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10 amazing short stories with moral in hindi | 10 मोटिवेशनल शोर्ट स्टोरी इन हिंदी

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दोस्तों आज हम सीखेंगे मोटिवेशनल शोर्ट स्टोरी इन हिंदी, आज अनेक लोग 10 line short stories with moral in hindi पढना चाहते हैं क्योंकि शोर्ट स्टोरी गागर में सागर को भरती हैं कम शब्दों में अपनी बात को Hindi stories with moral के साथ समझाया जा सकता है तो आइये शुरू करते हैं मोटिवेशनल शोर्ट स्टोरी विथ मोरल.

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कहानी #1 – तुम्हारे अंदर परमेश्वर है | शोर्ट स्टोरी फॉर किड्स इन हिंदी

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क्योंकि जो तुममें है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है. (1 यूहन्ना 4:4) 

एक सांवला सा गरीब बच्चा रोज अपने गाँव में आने वाले एक गुब्बारे वाले को देखता था और बच्चे उसके पास आकर गैस वाले गुब्बारे खरीदते थे. हरे पीले नीले लाल गुलाबी. अनेक रंगो के गुब्बारे वह बेचा करता था.

यह बच्चा बड़ी उत्सुकता से उन उड़ने वाले गुब्बारों को जिनके धागे बच्चों की हाथ में होते थे देखा करता था. उसने एक दिन बड़ी हीम्मत करके गुब्बारे वाले से पूछा, “अंकल जी, क्या काले रंग का गुब्बारा भी उड़ सकता है क्या?

उस गुब्बारे वाले ने उस बच्चे के मासूम सवाल का बड़े ही प्यार से जवाब दिया….बेटे यह गुब्बारे का रंग नहीं है जो उसे उड़ाता है. बल्कि यह उसके अन्दर भरी हुई चीज मतलब गैस की वजह से उड़ता है.

कहानी का मोरल :- यह फर्क नहीं पड़ता कि हम किस जाति समुदाय या रंग भेद से आते हैं हमें हमेशा याद रखना है. जो हमारे अन्दर है अर्थात परमेश्वर का पवित्र आत्मा वही हमें बल देता है जिससे हम बड़े बड़े काम कर पाते हैं.

कहानी #2 दस भाषाएँ बोलने वाली चिड़िया | शोर्ट स्टोरी इन हिंदी

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एक धनी व्यक्ति ने सुना था कि दुनिया में एक ऐसी भी चिड़िया पाई जाती है जो दस भाषाएँ बोल सकती है. कई साल तक ढूंढने के बाद उसे पता चला कि जापान में ऐसी चिड़िया है जिसे वह ढूंढ रहा है.

फिर क्या था उसने लाखो रुपये खर्च करके जापान गया और बहुत पैसा खर्च करके वह दस भाषाएँ बोलने वाली चिड़िया खरीद लाया. वह अपने आफिस में कुछ काम निपटा कर अपने घर जाना चाहता था. तो उसने अपने एक विश्वासयोग्य सेवक कर्मचारी को वह चिड़िया का पिजड़ा देते हुए कहा मेरी पत्नी को यह दे देना और कहना मैं शाम तक आऊंगा.

ऑफिस का सारा काम पूरा करके वह अपने घर पंहुचा तो उसने अपनी पत्नी से कहा, कैसा लगा मेरा सरप्राइस….पत्नी ने कहा, कैसा सरप्राइस ???

….पति ने और तेज आवाज में कहा, अरे वो मेरा गिफ्ट….पत्नी अभी भी असमंजस में थी और पूछी कौन सा गिफ्ट???

पति ने समझाते हुए कहा, वो नौकर ने कुछ देकर नहीं गया क्या…कहाँ है वो मेरी प्यारी चिड़िया. पत्नी ने बड़े सहज भाव में कहा, ओह वो चिड़िया वो तो चूल्हे में गई ….मैंने उसे पका दिया आज उसी का डिनर बना है. पति ने बड़े हैरान होकर कहा, सत्यानाश !!

क्या किया तुमने…तुम्हें पता है वो लाखों की चिड़िया थी….वो दस भाषाएँ बोल सकती थी. मैंने उसे जापान से लाया था.

पत्नी ने जो उत्तर दिया वो लाजवाब है ….पत्नी ने कहा, “तो फिर बोली क्यों नहीं.” कम से कम एक भाषा में बोल देती तो चूल्हे में नहीं जाती….

मोरल :– परमेश्वर ने हम सभी को अलग अलग वरदान दिए हैं किसी को ज्यादा भी हैं जैसे लिखने का, गाने का बजाने का आदि आदि…. लेकिन यदि हम जीवन भर अपने उस वरदान को इस्तेमाल नहीं करें तो सोचिये आपके वरदान कहाँ जाएंगे…?? सच पहचाना चूल्हे में….

