परमेश्वर-से-प्रेम

Best Short Powerful Sermon | परमेश्वर से प्रेम

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आपकी बुलाहट है परमेश्वर की इच्छा पूरी करना और परमेश्वर से प्रेम करना. जो परमेश्वर से प्रेम करता है वही उसकी इच्छा भी पूरी करेगा.

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परमेश्वर-से-प्रेमImage by Sasin Tipchai from Pixabay

चेलों के अलावा दो प्रकार के समूह थे जो यीशु के पीछे चलते थे. एक समूह पापी भष्ट चुंगी लेने वालों का था. दूसरी ओर धर्मी लोग थे जो यीशु के पीछे चलते थे.

पापी लोग परमेश्वर का वचन यीशु से सुनते और और पश्चाताप करके फिर यीशु के पीछे चलते थे. लेकिन जो अपने आप को धर्मी कहते थे वे लोग बाहर से लगते थे की वे यीशु के पीछे चल रहे हैं.

लेकिन मन से मतलब अन्दर से वे यीशु की नुक्ताचीनी करते चुगली और कानाफूसी करके यीशु की बुराई करते थे. वे लोग बाहर से तो धर्म का पहनावा ओढ़े रहते थे.

लेकिन उनके मन सड़ी हुई कब्र के समान थे. जो बाहर से तो साफ़ सुथरी और चूना फिरी होती है, लेकिन अन्दर से सड़ाहट होती है. उन्ही को समझाने के लिए यीशु ने एक कहानी सुनाई.

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यीशु ने सुनाई दो पुत्रों की कहानी

एक बाप के दो बेटे थे बाप ने छोटे बेटे से कहा जा और जाकर दाख की बारी में काम कर. पुत्र ने कहा नहीं मैं नहीं जाऊँगा लेकिन थोड़े समय के बाद पश्चाताप करके दाखकी बारी में काम करने गया. उस लड़के ने अपनी सोच को बदला, और गया. (मत्ती 21:28-30)

पिता ने दूसरे पुत्र से भी यही कहा दाख की बारी में जाकर काम कर. दूसरे ने कहा, मैं हाँ मैं जाऊँगा लेकिन बाद में नहीं गया. पिता के शब्दों का कोई आदर नहीं कोई सम्मान नहीं.

हाँ बोलने के बाद भी नहीं गया. इस छोटी सी कहानी को कहने के बाद यीशु ने सभी लोगों से पूछा बताओ, किस लड़के ने पिता की इच्छा को पूरा किया.

लोगों ने कहा पहले लड़के ने जिसने बाहरी रूप से बोला नहीं जाऊँगा लेकिन बाद में मन बदलकर गया.

यीशु ने इस कहानी से लोगों को समझाना चाहा कि पापी और चुंगी लेने वाले लोग भी ऐसे ही हैं. जिन्होंने अपने पहले के बुरे कामों से अपने मन फिराकर यीशु के पीछे चल रहे हैं. लेकिन अपने आप को धर्मी कहने वाले ऐसे नहीं हैं.

यशायाह भविष्यवक्ता ने कहा है,  प्रभु ने कहा, ये लोग जो मुंह से मेरा आदर करते हुए समीप आते परन्तु अपना मन मुझ से दूर रखते हैं, और जो केवल मनुष्यों की आज्ञा सुन सुनकर मेरा भय मानते है. (यशायाह 29:13)

यही बात मत्ती रचित सुसमाचार में यीशु ने कहा, ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उन का मन मुझ से दूर रहता है. (मत्ती 15:8)

प्रभु यीशु ने लोगों से कहा, जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है. (मत्ती 7:21)

परमेश्वर से प्रेम | Best Short Powerful Sermon

आज हम सभी अपने आप से एक सवाल करें कि क्या हम अपने प्रतिदिन की दिनचर्या में पिता की इच्छा को पूरी कर रहे हैं. क्योंकि अंत के दीन बहुत से लोग आकर कहेंगे, हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की,

और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए? तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करने वालों, मेरे पास से चले जाओ. (मत्ती 7:22-23)

ये शब्द सुनना कितना ही भयानक होगा. कि पूरा जीवन उसके पीछे चले और बड़े बड़े काम भी किया लेकिन प्रभु कह कहेगा मैं तुम्हें जानता ही नहीं था. हे कुकर्मी मेरे सामने से चले जाओ. मेरा तुमसे कोई सम्बन्ध नहीं है.

मतलब कहाँ जाओ ….नरक में…इससे भयानक अंत और कुछ नहीं हो सकता. आपके विषय में क्या क्या आप परमेश्वर की इच्छा को पूरी कर रहे हैं? क्या आप बाहरी रूप से परमेश्वर की इच्छा पूरी कर रहे हो?

परमेश्वर की इच्छा कैसे जाने

Conclusion

ये कहानी परमेश्वर से प्रेम की कहानी है जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं वो परमेश्वर की इच्छा को और उसकी मर्जी को पूरी करते हैं.

पापी और चुंगी लेने वाले बाहरी रूप से पापी थे लेकिन जब अन्दर से पश्चाताप किया तो मन फिराकर दिल से परमेश्वर के पीछे चलने लगे. परमेश्वर हमारा दिल चाहता है.

इन दो पुत्रों की कहानी जो सुना रहा है, वह स्वयं भी इकलौता पुत्र है. जो अपने पिता की मर्जी पूरा कर रहा है. आज वो आपको भी बुलाता है.

क्या आप भी परमेश्वर की इच्छा पूरी करते हुए यीशु के पीछे चलने के लिए तैयार हैं? वो आपके दिल को मतलब अंदरूनी बात को देखता है.

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