मजेदार कहानियां न केवल बच्चों को पसंद हैं लेकिन बड़े बुजुर्गों को भी अच्छी लगती हैं क्योंकि शिक्षाप्रद मजेदार कहानियां लोगों को दिशा निर्देश करती हैं और प्रेरणा भी प्रदान करती हैं आज ऐसी ही छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां पढ़ेंगे.
बच्चों की मजेदार कहानियां | मजेदार कहानियां | बच्चों की नई कहानियां
मजेदार कहानी #1 – सोने के अंडे देने वाली हजारों मुर्गियां
दोस्तों आपने सोने देने वाली मुर्गी की मजेदार कहानी तो अवश्य सुनी होंगी लेकिन ये कहानी है उसके आगे की. ये छोटी सी कहानी लिखी हुई हमारे जीवन को बदल सकती है.
रामू जिसके घर में एक सोने के अंडे देने वाली मुर्गी आई थी और वह अंडे बेच बेच कर अमीर हो चूका था लेकिन लालच में आकर उसने उस मुर्गी के सारे अंडे निकालने के चक्कर में मुर्गी को काट डाला था.
तो वो सोने के अंडे मिलना बंद हो गए थे. और अपनी खर्च करने की बुरी आदत के कारण वह बहुत जल्दी ही कंगाल हो गया. आज वही रामू दूसरे शहर में नौकरी ढूढने के लिए दर दर भटक रहा है.
उसी समय उसके पास एक व्यक्ति चमचमाती कार रूकती है. और उसमें से उस शहर का सबसे धनी व्यक्ति बाहर निकलता है और रामू को गले लगाते हुए कहता है. मैं कितने समय से तुम्हें ढूढ़ रहा हूँ.
आपने मेरे जीवन को बदल दिया. आप कहाँ थे. रामू आश्चर्य से पूछता है. साहब जी मैं आपको नहीं जानता आप कौन हैं. शायद आपको कोई गलत फहमी हो रही है.
धनी व्यक्ति ने कहा, मैं आपके कैसे भूल सकता हूँ आपने मेरी जिन्दगी बदली है. आपके कारण ही मैं आज इतना धनी व्यक्ति हो पाया हूँ. रामू ने कहा वो कैसे. धनी व्यक्ति ने बताया…
जब रामू ने उसे सोने के अंडे बेचे थे उस समय यह व्यक्ति ने सोचा यदि कोई मुर्गी सोने के अंडे दे सकती है तो उस अंडे से भी चूजे और मुर्गियां निकल सकती हैं…
इस विचार से मैंने उस अंडे को एक साधारण मुर्गी के अन्डो के साथ सेने के लिए नीचे रख दिया और कुछ दिन बाद मैंने देखा कि उस अंडे से एक चूजा निकला और उसकी मैंने अच्छी देख भाल किया और वो चूजा एक सुनहरी मुर्गी बन गया.
और कुछ दिनों बाद वह मुर्गी अंडा दी जो सोने का था और इस रीति से आज मेरे पास सोने के अंडे देने वाली मुर्गियों का पोल्ट्री फ़ार्म है जहाँ हजारों मुर्गियां सोने के अंडे देती हैं….
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मजेदार कहानी #2 – नूह की जहाज बच्चों के साथ
मजेदार कहानियां लिखी हुई पढने से न केवल बोरियत दूर होती है लेकिन एक ताजगी का अहसास होता है. तो आइये पढ़ते हैं छोटे बच्चों की छोटी सी कहानी.
रविवार की शाम तीन बच्चे अपने घर में खिलौनों से खेल रहे थे.
तीनों बच्चों ने आज ही कलीसिया में अपने सन्डे स्कूल की कहानी में नूह की कहानी सुनी थी.
इसलिए उन्होंने एक पानी के बड़े से टब में एक प्लास्टिक की नांव तैराकर खेलने लगे. और हंसते हुए कहने लगे ये हैं हमारे नूह की जहाज. इसमें सभी जानवर हैं. थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा, अब बारिश बंद हो गई है, और अब
नूह और उसक परिवार नांव से बाहर आ रहे हैं. ऐसा कहकर उन्होंने नांव को उठाकर टब से बाहर नीचे रख दिया. फिर उन्होंने आपस में कहा, अब नूह ने क्या किया था??
छोटी बहन को याद आया पास्टर जी ने कहा था…तब नूह ने परमेश्वर को धन्यवाद करने के लिए. जानवर को बलिदान करके जलाया था.
जिसके कारण परमेश्वर ने उसे आशीष दिया और कहा, इसके बाद ऐसा जल प्रलय कभी नहीं होगा.
उन दोनों ने एक दूसरे का मुंह देखा और कहा, “हमें अपने अपने जानवर देना होगा. कौन देगा अपने जानवर ? तीनों अपने अपने कमरे में दौड़ कर गए और अपने अपने खिलौनों में ढूंढने लगे.
तीनों ने अपने खिलौनों में से जो सबसे टूटा और फटा हुआ और बेकार खिलौना था उसे लेकर आये एक हाथी जो पूरा टूटा हुआ था.