कहानी #3 पांच साल का राज्य | छोटी कहानी इन हिंदी

एक देश में अजीव सा नियम था. उस देश में वहां के बड़े अधिकारी लोग किसी भी हट्टे कट्टे सुन्दर व्यक्ति को पकड़ लेते थे और उसे अपने देश में पांच साल के लिए राजा बना देते थे. लेकिन पांच साल बीतते ही उसे नदी के उस पार वाले भयानक घने जंगल में मरने को छोड़ दिया जाता था.

जहाँ सभी प्रकार के जहरीले सांप और अजगर और सभी प्रकार के जंगली जानवर थे जो एक पल में ही किसी भी व्यक्ति को मार कर खा लेते थे. इस अजीब नियम के कारण कोई भी व्यक्ति इस देश में राजा नहीं बनना चाहता था.

इसी प्रकार इस वर्ष भी उन सभी अधिकारियों ने मिलकर एक व्यक्ति जो हट्टा कट्टा था मार्केट में घूम रहा उसे पकड़कर उसे राजा बनाने लगे. वह व्यक्ति चिल्लाया और कहा, मैं राजा नहीं बनना चाहता.

लेकिन उसकी कौन सुनता था. सभी ने मिलकर उसे राजा बना दिया. और राजकीय वस्त्र पहनाएं गए. मुकुट पहनाया गया. और सारी सेना ने कहा महाराज की जय हो. महाराज की जय हो.

वर्ष बीतते समय नहीं लगा. और देखते ही देखते पांच साल बीत गए. जिन्होंने उसे राजा बनाया था वे ही लोग आकर राजा को पकड़ने लगे और कहने लगे कैद लो राजा को, बाँध लो राजा को….राजा को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था.

राजा ने कहा ये क्या कर रहे हो क्या तुम नहीं जानते मैं यहाँ का राजा हूँ तब सभी अधिकारियों ने कहा क्या तुम्हें नहीं पता हमारे देश का कानून. हर पांच वर्ष के बाद यहाँ के राजा को नदी के पार उस मौत के जंगल में डाला जाता है. अब तुम्हारी बारी है. तुम्हारा राजा बने रहने का समय समाप्त हो चुका है.

राजा ने जवाब दिया तो क्या हुआ मुझे बाँध क्यों रहे हो मैं ख़ुशी से तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार हूँ….और इस तरह राजा ख़ुशी ख़ुशी गीत गुनगुनाते हुए उनके आगे स्वत: ही नदी की ओर चलने लगा. राज्य के सभी लोग सोच रहे थे राजा दुःख के कारण शायद पागल हो गया है.

क्योंकि उन्होंने बहुत से राजा को ऐसे समय में रोते चिल्लाते, जींदगी की भीख मांगते देखा था. लेकिन यह राजा तो खुश है मुस्कुरा रहा है. राजा नदी के किनारे तक आ चुका था. सभी ने उसे नांव में बैठाते हुए उस जल्लाद से जिसने न जाने कितने राजाओं को उस मौत के जंगल में फेंका था कहा, जल्लाद देखना इस राजा को कहीं ये भागने न पाए इसे भी उस मौत के जंगल में डाल दो.

वह जल्लाद उस राजा को लेकर नदी के मझधार में लेकर गया और बड़ी जिज्ञासा से पूछ बैठा राजा आप खुश क्यों हैं….मैंने बहुत से राजा को रोते हुए देखा है….तब राजा ने उसे उत्तर दिया और कहा, “हे जल्लाद सुन तूने मुझसे पूछा है तो मैं बताता हूँ…

जिस दिन मैं राजा बना और अधिकार पाया उसी दिन मैंने, सोच लिया हालाकि मैं राजा बनना नहीं चाहता था. लेकिन जब राजा बना ही दिया गया तो मैंने सभी सैनिकों से कहा, यहाँ इस राज्य में तुम्हारा उतना काम नहीं सभी अस्त्र शस्त्र के साथ जाओ और उस मौत के जंगल में जाकर सभी जंगली जानवरों को और जहरीले सापों को मार डालो…

जब सभी जानवर मर गए तो मैंने देश के सबसे बढ़िया राजमिस्त्री लोगों से कहा इस राज्य का सारा धन खजाना लेकर जाओ और उस जंगल में मेरे लिए एक इस महल से बढ़िया महल बनाओ. बाकी तीन साल मैंने उसी जगंल में रास्ते और नलकूप कुँए एवं लोगों के लिए बस्तियां बनवाईं इन पांच वर्षों में वहां मेरे लिए सब सुविधाएं तैयार हो चुकी हैं.

मैं तो इस देश में पांच वर्ष का राजा था लेकिन उस महल में हमेशा का राजा रहूगा. इसलिए मैं खुश हूँ…..

