#1 – Obedience is the Secret of Success
आज्ञाकारिता सफलता का रहस्य है | सफलता के लिए परमेश्वर का तरीका
लूका रचित सुसमाचार 5:1-11 में हम एक घटना को पाते हैं, जहाँ पतरस नामक एक मछुआरा था, जिसने रात भर पूरी झील में अलग अलग जगह अपना जाल डाल कर थक चूका था। परन्तु उसे एक भी मछली नहीं मिली थी। वह पूरी रीति से असफल महसूस कर रहा था।हारकर उसने सुबह अपने जाल को साफ करने लगा, शायद बड़ा परेशान था कि अब घर क्या लेकर जाऊंगा। घर में लोग क्या कहेंगे। तभी उसने देखा झील के किनारे बड़ी भीड़ है और वहां एक व्यक्ति कुछ संदेश दे रहा है वह और कोई नहीं प्रभु यीशु थे। सुनने वाली भीड़ इतनी ज्यादा थी कि प्रभु यीशु पर गिरी पड़ रही थी तब प्रभु यीशु ने देखा कि पतरस की नाव खाली है तब प्रभु यीशु नाव पर चढ़कर लोगो को संदेश देने लगे। यह संदेश पतरस भी अपने जाल को साफ करते हुए सुन रहा था। सन्देश पूरा कर के प्रभु यीशु ने पतरस को बुलाया और साथ में उसके जाल लाने को भी कहा। असफल और हारा थका हुआ पतरस समझ नहीं पा रहा था कि प्रभु उसे क्यों बुला रहे हैं परन्तु वह प्रभु के पास आया। तब प्रभु यीशु ने कहा नाव को थोड़ा गहरे में ले चल और दाहिनी ओर जाल डाल । पतरस सोच रहा होगा कि यह तो एक बढ़ई है संदेश देने वाला है, संदेश तो बहुत प्रभावशाली थे इसलिए वह उसे मन ही मन गुरु मान बैठा था फिर भी वह बोल उठा स्वामी मैंने तो रात भर जाल डाल कर देख चुका हूँ परन्तु मैंने कोई मछली नहीं पाया। यह कथन बताता है कि वह जानता था कि मछली कब पकडनी चाहिए और उसके लिए उसने पूरी कोशिश कर चूका है। लेकिन फिर भी उसने एक काम किया और वह कहने लगा फिर भी मैं आपके कहने से जाल डालूँगा। और फिर जब उसने जाल डाला तब कूछ एसा हुआ जिसकी कल्पना पतरस ने भी नहीं की थी। उसके जीवन में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ उसके जाल में आश्चर्य रीति से इतनी मछली आ गई कि उसे लगा शायद जाल फट जाएगा और यदि उसे नाव में भरा गया तो नाव भी डूब जाएगी। इतनी अपार सफलता ऐसा बड़ा चमत्कार उसने अपने साथी मछुआरो को भी बुलाना शुरू किया। परमेश्वर का तरीका मनुष्य के तरीके से बिलकुल अलग है। परमेश्वर का तरीका आज्ञाकारिता का तरीका है। मनुष्य जब परमेश्वर की आज्ञा का पालन करता है तब परमेश्वर को खुश कर देता है। सांसारिक मनुष्य देखकर विश्वास करता है परन्तु आज्ञाकारी या विश्वासी मनुष्य जिसे पवित्रशास्त्र धर्मी जन कहता है विश्वास से जीवत रहेगा। परमेश्वर और मनुष्य की सोच में और कार्य करने के तरीके में जमीन और आसमान का अंतर है। परमेश्वर के कहने मात्र से इस धरती आकाश की सृष्टि हुई है। इसलिए वह उस मनुष्य के लिए कुछ भी कर सकता है जो परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी हो। आज्ञाकारिता में परमेश्वर यह नहीं चाहता कि मनुष्य अपनी समझ का सहारा ले या सवाल जवाब करे। बाइबल में ऐसे अनेक उदाहरण पाए जाते हैं जहाँ परमेश्वर ने मनुष्य को कुछ करने को कहा और उन मनुष्यों ने बिना किसी सवाल जवाब के वाद विवाद के आज्ञा मानी और परमेश्वर ने अद्भुद काम किया जैसे समुद्र को दो भाग करना, कडवे पानी को मीठा करना, यर्दन नदी को उल्टा बहाना, आदि... यदि आज आप अपने किसी काम या जीवन के किसी क्षेत्र में असफल हो रहे हैं यह परमेश्वर का तरीका आपनाए अर्थात आज्ञाकारिता को अपनाएं। परमेश्वर हमारे भेंट चढ़ाने और बलिदान से बढकर हमारी आज्ञाकारिता पसंद करता है।
