दोस्तों आज हम चर्चा करेंगे कि, What is Church Growth Strategies | कलीसिया की बढ़ोत्तरी कैसे करें मतलब चर्च कैसे उन्नति करें इसे हम पवित्र शास्त्र बाइबिल से सीखेंगे तो आइये शुरू करते हैं.
What is Church Growth Strategies | कलीसिया की बढ़ोत्तरी कैसे करें | Church Growth
यह लेख कलीसिया की अगुवाई करने वाले परमेश्वर के दासों अर्थात पासवानो एवं चर्च अगुओं के लिए लिखा गया है. अनेक बार लोग पूछते हैं कलीसिया की बढ़ोत्तरी कैसे करें.
या कलीसिया को उन्नति (Church Growth) में आगे कैसे बढ़ाएं. इसका एक सीधा सा कोई ट्रिक या शोर्ट कर्ट नहीं है. देखिये यह जीवन से सम्बन्ध रखता है इसलिए इस पर ध्यान देना जरूरी है.
अनेक बार कलीसिया में आने वाले सैकड़ों लोगों को आप मजबूत विश्वासी नहीं कह सकते क्योंकि वे अलग अलग मनसा या उद्देश्य के कारण कलीसिया में आ रहे होंगे.
प्रभु यीशु मसीह के पीछे भी कई हजार लोग चलते थे लेकिन प्रभु ने स्वयं कहा तुम मुझे इसलिए ढूढ़ते हो क्योंकि तुमने रोटी खाई है. हम जानते हैं बहुत से लोग यीशु को पकडवाने के लिए या यीशु की बातों को लेकर उसे फंसाने के लिए या चमत्कार देखने के लिए भी उसके पीछे पीछे आते थे.
आज की परिस्थिति भी कुछ ऐसी ही है. बहुत सारे लोग केवल चत्म्कार को नमस्कार करने या उनके व्यक्तिगत उद्देश्य पूरे करने के लिए कलीसिया आते हैं.
ये लोग जितनी तेजी से कलीसिया में आते हैं समस्या या सताव आने पर ये उतनी ही तेजी से कलीसिया से भाग भी जाते हैं. ये ही वे लोग हैं जो कहते हैं हम तो घर वापसी में अपने घर वापस आ गए क्योंकि वहां कुछ मिला ही नहीं.
क्योंकि कुछ पाने के उद्देश्य से वे लोग कलीसिया आये थे. हालाकि हम सभी जानते हैं कलीसिया में कभी भी धन पैसा या भौतिक वस्तुएं नहीं दी जाती. लेकिन फिर क्यों वे लोग कलीसिया में रुक नहीं पाए. इसका सीधा सा कारण हैं वे लोग चेले नहीं बन पाए.
चेले बनाएं | Make disciples
एक चेला learner होता है जो लगातार सीखता है और सिखाता है. प्रभु यीशु ने हम अगुवों को अपनी बातें लोगों को सुनाने के लिए नहीं बुलाया है. बल्कि कहा, जाओ उन्हें चेले बनाओ और वो सब बातें उन्हें मानना सिखाओ जो मैंने तुम्हें सिखाई हैं.
चेले का क्या अर्थ होता है?- चेला वो होता है जो और लोगों को चेला बनाता है. उसका यीशु मसीह के साथ गहरा सम्बन्ध होता है. वह परमेश्वर से प्यार करता है.
वह देखता है जो परमेश्वर देखता है, वह वही दर्शन रखता है जो दर्शन प्रभु यीशु मसीह का था. वह लोगों पर तरस खाता है. खोए हुए लोगों को ढूढता है और उन्हें बचाने मतलब उद्धार दिलाने हेतु कार्य करता है.
यदि कोई विश्वासी चेला खोए हुए को नहीं ढूढता इसका मतलब यह है कि अब तक वह स्वयं भी खोया हुआ है. एक पासवान जब तक अपने चर्च में आने वाले लोगों के नंबर को देखता रहेगा तो उसे निराशा ही होगी.
लेकिन यदि उसका ध्यान चेले बनाने में होगा तो वह ऐसे लोगों को तैयार कर पाएगा जो और लोगों को तैयार करते हैं. (2 तिमोथी 2:2)
और याद रखें वो चेले ही थे जिन्होंने पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया. इसलिए भीड़ पर ध्यान न देकर चेले बनाने पर ध्यान केन्द्रित करें.
चेले बनाने के लिए उसी पद्धति को अपनाना होगा जो प्रभु यीशु मसीह ने सिखाया है. प्रभु यीशु ने चेलों के साथ सबसे ज्यादा समय व्यतीत किया. उन्हें सिखाया, समझाया, कर के दिखाया और सशक्त किया,
फिर उन्हें वहां भेजकर जहाँ जिन गाँवों में वह स्वयं जाने वाला था अपने चेलों को भेजकर practice करवाया और फिर उन्हें प्रेरित के रूप में नियुक्त किया. यह एक लम्बी प्रक्रिया थी. कोई short Cut नहीं. कोई trick नहीं.