मोरल :- इस संसार में हम कुछ ही वर्षों के हैं लेकिन यदि हम इस संसार में रहते हुए ही गरीबों और अनाथों की सुधि लेते हैं भले कामों को करते हैं तो उस स्वर्ग में अपने लिए जगह तैयार कर रहे हैं…जहाँ हम हमेशा हमेशा के लिए रहने वाले हैं.

कहानी #4 आम का बगान | Top 10 Moral Stories in Hindi

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एक आम के बगान में लाखों आम के पेड़ थे लेकिन उसका मालिक बुजुर्ग था वो चाहता था कोई इन पेड़ों से आम तोड़ सके. उसने पेपर में इश्तिहार दिया की जिन्हें आम तोडना आता है वो आ सकते हैं उन्हें उनके परिश्रम का प्रतिफल दिया जाएगा.

एक बड़ी भीड़ उस इश्तिहार को पढ़कर आए और कहने लगे हम आम तोड़ेंगे. बगान के मालिक ने उन पर भरोसा करके चला गया. तब इन आये हुए लोगों ने विचार किया हमें आम तोडना हैं लेकिन यदि कोई और आम के पेड़ को न काट ले जाए.

इसलिए उन्होंने कहा चलो हम पूरे आम के पेड़ों को गिनेंगे और देखेंगे कि एक आम के पेड़ में कितने आम लगते हैं उस हिसाब से सभी में कितने लगेंगे. इस प्रकार बहुत समय लग गया हर साल आम उगते और गिरकर खराब हो रहे थे.

मालिक ने देखा यह तो ठीक नहीं हो रहा. तब उसने फिर से इश्तिहार दिया और इस बार फिर आये हुए लोगों को हिदायत दी कि उन्हें केवल आम तोडना है और कुछ नहीं. ये लोगों ने देखा पहले आये हुए लोग तो पेड़ों की गणना कर रहे हैं. चलो हम पूरे बगान के चारों तरफ एक दीवार बनाएं ताकि सुरक्षा बनी रही.

और वे सभी आम के बगान के चारो ओर दीवार बनाने लगे. मालिक ने कई बार इश्तिहार देकर लोगों को बुलाना चाहा लेकिन हर बार लोग कभी गोदाम बनाते कभी बोक्स बनाते इस बहाने से कि आम को तोड़ने के बाद रखेंगे कहाँ. और जिस काम के लिए बुलाया गया था उस काम को नहीं करते थे.

अंत में उस मालिक ने कहा जो भी आ सकते हो आ जाओ ताकि आम तोड़ा जा सके लोग आये और कुछ ने पत्थर मार कर आम तोडना चाहा कुछ ने लाठी फेककर आम तोडा जिससे कई आम खराब भी हो गए. हर साल लाखों लाखों आम उग रहे थे और गिरकर बर्बाद हो रहे थे.

मोरल :- परमेश्वर ने भी कहा है जाओ सारे जगत के लोगो को सुसमाचार सुनाओ ताकि मानव जाति नाश न हो बल्कि अनन्तकाल के लिए बच जाए लेकिन कुछ लोग ऑफिस में बैठे गणना कर रहे हैं. कुछ दीवार बना रहे हैं. लेकिन आज भी लोग (आत्माए) नाश हो रहीं हैं.

कहानी #5 थोड़े में विश्वासयोग्यता | short motivational story in hindi

जो थोड़े से थोड़े में सच्चा है, वह बहुत में भी सच्चा है, और जो थोड़े से थोड़े में अधर्मी है, वह बहुत में भी अधर्मी है. (लूका 16:10) एक पास्टर को बस स्टेंड में बस का इंतजार करते हुए एक घंटे से ज्यादा समय हो चूका था.

पास्टर की इस शहर के बाहर के गाँव जो शहर से चालीस किलोमीटर दूरी पर था ट्रांसफर हुआ था. वे पहली बार इस गाँव में जा रहे था. पास्टर जी बड़े ही खुश थे, इस सुंदर जगह जाने के लिए. जैसे ही रामपुर की बस आई.

पास्टर जी ने राहत की सांस ली और तुरंत उसमें चढ़कर कंडक्टर से कहा मुझे रामपुर जाना है, वहां का कितना किराया है. कंडक्टर ने कहा, 50 रूपये, पास्टर जी ने तुरंत सौ रूपए का नोट निकालकर कंडक्टर को देते हुए, अपनी सीट पर बैठ गए…कंडक्टर ने भी भीड़ ज्यादा होने के कारण उन्हें टिकिट के साथ 450 रूपए लौटा दिए और…

और लोगों की टिकिट काटने लगा. पास्टर जी ने तुरंत उन पैसों को अपनी जेब में रख लिए और सोचने लगे अरे वाह!! कंडक्टर ने गलती से मुझे 400 रूपये ज्यादा दे दिए…लेकिन थोड़ी दूर चलने पर उन्हें लगा नहीं ये ठीक बात नहीं है उससे गलती हुई है लेकिन मुझे तो मालुम है यह गलत है.

