जैसे तुम ने मसीह यीशु को प्रभु करके ग्रहण कर लिया है, वैसे ही उसी में चलते रहो । और उसी में जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ (कुलुस्सियों 2:6-7)
एक अमरूद के बगान का माली था। हजारों अमरूद के पेड़ों की वह रखवाली किया करता था। परन्तु उसी बगान के पास एक बन्दर था जो माली को हमेशा परेशान किया करता था।
बन्दर अमरूद की डाल पर अमरूदो को तोड़ता और खराब किया करते था। जब जब बगान का माली बन्दर को देखता तो उनके पीछे लाठी लेकर उन्हें भगाता कभी मारता कभी पत्थर से उसे भगाता था।
एक दिन उस बन्दर ने हिम्मत करके माली के पास आया और उससे कहने लगा, ‘माली काका आप बहुत बुजुर्ग हो चुके हैं मुझे भी आपको तंग करने में अच्छा नहीं लगता।
लेकिन मैं भी क्या करूं अपनी आदत से मजबूर हूँ। आप ऐसा क्यों नहीं करते कि मुझे माली पद पर रख लो मैं और जानवरों से इस बगान की देखरेख करूंगा उन्हें इस बगान में घुसने भी नहीं दूंगा।
उसके बदले आप मुझे कुछ फल दे दिया करना। माली को यह प्रस्ताव पसंद आया, उसने सोचा इस तरह मैं कुछ दिन अपने परिवार में बच्चों के साथ भी समय बिता सकता हूँ । परन्तु उसे बन्दर पर भरोषा नहीं था अत: उसने बन्दर से कहा ठीक है मैं तुम्हें 10 दीन की परीक्षा में रखूगा यदि तुम पास हो गये तो फिर हमेशा के लिए तुम्हें माली पद में नियुक्त कर दूंगा और तुम्हे तुम्हारा मेहनताना अमरूद भी दिया करूंगा।
इसके लिए तुम्हें मैं दस अमरूद के पौधे देता हूँ तुम्हे ध्यान रखना है कि उसमें ठीक से पानी मिले, धूप मिले और खाद मिले यदि पौधे बढने लगे तो मैं समझूंगा कि तुम पुरे बगान का भी ध्यान रख सकते हो।बन्दर को यह शर्त बहुत ही सरल और उचित लगी उसने हामी भरी ठीक है मैं ध्यान रखूंगा कि सुबह शाम पौधे को पानी मिले खाद मिले धूप मिले।
इतना कह कर माली अपने परिवार से मिलने दस दिन के लिए चला गया । जब माली दस दिन बाद वापस आया तो इन दस पौधों को देखकर बहुत गुस्सा हुआ और क्रोध में बन्दर को बुला कर कहा ये क्या तुमने इन पौधों का ध्यान नहीं रखा ये तो मर गये ।
तुमने पानी नहीं दिया क्या? बन्दर ने कहा मैंने सुबह शाम पौधे को पानी देता था खाद देता था और देखता था कि इसमें धूप बराबर मिले…तो फिर ये पौधे मर कैसे गये….माली ने पूछा ।
बन्दर ने जवाब दिया मैं रोज इन्हें खींच कर और रोज उखाड़ कर इनकी जड़ों को देखता था कि ये जमीन में जड़ पकड़ रहे हैं कि नहीं….बड़े आश्चर्य की बात है इतना पानी देने और खाद धूप मिलने पर भी ये सभी पौधे जड़ नहीं पकड़ रहे ।
दोस्तों अनेक बार हममें से बहुतों के जीवन में भी ऐसा ही होता है हम कोई भी कार्य प्रारंभ करते हैं और तुरंत उसका परिणाम चाहते हैं। फिर चाहे वह आत्मिक जीवन हो या भौतिक…
मनवांछित परिणाम न मिलने पर हम तुरंत अपनी दिशा बदल लेते हैं और या उस पौधे को जड़ पकड़ने से पहले ही उखाड़ कर देखते रहते हैं …अंडे को चूजों में बदलने के लिए इन्तजार करना पड़ता है
इन्हें भी पढ़ें
Sir fasting ke bare main likhna ki hum fasting kaise kare kitne day ki Karen aur ese kaise open Karen pls ek articles likhna
Bahut Sundar sermon hai Sir ji 👍👌 dhanyawad God bless you
Thank you so much Joseph ji may God bless you for visiting this blog…