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विश्वासी को किससे शादी करनी चाहिए? | Scriptures on choosing a life partner in Hindi

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दोस्तों आज एक महत्वपूर्ण विषय पर बात करेगे जिसका नाम है विश्वासी को किससे शादी करनी चाहिए? | Scriptures on choosing a life partner in Hindi ये लेख अविवाहित विश्वासियों के लिए है. तो आइये शुरू करते हैं.

विश्वासी को किससे शादी करनी चाहिए?

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अनेक लोगों का विचार है शादी करनी चाहिए कि नहीं. बाइबिल कहती है शादी करनी चाहिए क्योंकि परमेश्वर ने कहा, आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं (उत्पति 2:18)

उसी प्रकार हव्वा का भी अकेले रहना अच्छा नहीं है. विवाह सब बातों में आदर की बात मानी जाए. (इब्रानियों 13:4)

यह एक विश्वासी के पूरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सवाल है इसलिए इस पर ध्यान देना अति आवश्यक है. और उत्तर यह है कि, एक विश्वासी को विश्वासी से ही शादी करनी चाहिए.

लेकिन उसमें क्या क्या गुण होने चाहिए यह हम इस लेख में देखने जा रहे हैं. इस लेख में मैं केवल वही बातें करूँगा जो बाइबिल आदेश देती है.

यह किसी को खुश करने के लिए नहीं हैं बल्कि यह जानने के लिए है कि परमेश्वर हमसे क्या कहना और निर्देश देना चाहते हैं.

निर्णय लेने में बिलकुल भी जल्दबाजी न करें क्योंकि ऐसा करने से बहुतों का विश्वास रूपी जहाज भवसागर में डूब गया.

एक गलत निर्णय लेने के कारण बहुत से लोग पछतावे के दलदल में पूरी जिन्दगी बस धंसते चले जाते हैं. और अपने आप को कोसते हैं कि काश किसी से सलाह ले ली होती.

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परमेश्वर की इच्छा के अनुसार एक जीवन साथी खोजो

बाइबिल में कहीं नहीं लिखा है कि विवाह स्वर्ग में तय किए या बनाए जाते हैं लेकिन यह जरुर लिखा है अपनी बुद्धि का सहारा न लेना बल्कि सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना वह तेरे लिए सीधा मार्ग निकालेगा.

मांगो तो तुम्हे दिया जाएगा ढूंढो तो तुम पाओगे. परमेश्वर की इच्छा के अनुसार एक जीवन साथी खोजो. परमेश्वर से प्रार्थना करो.

भावनाओं में मत बहो.

विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होना यह स्वाभिक है. सुन्दरता सभी को लुभाती है लेकिन एक विश्वासी होने के नाते ध्यान रहे, सुन्दरता केवल बाहरी और कुछ दिन की होती है.

वास्तविक और सच्ची सुन्दरता अंदरूनी होती है. अंदरूनी से मेरा तात्पर्य है आत्मिक और बौद्धिक. बाइबल पढ़ें और बुद्धिमानी से पहचान करें कि क्या इस व्यक्ति के अंदर विश्वासी के गुण हैं कि नहीं.

क्या यह परमेश्वर से प्रेम करता है या करती हैं कि नहीं. कई बार माता पिता जो एक विश्वासी नहीं हैं या परिवार के सदस्य दबाव देने लगते हैं कि यह एक बढ़िया व्यक्ति है आप विवाह कर लो.

लेकिन जीवन आपको निभाना है. उन्हें नहीं वो आपका भला चाह रहे होंगे. लेकिन आपको अपने अच्छे से मालूम है कि आपकी भलाई कहाँ है.

समलिंगी विवाह पाप है

समलिंगी का मतलब लड़का लड़के के साथ और लड़की लड़की के साथ विवाह न करना. परमेश्वर कहता है यह तो घिनौना काम है. (लैव्यव्यवस्था 18:22)

जो काम परमेश्वर की दृष्टि में घिनौना है यदि कोई भी ऐसा करे तो उसके जीवन में कैसे आशीष आ सकती है. यह तो परमेश्वर का विरोध करना हुआ.

यह परमेश्वर का नियम है. अनेक देशों में इसे अनुमति दी जा रही है. लेकिन यह बौद्धिक रूप से भी गलत है और आत्मिक रूप से भी. मैं इसके विषय में ज्यादा नहीं जानता ये क्यों करते हैं.

कई बार मैं सोचता हूँ उनकी सन्तान कैसे होंगी. हो ही नहीं सकती फिर वे किसी अनाथ बच्चे को गोद लेंगे और फिर वो बच्चा बड़ा होने पर किसे माँ कहेगा और किसे पिता.

मतलब उसकी भी जिन्दगी खराब. मॉर्डन या सभ्यता के नाम पर हम कहाँ जा रहे हैं?

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जीवन साथी की शैक्षिक योग्यता

एक मसीही समाज पढ़ा लिखा समाज है कहने का मतलब है हम ताउम्र बाइबल पढने और पढ़ाने और सिखाने से जुड़े हुए लोग हैं.

