तू-है-कुम्हार-मैं-मिटटी-हूँ-कहानी

The amazing story of the potter in the Bible in hindi Jeremiah 18 | तू है कुम्हार मैं मिटटी हूँ कहानी

Spread the Gospel

तू है कुम्हार मैं मिटटी हूँ कहानी, परमेश्वर आपको बनाना चाहता है | आज हम यिर्मयाह के जीवन से सीखेंगे किस प्रकार परमेश्वर उसे एक कुम्हार के घर में ले जाकर कुछ सिखाता है.

बाइबल में कुम्हार और मिटटी की कहानी | The story of the potter in the Bible | तू है कुम्हार मैं मिटटी हूँ कहानी

तू-है-कुम्हार-मैं-मिटटी-हूँ-कहानी
तू-है-कुम्हार-मैं-मिटटी-हूँ-कहानी Image by LuAnn Hunt from Pixabay

एक बार की बात है परमेश्वर यिर्मयाह नबी से कहता है, “उठ और कुम्हार मतलब जो मिटटी के बर्तन बनाता है उसके घर जा. और वहां मैं तुझसे बातें करूँगा. अर्थात कुछ बताऊंगा.”

इसलिए यिर्मयाह उठकर कुम्हार के घर जाता है, और देखता है कि कुम्हार एक मिटटी का बर्तन चाक में रखकर बना रहा है.

यिर्मयाह ने ध्यान से देखा तो क्या पाया कि कुम्हार जो मिटटी का बर्तन बना रहा था, वह बिगड़ गया और तब कुम्हार ने उसी मिटटी से दूसरा बर्तन अपनी समझ के अनुसार बना दिया.

इस पर मुझे एक और कहानी याद आती है मैं इसे आपको सुनाना चाहता हूँ फिर इस वचन को और उपरोक्त कहानी को continue करेंगे.

पढ़ें :- परमेश्वर को भेंट देने पर तीन अद्भुत कहानियां

 हिंदी बाइबल स्टडी नोट्स

एक बार नदी के किनारे पड़ी हुई मिटटी हमेशा देखती थी, कि उसके ऊपर से रौंद कर एक स्त्री आती है.

और एक मटके को अपने साथ लाती है उस मटके को अंदर और बाहर से धोया जाता है.

और फिर उसमें नदी से पानी भर कर उस मटके को सिर पर रखा जाता है.

यह देखकर यह जमीन की मिटटी कहने लगी आखिर वो मटका भी तो मिटटी है और मैं भी मिटटी हूँ. मुझे पैरो तले रौंदा जाता है…

और वह मटका सिर पर चढ़कर बैठता है. इतना सम्मान मिलता है उसे.

मैं भी मटका बनूंगी और वो प्रार्थना करने लगी. प्रभु मुझे मटका बना दीजिए. मुझ पर कृपा कीजिए.

और एक दिन वहां एक कुम्हार आता है और उस चिकनी मिटटी को उठा कर ले जाता है.

उसे अपने घर के बाहर डाल देता है. वह मिटटी सूख जाती है वह कहती है यहाँ मैं पत्थर बनने नहीं आई.

फिर कुछ दिन बाद उस पर हथोड़े चलते हैं. वो मिटटी चिल्ला उठती है फिर उसे छाना जाता है फिर उस पर पानी डाला जाता है और उस पर कुम्हार चढ़कर कूदता है. और मिटटी मन ही मन रोती रहती है. ये मेरे साथ क्या हो रहा है…

में तो मटका बनने आई थी. ये मेरे साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है???

उसी समय उसे उठाकर एक घूमते हुए चाक में रख दिया जाता है. और वह चक्कर खाने लगती है.

और फिर उस पर अन्दर से और बाहर से दबाव दिया जाता है और वह एक आकार लेने लगती है.

अब उसे कुछ अच्छा लग रहा था जैसे उसका सपना साकार हो रहा हो.

लेकिन तभी उसे सुखाकर आग में डाल दिया जाता है. और वहाँ वह चिल्ला पड़ती है अरे मैं तो जल गई अरे मैं तो ख़ाक हो गई.

लेकिन जब वह अग्नि परीक्षा से होकर बाहर आती है तो ख़ुशी ख़ुशी दुनिया को ठंडक पंहुचा पाती है.

तो आइये हम अपनी बाइबल की कहानी को continue करते हैं. Lessons from the potter and the clay इन हिंदी

प्रत्येक व्यक्ति के लिए परमेश्वर की सिद्ध इच्छा है

तो यहाँ हम देखते हैं जिस प्रकार वह मिटटी कुम्हार के हाथ में तो थी लेकिन जो बर्तन वह बनाना चाह रहा था वह नहीं बनना चाह रही थी और बह बिगड़ गई.

इस पर उस कुम्हार ने अपने इच्छा के अनुसार कुछ और बना दिया. उसी प्रकार से कई बार हम परमेश्वर के साथ तो चलते हैं.

लेकिन अपनी बुद्धि का सहारा लेकर अपनी इच्छा पूरा करना चाहते हैं. या यूं कहें पूरी रीति से परमेश्वर पर निर्भर नहीं रहते.

