दोस्तों आज हम देखेंगे बाइबिल के अनुसार स्वर्ग | What Heaven Looks like According to the Bible तो इस जीवन के बाद जहाँ हम जा रहे हैं या जाने वाले हैं आइये शुरू करते हैं उसके विषय में जानने के लिए कि बाइबिल इस विषय में क्या कहती है.
बाइबिल के अनुसार स्वर्ग
परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं. (मत्ती 6:20)
स्वर्ग कितने हैं
बाइबिल के अनुसार स्वर्ग कम से कम तीन हैं क्योंकि संत पौलुस ने अपनी पत्री में कहा है मैं तीसरे स्वर्ग उठा लिया गया था. अत: इस वचन के आधार पर कम से कम तीन स्वर्ग तो हैं. (2 कुरु. 12:2)
हमारे ऊपर जो नीला आसमान है वो भी स्वर्ग कहलाता है. जहाँ पंक्षी उड़ते हैं और जो हमें वर्षा प्रदान करता है.उसे हम पहला स्वर्ग कह सकते हैं.
दूसरा स्वर्ग उसके और ऊपर है जिसमें तारामंडल है जिसे आकाशगंगा भी कहा जाता है. तीसरा सर्वोच्च स्वर्ग हैं सबसे ऊंचा जहाँ स्वयं परमेश्वर का सिंहासन हैं. (प्रकाशित 3:12)
बाइबिल की कहानी आशीषों की घाटी
सात स्वर्ग के नाम
बाइबिल में स्वर्ग को अनेक नामों से पुकारा गया है. यहाँ हम सात नाम देखेंगे.
1. संत पौलुस जिस स्वर्ग में उठा लिया गया था उसे Paradise (पैराडाईस) कहा गया. (2 कुरु. 12:4)
2. स्वर्ग को जीविते परमेश्वर का नगर या नया यरूशलेम भी कहा गया है. (इब्रानियों 12:22)
3. स्वर्ग को प्रतिज्ञा के अनुसार अनंत मीरास कहा गया है (इब्रानियों 9:15)
4. प्रभु यीशु ने स्वर्ग को अपने पिता का घर कहा, जहाँ वह जगह तैयार करने गया है. (यूहन्ना 14:2)
5. संत पौलुस स्वर्ग को अनंत महिमा का स्थान कहते हैं. (2 कुरु. 4:17)
6. इब्रानियों की पुस्तक का लेखक इसे उत्तम देश कहता है. (इब्रानियों 11:16)
7. भविष्यवक्ता यशायाह स्वर्ग को एक लम्बा चौड़ा देश कहता है. (यशायाह 33:17)
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मरने के बाद स्वर्ग में क्या होता है
संत पौलुस बताते हैं एक विश्वासी जो परमेश्वर प्रभु यीशु पर पूरा विश्वास करते हैं वे जब इस अविनाशी देह को त्यागते हैं अर्थात जव वे मर जाते हैं तो प्रभु के साथ एक नया जीवन जिसे अविनाशी जीवन कहते हैं जीने के लिए जाते हैं.
( 2 कुरु. 5:8)
और वे एक उत्तम स्थान में जाते हैं जिसे स्वर्गीय देश कहते हैं उस स्थान को स्वयं यीशु मसीह ने अपने लोगों के लिए तैयार किया है. (इब्रानियों 11:16)
यीशु के शिष्य यूहन्ना ने भविष्य की होने वाली बातों को अपनी पुस्तक प्रकाशित वाक्य में लिखा जो उसने स्वर्ग में होते हुए देखा, वहां एक ही सुरीले एवं ऊंचे स्वर में लोग और स्वर्गदूत लोग परमेश्वर की अराधना कर रहे हैं. (प्रकाशित वाक्य 19:1)
वो पवित्र स्थान में भूख नहीं, प्यास नहीं और न ही दुःख दर्द होगा. टेंसन फ्री स्थान होगा.
उस आनन्दित स्थान में स्वर्गदूतों के साथ मिलकर आराधना करेंगे, क्योंकि वहां किसी को कोई शारीरिक थकान नहीं होगी. (यशा. 35:10)
और वहां सभी के लिए मतलब जो भी स्वर्ग जाएगा उसके लिए इनाम भी रखे होंगे. (प्रकाशित 22:12)
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पृथ्वी से स्वर्ग की दूरी कितनी है
मनुष्य ने अपनी समझ और विज्ञान के जरिये चाँद और दूसरे ग्रहों तक पहुँच गया है लेकिन आज तक कोई अपने यंत्रों के जरिये स्वर्ग तक या इस प्रकार कहें उस स्थान में जहाँ परमेश्वर का सिंहासन है नहीं पहुँच पाया.
और न ही पहुँच सकता है. इसलिए यह अनुमान लगाना असम्भव है. कि स्वर्ग से पृथ्वी की दूरी कितनी हैं.
यशायाह जो एक नबी था उसने भविष्यवाणी करते हुए कहा वो स्थान बहुत बड़ा और बहुत दूर है. (यशायाह 33:17)
स्वर्ग का मालिक कौन है
बाइबिल के अनुसार स्वर्ग का मालिक स्वयं परमेश्वर है. जब हम परमेश्वर कह रहे हैं उसका अर्थ है त्रिएक परमेश्वर अर्थात पिता परमेश्वर, पुत्र परमेश्वर और पवित्रात्मा परमेश्वर. त्रिएक परमेश्वर का अध्ययन हम किसी और लेख में करेंगे.
