जब कोई पवित्रात्मा की सहायता से अपने आप को पवित्र करता है तब उसके जीवन में पवित्र आत्मा के फल और वरदान देते हैं. गलतियों 5:22 में जो पवित्र आत्मा का फल है, वो एक वचन में है अर्थात फल एक है उसके 9 गुण हैं जैसे संतरा (मौसमी फल) एक होता है लेकिन उसके अंदर कई कलिया होती हैं.
पवित्र आत्मा का फल क्या है?
आज हम बात करेगें पवित्र आत्मा के फल और वरदान के विषय में बाइबल के अनुसार पवित्र आत्मा का एक ही फल है और उसके गुण हैं प्रेम, आनन्द शान्ति धीरज दया भलाई विश्वास्योगता नम्रता और संयम. अत: एक विश्वासी के जीवन में इसी कारण पवित्र आत्मा बहुत जरूरी है. आइये इसे विस्तार से समझते हैं
– प्रेम – पवित्र आत्मा के फल का पहला गुण
यह परमेश्वर का प्रेम है जो पवित्र आत्मा का पहला गुण हैं यूहन्ना 3:16 जो मिनी बाइबल भी कहा जाता है इसमें लिखा है. क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया.
परमेश्वर का प्रेम निष्कपट प्रेम है और परमेश्वर चाहते हैं प्रत्येक विश्वासी के अंदर वही प्रेम पाया जाए. प्रभु यीशु मसीह ने पतरस से यही प्रेम के विषय में पूछा था पतरस क्या तू मुझसे प्रेम करता है?
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– आनन्द – पवित्र आत्मा के फल का दूसरा गुण
यह आनन्द दुनिया की ख़ुशी से कहीं बढ़कर है. यह महिमा से भरा हुआ आनन्द है. (1 पतरस 1:8) बाइबल में लिखा है जब एक पापी मन फिराता है और जब उसका आत्मा बचाया जाता है तो स्वर्ग में आनन्द मनाया जाता है.
परमेश्वर के एक दास ने इस प्रकार से प्रार्थना किया था. “प्रभु जिस बात से तेरा दिल दुखित होता है उससे मेरा भी दिल टूटने पाए और जिस बात से आपको आनन्द मिलता है उस बात से मेरा भी दिल आनन्दित होने पाए.”
– शांति – पवित्र आत्मा के फल का तीसरा गुण
ये शांन्ति स्वर्गीय शान्ति है जो हमें संसार में प्रभु यीशु के अलावा और कोई नहीं दे सकता. यीशु मसीह ने कहा, तुम्हारा मन न घबराए, मैं तुम्हें अपनी शान्ति दिए जाता हूँ संसार तुम्हें ऐसी शान्ति नहीं दे सकता. (यूहन्ना 14:27)
प्रभु यीशु मसीह शान्ति का राजकुमार है, जो दुनिया के सारे पापों को उठा कर सूली पर चढ़ गया और अपने प्राणों को त्यागते हुए कहा, पिता इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं.
– धीरज – पवित्र आत्मा के फल का चौथा गुण
यहाँ धीरज का अर्थ है सहनशीलता जो विश्वास से उत्पन्न होती है. (याकूब 1:4) एक विश्वासी की परिपक्वता maturity उसके धीरज से ही आंकी जाती है. धीरज को अपना काम करने दो.
अंडे को सेने से ही उसमें से चूजे प्राप्त होते हैं फोड़ने से नहीं. एक व्यक्ति इस प्रकार प्रार्थना कर रहा था, “प्रभु मुझे धीरज दो और अभी इसी वक्त दो” ……
– दया – पवित्र आत्मा के फल का पांचवा गुण
दया न्याय पर भारी है, हम परमेश्वर से दया की याचना कर सकते हैं न्याय नहीं मांग सकते. करुणा और दया परमेश्वर के गुण है पवित्र आत्मा हमें दया सिखाता है. परमेश्वर के सब मार्ग दया और सच्चाई के हैं. (भजन 25:10)
ये परमेश्वर की महा करुणा और दया है, कि हम जीवित हैं. जब हम पापी ही थे तो परमेश्वर ने हम पर दया करके अपने एकलौते पुत्र यीशु को हमारे खातिर बलिदान होने को भेजा यह परमेश्वर की दया है.
– भलाई – पवित्र आत्मा के फल का छटवां गुण
परमेश्वर का वचन हमें सिखाता है यदि हम भला कर सकते हैं और नहीं करते तो यह पाप है. यह जानवरों की प्रवत्ति होती हैं कि वह आप आप ही चरे लेकिन मनुष्य वही है जो मनुष्यों के लिए मरे. अर्थात परोपकार का काम करे.
जो दूसरों की खेती सींचता है उसकी खेती भी सींची जाएगी. (नीतिवचन 11:25) यदि हम भलाई का काम करते हैं तो वह भलाई लौट कर हमारे पास आएगी और बेहतर रूप से प्रतिफल देगी.
– विश्वास – पवित्र आत्मा के फल का सातवाँ गुण
हमारा विश्वास ही है जो जगत में जय पाता है. एक विश्वासी के जीवन में पवित्रात्मा की ओर से विश्वासयोग्यता आती है. बाइबल में लिखा है एक बात जिसने प्रभु यीशु को आश्चर्य में डाल दिया वह था सुबेदार का विश्वास.
वो सृष्टिकर्ता परमेश्वर इस संसार में यदि किसी बात से प्रसन्न होता है वह हमारा विश्वास. बिना विश्वास परमेश्वर को प्रसन्न करना अनहोना है. परमेश्वर के पास आने वालों को विश्वास करना चाहिए कि वह है और वह अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है. (इब्रानियों 11:6)
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– नम्रता – पवित्र आत्मा के फल का आठवां गुण
नम्रता और दीनता वो गुण हैं जो किसी भी साधारण व्यक्ति को असाधारण सफलता प्रदान कर सकते हैं. परमेश्वर के बलवंत हाथों के नीचे जो नम्रता से रहता है तो परमेश्वर उसे उचित समय पर बढ़ाता है. (1 पतरस 5:6)
प्रभु यीशु ने कहा, “मुझसे सीखो मैं मन में दीन हूँ” (मत्ती 11:29) उसकी दीनता इस बात पर दिखाई देती है कि वह सारे संसार का सृष्टिकर्ता होकर आज हमारे दिल के द्वार पर खटखटाता है जो कोई दरवाजा खोलेगा वो अंदर आना चाहता है. वो जबरदस्ती नहीं करता.
– संयम – पवित्र आत्मा के फल का नौवां गुण
पवित्रआत्मा के फल का नौवां गुण है संयम या सहनशीलता. पवित्र आत्मा हम विश्वासियों को परमेश्वर के पुत्र की समानता में बनाना चाहता है. ये सभी गुण प्रभु यीशु मसीह में पाए जाते हैं.
वो गाली सुनकर गाली नहीं देता था. उसने हमारे सारे अधर्म को सह लिया. वो चाहता तो उसके सताने वालों के लिए उसके एक आदेश में स्वर्गदूतों की सेना पूरे विश्व को नाश कर सकती थी लेकिन हमारे लिए स्वर्ग का रास्ता तैयार करने हेतु वह संयम धर कर केवल सहता रहा.
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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)