दोस्तों आज का पवित्र वचन हम पढ़ेंगे, प्रभु का वचन पढना हम सभी के लिए आशीष आती है. हमारे जीवन में तसल्ली मिलती है तो आइये सीखते हैं Today’s Powerful Bible Verse in Hindi
आज का पवित्र वचन #1 | जीवन के अंतिम समय में
यूसुफ ने अपने भाइयों से कहा मैं तो मरने पर हूं; परन्तु परमेश्वर निश्चय तुम्हारी सुधि लेगा, और तुम्हें इस देश से निकालकर उस देश में पहुंचा देगा, जिसके देने की उस ने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब से शपथ खाई थी। (उत्पत्ति 50: 24)
जीवन के अंतिम समय में यूसुफ ने अपने भाइयों का हौसला और हिम्मत बढ़ाया, और उन्हें परमेश्वर के प्रतिज्ञाओं को स्मरण दिलाया.
उन्हें इस बात को बताया कि परमेश्वर ही है, जो इस दुनिया में तुम्हारी सुधि लेगा और तुम्हें प्रतिज्ञा के देश में पहुंचाएगा.
जिसके देने की प्रतिज्ञा उसने अब्राहम, इसहाक और याकूब से की थी. सच में अपने जीवन के अंतिम समय तक परमेश्वर का होकर जीना और उसके प्रतिज्ञायों को स्मरण रखना तथा आने वाली पीढ़ियों को इसके विषय में बताना बहुत महत्वपूर्ण बात है.
मनुष्य मिट्टी से बना और एक दिन मिट्टी में मिल जाएगा, खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाएगा लेकिन उसने जो किया है वह रह जाएगा।
यूसुफ ने जो अपने भाइयों के लिए किया, अपने देश के लिए किया अपने लोगों के लिए किया वहीं रह गया जिसे आज भी हम याद करते है उसके विषय में बाइबल में पढ़ते हैं. इसलिए जीवन के अंतिम समय तक परमेश्वर के होकर जीयें और उसके विषय में चर्चा करते रहें।
हम कैसे विश्वास को बढ़ा सकते हैं
आज का पवित्र वचन #2 | अपने तक सुसमाचार को सीमित न रखे
और जो बातें तू ने बहुत गवाहों के साम्हने मुझ से सुनी है, उन्हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे; जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों। (2 तीमुथियुस 2: 2)
पौलुस तीमुथियुस को इस बात को सिखाता है कि जो बात तूने मुझ से सीखी है जो सुसमाचार तूने मुझसे सुना है वह तुझ तक सीमित रहने ना पाए परंतु दूसरों को भी सिखाया करना,
और उनको भी उत्साहित करना कि वे भी सुसमाचार को अपने तक सीमित ना रखें परंतु औरों को भी बताएं जिससे सुसमाचार हर व्यक्ति तक पहुंच जाए.
हम सभी लोगों का यह कर्तव्य है कि जो बातें हमने सीखा है सुना है और अपने जीवन में अच्छी बातों को धारण किया है और उस सुसमाचार से जिसे सुनकर हमने मन फिराया है.
और अपना जीवन प्रभु को दिया है उस सुसमाचार से हमें लजाना नहीं है और अपने तक सीमित नहीं रखना है परंतु दूसरों को भी सुसमाचार सुनाना है.
और उनको प्रभु में लेकर आना है यही हमारा मुख्य कर्तव्य है. लेकिन आज बहुत से लोग सुसमाचार को सुने हैं और अपने तक रखते हैं.
जीवन में दुःख और सुख दोनों जरूरी हैं
आज का पवित्र वचन #3 | उपवास का फल
सुनो, तुम्हारे उपवास का फल यह होता है कि तुम आपस में लड़ते और झगड़ते और दुष्टता से घूंसे मारते हो। जैसा उपवास तुम आजकर रखते हो, उस से तुम्हारी प्रार्थना ऊपर नहीं सुनाई देगी। (यशायाह 58: 4)
यशायाह भविष्यवक्ता उपवास करने वालों को यह कहता है कि तुम उपवास तो करते हो और तुम्हारे उपवास का फल यह होता है.
कि तुम आपस में लड़ते और झगड़ते और दुष्टता से घुसे मारते हो और जैसा उपवास तुम आज कर रहे हो उससे तुम्हारी प्रार्थना ऊपर नहीं सुनाई देगी.
आज बहुत से लोग ऐसे ही उपवास रखते हैं प्रार्थना करते हैं, लेकिन उनका जीवन अच्छा नहीं है यह बाहर कुछ और देखते हैं.
