे हैं.

तुरंत इतना दाखरस कहाँ से लाएं?? तब मरियम ने यह बात यीशु को बताई शायद मरियम यीशु के विषय में जानती थीं कि वे परमेश्वर के पुत्र हैं क्योंकि मरियम ने यीशु को बचपन से देखा था. मरियम ने उन सेवकों से कहा, “जैसा यीशु कहे, वैसा ही तुम करना”. सेवक इंतजार कर रहे थे जैसा यीशु आदेश देंगे वैसा ही हम करेंगे.

तब यीशु ने सेवकों से कहा, जो मटके बाहर रखें हैं उन्हें पानी से लबालब भर दो. सेवकों असमंजस में दाखरस खत्म हुआ है और पानी भरने का आदेश मिल रहा है. दाखरस तो अंगूर से बनता है दाखरस से नहीं. लेकिन जो भी हो आदेश था कि जैसा यीशु कहे, वैसा ही करना है.

इसलिए उन्होंने बाहर रखे उन मटकों को मुहामुंह अर्थात ऊपर तक लबालब भर दिया. तब यीशु ने उन सेवकों से कहा, इनमें से कुछ निकालकर कप में भरकर भोज के प्रधान खानसामें के पास ले जाओ. शायद सेवक डर रहे होंगे लेकिन उन्होंने उस पानी को कप में भरकर भोज के प्रधान खानसामें के पास लेकर गए.

जब उसने उसे चखा तो आश्चर्य में पड़ गया क्योंकि अब यह पानी बढ़िया स्वादिष्ट दाखरस बन चुका था. वह बड़ा ही आनन्दित होकर दुल्हे के पास गया और ऊंची आवाज में कहा इतना बढ़िया दाखरस तूने अब तक रखा है वाह…कोई नहीं जानता था इतना बढ़िया दाखरस कहाँ से आया लेकिन लेकर आने वाले सेवक जानते थे. यह पहला आश्चर्यकर्म था जो यीशु ने किया था.

शिक्षा :- "जो बातें मनुष्य के लिए असम्भव है, वे परमेश्वर के लिए संभव हैं." (लूका 18:27) 

चुंगी लेने वालों का सरदार – जक्कई | Short bible stories with pictures in Hindi

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आपने नाटे व्यक्ति जो जरूर देखा होगा कई बार ग्रुप फोटो खीचते समय नाटे व्यक्तियों को आगे खड़े होने के लिए कहा जाता है क्योंकि भीड़ के पीछे खड़े होने से उन्हें कुछ नहीं दिखता और कोई उन्हें नहीं देख पाएगा.

ऐसा ही एक व्यक्ति यरीहो शहर में रहता था जिसका नाम जक्कई था. वह कद में नाटा था. वह चुंगी लेने वालों का सरदार था और बेईमानी करके लोगों से काफी धन कमाया करता था. उसने यीशु के बारे में और उसके आश्चर्यकर्मों के बारे में सूना था. उसने सुना था कि यीशु बीमारों को चंगा करता है.

हजारों भूखे लोगों को भोजन से तृप्त किया है. और मरे हुओं को जीवित कर दिया है. उसके मन में एक इच्छा थी मैं कैसे उस यीशु को देख सकता हूँ. एक दिन उसने सुना कि यीशु उसके शहर से होकर जाने वाला है. उसने सोचा यही अच्छा अवसर है कि वह यीशु को देख सकता है.

अब वह समय निकालकर यीशु को देखने उस मार्ग में गया लेकिन यह क्या वहां तो पहले से ही एक बड़ी भीड़ खड़ी है और यीशु को देखना चाह रही है. उस भीड़ में उसने सोचा यीशु तो मार्ग से होकर चले जाएंगे और मैं उन्हें नहीं देख पाऊंगा क्योंकि मैं तो नाटा हूँ.

इसलिए उसने यीशु को देखने के लिए एक योजना बनाई और ख़ुशी से उछल गया. उसने सोचा “कुछ दूरी में ही एक गूलर का पेड़ है,” यीशु उसी पेड़ के नीचे होकर गुजरेंगे. मैं इसी पेड़ पर चढ़ कर बैठ जाता हूँ, इस प्रकार यीशु तो मुझे नहीं देख पायेंगे लेकिन मैं जरूर उसे देख पाऊंगा.

तब वह दौड़कर उस गूलर के पेड़ पर चढ़कर बैठ गया और यीशु के वहाँ से आने का इंतजार करने लगा. उसने देखा यीशु बड़ी भीड़ में से होकर निकलता हुआ उसी गूलर के पेड़ के पास आ रहे हैं जहाँ वह चढ़कर बैठा है. वह बड़ा उत्साहित हो रहा था. लेकिन उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उसने सुना यीशु उस पेड़ के नीचे खड़े होकर उसकी ओर देखकर उसका नाम लेकर उसे पुकार रहे हैं.

जक्कई नीचे उतर आ… आज मुझे तेरे घर में रहना है. जक्कई मारे ख़ुशी के प्रभु यीशु को अपने घर लेकर गया. हालाकिं सभी लोग इस बात से नाखुश थे कि इस लालची और लुटेरे चुंगी लेने वाले के घर यीशु क्यों गए. लेकिन यीशु जैसे ही जक्कई के घर में प्रवेश किये जक्कई का जीवन बदल गया.

उसने कहा, परभी यीशु मैं लालची और स्वार्थी व्यक्ति रहा हूँ मैंने लोगों को लूटा है और बेईमानी की कमाई की है. लेकिन आज से मैं एक नया मनुष्य बनूँगा अपनी आधी सम्पत्ति कंगालों को बाँट दूंगा. और जिसका भी अन्याय से कुछ ले लिया है उसे चौगुना वापस लौटा दूंगा.

इस प्रकार जक्कई का जीवन उसी क्षण बदल गया. तब प्रभु यीशु ने कहा आज इसके घर में उद्धार आया है यह भी अब्राहम का पुत्र है. अर्थात आशीषों का वारिस बन गया है.

शिक्षा :- यीशु जिसके जीवन में आते हैं उसका जीवन बदल जाता है…मनुष्य का पुत्र तो खोए हुओं को ढूंढने और उनका उद्धार करने आया है. (लूका 19:10)

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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)

rajeshkumarbavaria@gmail.com


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