कम से कम मुझे तो उसे याद दिला कर उन अतिरिक्त पैसों को वापस कर देना चाहिए. फिर मन कहता अरे मैंने कोई गलती नहीं की इस कंडक्टर को इतना भी हिसाब किताब नहीं आता क्या. इस प्रकार बहुए देर तक उनके मन में उथल पुथल चल रही थी. बहुत देर के पास्टर जी को रहा नहीं गया और उस कंडक्टर को 400 रूपये लौटाते हुए बोले…तुमने मुझे 400 रूपये ज्यादा दिए थे ले लो.

कंडक्टर मुस्कुराते हुए बोला…जय मसीह की पास्टर जी मैंने जान बूझकर ये ज्यादा पैसे आपको दिया था…मुझे माफ़ करना मैं यह देखना चाहता था. कि हमारे नए पास्टर जी पैसे के प्रति कितने विश्वासयोग्य हैं…मैं भी उस रामनगर चर्च का एक विश्वासी हूँ. और आपको बस स्टैंड में देखते ही पहचान गया था. कि हमारे चर्च में आने वाले नए पास्टर आप ही हैं…हमें ख़ुशी है कि आप हमारे चर्च में पास्टर बनेंगे….

मोरल :– जो थोड़े में विश्वास योग्य होता है परमेश्वर उसे बड़ी आशीष प्रदान करते हैं…

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कहानी #6 दुःख में भी आनन्द | सोच बदलने वाली कहानी

“क्योकि मैं समझता हूँ, कि इस समय के दुःख और क्लेश उस महिमा के साम्हने, जो हम पर प्रगत होने वाली है, कुछ भी नहीं है. एक दयालु और उदार राजा था. जिसके पास बहुत से भिखारी प्रतिदिन भीख मांगने आया करते थे.

राजा उन सभी को कुछ न कुछ दान दिया करता था और भोजन भी दिया करता था. लेकिन उनमें से केवल एक भिखारी था, जो सच्चे दिल से राजा को धन्यवाद दिया करता था. और राजा की लम्बी आयु की दुआएं भी देता था.

राजा को उसका यह अंदाज बहुत अच्छा लगता था. राजा ने एक दिन उस भिखारी से बोला आज से तुम भीख नहीं माँगना…यह सुनकर वह फिर भी वोला राजा की जय हो राजा सदा जीवित रहें…

तब राजा ने कहा, आज से तुम मेरे संग इस राजमहल में मेरे मित्र बन कर रहोगे…जो खाना मैं खाता हूँ तुम भी खाओगे और जैसे कपडे मैं पहिनता हूँ वैसे तुम भी पहनोगे…यह सुनकर उस भिखारी को अपने कानो पर भरोषा नहीं हुआ…

और उसने कहा, नहीं राजन मैं इस योग्य नहीं कि आपके साम्हने सिर उठा सकूँ और आप कह रहे हैं कि मैं आपके साथ भोजन करूँ….सभी सैनिको और मंत्रियों को भी उस भिखारी के ऊपर जलन होने लगी…लेकिन राजा का यह आदेश था. जिसे कोई भी टाल नहीं सकता था.

अब राजा जहाँ भी जाता वह अपने इस नए मित्र जो पहिले भिखारी हुआ करता था लेकर जाता. अपनी मेज पर ही उसे भी भोजन खिलाता. एक दिन राजा और भिखारी मित्र शिकार करने जंगल में गए. वे दोनों बहुत ही घने जंगल में शिकार की तलाश में ढूंढते हुए निकल गए.

सुबह से शाम हो गई…लेकिन उन्हें कुछ भी शिकार नहीं मिला…अब दोनों बहुत ही थक चुके थे और भूख भी लग रही थी. दूर दूर तक जंगल में कुछ भी खाने या पीने को कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था. तभी राजा को दूर एक पेड़ पर एक फल दिखाई दिया..उस पेड़ पर केवल एक ही फल दिख रहा था.

जो दिखने में बड़ा ही सुंदर था. राजा ने तुरंत पेड़ पर चढ़कर उस फल को तोड़ कर नीचे अपने मित्र के पास ले आये. भूख के मारे दोनों का बुरा हाल था. इसलिए राजा ने तुरंत अपनी तलवार निकाल कर उस फल के दो भाग किये और आधा उस भिखारी मित्र को देते हुए बोले लो ये खा लो…

भूख से कुछ तो राहत मिलेगी. भिखारी जल्दी जल्दी उस फल को खा लिया और फिर बोला राजा जी बड़ी भूख लगी है कृपया मुझे यह आधा फल भी दे दीजिये…राजा ने उस आधे फल को भी दो भाग करके उसे देते हुए बोले अच्छा तुम यह ले लो. और ये बचा हुआ भाग मैं खाऊंगा….लेकिन यह क्या ?

