दोस्तों आज हम पवित्रशास्त्र बाइबिल से सीखेंगे कि, कैसी अच्छी और बुरी सलाह | Good and Bad Advice जीवन को प्रभावित करती हैं. तो आइये शुरू करते हैं.
अच्छी और बुरी सलाह | Good and Bad Advice

सलाह का अर्थ
एक अच्छी सलाह आपने जीवन को बना सकती है लेकिन एक बुरी सलाह जीवन में नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकती है.
बहुत बार लोगों के जीवन में बुरे प्रभाव को देखते हुए भी उन्हें समझ में नहीं आता यह उनके जीवन में क्यों हो रहा है.
सलाह एक सुझाव होती है, जो जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करती है, जिसके द्वारा किसी समस्या का समाधान किया जाता है
या उस समस्या से निकला जाता है. यह सलाह समझदारी और अनुभव पर आधारित होती है.
बिना सम्मति (सलाह) की कल्पनाएं निष्फल हुआ करती हैं, परन्तु बहुत से मंत्रियों की सम्मत्ति से बात ठहरती है. (नीतिवचन 15:22)
उपरोक्त वचन बताता है, बुद्धिमानों से सलाह लेना चाहिए. लेकिन बाइबिल में कुछ ऐसे भी उदाहरण हुए हैं जिन्होंने गलत व्यक्तियों से सलाह लिए और उस गलत सलाह के द्वारा जो निर्णय लिए गए उससे न केवल उनका बल्कि औरो का भी बुरा हुआ वरन पूरा का पूरा राज्य प्रभावित हुआ. आइये देखते हैं.
बुरी सलाह, राजा रहूबियाम की कहानी (1 राजा 12)
राजा रहूबियाम एक बुद्धिमान परिवार से था उसके दादा राजा दाउद जो अराधना करने वाला और भजनकार था, और रहूबियाम का पिता राजा सुलेमान पूरी दुनिया में सबसे बुद्धिमान पुरुष था.
लेकिन सुलेमान की मृत्यु के बाद जब उसका पुत्र रहूबियाम राजा बना तब सारी प्रजा के लोग उसके पास आकर निवेदन करने लगे कि हमारे ऊपर कर (टेक्स) का भार कम कर देना…
उस समय राजा रहूबियाम ने अनुभवी और परमेश्वर के भय मानने वाले सलाहकारों की सलाह को…जो कह रहे थे प्रजा के साथ नम्रता के साथ पेश आना और उनकी बात सुनना. नजरअंदाज किया…
अपने अनाड़ी मित्रों की सलाह मानी जो अनुभव हीन थे उन्हें राजपाठ चलाना नहीं मालूम था. और राजा रहूबियाम घमंड में आकर प्रजा से बोला मेरी सबसे छोटी ऊँगली भी मेरे पिता के कमर से मोटी है.
मैं अपने पिता से भी ज्यादा तुम पर भार डालूँगा. और उसका यही निर्णय उसे और उसके राज्य को ले डूबा.
उसके राज्य के लोगों ने उसके खिलाफ बलवा कर दिया और इस रीती से उसका राजपाट समाप्त हो गया और राज्य भी दो भागों में बट गया…
सीख : इसलिए हमेशा सही और अनुभवी लोगों से सलाह लेनी चाहिए, और उस सलाह को परमेश्वर के वचन से भी मिलाना चाहिए. अहंकार और क्रोध से हमेशा नुकसान ही हुआ है.
क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! (भजन 1:1)
सही सलाह की, राजा यहोशापात की कहानी (2 इतिहास 201-30)
राजा यहोशापात यहूदा का धर्मी अर्थात परमेश्वर का भय मानने वाला एक राजा था. एक बार उसके राज्य में तीन राज्य की सेनाओं ने मिलकर धावा बोल दिया, चढ़ाई कर दी.
ऐसे समय में राजा यहोशापात बुरी रीती से डर गया. लेकिन उसने अपनी बुद्धि का सहारा नहीं लिया बल्कि परमेश्वर पर भरोसा लिया और परमेश्वर की सलाह लेने का निश्चय किया.
जिसके लिए उसने पूरे राज्य में उपवास की घोषणा करवाई और तब परमेश्वर ने उसके पास अपनी सलाह भविष्यवक्ता यहजिएल के द्वारा पहुंचाया.
और उस सलाह को राजा यहोशापात ने पूरी रीती से माना और पालन किया. उसने परमेश्वर की आराधना करने वालों की एक टीम को बना कर आराधना करते हुए युद्ध भूमि में गया.
परिणाम : जब राजा ने परमेश्वर की सलाह मानी तो परमेश्वर ने कहा अब युद्ध मेरा है, संग्राम मेरा है. और राजा यहोशापात को युद्ध में लड़ना ही नहीं पड़ा
बिना तलवार चलाए बिना युद्ध किये यहोशापात अद्भुत रीती से जीत गया. क्योंकि शत्रु सेनाएं आपस में लड़ कर समाप्त हो चुकी थीं.
निष्कर्ष | conclusion
सीख: सही सलाह मानने से परमेश्वर की आशीष आती है. परमेश्वर का वचन कहता है अपनी बुद्धि का सहारा न लेना वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना तब वह तेरे लिए सीधा मार्ग निकालेगा.
“सलाह मुफ्त होती है लेकिन सही आत्मिक सलाह अनमोल होती है.”
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