प्रभु यीशु ने भी अनेक बार अपने लोगों से और फरीसी सदुकियों से कहा, क्या तुमने नहीं पढ़ा. मतलब हमें पढ़े लिखे लोग होना चाहिए.

बहुत बार देखा गया है स्त्री यदि ज्यादा पढ़ी लिखी है तो कम पढ़े लिखे पुरुष में हीन भावना आने लगती है. लेकिन पुरुष यदि अधिक पढ़ा लिखा है तो उतनी समस्या नहीं होती.

क्योंकि बाइबिल कहती हैं पति पत्नी का सिर है और पति को परिवार का रखरखाव एवं शिक्षक के रूप में कार्य करना होता है. आदम भी हव्वा से उम्र में बड़ा था.

और लिखा है स्त्रियाँ अपने पति से सीखें. इसलिए दोनों को चाहिए कि दोनों की शैक्षिक योग्यता बढ़िया हो. ताकि वे अपनी आने वाली संतानों को भी शिक्षित कर सकें.

किसी को बदलने के लिए शादी मत करो

अविश्वासियों के साथ असमान जूए में न जुतो, क्योंकि धामिर्कता और अधर्म का क्या मेल जोल? या ज्योति और अन्धकार की क्या संगति?

(2 कुरु. 6:14)

यदि आप सोचते हैं कि शादी के बाद मैं इसे बदल लूंगा या बदल लुंगी तो ऐसी गलती भूल कर भी मत करना.

क्योंकि यह आप नहीं हैं जो कसी को बदल दोगे किसी का मन बदलना पवित्रआत्मा का काम है. इससे आपको निराशा ही हाथ लगेगी.

कई बार किसी लड़के को या लड़की को कोई पसंद आ जाता है क्योंकि वो खुबसुरत है. या कद काठी अच्छी है.

लेकिन पता चलता है कुछ अवगुण या कुछ बुरी आदतें हैं तो उस आदत को नजरअंदाज करके सोचते हैं शादी के बाद सब कुछ बदल दूंगा या दूंगी.

लेकिन शादी के बाद पता चलता है वो आदत कई गुना बढ़ गई. कहते हैं जहर खाने वाला व्यक्ति अकेला मरता है लेकिन शराब या नशा करने वाला व्यक्ति अपने परिवार को भी प्रतिदिन मारता है.

ऐसे बहुत से लोग हुए जिन्होंने इस प्रकार विवाह किया और बाद में उनके घरों में रोजाना कलह और क्लेश और लड़ाई झगड़े होते रहते हैं.

प्रार्थना और आत्मिक जीवन की समाप्ति हो चुकी है ऐसे घरो में. जब पत्नी कहती है चलो हम आराधना या बाइबल अध्ययन के लिए चलें तब पुरुष कहता है मुझे दूसरे स्थान में जाना है.

तुम चुनाव कर लो तुम्हें क्या करना है. ऐसे में घर का माहौल बिगड़ने लगता है. ऐसा ही पुरुषों के साथ भी होता है.

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जातिवाद का बंधन

भारत आज भी इस महामारी से जूझ रहा है जिसका नाम है जातिवाद. प्रभु यीशु पर विश्वास करने के बावजूद लोग इस भ्रम में पड़े हुए हैं. कि हमें शादी करनी है तो अपनी ही जाति से.

संत पौलुस इस प्रकाशन को हमारे सामने रखता है, कि “अब न कोई यहूदी रहा और न कोई यूनानी…क्योंकि तुम सब मसीह में एक हो.”गलतियों 3:2, रोमियो 10:12, कुलु 3:11)

एक लालची व्यक्ति से विवाह न करें

एक घटना बताना चाहता हूँ हमारे कलीसिया में एक विश्वासी बहन का विवाह होने वाला था. लड़का और लड़की दोनों मतलब जोड़ी सुन्दर दिख रही थी.

दोनों पक्षों ने पक्का करने के लिए आपस में बातें कर ली. और एक दिन कलीसिया के कुछ लोगों के सामने प्रार्थना के साथ इंगेजमेंट मतलब सगाई भी पूरी हो गई.

अब कुछ दिनों के बाद विवाह होना था. लेकिन तभी पता चलता है कि लड़के के पक्ष से बातें निकलना शुरू हुई कि तुम लोगों ने हमारा अच्छा स्वागत नहीं किया.

पूछने पर पता चला सोने चांदी से हमारा स्वागत करना था मतलब कुछ जेवर भी देने चाहिए थे. जब यह बात मुझ तक पहुंची तब मैंने कहा, यह रिश्ता यहीं रोक देना चाहिए.

क्योंकि एक तो यह गैरकानूनी है की कोई दहेज़ की मांग करे. दूसरा जब यह विवाह से पहले ऐसी बातें मांग रहे हैं तो विवाह के बाद तो शायद पूरी जिन्दगी ही ससुराल पक्ष से भीख की तरह या लड़ लड़ कर मांगते रहेगे.