परंतु उनके अंदर कुछ और ही भरा हुआ है हमें ऐसे उपवास करना है जिससे परमेश्वर प्रसन्न हो सके अर्थात हमें स्वयं को नम्र और दिन करना है.
और अपने पुराने मनुष्य तत्व को उसके कामों समेत उतार के फेंकना है और नए मनुष्य तत्व को धारण करना है.
जो हमारे सिरजनहार परमेश्वर के अनुसार हैं इसी उपवास से परमेश्वर प्रसन्न होता है जय मसीह ही हैं.
पवित्र बाइबिल नया नियम का इतिहास
आज का पवित्र वचन #4 | ईर्ष्या एक भयानक पाप है
तब शाऊल अति क्रोधित हुआ, और यह बात उसको बुरी लगी; और वह कहने लगा, उन्हों ने दाऊद के लिये तो लाखों और मेरे लिये हजारों को ठहराया; इसलिये अब राज्य को छोड़ उसको अब क्या मिलना बाकी है? (1शमूएल 18: 8)
ईर्ष्या एक भयानक पाप है। शाऊल दाऊद की लोकप्रियता, प्रसिद्धि से इतना जलता था कि वह उसे मारने के अवसरों की प्रतीक्षा करता रहा। इसके बावजूद,.
दाऊद ने उसके साथ अच्छा व्यवहार किया। क्योंकि दाऊद के जीवन में ईर्ष्या और जलन नहीं था उसके अंदर प्रेम, मदद और दूसरों को क्षमा करने वाला हृदय था।
इसलिए वह शाऊल को छोड़ दिया उसे माफ कर दिया लेकिन शाऊल ऐसा नहीं था उसके अंदर की जलन और ईर्ष्या ने उसे यह पाप करने के लिए मजबूर कर दिया.
कि वह दाऊद को मारना चाहता था लेकिन वह असफल हो गया क्योंकि दाऊद के साथ परमेश्वर था और दाऊद परमेश्वर के मन के अनुसार चुना हुआ एक व्यक्ति था.
और दाऊद का हृदय अच्छा था इसलिए परमेश्वर ने उसे कुछ होने नहीं दिया। हमें ईर्ष्या या जलन से बचना चाहिए क्योंकि यह बहुत बड़ा पाप है.
यह लोगों को उकसाता है, लड़ाई और झगड़ा के लिए प्रेरित करता है। ईर्ष्या और जलन से बचे और अपने जीवन में सावधान रहें।
आज का पवित्र वचन #5 | परमेश्वर ने हमें यीशु मसीह की संगति में बुलाया है
परमेश्वर सच्चा है; जिस ने तुम को अपने पुत्रा हमारे प्रभु यीशु मसीह की संगति में बुलाया है. (1 कुरिन्थियों 1: 9)
हमारा परमेश्वर सच्चा है और उसने हमें अपने पुत्र येशु मसीह की संगति में बुलाया है इसलिए हमारा उठना – बैठना, चलना – फिरना और संगति करना केवल यीशु मसीह के साथ होना चाहिए.
और हमें अपने जीवन में यीशु मसीह को प्राथमिकता देना देना है। और जो व्यक्ति यीशु मसीह के साथ संगति करता है उसका जीवन यीशु मसीह की तरह बन जाता है.
उसके काम करने का तरीका, उसके बोलने का तरीका, उसका स्वभाव बदल जाता है और सब कुछ नया हो जाता है परमेश्वर ने हमें यीशु मसीह के संगति में इसलिए बुलाया.
कि हम उसके जैसे बन जाए इसलिए ज्यादा से ज्यादा हमें प्रभु यीशु मसीह के संगति में रहने और बढ़ने की आवश्यकता है। आप कितना यीशु मसीह के साथ संगति करते हैं,
कि आप ज्यादातर संगति संसार के लोगों के साथ करते हैं अपने आप को जांचें और परखे और यीशु मसीह के साथ संगति में समय बिताएं.
विश्वास करते हैं आज का पवित्र वचन आपको पसंद आया होगा. ये छोटे लेख सुसमाचार प्रचारक भाई अजेश के द्वारा लिखे गए हैं जो छत्तीसगढ़ में कार्यरत हैं. ये प्रतिदिन एक वचन का प्रकाशन लिखते हैं. आप उन्हें धन्यवाद देने के लिए कमेन्ट में लिख सकते हैं.
प्रतिदिन बाइबल पढ़ने के 25 फायदे
Praise the lord brother
praise the Lord Brother Dungar singh may God bless you please write from which place you are reading this thanks
praise the Lord sir
Praise the Lord