कहानी
आज जो कहानी हम सुनने वाले हैं वो हमें शिक्षा देती है हर समस्या को किस दृष्टिकोण दे देखना चाहिए. यह एक प्रेरणादायक कहानी है.
लोगों की समस्या
बहुत समय पहले की बात है एक विद्वान् परमेश्वर के दास पास्टर अकेले रहा करते थे। लेकिन उनकी प्रसिद्धि इतनी थी की लोग दुर्गम पहाड़ियों , सकरे रास्तों , नदी-झरनो को पार कर के भी उससे मिलना चाहते थे। उनका मानना था कि यह विद्वान पास्टर उनकी हर समस्या का समाधान कर सकता है।
इस बार भी कुछ लोग ढूंढते हुए उसकी कुटिया जैसे घर तक आ पहुंचे। पास्टर जी ने उन्हें इंतज़ार करने के लिए कहा। तीन दिन बीत गए, अब और भी कई लोग वहां पहुँच गए, जब लोगों के लिए जगह कम पड़ने लगी तब पास्टर जी बोले,”
आज मैं आप सभी के प्रश्नो का उत्तर दूंगा, पर आपको वचन देना होगा कि यहाँ से जाने के बाद आप किसी और से इस स्थान के बारे में नहीं बताएँगे , ताकि आज के बाद मैं एकांत में रह कर प्रार्थना और बाइबल अध्य्यन कर सकूँ …..चलिए अपनी –अपनी समस्याएं बताइये
“यह सुनते ही किसी ने अपनी परेशानी बतानी शुरू की , लेकिन वह अभी कुछ शब्द ही बोल पाया था कि बीच में किसी और ने अपनी बात कहनी शुरू कर दी। सभी जानते थे कि आज के बाद उन्हें कभी पास्टर जी से बात करने का मौका नहीं मिलेगा ; इसलिए वे सब जल्दी से जल्दी अपनी बात रखना चाहते थे।
कुछ ही देर में वहां का दृश्य मछली –बाज़ार जैसा हो गया और अंततः पास्टर जी को चीख कर बोलना पड़ा ,”
समस्या का समाधान
कृपया शांत हो जाइये ! अपनी –अपनी समस्या एक पर्चे पे लिखकर मुझे दीजिये। “ सभी ने अपनी –अपनी समस्याएं लिखकर आगे बढ़ा दी। पास्टर जी ने सारे पर्चे लिए और उन्हें एक टोकरी में डाल कर मिला दिया और बोले , ” इस टोकरी को एक-दूसरे तक आगे बढाइये, हर व्यक्ति एक पर्ची उठाएगा और उसे पढ़ेगा। उसके बाद उसे निर्णय लेना होगा कि क्या वो अपनी समस्या को इस समस्या से बदलना चाहता है ?”
हर व्यक्ति एक पर्चा उठाता , उसे पढ़ता और सहम सा जाता!!
एक–एक कर के सभी ने पर्चियां देख ली पर कोई भी अपनी समस्या के बदले किसी और की समस्या लेने को तैयार नहीं हुआ; सबका यही सोचना था कि उनकी अपनी समस्या चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हो बाकी लोगों की समस्या जितनी गंभीर नहीं है। दो घंटे बाद सभी अपनी-अपनी पर्ची हाथ में लिए लौटने लगे , वे खुश थे कि उनकी समस्या उतनी बड़ी भी नहीं है जितना कि वे सोचते थे।
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