भिखारी तो उस बचे भाग की भी मांग करने लगा और राजा के हाथ से लेने लगा. यह अधीरता देखकर राजा क्रोध से भर गया. और कहने लगा…तुझे जरा भी लज्जा नहीं मैंने तुझे पहले ही खाने को दिया…मैं भी भूखा हूँ. और तू इसे भी मांग रहा है….राजा का क्रोध देखकर वह सहम सा गया. इतना कह कर राजा ने उस फल को खाने क एली जैसे ही मुंह में रखा…राजा चिल्ला उठा.. ओह्ह कितना कड़वा फल है यह…

राजा ने उस भिखारी मित्र से पूछा, ‘ अरे तुम इतना कड़वा फल कैसे स्वाद से खा सकते हो…और इस बचे हुए भाग को भी मांग रहे थे. आखिर क्यों??? तब उस भिखारी मित्र ने नम्रता से कहा, राजन आज तक आपने मुझे अच्छे अच्छे स्वादिष्ट भोजन से तृप्त किया है आज जब कड़वा फल खाने का मौका है तो वो मैं कैसे गंवा दूँ…मैं नहीं चाहता था वो कड़वा अनुभव आपको हो….

मोरल :- परमेश्वर भी वो दयालु राजा है, जिसने हमें अपार आशीषें दी हैं…लेकिन जब वह हमें अनुशासित करते हैं तो हमें भी धैर्य से उस कडवे अनुभव को सह लेना चाहिए क्योंकि उसके बाद परमेश्वर की आशीषें और बरकतें अपरंपार होंगी.

कहानी #7 आखिर ऐसा क्यों | मोटिवेशनल कहानी

एक जवान लड़का अपनी पढ़ाई लिखाई पूरी करके शहर नौकरी ढूंढने के लिए आया. बहुत समय बीत गया परन्तु उसे कोई भी नौकरी नहीं मिल रही थी. अब गाँव से लाए हुए पैसे भी खत्म हो चले थे.

उसे शहर में जीने के लिए पैसे की जरूरत थी इसलिए वह बड़ी मेहनत से नौकरी ढूढ़ रहा था. एक दिन सुबह उठकर वह तैयार होकर काम ढूंढने के लिए निकला. और सोचा यदि उसे नौकरी नहीं मिली तो कुछ भी बोझा ढो लेगा या छोटा मोटा काम कर लेगा…नहीं तो उसे गाँव वापस जाना पड़ेगा.

वह कुछ दूर चला तो उसे एक गोल सा चिकना पत्थर मिला उसने सोचा अरे बड़ा अच्छा पत्थर है. उसने उस पत्थर को उठा कर अपनी पेंट की जेब में रख लिया. शाम को जब वह घर पर आकर नहाने के लिए कपडे उतारे तो उसकी जेब से वही पत्थर गिरा. उसने उस पत्थर को उठाया और सोचने लगा.

अरे इस पत्थर के कारण ही शायद मुझे आज एक छोटी नौकरी मिली है. और उसने उस पत्थर को उठाकर एक ऊंचे ताखे में रख दिया जो दीवार में समान रखने का स्थान बना हुआ था. सुबह उठ कर उसकी नजर उसी पत्थर पर पड़ी…उसने सोचा आज थोड़ी ठंड है शायद इस पत्थर को भी ठण्ड लग रही होगी…

और उसने एक छोटे से रूमाल को उसके ऊपर लपेट दिया और कहा, मेरी तरक्की होगी तो मैं तेरे लिए भी एक नए कपडे दिला दूंगा. अब क्या था…वह दिन राज मेहनत करता और अपने काम में तरक्की करता गया. अब उसके पास अपना घर भी था. और उसने उस पत्थर के लिए एक छोटा सा लकड़ी का घर भी बनवा दिया.

थोड़े समय बाद उसकी शादी हो गई. पत्नी को भी समझने में देर नहीं लगी कि उसे उस पत्थर की देख भाल करना है. वह उसे समय समय पर साफ़ करती धूल झाड़ती और उस पत्थर के कपडे बदलती…परन्तु उसने कभी भी अपने पति से यह पूछने की हिम्मत नहीं की कि वो ऐसा क्यों करे. या पति ऐसा क्यों कर रहा था.

कुछ समय के बाद उनके बच्चे हुए उन्होंने ने बढ़ते हुए अपने घर में इस पत्थर का सम्मान होते देखा था. सो वे भी इस महत्त्व देने लगे. कुछ वर्षों बाद बूढ़े माता पिता भी मर चुके थे. उनके बच्चों की भी शादी हो गई थी. और घर एक हवेली में बदल चूका था और बहुत बड़े घर में सबसे बड़ा कमरा इस पत्थर के लिए था.