परमेश्वर की भेंट पर तीन अद्भुत कहानियां
#2 – Persistence Prayer is the Secret of Success
परमेश्वर का दूसरा तरीका है (लगातार प्रार्थना )
सुनने में बड़ा अजीब लगता है, परन्तु यह सत्य है...हमारा स्वर्गीय पिता परमेश्वर चाहता है, कि हम उसके बच्चे जब उसके पास जाएं तो किसी भी शर्म और फोर्मेलटी को छोड़ कर उससे एक सन्तान के भांति हक़ से मांगे। प्रभु यीशु ने (लूका 18:1-8) में प्रार्थना के ऊपर एक दृष्टांत बताया.... किसी गाँव में एक बुजुर्ग दुखियारी विधवा स्त्री रहती थी, दुखियारी इसलिए क्योंकि वह अपने पति को जवानी में ही खो चुकी थी और उसके कोई सन्तान भी न थी जो उसके बुढापे की लाठी बनता। बस इसी बात का फायदा उठाकर गाँव के कुछ असमाजिक तत्वों ने उसके बची कुची संपति पर जिसके द्वारा उसका जीवन यापन हो रहा था उससे छीन लिया। इस बुजुर्ग विधवा ने सभी अधिकारी लोगों के पास जाकर गुहार लगाई परन्तु कोई भी इस झमेले में नहीं पड़ना चाहता था। इसलिए कोई भी सहायता के लिए सामने नहीं आया। सच है अमीर के बहुत मित्र होते हैं परन्तु गरीब का साया भी साथ नहीं देता। इस बुजुर्ग विधवा ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार गाँव के दरोगा के पास और पंचायत के सरपंच के पास जाती रही। फिर किसी ने उसे बताया कि इस नगर का न्यायी ही तेरे लिए कुछ कर सकता है। परन्तु सब जानते थे कि वह न्यायी बड़ा ही दुष्ट वह सभी भ्रष्टाचारियों में सबसे बड़ा है वह न तो किसी मनुष्य से डरता है और न ही परमेश्वर का भय मानता है... वो बिना पैसे लिए कुछ काम नहीं करता...यह बात सुनते ही बुजुर्ग विधवा को तो जैसे आशा की किरन नजर आने लगी... वह उसी समय सारा काम छोड़कर उस न्यायी के पास भागी....जैसे ही वह न्यायी के न्यायालय पहुंची उसे किसी ने मिलने ही नहीं दिया सबने समझाया देखो माता जी कोई फायदा नहीं है उनसे मिलने का वो केवल पैसे वालों से ही मिलता है। परन्तु बुजुर्ग विधवा ने तो जैसे ठान ही लिया था उससे मिलने का। और पूरे दिन इंतजार करती रही... और जैसे ही न्यायी अपना काम पूरा कर घर जाने लगा वो बुजुर्ग विधवा उससे मिलने सामने आ गई और कहने लगी साहब मुझे मुद्दई से बचा लो मेरी रोजी रोटी पर दया करो...न्यायी को ज्यादा देर नहीं लगी यह जानने में की इस विधवा के पास कुछ नहीं है देने को और इसके पीछे और कोई नहीं जो इसकी सहायता करे। उसने कहा देख तू अपना और मेरा समय बर्बाद मत कर यहाँ से चली जा और दोबारा अपना मुंह मत दिखाना... यह कर्कश शब्द सुनकर उस विधवा की आँखे भर आई...और वो चिल्लाती रही साब जी..