कुछ गलत निर्णय कुछ गलत आदतें हमें वो बनने से रोकती हैं जो परमेश्वर हमें बनाना चाहते हैं. परमेश्वर हमें सिद्ध पवित्र और अति उपयोगी पात्र बनाना चाहते हैं.

परमेश्वर हमारे बिगड़े हुए रूप को भी ग्रहण करता है

वो सच्चा कुम्हार है. उसे यदि आप अपना टूटा हुआ हृदय भी देते हैं तो वह उसे जोड़ता नहीं बल्कि नया बना देता है.

वो हारे और निराश पतरस से कहता है मेरे पीछे हो ले मैं तुझे बनाऊंगा (मत्ती 4:19)

आपके जीवन में यदि आपने कैसे भी पाप किये हों या गलती किये हों या जीवन का बहुत बड़ा फैसला गलत हो गया हो.

उस दयालु सृष्टिकर्ता के पास आयें वो आपके सबसे खराब परिस्थिति को भी नया बना देता है. वो टूटे और पिसे हुए ह्रदयों को तुच्छ नहीं जानता. (भजन 51:17)

उसके पास हमारे लिए बड़ी योजनाएं हैं (यिर्म. 29:11)

हम परमेश्वर की सन्तान हैं, वह हमारे लिए बड़ी और बहुमूल्य योजनाओं को बनाता है.

उसे हमारे जीवन से बड़ी आशाएं हैं. वह हमें बनाने में हिम्मत नहीं हारता.

बल्कि अपने सुन्दर और पावन हाथों को बढ़ा कर वह हमें बनाने में अपने हाथों को गंदे करने से नहीं लजाता.

वह अंदर और बाहर दबाव देकर हमें सुन्दर आकार देता है. और हमें खूबसूरत बनाता है.

वह हमारे जीवन की बुराइयों को दूर करता है.

हम सब मिटटी से बने हैं कई बार हमारे जीवन में कंकर और पत्थर होते हैं.

अर्थात कुछ ऐसी आदतें होती हैं जो आसानी से अलग नहीं होतीं.

लेकिन एक बेहतर और प्रभु को ग्रहण योग्य पात्र बनने के लिए उन आदतों को अलग होना बहुत जरूरी होती है.

परमेश्वर हमारे जीवन में उसके तरीके से वो बुराइयों को अलग करते हैं.

जैसे राजा दाऊद कहते हैं. तेरी लाठी और तेरे सोटे से मुझे शान्ति मिलती है. (भजन 23:4)

हमें बनाने में वह बहुत प्रेम, धीरज और सावधानी से बर्ताव करता है

कुम्हार का काम कभी भी जल्द बाजी का नहीं होता. वह हमें बड़ी ही सावधानी से और प्रेम से बनाता है.

वह अपने दोनों हाथों से हमें उठाता है. ऊंचे स्थान में रखता है और अपने किये हुए उद्धार का दर्शन दिखाता है.

पतरस इसे यूं कहता है, कि उसके बलवंत हाथों के नीचे दीनता से रहो तो वह तुम्हे उचित समय में बढ़ाएगा. (1 पतरस 5:6-7)

वह हममें अपना रूप देखकर प्रसन्न होता है

अंत में सवाल है कि परमेश्वर हमें बनाना क्या चाहता है ? हाँ तो उत्तर है जैसे उसका पुत्र है अर्थात वह अपने समान हमें बनाना चाहता है.

उसने आदम को बनाया था जो पूरी महिमा में था लेकिन पाप के कारण हम उस महिमा से दूर हो गए.

लेकिन वह अपने पुत्र के लहू से धोकर फिर से हमें एक नई सृष्टि बनाना चाहता है.

जिस प्रकार एक सुनार सोने को तब तक तपाता है जब तक स्वयं सुनार का चेहरा उस सोने में स्पष्ट न दिखाई देने लगे.

उसी प्रकार हमारा सिद्ध कुम्हार हमें तब तक बनाना चाहता है जब तक हम उसके समान पवित्र और सिद्ध न बन जाएं.

प्रभु आपको इस कहानी से आशीष दे अपने कमेन्ट में जरुर बताएं और शेयर करें यदि आप इस सेवकाई को सपोर्ट करना चाहते हैं तो प्रभु आपको बहुत आशीष दे नीचे मेरा ईमेल है आप संपर्क कर सकते हैं. धन्यवाद

इन्हें भी पढ़े

जीवन में दुःख और सुख दोनों जरूरी हैं

हिंदी सरमन आउटलाइन

यीशु की प्रार्थना

पवित्र बाइबिल नया नियम का इतिहास

31 शोर्ट पावरफुल सरमन

यीशु कौन है

कभी हिम्मत न हारें

हम कैसे विश्वास को बढ़ा सकते हैं

प्रार्थना के 20 फायदे

https://biblevani.com/

पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)

rajeshkumarbavaria@gmail.com


Spread the Gospel

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Scroll to Top