उसमें लगातार खुशबु महकती थी वहा दिया जलता रहता था. लेकिन किसी भी बच्चे ने यह पता लगाने की जहमत नहीं उठाई कि यह आया कहाँ से है और हम जो कर रहे हैं वो आखिर ऐसा क्यों कर रहे हैं….

मोरल :- आज वो पत्थर लाखो लोगों के घर में स्थान बनाएं हुए है

कहानी #8 आनन्दित रहने का रहस्य | छोटी सी प्रेरणादायक कहानी

आज का दिन यहोवा ने बनाया है, हम इसमें आनन्दित और मगन हों. (भजन संहिता 118:24)

नरेश हमेशा परेशान रहता था, अपनी पत्नी के बारे में परिस्थिति के बारे में हमेशा शिकायत करता रहता था, कि पत्नी खाना ठीक से नहीं बनाती…बौस ठीक से बात नहीं करते…दोस्त सभी बेकार हैं आदि आदि.

एक दिन वह बड़ा ही निराश होकर एक बुद्धिमान व्यक्ति के पास गया जो कलीसिया का पासवान भी था. और उस पासवान से अपनी सारी बातें कह सुनाई. पासवान ने नरेश को कुछ सिखाने की मनसा से कहा, ‘आप एक काम करो…

मेरे घर के पास एक गुलाब के फूलों का बगान है…उसमें से सबसे सुन्दर, सबसे खुशबूदार, सबसे ताजा फूल लेकर आओ. तब मैं तुम्हें इस परिस्थिति से निकलने का रहस्य बताऊंगा. परन्तु एक शर्त है तुम्हें पीछे मुड़कर गुलाब को नहीं तोडना है केवल आगे के सामने आने वाले में से ही एक फूल तोडना है.

नरेश को शर्त बड़ी अजीब सी लगी लेकिन उसे अपनी परेशानी से बाहर आने लिए हर शर्त मंजूर थी. नरेश उसी समय बड़ी ख़ुशी से उस गुलाब से बगान में गया और उसने देखा बगान गुलाब के फूलों की खुश्बू से भरा हुआ है.

उसने सोचा और थोड़ा बगान के अंदर जाने से और भी सुन्दर और खुशबूदार फूल मिलेंगे. और वह बहुत से गुलाब के फूलों को देखता और खुशबु लेता औरआगे बढ़ता चला जा रहा था. हर फूल को देखने में उसे लगा इससे भी बढ़िया और आगे होगा इसी आशा में वह आगे बढ़ता गया और बहुत से बेहतरीन फूलों को पीछे छोड़ता चला गया.

उसे पता ही नहीं चला कि कब वह बाहर निकलने के द्वार के पास आ गया. उसे लगा अरे मैंने तो एक भी फूल नहीं तोडा..लेकिन अब केवल खराब से मुरझाए हुए और बिना खुशबु के ही फूल बचे थे वे ताजा भी नहीं दिख रहे थे.

लेकिन अब उसके पास और कोई विकल्प नहीं था और उसने उनमें से एक फूल तोड़ा जो बिलकुल भी खुबसूरत नहीं था और मुरझाया हुआ सा था. उसे लेकर पासवान के पास आया….पासवान ने उस मुरझाए हुए फूल को देखकर बड़ा आश्चर्य किया और कहा अरे क्या बगान में यही एक मात्र फूल था जो तुम्हें पसंद आया…

क्या इससे बेहतर कोई भी फूल तुम्हें नहीं मिला. नरेश बड़ी गलती महसूस करते हुए कहने लगा…नहीं नहीं इससे भी ज्यादा बढिया और खुशबूदार और ताजा फूल थे…लेकिन मैंने ही यह सोचकर कि इससे भी अच्छे फूल शायद आगे मिलेंगे.

मैं उन्हें छोड़कर आगे चलता चला गया लेकिन…आखरी में मुझे पता चला कि मैं तो बगान के अंत में आ गया इसलिए मैं जो साम्हने मिला उसे ही ले आया. इसके लिए सॉरी…पासवान ने मुस्कुराते हुए कहा, यही तुम्हारे जीवन की समस्या है…

तुम केवल समस्याओं को फॉक्स करते हो…परमेश्वर की दी हुई भलाइयों को ध्यान नहीं देते. हमेशा भविष्य में आने वाली खुशियों की तलाश में रहते हो… लेकिन जो आशीषें तुम्हें अभी मिली हैं उनके लिए धन्यवाद नहीं करते.

आने वाली अनजान ख़ुशी के लिए आप आज के वर्तमान की छोटी छोटी ख़ुशी और आनन्द का कत्ल कर देते हो. नरेश समझ गया था कि उससे कहाँ गलती हो रही थी. अब उसे अपनी समस्या से बाहर आने का रास्ता मिल चुका था.