How to make disciples | चेले कैसे बनाएं?
चेले बनाने के लिए हम प्रभु यीशु मसीह की पद्धति अपनाएंगे. जो चार स्तर में हम सीख सकते हैं. वे चार बिंदु इस प्रकार हैं. 1.) सिखाना, 2.)कर के दिखाना. 3.) अपने साथ रखते हुए उनसे करवाना. 4.) फिर उन्हें करने के लिए भेजना. ये किसी को भी कुछ भी सिखाने का सबसे बढ़िया तरीका है.
1. सिखाना
प्रभु यीशु मसीह पहले अपने चेलों को दृष्टांत एवं उदाहरणों के द्वारा अपने लोगों को सिखाया. उसने जीवन का मूल्य, एवं स्वर्गराज्य के विषय में लोगों को सरल भाषा में जो वे समझ सकें उनकी ही उदाहरण को लेकर सिखाया. हमें भी अपने कलीसिया में आने वालों को इसी प्रकार सिखाना चाहिए.
2. कर के दिखाना.
प्रभु ने केवल सिद्धांतों या सैद्धांतिक बातों को ही नहीं सिखाया बल्कि उन्हें कर के भी दिखाया. जैसे उसने अपने चेलों के पैरों को धोकर नम्र रहना सिखाया, पतरस की सास को चंगा करके तरस खाना सिखाया, पानी को दाखरस बनाकर लोगों की कमी घटी को पूरा करना सिखाया.
हमें भी अपने साथ के लोगों को कई बार अपने साथ सेवकाई में ले जाकर छोटी छोटी बातों को कैसे करते हैं करके दिखाना चाहिए. जैसे कैसे किसी नए व्यक्ति से मुलाकात करते हैं, उसके लिए प्रार्थना करते हैं. बीमार के लिए कैसे प्रार्थना करते हैं. सुसमाचार कैसे सुनाते हैं आदि.
3. अपने साथ रखते हुए उनसे करवाना.
प्रभु यीशु मसीह कई बार अपने कुछ चेलों को विशेष स्थानों में आने की अनुमति देते थे. जैसे याईर की बेटी को जीवित करते समय, और व्यक्तिगत प्रार्थना करते समय पतरस युहन्ना और याकूब को साथ लेकर गया.
हमें भी इसी प्रकार अपने विश्वासियों को जो सेवा के लिए और सीखने के लिए इच्छुक हैं उन्हें सेवा कार्य के लिए लेकर जाना चाहिए.
पढ़ें सेवकाई क्या है बाइबल का दृष्टिकोण
3. उन्हें करने के लिए भेजना
सिखाने और करके दिखाने के बाद लूका 10:1 में लिखा है प्रभु यीशु ने अपने चेलों को उन स्थानों में भेजा जहाँ वह स्वयं जाने पर था. प्रभु यीशु ने उन पर विश्वास किया और उन्हें निर्देश देते हुए भेजा.
हमें भी अपने विश्वासी लोगों को सिखाने और अपने साथ रखकर कर के दिखाने के बाद उन्हें दो दो या तीन तीन के समूह में सेवा कार्य के लिए और प्रचार कार्य के लिए भेजना चाहिए. इससे उनका विश्वास बढेगा और वे लोग हो सकता है हमसे भी बढ़िया कर जाएं.
Conclusion | निष्कर्ष
आपको इस लेख को सम्पूर्ण रीती से समझने के लिए मेरे द्वारा लिखे कई और लेखों को भी पढना होगा जैसे कलीसिया क्या है?
सेवकाई क्या है? कलीसिया का इतिहास आदि जिससे आप समझ सकें और प्रभु के कार्य को और भी सुचारू रूप से कर सकें. प्रभु आपको बहुत आशीष दे.
विश्वास करते हैं यह लेख कि What is Church Growth Strategies | कलीसिया की बढ़ोत्तरी कैसे करें | Church Growth पढ़कर आपको अच्छा लगा होगा कृपया कमेन्ट करके अवश्य बताएं आप हमारे हिंदी बाइबिल स्टडी app को गूगल प्ले स्टोर से डाउन लोड आप इस लिंक से उस लेख को पढ़ सकते हैं.. हमारे इन्स्ताग्राम को भी फोलो कर सकते हैं… और पॉडकास्ट को सुन सकते हैं
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I am interested to know more about word of God please guide me to know deeply about Jesus and his words of wisdom and power
Thank you Jay Prakash Tirkey ji sure keep reading our article and write in comment in the bible what subject you would like to know if God allow we will learn together. may God bless you.