हिरन जिसकी टांग टूटी हुई थी और कहने लगे हम ये देते हैं परमेश्वर को.
ये मजेदार कहानियां इन हिंदी आप अपने sunday school में भी सुना सकते हैं. ये मजेदार रोचक कहानी सभी उम्र के लोगों के लिए है.
"दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा. लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी नाप से तुम्हारे लिए भी नापा जाएगा." (लूका 6:38)
मजेदार कहानी #3 – – जो अन्दर है वही तो बाहर आएगा
एक शरारती क्लास में एक शिक्षक ने एक संतरा उठाते हुए छात्रों से पूछा ये क्या है. सभी ने एक साथ जोरदार आवाज में कहा, संतरा. शिक्षक ने कहा, शाबास…
यदि मैं इसे दबा कर निचोड़ता हूँ तो क्या मिलेगा. सभी ने फिर से जवाब दिया संतरे का जूस. शिक्षक ने बड़े आश्चर्य से देखते हुए कहा लेकिन मुझे तो अनार का जूस चाहिए इससे.
अनार का जूस क्यों नहीं निकल सकता ? सभी छात्र जोरदार ठहाका लगाकर हंसने लगे और कहने लगे संतरे संतरे का ही जूस निकलेगा. और एक सबसे शरारती लड़के ने उठकर कहा, जो अन्दर है वही तो बाहर आएगा…
शिक्षक ने कहा, बिलकुल सही मैं यही सिखाना चाहता हूँ. जो कुछ अन्दर है वही बाहर आता है. यदि हमारे अन्दर भी प्रेम, शान्ति, कृपा, भलाई, आत्मसंयम है तो वही बाहर आएगा. यदि सांसारिक बातें जैसे नफरत, जलन झूठ घमंड डाह हा तो वही बाहर आएगा.
छात्र समझ चुके थे यह उनके लिए ही कहा जा रहा था. सवाल है जब हम कठिन दौर से होकर जाते हैं जब ऐसा लगता है हमें समस्या में परीक्षा में दब रहे हैं तो हमारे अन्दर से लोगों के लिए और स्वयं के लिए कैसे स्वभाव निकलते हैं कैसे शब्द निकलते हैं वही हमें परिभाषित करते हैं.
मजेदार कहानी हिंदी में पढ़के आपको कैसा लगा आप इसे कमेन्ट में अवश्य बताएं और लोगों को शेयर करें.
मजेदार कहानी #4 – दसवां अंश परमेश्वर का है.
एक पढ़ा लिखा पोस्ट ग्रेजुएट जवान व्यक्ति आत्म हत्या करने के लिए रेलवे स्टेशन के पास बैठा था. क्योंकि उसे कोई नौकरी नहीं मिल रही थी. तभी वहां से एक साहूकार निकला जिसका बहुत बड़ा व्यापार था.
उसने इस उदास लड़के से पूछा तुम उदास क्यों हो रो क्यों रहे हो ? लड़के ने सारी बातें बता दी. उस उदार साहूकार ने लड़के से कहा, क्या तुम मेरे पास काम करोगे मैं तुम्हें अपना हिस्सेदार बना लूँगा.
तुम मेरे व्यापार को सम्हाल लो जो कुछ भी कमाई आएगी उसमें से केवल दसवां भाग मुझे देना और बाकी सारा फायदा तुम रख लेना. लड़का बड़ा खुश हो गया और राजी हो गया. कुछ ही दिनों में इस लड़के का जीवन ही बदल गया.
वह बहुत धनी हो गया और खूब कमाई करने लगा. अपने व्यापार को बहुत फैला दिया. कई वर्ष बीत गए दसवां भाग बढ़कर बहुत बड़ी रकम बन गई कि अब वह व्यक्ति उस रकम को साहूकार को देना ही नहीं चाहता था.
तो उस साहूकार ने उसके पास आकर कहा बेटा, देखो बहुत समय हो गए तुम अपना दसवां भाग नहीं दे रहे हो. जवान लड़का बड़े ही झिझकते हुए बोला व वो…
सर जी देखो सारी मेहनत और परिश्रम तो मैं करता हूँ. बुरा न माने तो बोलूं देखो आपके पास तो इतनी दौलत है आपको इस दसवें भाग की क्या जरूरत है. आप ही बताओ क्या मैंने यह सब अपनी मेहनत से अपनी बुद्धि से नहीं कमाया क्या.??
लड़का अपने पुराने दिन भूल चूका था. प्रिय भाई बहनों हमें अपने पुराने दिन नहीं भूलना चाहिए. परमेश्वर ही है वो साहूकार जिसने हमें कमाने की सामर्थ दी है और सारी आशीषें उसी की ओर से आती हैं. इसलिए उसकी सेवा के लिए हमें अपना दसवां अंश अवश्य देना चाहिए.
ये मजेदार कहानियां मजेदार लोगों को ही अच्छी लगती है तो लिखी हुई मजेदार कहानी पढ़ने के लिए आप बच्चों को भी दे सकते हैं.
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