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Great Reason Why God Rejected the Offering of Cain | कैन की भेंट क्यों ग्रहण नहीं की गई

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दोस्तों आज हम कैन की भेंट के विषय में बातें करेंगे और जानेंगे कि कैन की भेंट क्यों ग्रहण नहीं की गई. और यह भी जानेंगे कि परमेश्वर किस प्रकार की भेंट को पसंद करता है. तो आइये शुरू करते हैं.

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कैन की भेंट | Bible sermon in hindi | Introduction

कैन और हाबिल की कहानी हम बाइबल के प्रारंभिक पुस्तक मतलब उत्पत्ति 4:1-9 की पुस्तक में पाते हैं.

कैन और हाबिल दो सगे भाई थे जो आदम की सन्तान थे. आदम और हव्वा को परमेश्वर ने बनाया था. बाइबल में पहली बार परमेश्वर को भेंट चढ़ाने के विषय में पाया जाता है तो वह उत्पत्ति में ही पाया जाता है.

जहाँ आदम के दो पुत्रों ने परमेश्वर को अपनी भेंट चढाने गए थे. कैन खेती-बाड़ी करने वाला किसान था दूसरी ओर हाबिल भेंड़ बकरी चराने वाला चरवाहा था.

इस कारण से दोनों ने अपने अपने कामों के अनुसार परमेश्वर को धन्यवाद देने और धन्यवादी भेंट के रूप में जो कुछ उनके काम थे और जो कुछ उनके पास था उसके अनुसार वे परमेश्वर के पास लेकर गए थे.

मतलब कैन फल और सब्जियां लेकर गया था और हाबिल भेंड़ का बच्चा लेकर गया था. लेकिन जब दोनों ने परमेश्वर को अपनी अपनी भेंटे चढ़ाई.

तो आश्चर्य की बात यह थी कि हाबिल को और उसकी भेंट तो परमेश्वर ने ग्रहण कर ली लेकिन कैन को और उसकी भेंट को परमेश्वर ने ग्रहण नहीं किया.

जिसके कारण से कैन को बड़ा क्रोध आया और वह हाबिल से जलन रखने लगा. और यह क्रोध यहाँ तक बढ़ गया कि कैन ने मार्ग में हाबिल की हत्या ही कर दी. अपने ही भाई को मार डाला.

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बाइबल में किसी मनुष्य की पहली हत्या का जिक्र पाया जाता है. अब सवाल उठता है…

कैन की भेंट क्यों ग्रहण नहीं की गई?

यह सवाल बहुत बार पूछा जाता है जिसका सभी लोग भिन्न -भिन्न जवाब देते हैं. आज हम बड़ी गहराई से सीखेंगे कि कैन की भेंट क्यों ग्रहण नहीं की गई.

क्या परमेश्वर शाकाहारी अर्थात साग-पात या फल सब्जियां पसंद नहीं करता. या परमेश्वर मासाहारी जैसे चिकिन या मटन पसंद करता हैं. ऐसी बात नहीं है.

वो कहता है यदि मैं भूखा होता तो तुझसे नहीं कहता या तुझसे नहीं मांगता. जंगल के सारे जानवर मेरे ही हैं. या दूसरे शब्दों में कहें तो सब नारियल के पेड़ और सारी चीजें जो लोग परमेश्वर को चढ़ा कर प्रसन्न करना चाहते हैं.

वो सभी चीजें परमेश्वर ने ही बनाई हैं. ये पृथ्वी और जो कुछ उसमें हैं वो सब कुछ परमेश्वर ही का है. हम उसकी चीजें उसी को देकर उसे खुश नहीं कर सकते.

तो फिर क्या बात है फिर परमेश्वर ने एक की भेंट को ग्रहण क्यों किया और दूसरे मतलब कैन की भेंट क्यों ग्रहण नहीं की गई. उत्तर प्रश्न में ही छिपा है.

हाबिल की भेंट क्यों ग्रहण की गई

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आप मेरे साथ बाइबल की यह आयत धीरे धीरे पढ़ें. आपको जवाब मिल जाएगा. उत्पति 4:4 यहोवा ने हाबिल को और उसकी भेंट को ग्रहण किया और कैन को और उसकी भेंट को ग्रहण नहीं किया…

तो परमेश्वर ने पहले क्या ग्रहण किया भेंट को नहीं पहले हाबिल को ग्रहण किया….इसका मतलब है यदि परमेश्वर को कोई मनुष्य पसंद नहीं तो परमेश्वर उसकी आराधना या उसकी कोई भेंट को भी पसंद नहीं करता.

यह भेंट चढ़ाने वाले की नियत या उसके स्वभाव पर निर्भर है. बाइबल कहती है कैन का स्वभाव परमेश्वर को पसंद नहीं था. इसलिए परमेश्वर ने कैन को ग्रहण नहीं किया इसलिए उसकी भेंट को भी ग्रहण नहीं किया.

गरीब विधवा की भेंट की कहानी

आप नए नियम में देखें एक विधवा स्त्री ने मन्दिर में दो दमड़ी चढ़ाई थी. बाकी लोगों ने बहुत सा धन चढ़ाया होगा.

लेकिन प्रभु यीशु ने कहा इस विधवा ने दिल की खराई से जो कुछ इसके पास था उसे चढ़ाया है. प्रभु हमारे मन को देखता है. हमारी भेंट को नहीं. (मरकुस 12:41-43)

एक बार प्रभु ने कहा, इसलिये यदि तू अपनी भेंट वेदी पर लाए, और वहां तू स्मरण करे, कि मेरे भाई के मन में मेरी ओर से कुछ विरोध है, तो अपनी भेंट वहीं वेदी के साम्हने छोड़ दे. और जाकर पहिले अपने भाई से मेल मिलाप कर; तब आकर अपनी भेंट चढ़ा. (मत्ती 5:23-24)

परमेश्वर ने बाद में कैन से पूछा था यदि तू भला करे तो क्या तेरी भी भेंट ग्रहण नहीं की जाएगी. (उत्पति 4:7) इसका अर्थ है उसका जीवन भला नहीं था.

उसके काम परमेश्वर की दृष्टि में भलाई के नहीं थे. आइये अपने आप को जांचे और देखें क्या मेरे काम परमेश्वर की दृष्टि में उसकी नजरों में भलाई के हैं. या नहीं.

conclusion | निष्कर्ष

इस कहानी से हम सीखते हैं कि हम जब भी परमेश्वर के पास जाएं और उसे अपनी अराधना स्तुति या भेंट चढ़ाएं स्मरण रखें परमेश्वर हमारी भेंट या आराधना का भूखा नहीं है. लेकिन वह हमारे स्वभाव को चाहता है. हमारे जीवन हमारे चरित्र को पवित्र बनाना चाहता है. वह हमारे दिल को देखता है. और हमें आशीषित करता है.

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