बाइबिल बताती है जाती जाती के लोग क्यों कहने पाएं कि तुम्हारा परमेश्वर कहाँ है क्योंकि हमारा परमेश्वर तो स्वर्ग में है और उसने जो चाहा वही किया. (भजन 115:2-3)
स्वर्ग लोक का रहस्य
स्वर्ग और स्वर्ग लोक में शायद एक बहुत बड़ा रहस्य है. ये दोनों आपस में अलग अलग हैं. क्योंकि बाइबल के अनुसार स्वर्ग अंतिम न्याय के बाद ही जायेगे.
और जिनके नाम जीवन की पुस्तक में नहीं हैं वे स्वर्ग नहीं जा पाएंगे. तो इसका तात्पर्य यह है, अभी कोई स्वर्ग नहीं जा सकता.
तो सवाल उठता है वे लोग जो प्रभु में सोये हैं मतलब मर गए हैं वे कहाँ जा रहे हैं. वे स्वर्ग लोक में जा रहे हैं.
और जब प्रभु यीशु का दूसरा आगमन होगा तब यीशु मसीह अपनी कलीसिया को (चुने हुए जो उस पर विश्वास करते हैं.)
लेकर जाएगा और तब सभी का चाहे वो पहले मरे हुए हैं या अभी जीवित उठा लिए गए हैं सभी का न्याय होगा और फिर स्वर्ग में प्रवेश होगा.
स्वर्ग में क्या होता है
स्वर्ग में सोने की सड़के हैं वहां एक नदी है जो परमेश्वर और मेमने (यीशु मसीह) के सिंहासन से निकल कर सड़क के बीचो बीच बहती है.
उस नदी के इस पार और उस पार एक पेड़ है. सवाल उठता है कोई पेड़ नदी के या तो इस पार हो सकता है या उस पार लेकिन…
शायद यह पेड़ इतना विशाल है और उसके बीच में से नदी बह रही है. फिर उस पेड़ में 12 प्रकार के फल लगते हैं हर महीने एक प्रकार का फल.
इसमें भी सवाल है कि जब स्वर्ग में भूख नहीं तो फल किसके लिए….शायद इस प्रथ्वी के लोगों के लिए जो भी उत्तम वरदान है वो स्वर्ग से आता है परमेश्वर वो फल भी अपने लोगों को देता हैं….
फिर लिखा है उस पेड़ के पत्तों से जाति जाति के लोग चंगे होते हैं. मेरे विचार से वो चंगाई भी प्रथ्वी के लोगों के लिए हैं.
जब इस धरती में कोई बीमारी से तड़पता है तब परमेश्वर के स्वर्गदूत प्रभु परमेश्वर की आज्ञा पाकर उस पत्तों से लोगों का इलाज कर देते हैं. इसका अनुभव मुझे भी हुआ है. (प्रकाशित वाक्य 22:1-4)
वहां परमेश्वर के सेवक और स्वर्गदूत परमेश्वर की सेवा टहल कर रहे हैं. वहां आराधना चल रही है. लोग हालेलुयाह के नारे लगाकर आराधाना कर रहे हैं. (प्रका. 4:9-11)
स्वर्ग के सुख
स्वर्ग में सुख ही सुख है वहां कोई दुःख नहीं. वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं. (प्रका. 21:4)
और जो सिंहासन पर बैठा था, उस ने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं: फिर उस ने कहा, कि लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्वास के योग्य और सत्य हैं. (प्रका. 21:5)
प्रतिदिन बाइबल पढ़ने के 25 फायदे
बाइबिल के अनुसार स्वर्ग कौन जाएगा
भजनकार भजनसंहिता मे इस प्रकार कहता है, हे परमेश्वर तेरे पर्वत पर कौन रहेगा? तेरे पवित्र पर्वत पर कौन बसने पाएगा?
वो जो खराई से चलता है धर्म के काम करता, ह्रदय से सच बोलता, निंदा नहीं करता, परमेश्वर के लोगों का आदर करता, ब्याज पर पैसा नहीं देता, और घूस नहीं लेता. (भजनसंहिता 15)
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Conclusion
बाइबिल के अनुसार स्वर्ग में वो ही जाएगा जिनके नाम मेमने की पुस्तक मतलब जीवन की पुस्तक में लिखे हुए हैं. सवाल उठता है कि कैसे पता करे किसके नाम उस पुस्तक में लिखे गए हैं.
उसके लिए मैंने एक लेख लिखा है आप इस लिंक से उस लेख को पढ़ सकते हैं. जब हम प्रभु यीशु पर पूर्ण मन से विश्वास करते हैं
उसी क्षण हमारे नाम उसकी पुस्तक में लिख दिए जाते हैं. लेकिन हम यदि उस पर बने नहीं रहते तो वह नाम काट भी दिए जाते हैं.
मेरी प्रार्थना है इस लेख का पढने वाले सभी के नाम उसमें हों और हम सभी अभी तो आमने सामने एक दूसरे को नहीं देख पा रहे लेकिन वहां अवश्य मिले और मिलकर परमेश्वर की अराधना करें. आमेन
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