कहानी #9 तुम अनमोल हो | प्रेरक कहानियां हिंदी

पास्टर दीपक एडवर्ड एक चर्च में हाथ में 100 का नोट लेकर लोगों को दिखाते हुए कहा मैं यह नोट किसी को देना चाहता हूँ. “आप में से कौन है जो इस नोट को लेना चाहता है.? बहुत से लोगों ने हाथ उठाया और कहने लगे हमें लेना हैं हमें चाहिए.

फिर पास्टर ने सभी के सामने उस नोट को हाथ में लेकर एक साधारण कागज के टुकड़े के समान उसे मोड़ दिया और छोटी सी बॉल के समान बना दिया. और लोगों से पूछा क्या अभी भी कोई इसे लेना चाहता है? इस बार फिर से लोगों ने हाथ उठाया. और उस नोट को लेने की इच्छा जाहिर की.

अब पास्टर जी ने नोट को लेकर उसे नीचे मिटटी में गन्दा कर दिया. और पूछा क्या अब किसी को नोट चाहिए. सब ने इस बार भी हाथ उठाया और नोट को लेना चाहा. इस पर पासवान जी ने कहा. आप इसे क्यों लेना चाहते हैं.

ये तो गन्दा हो गया है. तब एक बच्चे ने उठकर कहा तो क्या हुआ पासवान जी. लेकिन अभी भी उसका मूल्य तो 100 रूपए ही है . इस बात पर पासवान ने कहा, सभी लोग इस बच्चे के लिए ताली बजाएं. फिर लोगों से कहा, जीवन में भी हम कई बार गलती करते हैं अपनी जीवन रूपी दौड़ में गिरते हैं.

अपने जीवन में हार का सामना करते हैं हमें भी लगने लगता है कि अब हमारी कोई कीमत नहीं है. शैतान हमसे कहता है अब तुम्हारी कोई जरूरत नहीं तुम किसी के काम के नहीं हो तुमसे कुछ भी नहीं हो सकता. संसार में तुम बोझ हो आदि आदि.

परन्तु स्मरण रहे इस नोट की तरह तुम कितने बार भी क्यों न गिर जाओ कितने बार भी असफल क्यों न हो जाओ तुम्हारी कीमत (मूल्य) कम नहीं हुआ है. परमेश्वर ने कहा है तुम अनमोल हो तुम मेरे द्वारा बनाए गए मास्टरपीस हो. इस धरा की सर्वश्रेष्ठ रचना हो. तुम्हारे जैसा न कोई था न कोई होगा. भले कामों के लिए सृजे गए हो.

मोरल :- तुम वो खजाना हो जिससे परमेश्वर प्रेम करता है और जिसके लिए अपना इकलौता पुत्र इस धरती पर भेजा है ताकि तुम अपनी कीमत समझो.

सुनिए पॉडकास्ट शोर्ट पावरफुल gospel stories

कहानी #10 शैतान का कील | युवाओं के लिए प्रेरणादायक कहानी

क्या तुम नहीं जानते कि तुम परमेश्वर के मन्दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है…(1 कुरु. 3:16) शैतान को अवसर न दो…(इफिसियों 4:27)

किराए के घर में रहने वाला राहुल अपने बेटे चिंटू से बहुत प्यार करता था. उनके लिए एक अपना घरं खरीदना चाहता था. क्योंकि किराया दे देकर और मकान मालिक के ताने सुन सुन कर पक चूका था.

कई वर्षों से अपने और परिवार के खर्चों को काटकाटकर उसने कुछ पैसे बचाए थे. उसने अपने घर में हिसाब लगाया सब कुछ जोड़ बटोर कर उसके पास कुल 25 लाख 12 हजार रूपए हो चुके थे. जो उसके दिन रात की खून पसीने की कमाई थी.

उसने एक प्रोपर्टी डीलर के पास जाने का विचार किया. दूसरे दिन प्रोपर्टी डीलर के आफिस खुलते ही उसने हिम्मत करके कहा, नमस्कार जी…डीलर ने भी स्वागत करते हुए बुलाया आइये आइये भाई साहब बैठिये…क्या लेंगे चाय या कॉफ़ी…नहीं नहीं लाला जी वो मैं एक घर खरीदना चाहता हूँ राहुल बोला.

डीलर खुश होते हुए “बहुत बढ़िया बात है. अपना घर तो अपना ही होता है. मेरे पास कई घर हैं दो बेड रूम के और तीन बेडरूम के पार्क के किनार 5 करोड़ वाली एक कोठी भी बिकाऊ है आप बताइये आपको कैसा घर चाहिए. नहीं नहीं इतना मंहगा नहीं. मेरे परिवार में केवल तीन लोग हैं. पति पत्नी और एक बच्चा.

मेरे लिए तो आप कोई छोटा घर ही बताइये. हाँ ठीक है यहाँ पार्क के पास ही एक घर है एक बेडरूम का बाथरूम अटैच है ओ चलेगा. राहुल बिलकुल चलेगा जी वो क्या दाम का होगा. देखिये भाई साहब आपके लिए वो 50 लाख का लग जाएगा. 50 लाख!!