ये शर्मनाक बात है. ऐसी ही मानसिकता के कारण आत्महत्याएं और कुरीतियाँ पनपती हैं. ऐसे व्यक्ति से चाहे वो स्त्री हो या पुरुष विवाह नहीं करना चाहिए.

Scriptures on choosing a life partner in Hindi

 यहोवा परमेश्वर ने कहा, आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उससे मेल खाए. (उत्पति 2:18)

भली पत्नी कौन पा सकता है? क्योंकि उसका मूल्य मूंगों से भी बहुत अधिक है। उस के पति के मन में उस के प्रति विश्वास है. (नीतिवचन 31:10)

अविश्वासियों के साथ असमान जूए में न जुतो, क्योंकि धामिर्कता और अधर्म का क्या मेल जोल? या ज्योति और अन्धकार की क्या संगति? (2 कुरु. 6:14)

जिस ने स्त्री ब्याह ली, उस ने उत्तम पदार्थ पाया, और यहोवा का अनुग्रह उस पर हुआ है. (नीतिवचन 18:22)

घर और धन पुरखाओं के भाग में, परन्तु बुद्धिमती पत्नी यहोवा ही से मिलती है.(नीतिवचन 19:14)

और न उन से ब्याह शादी करना, न तो उनकी बेटी को अपने बेटे के लिये ब्याह लेना. क्योंकि वे तेरे बेटे को मेरे पीछे चलने से बहकाएंगी, और दूसरे देवताओं की उपासना करवाएंगी;

और इस कारण यहोवा का कोप तुम पर भड़क उठेगा, और वह तुझ को शीघ्र सत्यानाश कर डालेगा. उन लोगों से ऐसा बर्ताव करना, कि उनकी वेदियों को ढा देना, उनकी लाठों को तोड़ डालना,

उनकी अशेरा नाम मूत्तिर्यों को काट काटकर गिरा देना, और उनकी खुदी हुई मूर्तियों को आग में जला देना. क्योंकि तू अपने परमेश्वर यहोवा की पवित्र प्रजा है;

यहोवा ने पृथ्वी भर के सब देशों के लोगों में से तुझ को चुन लिया है कि तू उसकी प्रजा और निज धन ठहरे. (व्यवस्थाविवरण 7:3-6)

विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और बिछौना निष्कलंक रहे; क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा. (इब्रानियों 13:4)

स्त्रीगमन की रीति पुरूषगमन न करना; वह तो घिनौना काम है. (लैव्यव्यवस्था 18:22)

Conclusion | निष्कर्ष

मसीही विवाह आदर एवं पवित्रता की बात है इसमें विवाह के पश्चात रिपेयर किया जा सकता है लेकिन बदला नहीं जा सकता. मतलब तलाक की कोई गुंजाईश नहीं है.

तलाक परमेश्वर के नजरों में अच्छी बात नहीं है. इसलिए विवाह प्रार्थना के साथ परमेश्वर की मर्जी के साथ और सोच समझकर करनी चाहिए.

बहुतों का आत्मिक जीवन विवाह के बाद बहुत बढ़ गया लेकिन बहुतों की सेवकाई भी विवाह के बाद नाश हो गई. यह एक गम्भीर मसला है.

दोस्तों आपके यदि कोई सवाल है तो कमेन्ट में जरुर लिखिए मैं प्रार्थना के साथ आपके सवालों का जवाब देने की कोशिश करूँगा यह एक ऐसा विषय है जब हम सभी को अपने विचार रखना चाहिए. यदि आपको यह लेख में कुछ बुरा लगा तो भी आप बोल सकते हैं धन्यवाद.

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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)

rajeshkumarbavaria@gmail.com


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4 thoughts on “विश्वासी को किससे शादी करनी चाहिए? | Scriptures on choosing a life partner in Hindi”

  1. हमारे विवाह हुआ पर परमेश्वर की मर्जी पर आज लड़की व माता पिता परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते हैं लड़की के पापा पास्टर था जब मेने शादी की तब मेने उनका विश्वास देखर शादी कि आप जानते हैं कि मसीह में दुख सूख आता जाता रहता पर वह धन की लालच में आ कर तलाक मांग रही है तो आप बताइये में क्या करू उन्होंने पुलिस ऐफ्यहर लिखवाये दिये

    1. हम प्रार्थना करेंगे आप भी प्रार्थना करें प्रभु अनुग्रह करें इस रिश्ते को आशीष दे.

  2. Mere man me ek sabal hai samajlog kya kahata hai ki agar Sadi karega visvasi se to samaj se tujhe likal dege ya bar dege

    1. आप सही कह रहे हैं कुंदन भाई लेकिन मसीही लोगों पर हमेशा परीक्षाएं आई हैं और विश्वास परखा गया है. प्रभु आपको समझ और सामर्थ प्रदान करे

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