साब जी परन्तु वह दुष्ट न्यायी ने एक बार भी मुड़कर नहीं देखा और अपने घर चला गया। दूसरे दिन न्यायी जैसे ही सुबह उठकर अपनी खिड़की खोला तो क्या देखता है कि वही विधवा उसके घर के सामने बैठी है...जिसकी उसने कभी कल्पना नहीं की थी... गुस्से में आगबबुला होकर न्यायी ने चिल्लाया अरे बुढ़िया तुझे सुनाई नहीं देता...मैंने तुझसे कल क्या कहा था...विधवा ने बड़ी नम्रता से कहा साहब मेरा न्याय चूका दो...न्यायी ने अपनी खिड़की जोर से बंद की और बडबडाता हुआ दूसरी ओर चला गया। अब तो जैसे यह सिलसिला सा चल पड़ा यह न्यायी जहाँ भी जाता उस बुजुर्ग विधवा को दोनों हाथ जोड़े और विनती करते हुए पाता साब जी मेरा न्याय चुका दो... अनेको बार मना कर देने के बाद न्यायी तंग हो गया अब तो जैसे उसे डर लगने लगा कि कहीं वह इस मार्ग में होगी या उस मार्ग में कौन से मार्ग से जाऊं कहाँ भागूं। परन्तु उस विधवा को न्याय मांगने में कोई शर्म नहीं थी । एक दिन वह घर में अकेले बैठ कर सोचने लगा मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जो परमेश्वर से भी नहीं डरता और न किसी मनुष्य से डरता हूँ परन्तु इस विधवा स्त्री ने तो मेरे नाक में दम कर दिया है। मैं कैसे इससे अपना पीछा छुड़ाऊं... हाँ!!! मैं एक काम करूँगा मैं इसका न्याय बिना पैसे के चुका दूंगा... देखिये जब यह दुष्ट न्यायी जो न तो परमेश्वर से डरता था और न मनुष्यों की परवाह करता है उसके बावजूद वो न्याय चुकाने के लिए तैयार हो गया और तो परमेश्वर कहते हैं क्या मैं अपने चुने हुओं को जो मुझे पुकारते हैं उन्हें आशीष न दूंगा उन्हें न छुड़ाऊँगा बल्कि मैं देर न करूँगा ... प्रभु यीशु ने इस कहानी का निष्कर्ष निकालते हुए बताया देखो यह दुष्ट न्यायी क्या कहता है जब विधवा के द्वारा बार बार बिना शर्म के मांगने से विनती करने से यह दुष्ट न्यायी का मन भी पिघल गया और वह उसका न्याय चुका दिया तो क्या तुम जो परमेश्वर की सन्तान हो अपने पिता से लगातार दिन रात विनती करते रहते हो क्या वह नहीं सुनेगा क्या वह देर करेगा... दुसरे शब्दों में क्या वह इस दुष्ट न्यायी से भी ज्यादा बुरा है जो तुम उससे मांगते रहते हो और वह अनसुनी करेगा....कदापि नहीं हमारा परमेश्वर तो दयालु है वह बिलकुल भी देर नहीं करेगा वरन वह चाहता है और प्रतिज्ञा करता है मागों तो तुम्हे दिया जाएगा...तुमने माँगा नहीं इसलिए पाया नहीं... प्रभु आपको आशीष दे...
सफलता के विषय में बाइबिल के वचन भोर को अपना बीज बो, और सांझ को भी अपना हाथ न रोक; क्योंकि तू नहीं जानता कि कौन सफल होगा, यह वा वह वा दोनों के दोनों अच्छे निकलेंगे। (सभोपदेशक 11:6) यूसुफ अपने मिस्री स्वामी के घर में रहता था, और यहोवा उसके संग था; सो वह भाग्यवान (सफल) पुरूष हो गया। और यूसुफ के स्वामी ने देखा, कि यहोवा उसके संग रहता है, और जो काम वह करता है उसको यहोवा उसके हाथ से सफल कर देता है। (उत्त्पत्ति 39:2-3) व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिये कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा। (यहोशू 1:8) क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है॥ (भजन संहिता 1:1-3)