राहुल ने आश्चर्य से कहा. अरे आप ऐसे क्यों कह रहे हैं ये ही सबसे कम कीमत वाला घर है . इससे कुछ भी कम नहीं हो पाएगा परिवार में बात कर लीजिये कहीं ये भी बिक न जाए. राहुल बड़ा उदास होकर डीलर के ऑफिस से निकला और अपने परिवार के पास जाने लगा लेकिन तभी वहां एक अनजाना व्यक्ति मिला जो बहुत देर से छिप कर राहुल और डीलर की बाते सुन रहा था.

उसने राहुल से कहा मेरे पास एक बढ़िया मकान है दो रूम और दोनों ओर खुलता है किचिन बाथरूम और छत भी यदि आप चाहो तो देख सकते हो पास ही में है. राहुल ने सोचा देखने में क्या बुराई है. और वह उसके संग चल दिया और राहुल को घर बड़ा ही पसंद आया अरे वाह बहुत बढ़िया बनाया है आपने फिर बेचना क्यों चाहते हैं.

उस अनजान व्यक्ति ने कहा मेरे पास यही पास में एक और मकान है मैं उसमें रहता हूँ इसलिए इसे बेचना चाहता हूँ. राहुल को कुछ आश नजर आने लगी. उसने पूछा कितनी कीमत होगी इस घर की

उस व्यक्ति ने कहा आप अपना ही घर समझिये आप जितना भी देंगे मेरे लिए ठीक होगा. राहुल ने कहा, नहीं नहीं आप बताइये यदि मेरे बजट में होगा तो लूँगा. उस अनजान व्यक्ति ने कहाँ कितना बजट है आपका राहुल ने कहा यही कोई 25 लाख तक का.

उस व्यक्ति ने कहा लो समझो तुम्हारी खोज पूरी हुई हालाकिं यह मकान 40 लाख का है लेकिन मैं तुम्हें 25 लाख में इसे दे दूंगा…लेकिन एक छोटी सी शर्त है. राहुल ने कहा वो क्या???

उस अनजान व्यक्ति ने कहा देखो मैंने यह मकान बड़े प्यार से बनाया हूँ. आप पूरा मकान ले लीजिये लेकिन पहले कमरे में जो एक छोटी कील है वो मेरी रहेगी. यदि यह आपको मंजूर है तो आप घर ले सकते हैं . मैं जब भी आऊंगा तो कभी कभार कुछ समान यहाँ से लेजाते समय थक गया तो उसमें टांग दूंगा. बाकी पूरा घर आपका रहेगा.

हालाकि यह बड़ी अजीब सी शर्त थी लेकिन राहुल इस शर्त को मां गया. और अपने घर के पेपर तैयार करके और इस शर्त को उसमें लिखकर और हस्ताक्षर करके अपने नए घर में परिवार सहित प्रवेश किया. और बड़ी ख़ुशी से रह रहा था. लेकिन एक दिन वह अनजान व्यक्ति आया और उसने उस कील में एक थैला टांगना चाहा.

राहुल की पत्नी ने उसे मन किया तो उसने कहा आप अपने पति से पूछिए ये तो शर्त थी. राहुल ने भी न चाहते हुए अपनी पत्नी को समझाया एक कील ही तो है वो व्यक्ति ले जाएगा थोड़ी देर हमें… और उस व्यक्ति ने अपना एक थैला उसमें टांग दिया उस थैले में मछलियाँ थीं…

और उसने कहाँ जब तक मैं न आऊं इसे आपमें से कोई छूना भीं नहीं. वह व्यक्ति चला गया और एक सप्ताह तक नहीं आया अब मछलियाँ सड़ने लगी और पूरे घर में बल्कि मोहल्ले में बदबू फैलने लगी…वहा रहना भी दूभर हो गया. सभी लोग उस घर के सामने से निकलते समय मुंह में रुमाल रख कर जाते थे.

मोहल्ले के कुछ लोग आकर गाली गलौज करने लगे. क्या सड़ा रहे हो. पूरे मोहल्ले में बीमारियां फैलाना चाहते हो क्या. लेकिन शर्त के अनुसार राहुल फंस चूका था. उस व्यक्ति से बहुत बार निवेदन करने पर भी वह मान नहीं रहा था.

आखिरकार राहुल को कुछ हजार रूपये लेकर ही कौड़ियों के भाव में उस घर को उसी व्यक्ति को बेचना पड़ा और उस घर से जान बचाकर भागना पड़ा.

मोरल :- हमारे जीवन में यदि कोई बुरी लत है तो वह शैतान का हमारे घर में कील जैसा है जो एक दिन पूरा का पूरा घर नाश कर देता है.

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